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शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-12
अभी तक आपने पढ़ा- मैं रवि की तलाश में हिसार जा पहुंचा और बस में मिले संदीप की बाइक पर बैठकर उसके गांव की तरफ जा रहा था. रात हो चुकी थी और बाइक पर चलते हुए संदीप ने अपना खड़ा लंड मेरे हाथ में दिया हुआ था. अचानक रोड पर लगे जाखोद खेड़ा गांव का साइन बोर्ड देखकर मैंने सोचा हम पहुंचने वाले हैं और मैं खुश हो गया. मैंने पूछा- संदीप भैया हम पहुंचने वाले हैं न? संदीप ने कोई जवाब नहीं दिया, मैंने सोचा शायद हवा के शोर में उनको सुनाई नहीं दिया.
मैंने उसके लंड को पकड़ कर रगड़ना जारी रखा और लगभग 2 किलोमीटर के बाद बाइक ने सीधे जाखोद खेड़ा का रोड छोड़कर दाहिने हाथ की तरफ नेवली खुर्द गांव की तरफ कट मार दिया और हम रात के अंधेरे में सुनसान गांव की तरफ अंधेरे में गुम हो गए.
कुछ देर चलने के बाद दूर दराज कुछ लाइटें जलतीं दिख रही थीं. मैंने पूछा- संदीप भैया हम पहुंचने वाले हैं क्या? वो गुस्से में बोला- साले चैन नहीं है तुझे…लंड लेने की ज्यादा ही जल्दी पड़ी है क्या… तुझसे बोला था ना आराम से बैठा रह! मैं घबरा गया… संदीप के तेवर बदले-बदले से लग रहे थे.
रवि के गांव का मेन रोड छोड़कर हम किस रास्ते पर जा रहे थे मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था. लिहाज़ा मैं चुपचाप उसके पीछे बैठा रहा. मैंने सोचा, शायद किसी गांव से कोई शॉर्ट कट होगा, यही सोचकर मैं मन को तसल्ली दे रहा था. लेकिन जो गांव दूर दिखाई दे रहा था उससे पहले ही संदीप ने वीराने में एक कच्ची रेतीली पगडंडी पर बाइक खेतों की तरफ मोड़ दी. मेरा शक गहराने लगा… लेकिन करता भी तो क्या, घबरा कर चुपचाप बैठा रहा, मेरा हाथ उसके लंड से हटने लगा.
मेरा ध्यान अब उसके लंड पर नहीं लग रहा था… वो फिर गुस्से में बोला- साली रंडी, मन भर गया क्या तेरा मेरा लंड पकड़ते-पकड़ते? नखरे मत कर और चुपचाप मेरी पैंट की चेन खोल! मैंने कुछ ना बोलते हुए चलती बाइक पर उसकी पैंट की जिप खोल दी. वो बोला- हाथ अंदर डाल!
मैंने हाथ अंदर डाला तो लंड से निकल रहा प्री कम उसके अंडरवियर को गीला कर चुका था. वो बोला- लंड को बाहर निकाल ले! मैंने चलती बाइक पर उसके लंड को अंडरवियर के कट से बड़ी मुश्किल से निकालते हुए उसकी चेन के बाहर लाकर आजा़द कर दिया. उसके 9 इंच लौड़े का टोपा प्रीकम से सना हुआ था और लंड उसकी पैंट के जिप के बीच से निकल कर किसी मोटे सांप की तरफ आसामान की तरफ सलामी दे रहा था.
वह थोड़ा सा पीछे की तरफ झुका और अपने बाएं हाथ को मेरी गर्दन पर लपेटते हुए मेरी गर्दन को आगे खींचते हुए अपनी जिप के बीच में ले जाकर मेरे होठों में अपना लंड फंसा दिया. उसकी आह निकल गई और बाइक का बैलेंस बिगड़ने लगा. उसने एकदम से ब्रेक लगाए और उसका मोटा लौड़ा मेरे गले में जा फंसा. उसने बैठे-बैठे ही मेरी गर्दन दबोचे हुए मेरा मुंह अपने लंड पर ऊपर नीचे धकेलना शुरू कर दिया.
उसकी हवस इतनी बढ़ गई थी मानो वह कह रहा हो कि मैं आज तुझे अपना लंड खिला ही दूंगा. वो मेरे मुंह को वहीं बाइक पर बैठे-बैठे चोदने लगा. मेरी गर्दन उसकी बगल में फंसी हुई थी और लंड मुंह में फंसा हुआ था. मेरी छुड़ाने और शोर मचाने की हर कोशिश नाकाम ही साबित होती. वो ‘आह.. आह…’ की आवाजें करता हुआ अपना लंड मेरे गले में पेल रहा था. मेरा दम घुटने लगा और गर्दन में दर्द भी हो रहा था.
फिर उसने अचानक मेरी गर्दन पर से अपनी पकड़ ढीली कर दी और बोला- साले तू लड़की होता तुझे इतना चोदता… इतना चोदता कि हर महीने तेरे पेट से बच्चा बाहर निकलता! कह कर उसने मुझे पीछे कर दिया और फिर से बाइक आगे कच्चे रास्ते पर दौड़ा दी. उसका लंड अभी भी उसकी पैंट में ही तना हुआ बाहर निकला हुआ था और बाइक एक कोठरी की तरफ बढ़ रही थी जिसके अंदर एक धीमी सी रोशनी थी.
देखते ही देखते कोठरी के पास जाकर बाइक रुक गई. उसने कहा- नीचे उतर! मैं बाइक से नीचे उतर गया. अगले ही पल वो भी टांग घुमाता हुआ बाइक से नीचे था और उसकी जिप के बीच में से उसके काले से मोटे सांप जैसे लंड का तना हुआ डंडा चांद की चांदनी में बाइक की टंकी से से टकरा रहा था.
वो बोला- चल अंदर! वो मेरा हाथ पकड़कर कोठरी के अंदर ले गया. अंदर जाकर मैं सहम गया. कोठरी के इंटों के बने फर्श पर दरी बिछी हुई थी और उस पर दो जवान, उसी की उम्र के लड़के बैठे हुए थे, उनके आस पास चिप्स के पैकेट बिखरे पड़े थे और उनके सामने दारु से भरे हुए प्लास्टिक के गिलास रखे हुए थे, साथ में खाने पीने का और भी सामान था.
उन्होंने अपनी शर्ट निकालकर एक तरफ रखी हुई थी और दोनों ने ही नीचे लोअर पहनी हुई थी. उनकी छाती नंगी थी और फर्श पर रखे टेबल फैन से आ रही हवा के लगने के बाद भी पसीने से लथपथ हो रही थी. पसीने की बहती हुई धारें उनकी छाती से शुरु होकर उनके पेट से होते हुए नीचे लोअर की इलास्टिक को भिगा रहे थे.
जैसे ही उन्होंने संदीप को देखा, वे मुस्कुराए और तीनों आपस में एक-दूसरे को देखकर हंसने लगे.
मैं असमंजस में उन तीनों की तरफ देख रहा था.
फिर उन्होंने संदीप की पैंट में से निकले लंड को देखा, जो अब तक आधा सो चुका था और केले की तरह नीचे फर्श की ओर लटक रहा था. बल्ब की रोशनी में आधा सोया हुआ लंड भी काफी मोटा और जबरदस्त लग रहा था जिसको चूत में लेने के लिए कोई भी लड़की तैयार हो जाए… इतना सेक्सी लंड कभी कभी देखने को मिलता है.
उसके लंड को देखकर वो दोनों हंस पड़े और बोले- संदीप, लागै है तन्नै तो अपनी तोप के गोले पहले ही इसकी गांड में छोड दिए…(लगता है तूने तो पहले अपनी तोप के गोले इसकी गांड में छोड़ दिए) उनकी बात सुनकर संदीप भी हंस पड़ा और बोला- ना यार… इब्बै तो बस मुंह मैं दिया था…(अभी तो बस मुंह में दिया था)
उनकी ये बातें सुनकर मेरी समझ में सारी कहानी आ गई कि ये सब पहले से ही प्लान किया हुआ था. लगता है संदीप ने इन दोनों को भी मुझे अपने लंड चुसवाने के लिए पहले ही बुलाया हुआ है। मैंने सोचा- हिमांशु, अब तो तू भगवान भरोसे है… रात को ना तो कोई साधन है और ना दूर-दूर तक कोई आदमी…
संदीप जाकर उनके पास बैठ गया और उसने भी अपनी शर्ट निकाल दी और बनियान भी… संदीप का बदन बनावट में उन दोनों से दोगुना भारी था… उसकी छाती उठी हुई और डोले भी काफी मोटे और मजबूत थे. उसने अपनी बनियान भी निकालकर एक तरफ रख दी उसकी जिप अभी भी खुली हुई थी लेकिन बैठने की वजह से लंड अंदर चला गया था.
उसने मेरी तरफ देखा…और बोला- क्यों बेटा, कैसा लगा सरप्राइज़? खुश हो जा अब तू और हम तीनों को भी खुश कर दे. मैं अपनी बदकिस्मती को कोस रहा था कि गांडू को सब चोदने के सिवा किसी और काम का नहीं समझते. ना ही उसका कोई अपना होता है और ना ही पराया! लेकिन फिर भी मैंने बनावटी मुस्कुराहट देते हुए कहा- भैया, आपने तो कहा था आप रवि के पास ले जाओगे… ये कौन सा गांव है फिर?
संदीप बोला- ये तेरी भाभी यानि कि मेरी गर्लफ्रेंड का ससुराल है, जिसको तू बस में मेरी बीवी समझ रहा था. उसको भी मैंने इसी कोठरी में ला ला कर कई बार चोदा है, वो मेरे लंड की दीवानी है और अपने पति को छोड़कर मेरी रातें रंगीन करती है. जैसे तू मेरे लंड का दीवाना है… है न? मैंने कहा- हाँ भैया, लंड तो आपका बड़ा गज़ब का है, कोई भी लड़की आपसे चुदने के लिए तैयार हो जाएगी.
मेरी बात को बीच में ही काटते हुए वो बोला- तो दूर क्यों खड़ा है आकर ले ले ना मुंह में! यह कह कर वो तीनों हंसने लगे.
मैंने सोचा अब तो फंस गया हिमांशु… आज तेरी गांड की शामत आने वाली है. संदीप ने एक हाथ से मेरा कॉलर पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया, मैं चूतडो़ं के बल धड़ाम से ज़मीन पर जा बैठा. उसकी छाती नंगी थी और वो सिर्फ जिप खुली पैंट में खड़ा होकर मेरे मुंह के सामने अपने जिप वाले भाग को ले आया था.
मुझे घुटनों के बल बैठा कर उसने अपनी खुली जिप में मेरी होठों को धकेल दिया और अगले ही पल पैंट का हुक खोलकर पैंट नीचे गिरा दी, अब वो अंडरवियर में था और उसका लंड पहले से ही बाहर लटक रहा था. उसने अपने लटकते हुए लंड पर मेरा चेहरा यहाँ वहाँ टच करना शुरु कर दिया, कभी उसका लंड मेरे होठों पर आकर लगता तो कभी माथे और कभी आँखों पर… और देखते ही देखते उसके लंड में तनाव आने लगा और अगले एक मिनट में उसका लौड़ा 8 इंच को हो चुका था.
उसने अपनी उंगलियों से मेरे गालों को दोनों तरफ से भींच दिया और मेरे होंठ खुल गए और अपना लौड़ा वहीं पर मेरे मुंह में दे दिया और बालों को कसकर पकड़ते हुए तेजी से लंड को मेरे मुंह के अंदर बाहर करने लगा. ‘साले, आज तेरी लंड चूसने की प्यास अच्छी तरह बुझाऊँगा मैं…’ कहते हुए उसने अपना लंड चुसवाना शुरु कर दिया और स्पीड तेज होने लगी, उसके दोनों हाथ मेरे सिर के पिछले हिस्से पर कस गए और वो अपनी गांड आगे की तरफ धकेलता हुआ पूरा लंड गले में फंसाने लगा, उसके अंडरवियर का कट मरे होठों में आकर लग रहा था- चूस साले… बहनचोद!
उसकी स्पीड और तेज़ हो गई और लंड का तनाव अपने चर्म पर पहुंच गया. उसका लंड सख्त होकर किसी मोटे डंडे की तरह मेरे मुंह को घायल करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था. वो पूरे जोश में पूरी ताकत के साथ मेरे मुंह को चोदे जा रहा था. और स्पीड बढ़ने के साथ-साथ उसकी जांघें मेरे गालों से आकर टकराने लगीं और फट-फट की आवाज़ होने लगी. 2-3 मिनट तक ऐसे ही मुंह चुदाई करते रहने के बाद एकाएक उसकी स्पीड कम होना शुरू हो गई और उसके मोटे लौड़े से वीर्य की गर्म पिचकारियां सीधे मेरे गले में टकराती हुई नीचे उतरने लगीं और 5-6 झटकों के बाद वो शांत होकर रुक गया. उसने मेरे थूक से सना हुआ लंड मेरे मुंह से बाहर निकाला और मेरी शर्ट के बटन फाड़ते हुए मेरी शर्ट को अपनी तरफ ऊपर खींच कर अपने लंड को साफ करने लगा. संदीप के दोनों दोस्त ये सब अपनी आंखों के सामने होता देख रहे थे और दारू के पैग लगाए जा रहे थे. उनके चेहरे पर हवस नाच रही थी… जैसे दोनों के दोनों मेरे ऊपर लंड तानकर चढ़ने को उतावले हुए जा रहे हैं.
गांडू की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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