फिल्मों से यारी, चूत की भरमारी-1

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दोस्तो, मेरी पिछली सेक्स कहानी स्कूल गर्ल सेक्स दो चूत एक साथ कहानी पढ़ने के बाद एक बार फिर आप सभी ने मेरी कहानी को खूब सराहा. दोस्तो, यह कहानी भी काल्पनिक है जो केवल आप लोंगो के मनोरंजन के लिये ही है. इस कहानी में हो रही घटना को आप अपने करीब महसूस करें, यही मेरा उद्देश्य है. तो कहानी पढ़ने से पहले लड़के पूर्ण नग्न होकर अपने लंड को अपने हाथ से मसलने के लिये तैयार रहिये और लड़कियाँ या भाभी जी भी पूर्ण नग्न होकर इस कहानी को पढ़ते समय अपनी चूत में उंगली डाल कर अपना माल को खुद ही चखें और मुझे बतायें कि कैसा है, उनका अपना माल (वीर्य) कैसा लगा.

चलिये अब कहानी पर चलते हैं, जैसा कि शीर्षक से ही लग रहा है कि चूत की भरमार है इस कहानी में.

मैं रवीश एक 18 साल का 6 फीट लम्बा और कसरती बदन का मालिक हूँ. कसरत खूब करता हूँ, इसलिये मेरे डोले-शोले खूब बन गये हैं. मैंने अपने लंड महराज को कभी भी परेशान नहीं किया. अपने शरीर को कसरती बदन बनाने का मकसद सिर्फ इतना ही है कि मैं फिल्मों में काम करना चाहता था लेकिन यह नहीं मालूम था कि 9 इंच लम्बे लंड लिये हुए लड़के को भी उसी तरह की फिल्म मिलेगी.

एक दिन मैं बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा था, तभी मेरी नजर क्लासीफाईड कॉलम पर पड़ी. मैं सभी कॉलम को बारी-बारी से पढ़ने लगा, तभी बीच में एक छोटा सा ऐड था, जिसमें लिखा था कि फिल्मों में 18-20 साल के लड़के और लड़कियों का हाथ आजमाने का बढ़िया अवसर… मिलें नीचे दिये हुए पते पर!

छुट्टियों का समय था और मैं घर में खाली बैठा भी था, मैं तैयार होकर बताये हुए पते पर पहुँचा, देखा तो वहाँ पहले से ही बहुत से लड़के-लड़कियाँ जमघट लगाये हुए थे, मेरा टोकन नं 95 था. एक हॉल था, जिसमें एक हिस्से में लड़कियों के बैठने के लिये कुर्सियाँ थी और दूसरे हिस्से में लड़कों को बैठने के लिये. मैं कोने वाली कुर्सी पकड़ कर बैठ गया और अपने नम्बर का इंतजार करने लगा.

मेरे बगल में एक टेबल रखी हुई थी, जिस पर दो-तीन किताबें पड़ी हुई थी. मैंने एक किताब उठा ली कि तभी मेरे बगल में बैठा हुआ लड़का बोला- अबे किताब वापस रख दे. मैंने पूछा- क्यों? तो उसने एक बार फिर बोला- रख दे बे! मैंने उसकी बात को इग्नोर करते हुए किताब का पन्ना खोला तो पहले ही पन्ने पर एक खूबसूरत लड़की थी जो केवल पैन्टी पहने हुए थी और अपने मम्मे को अपने हाथों से न छिपाने के बराबर छिपाये हुए थी.

तभी वो बगल में बैठा लड़का फिर फुसफुसाया- देखा लौड़े के, मैं मना कर रहा था. मुझे भी गुस्सा चढ़ गया, मैं बोला- लौड़े के, अगर यहाँ रखी है तो किसलिये? मैं तो देखूँगा, तुझे नहीं देखना है तो तू दूसरी तरफ मुंडी घुमा ले!

उसके बाद मैं वो किताब देखने लगा, जिसके ऊपर कवर में कुछ था और अन्दर नंगी और अर्ध-नंगी लड़कियों के फोटो की भरमार थी.

तभी हम सभी को एक फार्म इश्यू हुआ, जिसमें अपनी डिटेल के साथ-साथ यह भी लिखा था कि अन्दर चल रही क्रियायें आप गुप्त रखेंगे. सभी ने फार्म भर दिया और सबमिट कर दिया.

तभी एनाउन्सर ने हमें बताया कि आप अपना नम्बर सामने डिस्पले में देखते रहे और अपने नम्बर के विषय में बार-बार पूछ कर फालतू का परेशान न करें! इतना कहने के साथ ही पहला नम्बर डिस्पले हुआ. दोनों तरफ से एक-एक लोग उठकर रिसेप्सन से होते हुए अन्दर की तरफ चले गये.

दो मिनट बाद दूसरा नम्बर आ गया. फिर एक लड़का और एक लड़की उठ कर चले गये. लेकिन इसके बाद नम्बर में वेरियेशन होने लगा. अब दो मिनट के इंतजार की जगह पाँच, सात, दस, पंद्रह तो बीस-बीस मिनट का इंतजार होने लगा. लेकिन किसी को ये नहीं मालूम चल पा रहा था कि अन्दर क्या हो रहा है.

जहाँ हमारी बेंच में 20-25 लोग बैठे थे, वहीं लड़कियों की बेंच में 7-8 लोग ही बचे थे. एक खास बात और थी कि जो भी लड़कियाँ अपने टाईम से लेट आ रही थी, उनको तो एन्ट्री मिल जा रही थी, जबकि लड़कों की लेट एन्ट्री बंद थी.

खैर बैठे-बैठे शाम को तीन बजे मेरा नंबर भी आया. जब मैं अन्दर पहुँचा तो एक हट्टे कट्टे आदमी ने मुझे सीट ऑफर की और मेरे पास आकर बोला कि मुझे कुछ परीक्षा देनी होगी, अगर तुम उसमे सेलेक्ट हो गये तो एक बी-ग्रेड मूवी है, उसमे तुमको एक हीरो का मौका मिलेगा.

जो-जो वो बोलता गया, मैं उसे ध्यान से सुनता गया. बी-ग्रेड मूवी में क्या-क्या होगा, उसने मुझे बताया और साथ में यह भी बोला कि तुम्हारा फिजिकल एक्जामिनेशन भी होगा. मुझे लगा कि कोई डॉक्टर आकर मेरा फिजिकल एक्जामिनेशन करेगा, तो मैंने हामी भर दी.

मेरे हामी भरने के साथ ही वो आदमी बाहर चला गया और उसके जाते ही एक कर्ली बालों वाली साँवली रंग एवं चिकने बदन वाली औरत अन्दर आई, जिसने केवल लाल रंग का ब्रा और पैन्टी पहना हुआ था. वो मेरे पास आई और मेरे सामने अपने मम्मे, नाभि, चूत और गांड पर हाथ फेरते हुए बोली- रवीश, तुम्हारा फिजिकल एक्जामिन होना है! इतना कहने के साथ ही वो घूमी और थोड़ा झुकते हुए अपनी पैन्टी को गांड की दरार से अलग करती हुई बोली- तू अपने फिजिकल एक्जामिनेशन के लिये तैयार हो जा!

इतना कहने के साथ ही उसने अपनी पैन्टी के दोनों तरफ का बन्धन खोल दिया, उसकी पैन्टी एक झटके में उसके जिस्म से अलग हो गई. मैं इस सीन को देखकर आश्चर्य चकित रह गया क्योंकि इस तरह की सीन अक्सर करके ब्लू फिल्म में होती थी. फिर उसने अपनी ब्रा को भी अपने से अलग कर दिया और अपने बूब्स को दबाते हुए मेरे पास आई.

उस लड़की ने अपनी चूची को कस कर दबा रखा था और निप्पल में उंगली चलाते हुए मुझसे बोली- चल मेरे दूध को पी! उसकी चूची उसके हाथों में ऐसे लग रही थी मानो खरबूजा उसने पकड़ रखा हो. उसकी चूत काफी फूली हुई थी, ऐसा लग रहा था कि उसकी जांघों के बीच एक फूली हुई पाव रोटी हो. चूत की दरार भी थोड़ी फैली हुई थी.

मुझे नहीं मालूम था कि मेरा पहला अनुभव कैसा जाने वाला है.

तभी उसने मेरे सर के पीछे अपना हाथ रखा और अपने वक्ष पर झुकाते हुए अपनी चूची को मेरे मुंह में ठूंस दिया. थोड़ी देर तक बारी-बारी से अपने दोनों मम्मों को उसने मुझे पिलाया, फिर उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े मुझसे अलग कर दिए, मैं भी उसकी तरह बिल्कुल नंगा हो चुका था.

फिर वो नीचे झुकते हुए मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर बोली- वाऊऊऊ, यमी… मेरा लंड अभी लटका हुआ था.

फिर लंड को अपने दोनों हथेलियों में लेकर उसको सहलाने लगी, कुछ देर सहलाने के बाद मेरे लंड के अग्र भाग को चूम लिया और लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. काफी देर तक वो ऐसा ही करती रही, मेरा भी लंड तन कर खड़ा हो गया. उसके लंड का चूसना मुझे ऐसा महसूस होने लगा कि मेरे अन्दर हजारों कीड़े रंग रहे हों, मेरा शरीर अकड़ रहा था.

फिर उसने मेरा लंड चूसना छोड़ दिया और कमरे के बीच में पड़े हुए एक ऊँची सी टेबल पर लेट गई और अपनी चूत की फांकों को फैलाते हुए मुझसे उसकी चूत चाटने को बोली. उसकी चूत काफी चिकनी थी, उसकी चूत ही नहीं, उसका पूरा जिस्म काफी चिकना था.

मुझे इस समय ऐसा लग रहा था कि मैं उसके सम्मोहन में हूँ. मैं टेबल के पास गया और उसकी चूत की खुली हुई फांकों के बीच में मैंने अपनी जीभ लगा दी और जैसे-जैसे वो कहती गई, वैसे-वैसे मैं करता गया. मैं अभी उसकी चूत चाटने में व्यस्त ही था कि वही हट्टा कट्टा आदमी अन्दर आया और उस लड़की की चूची को दबाते हुए बोला- क्यों रोहिणी, अभी तक फिजिकल नहीं हुआ? जवाब में वो लड़की बोली- बॉस, ये लड़का अभी नया है तो बस अभी इसको सिखा रही थी, दो-तीन मिनट रूको, मैं इसको फ्री करती हूँ.

रोहिणी के इतना कहते ही वो हट्टा कट्टा आदमी ने उसके गाल सहलाते हुए कहा- जल्दी करो! इतना कहने के साथ ही वो आदमी वहाँ से चला गया.

रोहिणी ने मेरे लंड पर निरोध चढ़ा दिया और वापस उसी टेबल पर लेट कर अपनी चूत को फैलाते हुए मुझे लंड को उसमें डालने के लिये इशारा किया. अब मुझे क्या, मैंने उसके कहने के साथ ही एक झटके से लंड उसकी चूत में पेल दिया, आह- आराम से पेलो यार, इतना लंड इस चूत में गया है, लेकिन तुम्हारे लंड ने मुझे एक बार फिर से दर्द का अहसास करा दिया है. मुझे पेलो मेरे राजा, आज मेरी चूत को पता लगेगा कि लंड क्या होता है.

कई पोजिशन में वो मेरे साथ खेलती रही. कभी उसने मुझे उस टेबल पर लेटा दिया और लंड को अपनी चूत के अन्दर लेकर उछल कूद मचाने लगी, तो कभी दीवार पर हाथ का सहारा लेकर पीछे से चुत में लंड को लिया.

एक बार फिर रोहिणी उस टेबल पर पेट के बल इस तरह लेट गई कि मुझे लगा कि वो आधा लेटी है और आधा खड़ी हुई है, फिर मुझे बोली- रवीश यार, अब चोदो! मैंने उसके कहने पर उसकी चूत में उसी स्टाईल से लंड डाल दिया और धक्के मारने लगा. रोहिणी उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह कर रही थी कि तभी वही हट्टा कट्टा आदमी फिर अन्दर आया और बोला- अबे मादरचोद रंडी, कितनी बार इससे चुदेगी? उस हट्टे-कट्टे आदमी को उसी के अंदाज में जवाब देती हुई बोली- धत्त चूतिया भोसड़ी वाले, अभी इसका पहला राऊन्ड नहीं खत्म हुआ है. ‘अबे आधा घंटा से ऊपर हो गया है, सर बोल रहे हैं कि कितनी देर और लगेगी?’ ‘जब ये मुझे छोड़ देगा?’ फिर मेरी तरफ देखते हुए बोला- यार, जल्दी निपटा इस रंडी को!

मैं चोदे जा रहा था, अब रोहिणी थकने लगी थी और मेरा निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था, मुझे इतना अहसास जरूर हो रहा था कि कुछ फंसा सा हुआ है. खैर कुछ और स्ट्रोक लगाने के बाद मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने उस लड़की से कहा- मेरा निकलने वाला है. उसने मुझे चूत से लंड निकालने के लिये कहा, मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, वो उठी और मेरे लंड से निरोध निकालते हुए बोली, तेरे लंड ने मेरा तीन बार पानी छुड़ा दिया है, मैं इस लंड का पानी पीने को बेताब हूँ. इतना कहने के साथ ही वो मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, मैं धीरे-धीरे झड़ने लगा और वो मेरा माल को पीने लगी फिर अपने मुंह को पौंछते हुए बोली- यार तेरा लंड अभी भी तना हुआ है, जब कुंवारी लड़की की बुर चोदेगा तो उस लड़की की तू गांड फाड़ने के साथ-साथ उसकी जान भी निकाल लेगा. अगर मुझे कभी मौका लगा तो मैं तेरे से फिर चुदूंगी.

इतना कहने के साथ उस लड़की ने मुझे मेरे कपड़े पहनने को कहा और दूसरे रूम की तरफ इशारा करते हुए वहाँ पर जाने को कहा और साथ ही अपने कपड़े उठाकर वो दूसरे कमरे में चली गई.

मैंने भी कपड़े पहने और उसके बताये हुए कमरे में चला गया. उस कमरे में पहले से ही छ: सात लड़के और आठ-दस लड़कियाँ थी. लड़कियाँ एक-से-एक खूबसूरत और सेक्सी. वो सब मुझे घूर कर देख रहे थे, खास कर लड़के.

मैं एक लड़की के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया. कोई 15-20 मिनट बाद दो लड़की और एक लड़का इस कमरे में और आये. उसके थोड़ी देर बाद वही लड़की दो और लड़कियों के साथ और उन दोनों के साथ दो हट्टे कट्टे पहलवान टाईप के आदमी, जिसमें से वो एक भी था जो दो बार कमरे में आया था और उनके साथ-साथ एक बहुत ही खूबसूरत औरत और एक लम्बा सा आदमी जो बहुत ही हैंड्सम था.

सबसे पहले उस औरत ने हम सबसे अपना-अपना परिचय देने को कहा. सबने बारी-बारी से परिचय दिया, उसके बाद वो औरत बोली- मैं इस फिल्म की प्रोड्यूसर हूँ, मेरा नाम सलोनी है और मेरे साथ मि. आशुतोष है, इस फिल्म के डायरेक्टर.

उसके बाद उस आदमी ने जिसका नाम आशुतोष था, बोलना शुरू किया और हम सभी को उसने उन सभी नियम कानून से अवगत कराया, जो इस फिल्म के लिये अनिवार्य था. मैं आप सभी से एक बार फिर कह रहा हूँ, यह कहानी मात्र एक कल्पना है, इसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं है.

वो बोला- आप सभी जो इस रूम में है, अपनी मर्जी से है और आप को जो भी करने के लिये कहा जायेगा, वो करेंगे और दूसरी बात यह है कि आप भाषाओं की मर्यादा के बन्धन में नहीं हैं, यह मूवी पूर्ण रूप से एडल्ट मूवी है, जिसमें आज की भाग दौड़ की जिन्दगी के विषय को उठाया गया है और लोगों के लिये सेक्स एक आनन्द का विषय नहीं रहा है.

इतना बताने के बाद उसने कहा कि आप सभी का चेक रेडी है, घर जाने से पहले ले लेना, साथ ही साथ कल से आप सभी लोग एक महीने के लिये यहाँ पर होंगे, आपके लिये खाना-पीना जो कुछ चाहिये वो सब आपको यहीं मिलेगा.

इतनी बात बताने के बाद उस आदमी ने हम सभी को एक किनारे खड़ा होने के लिये बोला, जब हम सभी एक किनारे खड़े हो गये तो वही पहलवान टाईप के दिखने वाले आदमियों और उन लड़कियों ने कुर्सियों को बीच से हटाकर साईड पर लगा दिया और फिर हमसे बैठने के लिये बोला गया.

उसके बाद उस आदमी ने उन लड़कियों को इशारा किया, वो बारी-बारी से आगे आई और उस हॉल के बीच में आकर कैटवॉक करते हुए अपने कपड़े उतारते हुए दूसरी तरफ खड़ी हो गई, उसके बाद उन पहलवानों का नम्बर आया और वो भी उसी तरह कपड़े उतारकर लड़कियों के बगल में खड़े हो गये.

फिर हम सभी को बारी-बारी से ऐसा ही करने को बोला गया. सबसे पहला मेरा नम्बर आया, मैं भी बीच में गया और अपने कपड़े उतारकर उसी लड़की के पीछे खड़ा हो गया. मेरे बाद एक लड़की को बोला गया. इस तरह करके उस हॉल में दो लोगों को छोड़ कर बाकी सभी लोग नंगे थे.

इसी बीच जब सभी कैटवॉक करते हुए अपने कपड़े उतार रहे थे तो रोहिणी मेरे लंड को पकड़े हुए उसे मसल रही थी और अपनी गांड को उससे सहला रही थी.

जब सभी लोग नंगे हो गये तो वो दोनों भी अपने कपड़े उतार कर खड़े हो गये और घूमते हुए अपने पूरे जिस्म को दिखाने लगे. उसके बाद वो दोनों एक बार फिर कुर्सी पर बैठ गये. उसके बाद सलोनी बोली- अब आप लोग अपना चेक लेकर घर जा सकते हैं. कल बारह बजे तक यही आना है. हाँ, जाने से पहले सभी लोग एक दूसरे से गले मिलेंगे.

मैडम की बात सुनकर जल्दी-जल्दी सभी एक दूसरे से गले मिलने लगे. चूंकि हम सभी नंगे थे, इसलिये अब संकोच का सवाल नहीं था. यह मेरा पहला अनुभव था कि कोई लड़की से गले मिले, हालाँकि कुछ देर पहले ही चुदाई का नया पाठ सीखा था. अभी तक जो पाठ मैं किताबों से या ब्लू फिल्मों से सीखता था, वो मेरे साथ प्रेक्टिकल रूप से हो चुका था, फिर भी मैंने सभी लड़कियों के चूतड़ को जमकर सहलाया, लड़कियाँ भी मेरे चूतड़ या लंड को सहला देती थी, उनमें से काफी लड़कियाँ थी जो मुझसे बोली कि वास्तव में मेरा लंड बहुत ही लम्बा और मोटा है, कैसे अन्दर जायेगा. उनमें एक लड़की तो और आगे बढ़कर बोली- मैं तो चाह रही हूँ कि अभी ही चुदाई वाला सीन हो और तुम्हारा लंड मेरी फुद्दी में घुसे!

सब चलने लगे और साथ ही सभी लड़के आशुतोष से गले मिल रहे थे जबकि सभी लड़कियाँ मैडम सलोनी से गले मिलने में व्यस्त थी. सभी की तरह मैं भी आशुतोष से गले मिला, कमेन्ट उनके भी आये- गजब का लंड है तुम्हारा, लड़कियों के साथ संभल कर करना, कहीं फट ही नहीं जाये उनकी! इतना कहने के साथ ही हँसने लगे.

मैं सलोनी के पास गया और उनको भी अपने गले से लगा लिया और साथ ही चूतड़ सहलाने के साथ उनकी गांड की दरार में उंगली भी कर दी. ‘हम्म! जरूरत से ज्यादा स्मार्ट हो.’ कह कर मुस्कुरा दी.

मैं बाहर आया और कपड़े पहने और चेक लेकर घर आ गया.

तो दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है. मुझे अपनी प्रतिक्रिया भेजें! आपका अपना शरद [email protected] [email protected] यह सेक्स कहानी अभी जारी रहेगी.

फिल्मों से यारी, चूत की भरमारी-2

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