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यह कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखी गई है, इससे किसी व्यक्ति, नाम, स्थान से कोई सम्बन्ध नहीं है.
मेरा नाम अशोक है, मैं अभी 18 साल का हूँ. इस साल इंटर परीक्षा पास की है.
मैं अपने परिवार के बारे में बताता हूँ. मेरे पापा दो भाई है. मेरे पापा बड़े है और चाचा मेरे पापा से चार साल छोटे. हम लोग गांव में रहते हैं. मेरे पापा गांव में खेती करते है और मेरे चाचा सरकारी कर्मचारी है. चाचा गांव से 40 किलोमीटर दूर शहर में रहते हैं, महीने में एक या दो बार ही घर आते हैं.
गांव में मेरे पापा और चाचा के बीच बंटवारा हो चुका है. हमारे घर के बीच में एक दीवाल है. दीवाल के दूसरे पार चाचा का घर है.
मैं अपने माँ बाप का इकलौता बेटा हूँ. चाचा को एक बेटी है और एक बेटा, बेटा का नाम रवि है और बेटी का नाम सीमा है. सीमा मुझसे दो साल बड़ी है, वो 20 साल की है. रवि होस्टल में रहता है. सीमा मेरे साथ ही मेट्रिक परीक्षा पास किया है. चाची घर में सीमा के साथ रहती है.
मेरे घर में मेरे माँ और पापा के साथ मैं रहता हूँ. चाची और मेरे माँ की बहुत बनती है, चाची माँ से दो साल छोटी है, जी मेरे चाचा से चाची दो साल बड़ी है, अधिक समय दोनों (माँ और चाची) साथ में रहती हैं और बात भी करती रहती हैं.
मेरी माँ हमेशा पूजा पाठ में लगी रहती हैं, उनका एक पूजा रूम है, ज्यदा वक्त वो पूजा रूम में ही लगाती हैं.
मेरे पापा को पैसे की थोड़ी तंगी रहती है इसलिए मैंने एक डॉक्टर के पास काम पकड़ लिया है ताकि मैं कम्पाउंडर का काम सीख सकूँ. डॉक्टर का नाम डाक्टर मीरा है. उनका क्लिनिक काफी मशहूर है. अब मैं आपको असली कहानी पर लाता हूँ.
एक दिन चाची की तबीयत खराब हो गई, सीमा ने मुझे फोन पर बताया, तो मैंने उन्हें क्लिनिक लेकर आने के लिए कहा, सीमा चाची को लेकर क्लिनिक पर लेकर आ गई.
मैं चाची को अंदर ले गया और डॉ० मैडम से चाची का परिचय करवाया. मैडम ने चाची को बेड पर लेटने के लिए कहा, फिर चाची के पेट को दवा के चेक किया, फिर मैडम ने चाची को उठ जाने के लिए कहा और मैडम ने दवा लिखी, बोली- ज्यादा दिक्कत नहीं है जल्दी ठीक हो जायेगी.
मैडम ने मुझसे बोली- अशोक दवा ले लो और एक इंजेक्शन यहीं पर दे दो. मैंने कहा- ठीक है मैडम! मैडम ने चार इंजेक्शन लिखे थे और कुछ दवाइयाँ भी.
मैं चाची को बाहर बिठा कर दवा खरीद लाया. फिर चाची के बांह पर एक इंजेक्शन दे दिया. चाची बोली- बेटा अशोक, सब ठीक है न? मैं- हाँ चाची, सब ठीक है… कुछ दिन में ठीक हो जायेगी आप!
फिर मैंने सीमा को कहा- सीमा दीदी, अब चाची को घर ले जाओ, मैं शाम में आकर देख लूँगा, और इंजेक्शन दे दूँगा! मैं रिक्शा ले आया और चाची और सीमा को घर भेज दिया.
चाची के जाने के बाद मैं क्लिनिक में काम में लग गया.
शाम को घर वापस आया, मैं कपड़े चेंज कर के नाश्ता किया, फिर मैं माँ को बोला- मैं आता हूँ. माँ ने कहा- अशोक, कहाँ जा रहा है? मैंने कहा- माँ चाची को सूई देना है, बस दे के आ जाता हूँ. कह कर घर से निकल गया.
मैं चाची के घर गया, चाची कुर्सी पर बैठी हुई थी, मैंने चाची को पूछा- अब कैसी तबीयत है? चाची बोली- अब आराम है. फिर मैंने पूछा- सीमा कहाँ है? चाची- वो कोचिंग गई है! मैं- आज तो सीमा को कोचिंग नहीं जानी चाहिए थी, आप के पास रहना चाहिए था. चाची- मुझसे पूछ के गई है.
मैं- ठीक है, चाची दवाइयाँ कहाँ रखी हैं? चाची- बेटा, सीमा के कमरे में होगी, जा के ले आ!
मैं सीमा के कमरे में गया और दवा ढूँढने लगा. मैंने आवाज लगई- चाची, नहीं मिल रही है, कहाँ होगी? बाहर से आवाज आई- वही कहीं होगी, देखो ठीक से!
मैं फिर देखने लगा, इसी दौरान मुझे एक किताब मिला, मैंने पन्ना पलट कर देखा तो उसमें कुछ नंगी तस्वीर थी, मैंने उस किताब को अपनी कमर में खोंस लिया, फिर दवा ढूँढने लगा. मुझे दवा मिल गई.
मैं दवा लेकर बाहर आया, इंजेक्शन बनाया और चाची से पूछा- चाची बांह पर दे दूँ? चाची ने मना कर दिया, बोली- बेटा, बांह पर दर्द हो रहा है. मैंने कहा- तो चाची, चूतड़ पर लगाना होगा.
चूतड़ की बात मेरे मुँह से सुन कर चाची मेरे तरफ देखने लगी, मैं फिर कहा- चाची लेट जाओ, तो चूतड़ पर लगा पाऊँगा, नहीं तो बांह पर देना होगा. चाची बोली- नहीं, चूतड़ पर ही दे दो!
चाची बेड पर जा कर पेट के बल लेट गई. मैं साड़ी को नीचे करने लगा पर टाईट होने के वजह से नीचे नहीं हुई तो मैं चाची से बोला- चाची वो… वो थोड़ा ढीला करना पड़ेगा. चाची समझ गई और उठ कर पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर फिर लेट गई.
मैंने साड़ी नीचे की, अब चाची के चूतड़ थोड़े नंगे हो गए, चाची के चूतड़ एकदम गोरे थे, दूध जैसा उजला…
मैंने रुई से चूतड़ पर रगड़ा और सूई चुभो दी. चाची के मुँह से उई निकली. मैंने कहा- बस हो गया चाची! फिर मैं सूई बाहर खींच कर रुई से रगड़ने लगा.
इस बीच मुझे चाची की गांड की दरार थोड़ी सी नजर आ गई. यह देख कर मेरे लंड में हल्का तनाव आ गया था. खैर मैंने चाची को बोला- हो गया, कपड़े ठीक कर लीजिए! और मैंने दवा सीमा के रूम में रख दी.
तब तक चाची बेड से उठ कर बैठ चुकी थी. मैंने कहा- चाची, अब मैं जा रहा हूँ, कल सुबह आ के फिर सूई दे दूँगा. चाची बोली- चाय पी ले, अभी बना देती हूँ. मैंने मना कर दिया और वहाँ से चला आया.
वहाँ से आने के बाद मैंने अपने कमरे में जा कर किताब को खोला ही था कि माँ ने आवाज लगा दी. मैं किताब छुपा कर माँ के पास चला गया. माँ ने बाजार से सब्जी लाने के लिए बोली.
मैं सब्जी ले कर आया, माँ ने खाना बनाया, तब तक पापा भी आ गए, हम सबने खाना खाया, खाते समय पापा ने माँ से कहा कि उन्हें दिल्ली जाना होगा, वहाँ किसान मेला लग रहा है… और लौटने में 20-25 दिन लग सकते हैं. माँ ने पूछा- कब जाना है? तो पापा परसों निकलने की बात कह रहे थे. फिर मैं सोने चला गया.
अपने रूम में आकर दरवाजा ठीक से बंद कर दिया और बेड पर आ कर किताब निकाल कर देखने लगा, उसमें औरत की नंगी कुछ तस्वीर थी जिसे देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरा हाथ लंड पर आ गया. कुछ औरतों ने अपनी चूत को हाथ से चौड़ा किया हुआ था, कुछ में मर्द चूत को चाट रहे थे… कुछ में लंड बुर में अंदर था.
तस्वीर देखते देखते लंड को मैं ऊपर नीचे करने लगा. लंड को ऊपर नीचे करने में मजा आने लगा. अब मुझे इतना अच्छा लगने लगा था कि मैं अपने लंड को कच्छा से बाहर निकाल कर हाथ से हिलाने लगा और अपनी आँखें बंद कर ली और जोर जोर से हाथ हिलाने लगा.
उसी वक्त मेरे मुँह से अह्ह्ह उईई निकली और लंड से पिचकारी निकली और मेरे पेट पर गिरी. फिर मैं सो गया.
सुबह उठ कर बाथरूम गया फिर नहा धो कर तैयार हो गया. मेरे दिमाग में रात की तस्वीर चल रही थी, पापा जा चुके थे, माँ ने मुझे नाश्ता दिया. मैं नाश्ता के बाद जाने के लिए बैग उठा कर बाहर निकला तो मुझे याद आया कि चाची के घर भी जाना है… फिर मैं बैग घर में रख कर पहले चाची के घर चला गया.
सीमा किचन में थी, मैंने पूछा- दीदी, चाची कहाँ है? सीमा बोली- अपने कमरे में है. मैंने सीमा की ओर ध्यान दिया, उसकी चूची उठी हुई थी, पीछे से चूतड़ भी निकले थे. सीमा ने शायद मेरी निगाह भाम्प ली, उसने नजर झुका ली और दवा लेकर मुझे दी. मैं दवा ले कर चाची के कमरे में चला गया.
‘चाची, अब कैसी तबीयत है? मैंने पूछा. चाची- आ गया… तेरा ही इंतजार कर रही थी मैं. मैं- कुछ खाया है या नहीं? चाची- हाँ रोटी खाई है. और अपनी कमर का नाड़ा खोल कर पेट के बल लेट गई.
मैंने सूई बनाई और चाची का पेटीकोट नीचे सरकाया, चाची के नंगे चूतड़ दिखे तो मुझे किताब की तस्वीर याद आ गई, मैंने सोचा कि वो तो एक फोटो है क्यों न लाइव चूतड़ देखूँ! मैंने चूतड़ पर रुई रगड़ते हुए साड़ी थोड़ा और नीचे कर दी, चाची के चूतड़ पूरे दिख रहे थे, चाची की गांड की दरार पूरी दिख रही थी.
मैंने रुई रगड़ते हुए सूई चुभो दी, चाची के मुँह से सीईईई निकली, फिर सूई खींच कर रुई रगड़ने लगा और धीरे से दरार की तरफ रगड़ दिया, फिर डर के मारे छोड़ दिया. मैंने कहा- हो गया चाची. मैं जाने लगा, चाची बोली- चाय पी ले. मैंने कहा- चाची देर हो गई है… क्लिनिक जाना है. और जल्दी से चला गया.
क्लिनिक में दिन भर सोचता रहा कि काश कोई मुझे भी चोदने देता तो कितना मजा आता, फिर मैं सीमा को पटाने के बारे में सोचने लगा कि काश सीमा… सोच सोच के मेरा लंड पैन्ट के अंदर ही खड़ा हो जा रहा था.
खैर शाम को घर वापस आया और कपड़े चेंज कर के चाची को इंजेक्शन देने चला गया. चाची बोली- आ गया, बेटा! थोड़ा दर्द हो रहा है! मैं- कहाँ पर चाची? चाची- बेटा, सीने में… तू जरा देख ले! मैं- देख लेता हूँ, पहले आपको सूई दे दूँ!
आज चाची के स्वभाव में कुछ बदलाव नजर आ रहा था. चाची पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर बेड पर लेट गई. मैंने सूई बनाई और चाची के चूतड़ को आधा नंगा किया, इस बार मैंने चूतड़ को दबा-दबा के देखा, बहुत ही गद्देदार है चाची के चूतड़… फिर मैंने सूई चुभो दी. चाची ने इस बार कोई आवाज नहीं की. मैं सूई देने के बाद कुछ देर तक रुई से सहलाता रहा, फिर चाची से कहा- हो गया.
चाची उठ गई और पेटीकोट का नाड़ा मेरे सामने ही बाँधने लगी. मैं- आप चित लेट जाइये… मैं चेक कर के देखता हूँ, दर्द कैसे हो रहा है.
चाची नाड़ा बाँधने के बाद चित लेट गई. मैंने चाची से पूछा- चाची किस तरफ दर्द है? चाची बाईं चूची के ऊपरी हिस्से के तरफ इशारा करते हुए बोली- इस तरफ! मैंने चाची के चूची के ऊपरी भाग को सहला कर देखा फिर उसे दबाया और चाची से पूछा- आराम लग रहा है? चाची ने हाँ में जबाब दिया.
मैं चूची के ऊपरी भाग को सहलाने और दबाने लगा… कभी कभी मेरा हाथ फिसल कर चूची से भी लग जा रहा था. इसी बीच मुझे वो किताब की पिक्चर याद आने लगी. मेरा मन मचलने लगा और लण्ड भी उफान मारने लगा. मेरा मन हो रहा था कि काश चाची की चुदाई कर पाता… पर कैसे? डर रहा था कि चाची डाटेंगी और माँ को भी कॉल देगी.
मेरे मन खराब होने लगा.
मैंने देखा कि चाची ने आँखें बंद कर रखी हैं. फिर मैंने पूछा- चाची आराम मिल रहा है? चाची ने हां बोली, मैं फिर दबाने लगा और धीरे से अपना हाथ चूची पर ले जाकर उनके स्तनों को धीरे-धीरे से ही दबाने लगा. चाची कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैं धीरे धीरे उनके मम्मे सहला रहा था, मैं दीवाना सा हो गया और मदहोश हो गया.
अब मैंने देखा कि चाची कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मेरा लंड टाईट हो गया था, मैं उसे चाची के हाथ के पास सटा कर चाची की चूची को दबाने लगा. मैंने पूछा- चाची कैसा लग रहा है? दर्द में आराम है या नहीं? चाची ने मेरे आँखों में देखा और बोली- बहुत आराम है… तुम इसी तरह दबाते रहो!
मैं चूची को दबाने लगा, मुझे लगा कि चाची मुझसे चुदना चाहती हैं… मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज पहली बार किसी को चोदने का मौका मिलेगा. मैं- चाची, सीमा काचिंग से कब लौटेगी? कहते हुए अपनी पैन्ट के अंदर उठे लंड को चाची के हाथ से सटाया. चाची अपना हाथ मेरे लंड पर ले आई और मेरे लंड की ओर देखते हुए बोली- दो घंटे में लौट आएगी.
मैंने सोचा कि चाची चाहती है कि दो घंटे में निपटा लूं, मैं चाची के हाथ पर लंड दबाने लगा. चाची को मेरे खड़े लंड का एहसास हो गया था. मैंने देखा कि चाची की आंखें बंद थी, मैंने अपने पैन्ट की चेन खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और चाची के हाथ में सटा दिया.
लंड हाथ में सटते ही चाची ने आँखें खोल दी और बोली- क्या कर रहा है… इसे क्यों बाहर किया? मैं सकपका गया, मैं लंड को पैन्ट के अंदर डाल लिया.
चाची- तेरी माँ से तेरी शिकायत करूँगी. ‘प्लीज चाची! ऐसा मत करना!’ मैं गिड़गिड़ाया. ‘ना… तुझे सबक सिखाना जरूरी है.’ वह बोली. मैंने उनके पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ाने लगा- प्लीज चाची, प्लीज! गलती से बाहर निकाल दी! इतनी छोटी गलती की इतनी बड़ी सजा मत दो. चाची की चुदाई की हवा मेरी गांड में से निकल गई.
सेक्सी कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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