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सेक्स इन गार्डन स्टोरी मेरी दूसरी चुदाई की है. एक ही रात में मैंने पहली बार चुदाई के थोड़ी देर बाद दूसरे लंड का मजा भी ले लिया. ये सब कैसे हुआ?
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सेक्स इन गार्डन स्टोरी के पिछले भाग लंड चूस कर कुंवारी बुर में घुसवाया में आपने पढ़ा कि अपनी भाभी के दोस्त से मैंने पहली चुदाई करवा के अपने पहले सेक्स का मजा लिया.
अब आगे सेक्स इन गार्डन स्टोरी:
अजय मुस्कुराया और बोला- ठीक है, चलो कुतिया बन जाओ, अब कुतिया की तरह चोदूँगा। मैंने ब्लू फिल्मों में बहुत देखा था तो समझ गयी अब डोग्गी स्टाइल की बारी है।
मैं उठ के बेड पे कुतिया बन गयी और मजाक में बोली- ले कुत्ते चोद अपनी कुतिया को! अजय बोला- अभी चोदता हूँ कुतिया रंडी तुझे! और घुटनों के बल मेरे पीछे आ गया और मेरे चूतड़ो को पकड़ लिया।
मैंने पीछे देखा और बोला- तो डाल ना कुत्ते!
अजय ने चूत पे लंड लगाया और मेरे चूतड़ो को कस के पकड़ लिया ताकि मैं आगे ना हो जाऊँ।
मेरे चेहरे पे भी मुस्कान थी और मैंने पीछे सिर घूमा के अजय को देखना चाहा तो उसने तुरंत एक झटके में पूरा लंड अंदर तक घुसा दिया। साथ ही मेरे मुंह से जोर की आहह … की चीख निकल गयी और मैं आगे से नीचे को झुक गयी। मेरी आँखों से हल्के से आँसू भी आ गयी।
अजय बोला- आया मजा मेरी कुतिया? मैंने कहा- आह … हम्म … आया … आह।
अजय बोला- तो ये ले! फिर और ज़ोर ज़ोर से पट्ट पट्ट उसने धक्के मारना शुरू कर दिया और मैं उसके धक्को से आगे पीछे हिलने लगी।
उधर अजय उम्महह … उमम्ह … उमम्ह … करते हुए मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था और इधर मेरा पूरा शारीर उसके धक्कों से आगे पीछे हिलते हुए थरथरा रहा था। मेरे बाल, बूब्स सब आगे पीछे हिल रहे थे और मेरे मुंह से हल्के दर्द और बहुत से मजे की आहह … आहहह … आऊउच … आहह … हम्म … स्सस्सी … स्सस्सी … आहह … की सिसकारियाँ निकल रही थी।
अजय ने इस बार पूरी ताकत झोंक दी थी और किसी कुत्ते की तरह पूरी स्पीड से मुझ कुतिया को चोदे जा रहा था।
मेरी चूत में खलबली मची हुई थी उसके लंड के घर्षण से। मेरे शरीर में आनंद भर गया था और इतना मजा मुझे कभी नहीं आया था।
धीरे धीरे मेरे शरीर में असीमित आनंद भर गया, मेरी चूत में जबर्दस्त मजा आने लगा और वो फूल के अजय के लंड को जकड़ने लगी। मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरे अंदर एक धमाका हो जायेगा।
फिर तो बस मेरा शरीर अकड़ने सी लगा और मेरी सांस बुरी तरह फूल गयी। कुछ ही पलों में मेरी ज़ोर की आहह … निकली और मेरी चूत झड़ने लगी।
कमरे में फच्च्ह … फच्छ … की आवाज आने लगी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
अब मैं ढीली पड़ने लगी पर अजय ढीला नहीं पड़ा था, उसने लबालब भरी चूत में ही चोदना जारी रखा 2 मिनट तक! और फिर वो भी रुक रुक के धक्के मारने लगा।
मैं समझ गयी कि ये भी झड़ने वाला है। इसके साथ ही एक ज़ोर ही आहह … के साथ अजय बोला- आहह … नेहा … आहह … आई …
और फिर वो रुक गया और उसके लंड ने मेरी चूत में अपना गर्म गर्म वीर्य भर दिया जो मुझे भी महसूस हुआ।
फिर भी अजय धीरे धीरे लंड डालने की कोशिश कर रहा था और निकाल रहा था. उसका लंड और वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था।
जब वो भी पूरा खाली हो गया तो मेरे पीछे से मेरे ऊपर गिर गया और मैं भी नीचे गिर गयी।
हम दोनों ज़ोर ज़ोर से हाँफ रहे थे और सुस्ता रहे थे. मैंने उसे इस रात के लिए धन्यवाद किया।
फिर ऐसे ही पड़े पड़े थकान में हम दोनों की आँख लग गयी सुस्ताते सुस्ताते!
मेरी पहली जबर्दस्त चुदाई खत्म हो चुकी थी।
आधी रात के बाद मेरी आँख खुली तो मैं उसी हालत में अजय के साथ पड़ी हुई थी। मैं फिर धीरे से उठी और बाथरूम करने चली गयी।
इसके बाद मैंने अपने शरीर को साफ किया और मुंह धोया। मेरी नींद टूट गयी थी तो अब मुझे नींद नहीं आ रही थी।
मैंने अपनी ब्रा पैंटी पहनी और ऊपर अजय की शर्ट डाल के रसोई में चली गयी पानी पीने! मैं चुदवा के बहुत खुश थी और हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी।
पानी पी के मैं हाल में आ के बैठ गयी और अपना फोन चलाने लगी ऐसे ही।
मैंने ध्यान दिया कि बाहर कोई टहल रहा है। दरवाजे से बाहर झांक के मैंने देखा तो कुणाल था, वो सिगरेट पी रहा था।
उसने भी मुझे देख लिया और मुस्कुरा दिया। मैं भी बाहर आ गयी अब!
बाहर बहुत अच्छी हवा चल रही थी। फिलहाल मुझे बहुत अजीब लग रहा था उससे बात करते हुए क्योंकि उसे भी पता था कि मैं क्या कर के आई हूँ।
मैंने ऐसे ही पूछा- भाभी सो गयी क्या? कुणाल बोला- हाँ, वो थक गयी थी इसलिए सो गयी।
ये सोच के मेरी हंसी छूट गयी कि क्यूँ थकी होगी भाभी।
कुणाल ने पूछा- तो कैसा रहा? मैंने पूछा- क्या कैसा रहा?
कुणाल बोला- मेरे दोस्त की सर्विस कैसी लगी? मैंने भी थोड़ा शर्माते हुए बोला- अच्छी सर्विस थी, मजा आ गया।
कुणाल बोला- मुझे नहीं लगता. अगर इतनी अच्छी होती तो तुम भी अपनी भाभी की तरह थक के सो रही होती। मैंने कहा- अरे नहीं, वो मैं सो गयी थी बस फिर नींद टूट गयी तो टहलने आ गयी।
कुणाल बोला- हम्म, टहलने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही होगी? मैं समझ गयी कि वो क्या बोल रहा है, मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई खास दिक्कत नहीं हो रही।
फिर हम ऐसे ही बात करते रहे थोड़ी बहुत।
मैंने पूछा- कल कितने बजे तक गाड़ी ठीक हो जाएगी? कुणाल बोला- ये तो मैकेनिक ही बता पाएगा। तुम उसकी टेंशन क्यू ले रही हो. तुम्हारे घर पे एक अच्छी सी कहानी बता रखी है, किसी को नहीं पता कि तुम क्या कर रही हो। जी भर के मजे लो, अगर 2-3 दिन भी यहा रुकना पड़े तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
मैंने कहा- हम्म मजे तो ले ही लिए। कुणाल बोला- और ले लो मजे, एक बार और! मैंने कहा- नहीं, अजय सो रहा है।
कुणाल बोला- तो उसमें क्या है, मेरे से ले लो मजे, मैं दे देता हूँ। और इतना कह के वो मेरी तरफ बढ़ने लगा।
मैं थोड़ा घबरा सी गयी तो पीछे हट गयी। मैंने कहा- अरे अरे रुको, ये क्या कर रहे हो? कुणाल बोला- मजे दे रहा हूँ।
मैंने कहा- नहीं, अजय से ही ले लूँगी मजे, आप अपने को काबू करो, भाभी को पता लगा तो लड़ाई हो जाएगी। कुणाल बोला- कैसे पता लगेगा भाभी को, मैं तो नहीं बताऊंगा।
मैंने कहा- तुम्हारे इरादे ठीक नहीं लग रहे। कुणाल बोला- ये गलत इरादों का ही टाइम है, आओ ना!
वो फिर मेरी ओर बढ़ा और मैं फिर पीछे सी को हट गयी। कुणाल बोला- अरे डरो मत, किसी को कुछ नहीं पता लगेगा, मैं नहीं बताऊंगा, तुम भी मत बताना।
मैंने कहा- नहीं कुणाल, पर मैं ये कह रही हूँ … इतने कहते के साथ ही कुणाल ने मुझे अपनी बांहों में दबोच लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से सील कर दिया।
मैंने थोड़ा सा विरोध किया और उसे पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी। पर कुणाल ने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और मेरे जिस्म से अपना जिस्म रगड़ने लगा।
मेरे दिमाग ने तो काम करना ही बंद कर दिया था, मुझे सही गलत कुछ समझ नहीं आ रहा था। अब मेरे दो मन हो रहे थे, या तो इसे थप्पड़ मार के अंदर चली जाऊँ या उसे जो करना है करने दूँ।
पर कुणाल मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था. अब तो उसका लंड भी मुझपे रगड़ मार रहा था। मेरे मन में ख्याल आ रहा था कि ये चोद के ही मानेगा. क्या करूँ … इससे भी चुदवा लूँ क्या … किसी को क्या पता चलेगा।
और इसके साथ ही मैंने विरोध एकदम से बंद कर दिया और खुद को ढीला कर के उसके हवाले कर दिया।
विरोध रुका देख कुणाल एकदम रुका और मुस्कुराया। मैंने कुछ नहीं कहा और वैसे ही खड़ी रही।
अब कुणाल ने मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया. और धीरे धीरे मैं भी उसका साथ देने लगी।
मैं मन ही मन सोच रही थी, मुझे क्या हो गया है, अभी कुछ समय पहले अजय से चुदवा के आई हूँ, अब कुणाल से भी चुदवाऊंगी।
किस करने के साथ ही कुणाल ने मेरे बूब्स को भी मसलना शुरू कर दिया जोर ज़ोर से! मेरी उम्महह… उम्महह … की सिसकारियाँ निकलने लगी।
हम दोनों अब भी अंधेरी रात में खुले आसमान के नीचे ही थे. हालांकि बंगले की लाईट्स की वजह से पूरा बगीचा रोशन था पर बिल्कुल सन्नाटा था.
हम दोनों की मादक सिसकारियों की आवाज आ रही थी। जब किस हो गयी तो मैंने कहा- अंदर चलते है ना! कुणाल बोला- नहीं, अंदर नहीं जा सकते, तुम्हारी भाभी को पता चल जाएगा।
मैंने कहा- तो फिर? कुणाल बोला- यहीं कर लेते है, किसी को पता नहीं चलेगा।
मैंने कहा- यहाँ खुले में? नहीं नहीं। कुणाल बोला- यहाँ कोई नहीं है देखने वाला, हम शहर से बहुत दूर है, और जंगल में हैं, कुछ नहीं होगा. आओ ना जल्दी!
उसकी बात सही थी पर फिर भी … सेक्स इन गार्डन … मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था।
कुणाल बोला- चलो उस पेड़ के पीछे चलते हैं। मैं चुपचाप उसके साथ चल दी।
पेड़ के पीछे जाते जाते उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिया और मुझे भी बोलने लगा- तुम कपड़े उतारो फटाफट। मैंने इधर उधर देखा और अपनी शर्ट उतार दी।
क्योंकि मैंने पैंट तो पहनी ही नहीं थी अब सिर्फ ब्रा पैंटी में ही बची थी।
कुणाल ने कच्छा उतारते हुए बोला- इन्हें भी उतारो फटाफट! मैंने वो भी उतार दी और अब मैं बिल्कुल नंगी हो चुकी थी उसके सामने!
उसका लंड भी पूरे उफान पे था। मैंने उसको हाथ से छूना शुरू कर दिया और हल्के हाथ से ऊपर नीचे करने लगी।
कुणाल बोला- ऐसे नहीं, जल्दी से चूसो, मजा आएगा। मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप घुटनों के बल घास में बैठ गयी और धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया।
कुणाल ने मेरे सिर पे हाथ रखा था और मैं आगे पीछे गुप्प.. गुप्प … गुप्प … कर के उसका लंड चूस रही थी।
फिर कुणाल ने मेरे मुंह से अपना लंड निकाल लिया और मैं खड़ी हो गयी। कुणाल बोला- वाह लंड तो बहुत अच्छा चूसती हो तुम!
मैंने कहा- आज ही सीखा है। कुणाल बोला- अच्छा है.
और वो घुटनों के बल मेरे आगे बैठ गया और मेरी एक टांग उठा के अपने एक कंधे पे रख ली। फिर उसने सीधा मेरी चूत को सूंघा और अपनी जीभ से नीचे से ऊपर तक फिरा के चाटी। मेरे मुंह से एकदम से आहह … निकल गयी।
फिर तो वो बुड़क भर भर के मेरी चूत चाटने लगा और अपने थूक से गीली कर दी। मैं भी पेड़ से टेक लगाए ऊपर नीचे हो रही थी।
ऐसे ही वो 4-5 मिनट तक चूत चाटता रहा और मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी, लंड लेने को उतावली हुई जा रही थी. मैंने कहा- बस अब और नहीं, अब चोद डालो मुझे।
कुणाल खड़ा हुआ और बोला- ठीक है जान अभी लो! वो मेरे से सट के खड़ा हो गया आर मेरी एक टांग जांघ से उठाई और अपना लंड मेरी चूत पे सटाया और गुप्प … कर के एक बार में ही घुसा दिया।
मेरी चूत गीली होने के कारण उसका लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया और अटक गया जिससे मुझे ऊपर को एक झटका लगा और आउच… निकल गयी और मैंने उसको बांहों में भर लिया।
अब कुणाल ने धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु कर दिया और पट्ट पट्ट मेरी चुदाई होने लगी।
कुणाल के मुंह से हम्म … हम्मम्म … हम्म म्मम … की आवाजें निकल रही थी और मेरे मुंह से भी आहह … आहह … आई … कुणाल … स्सी … स्सी … निकल रही थी।
धीरे धीरे कुणाल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और खुद को मुझ पे पटक पटक के चोदने लगा। अब तो हमारे जिस्म टकराने की पट्ट पट्ट की आवाज भी आने लगी थी।
मेरे मुंह से हल्की हल्की दर्द भरी सिसकरियां भी निकल रही थी और हल्की मुस्कुराहट भी थी चुदवाने की।
ऐसे ही उसने मुझे 5-6 मिनट तक चोदा और जब उसकी सांस फूल गयी तो रुक गया और साइड में खड़ा होके हाँफने लगा। मैं भी लम्बी लम्बी सांस लेती हुई हाँफ रही थी और मुस्कुरा भी रही थी।
कुणाल बोला- मजा आ रहा है ना? मैंने कहा- हाँ बहुत मजा आ रहा है।
जब हमने आराम कर लिया और तो कुणाल बोला- चलो फिर से करते हैं.
वो मेरे पास आया और मुझे घुमा दिया, अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी।
उसने मुझे हल्का सा आगे को झुकाया और पीछे से चूत में लंड डाल के अंदर घुसा दिया। मेरी हल्की सी स्सी … निकली.
कुणाल ने मेरे कंधों को पीछे से पकड़ लिया और खुद आगे पीछे धक्के मारते हुए पट्ट पट्ट चोदने लगा।
इस बार तो उसने शायद अपनी पूरी ताकत से चोदना शुरू कर दिया और मुझे पूरी हिला के रख दिया।
वो बार बार अपना आधे से ज्यादा लंड निकालता और फिर पूरा अंदर तक डाल देता।
मैं ज़ोर ज़ोर से आहह … आहह … आहह … कर रही थी आगे पीछे हिलते हुए।
मेरी चूत ने फूल के उसके लंड को जकड़ रखा था और उसके लंड की रगड़ से मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मुझे लगने लगा था की अब मेरा पानी झड़ने वाला है। मैंने ज़ोर ज़ोर से आह … आह … करते हुए कहा- और ज़ोर ज़ोर से … चोदो, मैं झड़ने वाली हूँ।
इतना सुनते ही कुणाल ने अपनी पूरी स्पीड कर दी अब सिर्फ पट्ट… पट्ट … पट्ट… की आवाज के साथ मेरी और उसकी ज़ोर ज़ोर की साँसों की आवाज आ रही थी। अगले कुछ पलों में ही कुणाल ने कहा- आहह … नेहा … आ… आ … आ … नेहा …
और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया और फ़च फ़च की आवाज आई. तो वो समझ गया कि मैं झड़ने लगी हूँ।
उसके झटके भी रुक गए और वो पूरा लंड अंदर डाल के निकाल के मेरी चूत में ही झड गया।
फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए और हाँफने लगे।
मेरी चूत से उसका वीर्य बह के मेरी जांघ से नीचे गिरने लगा।
जब सांस में सांस आई तो मैंने कहा- अब अंदर चलना चाहिए.
और हम दोनों ने अपने कपड़े समेटे और नंगे ही दबे पाँव अंदर चले गए और अपने कमरो में चले गए। मैं सीधा बाथरूम गयी और खुद को साफ किया।
फिर मैं अजय के पास आ के सो गयी नंगी ही … ताकि उसको ये ना लगे कि मैं दुबारा चुदवा के आई हूँ।
हम सब अगले दिन सुबह उठे और चाय नाश्ता किया। तब कुणाल ने बताया कि गाड़ी तो खराब हुई ही नहीं थी। उन्होंने जानबूझ कर बहाना बनाया था यहाँ आने के लिए … सब कुछ पहले से तय था ताकि कुणाल और भाभी मजे कर सकें।
पर क्योंकि अब तो मैं भी दोनों से चुदवा चुकी थी और खूब मजे लिए थे इसलिए मुझे कोई शिकायत नहीं थी बल्कि खुश ही थी।
उसके बाद हम सब वहाँ से निकल गए और फिर भाभी के मायके में आ गए।
हम दोनों कुछ दिन और वहाँ रही और फिर वापस अपने घर आ गयी।
यहाँ आकर फिर मेरी वही जिन्दगी शुरू हो गयी। पर अब मैं सब भाभी को बता सकती थी और अगर मन होता तो भाभी मेरे लिए लंड का जुगाड़ कर देती थी।
तो दोस्तो, कैसे लगी मेरी सेक्स इन गार्डन स्टोरी? मुझे मेल कर के जरूर बताइएगा, मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा। तो मिलते है अगली कहानी में. तब तक आप चाहें तो मेरी पुरानी कहानियाँ पढ़ कर मजे ले सकते है ऊपर शीर्षक के नीचे मेरे नाम पर क्लिक कर के।
तो मजे लेते रहिए और मजे देते रहिए। आपकी प्यारी सुहानी चौधरी धन्यवाद [email protected]
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