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दोस्तो, मेरा नाम विकास है, मेरी उम्र 24 साल है। ये इंडियन गे सेक्स स्टोरीज मेरी सच्ची गांड की चुदाई पर आधारित है, जो मैं आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ।
मुझे पहले गांड की चुदाई के बारे में कुछ पता नहीं था लेकिन मुझे बचपन से ही बुड्ढे लोगों को देखने में बहुत अच्छा लगता था। जब भी उन लोगों नहाते हुए देखता या चड्डी बदलते देखता, तो मुझे बहुत अच्छा लगता था। लेकिन हमारे गांव में गे सेक्स नहीं होता था और ना ही कभी मैंने सोचा था कि ऐसा सेक्स भी होता है।
बात उन दिनों की है, जब मैं जॉब के लिए पहली बार मुम्बई आया। मुंबई में एक कपड़े की दुकान पर सेल्समैन के काम पर लग गया और काम करने लगा तो रोज लोकल ट्रेन में आना-जाना रहता था। एक दिन मेरे साथ कुछ अजीब हुआ, ट्रेन में गर्मी बहुत थी और मैं गेट के पास खड़ा हुआ था। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरा लंड पकड़ रहा है। पहले शायद गलती से किसी का हाथ लग गया होगा लेकिन धीरे-धीरे वो मेरी पैन्ट में हाथ डालने लगा। जब मैंने उसको देखा तो वो कोई 50 साल का पका हुआ आदमी रहा होगा, मुझे डर लगने लगा और मैं वहाँ से हट कर दूसरी जगह खड़ा हो गया। फिर मैं अपने काम पर चला गया।
लेकिन मैं दिन भर यही सोचता रहा कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रहा था। अगर मैं वहाँ और खड़ा रहता तो वो आदमी और क्या-क्या करता। यही सब सोचते-सोचते शाम हो गई, दुकान पर कस्टमर भी आना बंद हो गया और मैं पीछे जाकर बैठ गया और सोचने लगा।
मेरे साथ में एक लड़का और काम करता था, जिसका नाम सोनू था। उसने मुझसे पूछा- क्या हुआ क्या सोच रहे हो? पहले तो मैंने उसे कुछ नहीं बताया लेकिन एक-दो दिन बाद मैंने सोचा चलो इसको बताऊं तो देखूं कि ये क्या बोलता है। तब मैंने उसको मेरे साथ जो घटना हुई, वो बताई।
उसने बोला- अरे ऐसे तो होता ही रहता है। मैं एकदम से डर गया और पूछा- क्या मतलब? वो बोला- अरे मेरे साथ भी होता है। मैंने तो कई बार सेक्स भी किया है। मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था, मुझे लगा शायद मजाक कर रहा होगा।
मैंने बोला- तू क्यों झूठ बोल रहा है यार? तो बोला- अरे नहीं.. सच में ऐसा होता है.. अगर यकीन नहीं तो इस बार कोई मिले तो तू उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा देना.. फिर देखना क्या होता है। मैंने बोला- ठीक है, देखता हूँ।
फिर हम लोग दुकान बंद कर घर चले गए। दो-तीन दिन तो ऐसे ही निकल गए, कोई नहीं मिला। लेकिन चौथे दिन में दिवा से स्लो लोकल ली और डोम्बिवली उतर गया और वहाँ से कल्याण के लिए फ़ास्ट ट्रेन पकड़ी तो ट्रेन में चढ़ते ही किसी ने मेरा लंड पकड़ा। भीड़ के कारण मुझे दिखा नहीं कि किसने पकड़ा और मैं गेट पास जाकर खड़ा हो गया।
थोड़ी देर में एक पचास-पचपन साल का आदमी मेरे बगल में आकर खड़ा हुआ और मेरी तरफ देखकर स्माइल करने लगा। मैंने भी उसको रिप्लाइ किया और हँस दिया। उसने हाथ नीचे किया और धीरे-धीरे मेरे लंड को छूने लगा। मेरा भी लंड खड़ा होने लगा और वो उसे पकड़ कर दबाने लगा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर उसने मेरी पैन्ट में हाथ डाल दिया और लंड को पकड़ कर बाहर निकाल कर हिलाने लगा। मुझे फिर बहुत डर भी लगने लगा कि अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा। इसी डर से मैंने उसका हाथ पकड़ा और हटा दिया और अपना लंड जल्दी से अन्दर कर लिया।
इतने में कल्याण स्टेशन आ गया और मैं उतर गया, वो भी मेरे साथ उतर गया और मेरे पीछे आने लगा।
फिर उसने पीछे से आवाज देकर मुझे रुकने को बोला, मुझे बहुत डर लग रहा था। मैं रुक गया, वो मेरे पास आया और बोला- कहाँ रहते हो और कहाँ जा रहे हो? मैंने बोला- मैं दिवा में रहता हूँ और काम पर जा रहा हूँ। वो बोला- चलो चाय पीते हैं। पहले तो मैंने ना बोल दिया लेकिन वो और जोर देने लगा तो मैंने हाँ कर दिया। हम वहीं पास में एक होटल में चल दिए।
वहाँ पर उन्होंने दो चाय बोलीं और मेरे बगल में आकर बैठ गए फिर उन्होंने पूछा- क्या काम करते हो? मैंने बोला- बताया तो है कल्याण में काम करता हूं। अंकल ने बोला- अरे वो नहीं.. सेक्स में क्या करते हो? मैंने बोला- अंकल मैंने पहले कभी किया नहीं और मुझे मुम्बई आए हुए भी एक ही महीना हुआ है। मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है।
वो बोले- ठीक है.. कोई बात नहीं मुझे चोदोगे क्या? पहले तो मैं एकदम से घबरा गया कि यह क्या बोल रहे हैं। फिर मैंने भी सोचा कि इसी के लिए तो हम दोस्त बने हैं तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया। फिर मैंने पूछा- लेकिन हम ये सब करेंगे कहाँ? तो अंकल बोले- मेरा रूम सुबह 10 बजे तक खाली रहता है.. कल आओगे क्या? मैंने बोला- ठीक है आ जाऊंगा।
फिर अंकल ने मेरा नम्बर लिया और मैंने भी उनका नम्बर ले लिया और मैं काम पर चला गया और दिन भर सोचता रहा कि कल अगर मैं उनके घर पर जाऊंगा तो वो कहीं मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करेंगे।
बस सारा दिन मैं यही सोचता रहा, कब रात हो गई पता ही नहीं चला।
मैं दुकान बंद करके घर चला आया। सुबह उठा, जल्दी से नहा-धोकर फ्रेश हो गया और उनके बताए हुए पते पर चला गया। वहाँ पहुँच कर मैंने उनको फोन किया कि मैं आ गया हूं.. आप कहाँ हो?
वो बोले- बस 5 मिनट रुको, मैं आता हूं। मैंने बोला- ठीक है.. आ जाओ। फिर वो 5 मिनट बाद आए और बोले- चलो। मैंने बोला- अंकल मुझे बहुत डर लग रहा है। वो बोले- अरे डरने की कोई बात नहीं है.. चलो कुछ नहीं करूँगा, मुझ पर विश्वास करो। मैंने बोला- ठीक है अंकल चलो।
हम दोनों उनके घर पर चल दिए। वो किसी बिल्डिंग में रहते थे, उनका घर भी बहुत अच्छा था।
फिर उन्होंने मुझे बैठने को कहा और में उनके सोफे पर बैठ गया। वो मेरे लिए एक गिलास पानी लाए और बोले- कैसा लगा घर? मैंने बोला- अंकल आपका घर तो बहुत अच्छा है.. आप क्या करते हैं? अंकल बोले- मैं सरकारी जॉब करता हूं।
मैं बोला- ठीक है.. अंकल जी अब क्या करना है? तो वो बोले- अरे करना क्या.. मजे करेंगे और क्या! मैंने बोला- ठीक है, चलो करते हैं।
अंकल मुझे अपने बेडरूम में लेकर गए। वे मेरे गालों पर किस करने लगे और एक हाथ से मेरे लंड को दबाने लगे। मैंने भी उनका लंड पकड़ लिया, उनका लंड भी मस्त था। इस उम्र में भी एकदम टाइट था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। फिर उन्होंने धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे बेड पर लेटा दिया। अब वो मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगे.. मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
फिर उन्होंने मेरा लंड भी अपने मुँह में भर लिया, मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था। फिर वो नीचे लेट गए और मुझे ऊपर आने को बोले। मैंने भी उनको किस करना चालू कर दिया। किस करते-करते उनके लंड तक पहुँच गया।
वो बोले- मुँह में लो ना! पहले तो मैंने ना बोल दिया लेकिन बाद सोचा एक बार ट्राय करके तो देखूँ, कैसा लगता है। और मैंने उनका लंड मुँह में ले लिया। पहले तो थोड़ा अजीब सा स्वाद लगा लेकिन बाद में मस्त लगने लगा।
फिर अंकल बोले- चलो अब चुदाई करते हैं। मैंने भी बोला- ठीक है चलो।
वो अन्दर गए.. एक तेल की शीशी लाए और मेरे लंड पर तेल लगा दिया। थोड़ा तेल उन्होंने अपनी गांड पर भी लगा लिया और बेड पर ऊपर पैर करके लेट गए।
फिर मैंने उनकी गांड में पहले उंगली करके छेद देखा और अपना लंड लगा दिया.. धीरे से अन्दर धक्का दिया लेकिन लंड अन्दर गया ही नहीं। दो-तीन बार कोशिश की, फिर नहीं गया।
अंकल ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर छेद पर लगाया और बोले- अब धक्का मारो। मैंने फिर लगाया, इस बार लंड आधा अन्दर चला गया। अंकल बोले- मस्त लंड है रे तेरा..
फिर मैंने एक और जोर का धक्का लगाया, इस बार लंड पूरा अन्दर चला गया। अंकल कराह कर बोले- आह.. आराम से डाल यार.. इतनी जोर से डालकर गांड फाड़ेगा क्या? मैंने बोला- ठीक है अंकल.. अब धीरे-धीरे करता हूं।
अंकल मुझे किस करने लगे और में उनको नीचे चोद रहा था। बस 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरा निकलने को हुआ। मैं बोला- अंकल मेरा निकल रहा है.. कहाँ निकालूँ? तो वो बोले- अन्दर ही निकाल दे यार.. थोड़ा सुकून मिलेगा। फिर मैंने भी चार-पांच जोरदार झटके मारे और अन्दर ही रस निकाल दिया।
मैं अंकल के ऊपर ही लेट गया।
अंकल बोले- मेरा भी पानी निकाल दे यार।
फिर मैंने ऐसे लेटे हुए ही एक हाथ से अंकल का पानी निकाला और उनके पेट पर ही गिरा दिया।
अंकल बोले- मजा आ गया यार.. तुझे कैसे लगा? मैंने बोला- अंकल पहली बार मुझे इतना मजा आया.. बचपन की इच्छा आज पूरी हो गई। अंकल बोले- कैसे? मैं बोला- अंकल मुझे बचपन से ही आप जैसे बड़ी उम्र के लोगों को नंगा देखना बहुत अच्छा लगता था.. लेकिन कभी सोचा नहीं था कि एक दिन उनके साथ मजा करने को भी मिलेगा।
अंकल बोले- वाह कभी मुझसे चुदोगे क्या? मैं बोला- अंकल मैंने कभी किया नहीं! अंकल बोले- अरे मैं आराम से करूँगा.. तुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा। मैंने बोला- ठीक है अंकल जी अगली बार मिलेंगे तब कोशिश करूँगा।
अगली बार अंकल ने कितने प्यार से मेरी गांड मारी.. वो गे सेक्स स्टोरी मैं आपकी अगली भाग बताऊंगा।
आप अपने विचार मुझे बता सकते हो। [email protected]
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