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हॉट कॉलेज गर्ल्स स्टोरी में पढ़ें कि जब सेक्सी लड़कियाँ और गर्म लड़के इकट्ठे होकर आपस में बात करते हैं तो घूम फिर कर विषय सेक्स और मौज मस्ती होता है.
प्रिय दोस्तो, मैं सोनिया कमल आपको इस चुदाई की कहानी में आपने ममता की उसके भाई अभय से चुदने की दास्तान को सुना रही थी. अभय ने ही ममता को पूरे खानदान के चुदक्कड़ होने की बात कही थी, जिसे सुनकर ममता को विश्वास नहीं हो रहा था.
अब हम लोग फिर से अब नेहा के घर में वापस ले चलती हूँ, जहां वो अपनी छोटी बहन स्नेहा को लेस्बियन कहानी सुनाते समय ममता की चुदाई की कहानी सुना रही थी.
सुनिए हॉट कॉलेज गर्ल्स स्टोरी:
स्नेहा- बाप रे, ममता दी इतना गिर गई हैं कि उन्होंने अपने ही सगे भाई से चुदवा लिया. छी: कोई सोच भी नहीं सकता. दिन में भैया और रात में सैंय्या. गपागप सटासट लंड खाओ … किसी को बहन भाई पर शक भी नहीं होगा.
ये सुनकर नेहा हंसने लगी.
स्नेहा- दीदू ममता दी को शर्म नहीं आई होगी अपने भाई के सामने नंगी जाने … और उनसे अपनी चूत चुदवाने में … उनका लंड चूसने, चूत चटवाने में … कैसा लगा होगा उन्हें अपनी चूत में अपने भाई का लंड ले कर! मैं तो सोच कर कांप रही हूं … छी: कितनी बड़ी रांड है वो! नेहा- मेरी नजर में वो पहली लड़की नहीं है, जिसने अपने भाई से चुदवाया है.
स्नेहा- क्या मतलब दीदू … और किसने की? नेहा- हैं या थीं … मेरी सहेलियां, जो अपने भाई ही नहीं, अपने बाप से भी चुदी थीं और अभी भी चुद रही हैं.
स्नेहा- क..क्या … कौन दीदू आप किसकी बात कर रही हो. प्रिया की या रितू की? नेहा- वो रितू की फ्रेंड है. तू नहीं जानती उसको, दिव्या नाम है उसका.
इनकी बातचीत खत्म हुई और अब मैं आपको फिर से नेहा के घर में सेक्स कहानी में ले चलती हूँ, जिधर सेक्स भरा पड़ा है.
स्नेहा का हाथ कब नहाते हुए अपनी ही चिकनी चूत पर चला गया, उसे पता ही नहीं चला सटासट अपनी चूत में उंगली करने लगी … जल्दी ही उसकी चुत ने ढेर सारी मलाई उगल दी. अब तो उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. उसके पैर कांपने लगे थे.
स्नेहा फटाफट नहा कर बाहर आई और आते ही बेड पर पड़ गई. बिस्तर पर गिरते ही वो नींद की आगोश में चली गई.
शाम को चाय पर, तीनों मां बेटी और बेटा बैठे थे.
स्नेहा- मॉम, प्लीज मुंबई के पास जाने दो ना? संगीता- नहीं, तेरे पापा ने कहा है, गर्मी की छुट्टियों में हम सब साथ में काश्मीर जाएंगे, नेहा और मनीष को भी साथ ले लेंगे.
स्नेहा- भाई, तुम बोलो ना कुछ! चिराग- चल एक काम करते हैं. इस वीकेंड पर महाबलेश्वर चलते हैं अपने फ्रेंड्स के साथ पिकनिक मनाने. आज ही सबसे बात करते हैं. क्यों मॉम, इससे हमारी पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होगा और थोड़ा चेंज भी हो जाएगा?
स्नेहा- एक दिन में क्या घूमेंगे? चिराग- दो दिन पूरा हमारे पास है. शनिवार की शाम को निकलेंगे, रात तक पहुंच जाएंगे. रविवार और सोमवार मजे करेंगे, सोमवार को बसंत पंचमी की छुट्टी है. कुछ इतना काफी है ना?
स्नेहा खुशी से उछलते हुए बोली- वाओ भैया … फिर तो मजा आ जाएगा. चिराग मुस्कुरा दिया.
स्नेहा ने मॉम को छेड़ा- क्यों मॉम डार्लिंग चलती है क्या 9 से 12 हा हा हा. संगीता- ठीक है … रात को तुम दोनों अपने पापा से पूछ लेना, मुझे कोई एतराज नहीं है.
दिन भर कुछ खास नहीं हुआ, फिर डिनर पर चारों मिले.
चिराग- पापा, हम सब दोस्त लोग इस वीकेंड पर महाबलेश्वर घूम आएं? मुकेश- मैं तुम्हारी मम्मी को पहले ही बता चुका हूं, गर्मी की छुट्टियों में कश्मीर सब साथ चलेंगे, नेहा भी आ जाएगी और दामाद जी को भी ले चलेंगे.
चिराग- पापा, इस वीकेंड दो दिन की छुट्टी मिल रही है … और स्नेहा का मन भी है, प्लीज जाने दो ना … थोड़ा चेंज भी हो जाएगा! पापा- ओके ओके … तुम कितने लोग जा रहे हो?
चिराग- पापा हम 8 लोग हैं बस! मुकेश- ठीक है, मैं एक मिनी बस बुक कर देता हूँ, जिसमें तुम सब सेफ रहोगे और वहां मेरे दोस्त का रिसॉर्ट भी है. उसी में रुकने का इंतजाम भी हो जाएगा.
चिराग- ये सही है पापा. पर ऐ भूतनी, इसके बाद एग्जाम तक कोई नाटक नहीं समझी? स्नेहा- ओये बंदर, भूतनी किसको बोला … तू चल, तुझे तो वहीं बताती हूँ मैं. संगीता- बस, नो फाईट … चलो पढ़ाई करो सुबह तुम दोनों को कॉलेज भी जाना है.
दूसरी सुबह सबसे पहले संगीता की नींद खुली. वो मुकेश के नीचे दबी पड़ी थी. दोनों मादरजात नंगे थे. मुकेश का लंड अभी भी संगीता की भोसड़ी के बाहर लटका पड़ा था.
रात में घमासान चुदाई हुई थी दोनों के बीच और चुदाई के बाद हमेशा की तरह दोनों नंगे ही सो गए थे.
संगीता धीरे से अपने पति के नीचे से निकली ओर सबसे पहले नंगी ही बाथरूम गई. वहां से आकर केवल मैक्सी पहन ली. नो ब्रा नो पैंटी नो पेटीकोट.
वो नीचे किचन की तरफ बढ़ गई. चलते हुए उसकी चूचियां ऐसे हिल रही थीं, जैसे दोनों में टकराने की जंग छिड़ी हो.
सबसे पहले उसने फटाफट सबके लिए चाय बनाई. पहले चिराग को उठाया … फिर स्नेहा के रूम में गयी. उसे देखा, तो उसकी नाईटी अस्त व्यस्त हो रही थी. पैंटी पूरी दिख रही थी.
संगीता- इस लड़की को कब अकल आएगी. जवान हो गई पर कपड़े पहनने का ढंग अभी तक नहीं है. घर में जवान लड़का है. उसने ऐसी स्थिति में इस लड़की को देख लिया तो क्या असर होगा उस पर. कब सुधरेगी. उठ … कॉलेज नहीं जाना क्या.
संगीता उसके पास बेड पर बैठ गई- उठ जा बेटी … देर हो जाएगी तुझे कॉलेज जाने में! स्नेहा- गुड मॉर्निंग मॉम, सोने दो ना … कितनी अच्छी नींद आ रही थी.
संगीता- ये क्या ढंग है सोने का … कपड़े की हालत देख जरा, कहां जा रहे हैं.
स्नेहा की नजर अपनी मां की चूचियों पर चली गयी, जो लटकी हुई थीं- ये क्या है मॉम! उसने अपनी मां की एक चूची पकड़ी और बोली- लगता है रात में आप ऐसे ही सो गयी थीं.
चूची छूते ही स्नेहा को ऐसा लगा, जैसे वो रुई का नरम गोला छू रही हो.
संगीता शर्माते हुए- छोड़ न कुतिया … कुछ भी बोलती है. चल जल्दी तैयार होकर नीचे आ जा. मैं सबके लिए नाश्ता बनाती हूँ. और हां कपड़े ठीक से पहना कर, तेरी नाईटी कमर तक उठ गई थी. चिराग देख लेता तो तुझे ऐसी स्थिति में क्या सोचता तेरे बारे में?
स्नेहा- आज नहीं तो कल वो भी तो देखेगा किसी को पैंटी में … या नंगी. लगता है मॉम आजकल आपकी डेली चल रही है, तभी सिंगल पीस में आ गईं आप. इतना बोल कर वो वहां से सीधे बाथरूम में भाग गई.
संगीता- तू बाहर आ कुतिया … तुझे बताती हूँ कुछ भी बोलती है. मां हूँ तेरी, कुछ भी ना बोला कर. इतना बोल कर संगीता हंसती हुई नीचे नाश्ता बनाने चली गई.
स्नेहा नहा कर ही बाहर आई. फिर तैयार होकर नीचे गई और नाश्ते की टेबल पर उसने अपने भाई और पापा से कहा- गुड मॉर्निंग पापा … गुड मॉर्निंग भाई.
दोनों ने एक साथ कहा- गुड मॉर्निंग बेटा, भूतनी. स्नेहा- ओये मंकी, भूतनी किसको बोला … तू कॉलेज चल तुझे वहीं बताती हूँ!
चिराग- तो चलें … वैसे भी कॉलेज के लिए लेट हो रहा है. स्नेहा- चल जल्दी, बाय मॉम … बाय पापा.
इतना बोल कर दोनों कॉलेज निकल गए.
मुकेश- जानेमन, बच्चे तो गए क्यों एक राउंड मार लें चुदाई का? संगीता बनावटी गुस्से में- आपको मेरी चूत के अलावा कुछ दिखता है? मुकेश- दिखता है ना … तेरे ये आम.
ये बोल कर उसने दोनों हाथों से संगीता की दोनों चूची पकड़ कर मसल दीं.
संगीता- सीईईई आह … ऑफिस नहीं जाना क्या आपको … सुबह सुबह शुरू हो गए.
उधर चिराग- स्नेहा आज बाईक तू चला, मुझे सबको फोन करना है. नहीं तो कोई गायब ना हो जाए … टूर की प्लानिंग करनी है.
स्नेहा ने बाइक चलाई और चिराग ने सबको पीछे बैठ कर फोन किया.
फिर कॉलेज कैंटीन में सभी एक टेबल के आस पास इकट्ठे हो गए.
विराज- क्या बात है चिराग … सबको फोन क्यों किया. हम तो वैसे भी कॉलेज आ रहे थे? चिराग- दोस्तो, इस वीकेंड पर पिकनिक का मूड बन रहा है.
पल्लवी- नहीं … मैं और भाई अभी कहीं भी नहीं जा सकते, तुम लोग घूम आओ. ज्योति- तन्वी तू क्या बोलती है?
तन्वी- कहां की प्लानिंग की है स्नेहा? स्नेहा- तुझे कैसे पता ये प्लानिंग मेरी है?
पल्लवी- तेरी गांड में कहीं भी घूमने जाने की ज्यादा खुजली होती है. स्नेहा- साली तेरी चूत कम आग मूतती है क्या छिनाल! ये आईडिया चिराग का है. मेरा नहीं … समझी!
स्नेहा मन में बोली साली छिनाल तू महाबलेश्वर चल तो सही … इन सबके लंड तेरी चूत में ना घुसेड़ा, तो मेरा नाम स्नेहा नहीं.
दोस्तो, इनके बीच गाली गलौज आम बात है.
समीर- लो हो गई शुरू दोनों … नो फाईट. ज्योति- मैं क्या कहती हूँ. चिराग का मन है तो चलते हैं ना सब. बहुत टाइम भी हो गया कहीं गए हुए … थोड़ा फ्रेश हो जाएंगे.
दोस्तो, मैं एक बात बताना तो भूल ही गया था.
ज्योति मन ही मन चिराग से प्यार करती है, पर उसकी कभी बोलने की हिम्मत नहीं हुई. ये बात स्नेहा और चिराग ने कई बार नोट की है.
विराज- पहले ये तो बताओ जाना कहां है … दूसरी बात मैं और ज्योति पढ़ाई का नुकसान नहीं करना चाहते, सो कुछ ऐसी प्लानिंग करो कि दोनों काम हो जाएं. चिराग- देखो दोस्तों, इस वीकेंड पर दो दिन की कॉलेज में छुट्टी है. तो महाबलेश्वर चलते हैं. पिकनिक भी हो जाएगी और माइंड भी फ्रेश हो जाएगा.
ज्योति- अरे वाह ये तो मस्त प्लान है.
विराज ने घूर कर ज्योति की तरफ देखा और बोला- सॉरी हमारे पास इतना बजट नहीं है. तुम लोग जानते हो स्कॉलरशिप और बीमा पॉलिसी से हमारी पढ़ाई चलती है.
ज्योति ने सिर नीचे करके कहा- सॉरी भाई, मैं भूल गई थी. आई एम सॉरी फ्रेंड्स. चिराग- यार पैसे किसी को नहीं देने होगें. पापा ने सब सैट कर दिया है. उनके एक फ्रेंड की ट्रेवल्स एजेंसी है, उनकी सोलह सीटर की मिनी बस आ रही है और उन्हीं के एक फ्रेंड का महाबलेश्वर में रिसॉर्ट भी फ्री में रहने को मिल रहा है. बस खाने पीने का खर्च लगेगा, तो अब बोलो क्या कहते हो सब!
फिर एक मिनट रुकने के बाद समीर ने सबकी तरफ बारी बारी से देखते हुए कहा- अब बोलो विराज?
आकाश, जो कम ही बोलता था. वो बोला- मेरे विचार से अब किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होना चाहिए … क्यों विराज!
कोई किसी की खुद्दारी को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते थे. सब विराज और ज्योति के बैक ग्राऊंड के बारे में जानते थे. जो अभी एक राज था, बाद में आपको पता चलेगा.
विराज ने ज्योति की तरफ देखते हुए कहा- अगर ऐसा है, तो हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है. ज्योति- थैंक्यू भाई.
वो उठ कर अपने भाई के गले लगती हुई बोली- थैंक्यू वेरी मच. फिर ज्योति ने पल्लवी की तरफ देखते हुए पूछा और आंख मार दी- क्यों पल्ली?
सब जानते थे कि पल्लवी विराज को लाईक करती थी.
चिराग- तो चलें क्लास में, थोड़ी पढ़ाई भी कर लें? फिर शनिवार, रविवार धमाल.
शनिवार को कॉलेज कैंटीन में इंटरवल में सब फिर से मिले.
चिराग- तो फ्रेंड्स सबकी पैकिंग हो गई … हम 4 बजे निकलेंगे! सब एक साथ- यस सर.
सबसे ज्यादा ज्योति खुश थी. उसको चिराग के साथ कुछ टाईम अकेले बिताने को मिलेगा.
चिराग- मैं और स्नेहा सबको पिकअप करते हुए आएंगे. तैयार रहना सब लोग. अभी के लिए बाय … चलें स्नेहा?
उसके बाद कुछ खास नहीं हुआ.
चलती हुई बस में सब एंजॉय करते हुए स्नेहा- ज्योति, तू मेरे भाई को प्रपोज क्यों नहीं कर देती है. तू तो वैसे भी मुझे और मां को पसंद है? ज्योति- अभी नहीं, पहले स्टडी पूरी कर लूं … फिर भाई खुद ही अंकल आंटी से बात करेंगे. उन्होंने प्रॉमिस किया है.
हंसते हुए स्नेहा ने कहा- अभी तू मेरे भाई के साथ जाकर बैठ थोड़ी पप्पी झप्पी कर … बट ओनली किस … उसका वो मत पकड़ लेना, नहीं तो वो यहीं पटक कर कहीं तुझे चोद ना दे … हा हाहा हा ज्योति- तू पकड़ने की बात कर रही है, मैं तो पहले मुँह में लेकर चूसने की सोच रही हूं … हा हा हा हा और मुँह में ही क्यों, मैं तो इस ट्रिप में चूत में लेने का सोच आई हूँ.
स्नेहा- साली रंडी कहीं की … बड़ी आई मेरे भाई से चुदवाने. ज्योति- तुझे यकीन नहीं है ना … तो ये देख!
ज्योति ने इतना बोल कर उसका हाथ पकड़ कर अपनी जींस की चैन खोल कर पैंटी के अन्दर डाल कर बोली- ले देख ले.
स्नेहा का हाथ सीधा उसकी बिना बाल वाली चिकनी चूत पर लगा, तो उसे ऐसा लगा जैसे अभी बाल बना कर आई है.
स्नेहा बोली- बीसी (बहनचोद) तू तो सचमुच चुदवाने का पूरा मन बना कर आई है छिनाल. ये कह कर उसने ज्योति की चूत की क्लिट मसल दी.
ज्योति- आआह छोड़ कुतिया.
स्नेहा ने छोड़ा, तो ज्योति ने मुस्कुराते हुए कहा- तो क्या मैं झूठ बोल रही मेरी होने वाली रंडी ननद!
वहीं दूसरी तरफ तन्वी और पल्लवी.
तन्वी- आज बहुत टाइम के बाद आजादी से घूमने को मिलेगा यार पल्ली. पल्लवी- हां यार, तू सच बोल रही है तन्वी … साली ये भी कोई जिंदगी है, घर से कॉलेज और कॉलेज से घर … बोर हो गई थी मैं तो.
तन्वी- अच्छा ये बता कुछ बात आगे बढ़ी विराज से? पल्लवी- नहीं यार, बस एक बार मैंने उसे प्रपोज किया था … पर उसने ये कह कर टाल दिया कि अभी मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दूं इस सबके लिए सारी जिंदगी पड़ी है. उसकी अपनी प्रॉब्लम है यार परिवार की. ये बात हम सभी जानते हैं. ऊपर से ज्योति की जिम्मेदारी है वो अलग. पर उसने कहा है कि तुम्हारी बात मैं ठुकराऊंगा नहीं, समय आने पर देखेंगे.
तन्वी ने हंसते हुए माहौल को ठीक करने का प्रयास किया- हां, उसकी बात सही है. पर अब तेरी चूत को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. ये बॉयज लोगों का लास्ट ईयर है.
पल्लवी ने भी मुस्कुराते हुए जबाव दिया- लेकिन हमारा तो सेकंड ईयर है गंडमरी. तू भी कोई पसंद कर ले इन्हीं लौड़ों में से एक लौड़ा … जो तेरी चूत को ठंडा कर सके. कब तक मोमबत्ती डालती रहेगी अपनी भोसड़ी में.
बस दोनों खिलखिला कर हंसने लगीं.
ये चुलबुली सेक्स कहानी अपनी गति पकड़ेगी तो आपको बहुत मजा आएगा. ऐसा मेरा विश्वास है.
बाकी आप लोग मेल करके बताना कि यह हॉट कॉलेज गर्ल्स स्टोरी कैसी लग रही है. आपकी सोनिया वर्मा [email protected]
हॉट कॉलेज गर्ल्स स्टोरी जारी है.
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