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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि संजय की मुँहबोली भांजी पूजा संजय के साथ सोने की जिद करने लगी।
अब आगे.. पूजा- मॉम, मैं तो मामू के पास सोऊंगी.. आप बहुत खर्राटे मारती हो। पूजा की बात सुनकर सभी हंसने लगे। फिर संजय की माँ ने कहा- अच्छा जा सो जा! मगर आरती ने कहा- ये रात को संजय को परेशान करेगी, इसको हाथ-पैर चलाने की आदत है।
मगर पूजा कहाँ मानने वाली थी, आख़िर उसकी मर्ज़ी ही चली और वो संजय के साथ उसके रूम में चली गई। पूजा ने एक ट्रॅक सूट पहना हुआ था.. जिसमें वो बड़ी प्यारी लग रही थी।
संजय- बड़ी शैतान हो गई है तू.. अपनी मॉम के साथ क्यों नहीं सोई? पूजा- मॉम के साथ मज़ा नहीं आता मामू.. आपके साथ सोऊंगी तो अच्छी नींद आएगी। फिर आपके साथ मस्ती करने का आज मेरा मन भी बहुत कर रहा है। एक बार आपकी फुन्नी दिखाओ ना मुझे! संजय- अरे बदमाश कहीं की.. अभी नहीं, पहले सबको सोने दो और मैंने कहा था ना.. फुन्नी नहीं..
संजय आगे बोलता इससे पहले ही पूजा ने कहा- हाँ पता है.. लंड.. अब दिखाओ ना प्लीज़! संजय- अरे पूरी रात पड़ी है.. दिखा भी दूँगा और आज नए तरीके से मज़ा भी दूँगा.. मगर थोड़ा सब्र कर, मैं बाथरूम जाकर फ्रेश होकर आता हूँ.. तब तक नीचे सब सो भी जाएंगे ओके!
पूजा को वहीं बैठाकर संजय बाथरूम चला गया। उसका लंड तो पहले ही अधूरा था, अब पूजा की बात सुनकर उसको लगा कि फ्लॉरा की कमी अब पूजा पूरा कर देगी।
अरे अरे अभी ग्रुप सेक्स का मज़ा लेकर आए हो.. इतनी जल्दी दोबारा सेक्स.. ना ना.. थोड़ा वेट करो, संजय को फ्रेश होने दो। तब तक चलो आज सुमन को भी तो कुछ नया करना है.. याद है या भूल गए? लो खुद देख लो।
शाम को खाने के बाद सुमन ने अपनी माँ से मोबाइल ले लिया कि उसको कुछ काम की बात नेट से देखनी है और उसको लेकर वो अपने कमरे में चली गई।
सुमन स्टोरी रीड करने के लिए बहुत ज़्यादा उत्सुक थी। उसने जल्दी से अन्तर्वासना साइट ओपन की और कहानी पढ़ने लगी।
जैसे-जैसे सुमन सेक्स स्टोरी पढ़ रही थी.. उसका बदन जलने लगा था, उसके निप्पल हार्ड हो गए थे और चुत तो मानो ऐसे जल रही थी, जैसे कोई आग की भट्टी हो।
सुमन अब वासना की आग में जल रही थी, उसने अपने मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया था.. कभी चुत को रगड़ती। ऐसे ही एक घंटा वो कहानी पढ़ती रही और गरम होती रही। अब उसकी बर्दाश्त की ताक़त खत्म हो गई, वो चुत को जोर-जोर से रगड़ने लगी। सुमन- आह.. आ आह.. दीदी आह.. ये कैसी कहानी बताई आपने आह.. मेरी चुत में आग लगा दी इसने.. उफ़ आह..
सुमन चुत को जोर-जोर से रगड़ने लगी। अब उसकी उत्तेजना चरम पर थी मगर उसको लगा कि ऐसे तो उसका नाइट ड्रेस खराब हो जाएगा तो उसने फ़ौरन अपना हाथ रोक लिया और जल्दी से कपड़े निकाल दिए। कुछ पल बाद उसने ब्रा-पेंटी भी निकाल दी, वो एकदम नंगी हो गई। तभी उसे टीना की बात याद आई कि कैसे नंगी होकर ज़्यादा मज़ा आता है।
सुमन को कहानी का सीन भी याद आया कि कैसे वो लड़की नंगी अपने आपको देखती है। बस फिर क्या था सुमन ने लाइट ऑन की और अपने आपको मिरर में देखने लगी।
चांद सा चमकता उसका गोरा जिस्म उस पर कश्मीरी सेब जैसे उसके 30″ के चूचे और उन पर हल्के पिंक कलर के निप्पल.. जो सेक्स की आग में जलकर बाहर को निकल आए थे.. एकदम नुकीले हो गए थे। नीचे पतली बल खाती उसकी कमर और उसके नीचे बड़ा पाव जैसी फूली हुई कुंवारी चुत, जिसकी लकीर पिंक थी। मगर दोनों फांकें ऐसी चिपकी हुई थीं कि कागज की नोक भी अन्दर ना जाए और उसकी गांड भी 30″ की एकदम साँचे में ढली हुई।
सुमन का ये हुस्न देख कर किसी का भी लंड सलामी देने लगे।
कुछ देर तक सुमन अपने जिस्म को निहारती रही, फिर बिस्तर पे जाकर स्टोरी पढ़ने लगी और अपनी उंगली चुत पर घुमाने लगी।
सुमन- आह.. आह.. दीदी सच में उफ़ बिना कपड़ों के आह.. ज़्यादा मज़ा आ रहा है.. उई आह.. ये इतनी खुजली क्यों हो रही है.. एयेए आह.. आ दीदी उफ़ आह.. आह..
सुमन पहले ही गर्म थी। अब उंगली ने अपना कमाल दिखाया और सुमन की चुत झड़ने लगी। उसका पूरा हाथ चुत रस से भर गया।
काफ़ी देर तक सुमन वैसे ही पड़ी रही फिर वॉशरूम जाकर उसने अपनी चुत को साफ किया और बिस्तर पर आकर नंगी लेट गई। अब उसके दिमाग़ में लंड की पिक चल रही थी कि कैसे वो उसकी चुत में जाएगा.. फिर उसको दर्द का ख्याल आया तो वो डर गई।
सुमन- नहीं बस उंगली से ही मज़ा लूँगी.. लंड से बहुत दर्द होगा आह.. मगर एक ना एक दिन तो लेना होगा.. नहीं, जब होगा तब की बात अलग है।
सुमन काफ़ी देर तक अपने आपसे बातें करती रही। वो कशमकश में थी कि चुदाई का मज़ा ले या नहीं। फिर उसने सारे विचार झटके और फिर कहानी रीड करने लगी।
दोस्तों ये चुदाई की कहानी का चस्का ऐसा ही होता है.. सुमन बस पढ़ती जा रही थी और फिर उसकी वासना बढ़ती जा रही थी। साथ ही वो अपनी चुत को सहला कर मज़ा ले रही थी।
कुछ ही पलों में सुमन फिर से उत्तेजित हो गई और जोर से चुत रगड़ने लगी। उसको ऐसा लगा कि अन्दर बहुत खुजली हो रही है, उसने थोड़ी सी उंगली अन्दर की तो उसको दर्द हुआ। फिर उसने चुत को ऊपर से ही रगड़ कर अपने आपको शांत किया और खुद को साफ करके कपड़े पहन लिए।
सुमन- बाप रे ये मुझे क्या हो गया.. कितना टाइम हो गया, मैं ऐसे करती रहूंगी तो सुबह हो जाएगी और ये पानी क्या निकला.. मेरी तो टांगें जवाब दे गईं और ये चुत की खुजली भी वैसी की वैसी है। उंगली से कितना दर्द हुआ तो इतना बड़ा लंड कैसे जाता होगा.. ना बाबा मैं लंड कभी नहीं लूँगी.. बस ये फाइनल है।
काफ़ी देर तक सुमन अपने आपसे बात करती रही, फिर कब उसकी आँख लगी पता भी नहीं चला। उसको इतनी ज़बरदस्त नींद आई.. जैसे बरसों बाद आज सोई हो।
उधर संजय भी बाथरूम से बाहर आ गया था। पूजा तो बस पेट के बल लेटी आने वाले पलों को याद करके मुस्कुरा रही थी।
संजय ने सोचा एक बार नीचे देख लिया जाए.. फिर इस कच्ची कली को मसलेगा। यही सोच कर वो नीचे गया और उसकी उम्मीद के मुताबिक खर्राटे जोरों पर चल रहे थे यानि सब सो गए। वो धीरे से वापस ऊपर आ गया।
संजय ने जब दरवाजा लॉक किया तो पूजा पलट गई और एक क़ातिल मुस्कान देने लगी।
संजय- क्या बात है.. बहुत मुस्कुरा रही हो.. क्या सोच रही हो? पूजा- कुछ नहीं मामू.. आपने कहा था ना कि आज अलग मज़ा दोगे.. वही सोच रही हूँ। संजय- अच्छा ये बात है.. तो चल एक काम कर.. पहले सारे कपड़े निकाल दे फिर देख तुझे कैसे मज़ा देता हूँ। पूजा- सारे कपड़े क्यों मामू.. नहीं मुझे आपसे शर्म आएगी। संजय- ओये होये.. क्या बात है चुत चुसवाई तब शर्म नहीं आई.. अब कैसी शर्म! चल निकाल देर मत कर आज तुझे मैं जन्नत की सैर कराता हूँ। पूजा- ठीक है मामू.. आपकी बात कैसे टाल सकती हूँ.. अभी निकाल देती हूँ।
पूजा ने झट अपने कपड़े निकाल दिए और इधर संजय तो पहले ही भरा हुआ था, उसने भी नंगे होने में देर ना की। जब संजय की नज़र पूजा पर पड़ी.. तो वो बस देखता रह गया।
जैसा मैंने पहले बताया था, पूजा बहुत खूबसूरत लड़की है.. उसके छोटे-छोटे गहरे काले बाल, एकदम बड़ी-बड़ी आँखें और आँखों का कलर नीला, जैसे कोई लेंस लगाया हुआ हो, चाँदी जैसा चमकता रंग.. सीना तो ज़्यादा नहीं.. मगर संतरे जैसे इसके गोल मम्मे हैं.. एकदम ठोस गेंदें जैसे.. पूरे सुडौल चूचे जैसे साँचे में ढाल कर बनाए गए हों। उसके मम्मों पर मुकुट से तने एकदम छोटे से निप्पल.. जैसे कोई हल्के भूरे रंग के बटन टंके हों.. और चुत तो आपको पता ही है.. एकदम क्लीन.. बस चुत के आस-पास हल्के से मखमली रोंए उगे हुए थे। पूजा की छोटी सी चुत एकदम फूली हुई थी और हाँ इसकी जांघें मोटी-मोटी और गांड बाहर को निकली हुई बहुत मस्त लग रही थी।
ये देख कर संजय का लंड फुंफकारने लगा, उसमें आज अलग ही कड़कपन आ गया था।
पूजा- क्या हुआ आ जाओ ना.. कल आपने मेरी फुन्नी चाटी थी, तो मज़ा आ गया था.. मामू आप आज भी चाटोगे ना? संजय- फिर फुन्नी.. चुत बोल मेरी जान और आज तुझे उससे भी ज़्यादा मज़ा दूँगा।
संजय की बात सुनकर पूजा खुश हो गई और भाग कर उससे लिपट गई। संजय का लंड उसके पेट में चुभने लगा तो पूजा ने अलग होकर उसको पकड़ लिया।
पूजा- बहुत गंदा है.. हमेशा चुभता रहता है, अभी इसको चूस कर इसका मज़ा रस निकाल देती हूँ.. फिर कैसे चुभेगा। संजय- मेरी पूजा.. ये लंड ऐसे नहीं मानेगा इसे तेरी कच्ची चुत चाहिए.. अब तो उसके अन्दर जाकर ही ये शांत होगा। पूजा- मामू ये आप क्या बोल रहे हो.. ये बहुत बड़ा है और मेरी फु.. नहीं चुत छोटी सी है.. इसमें ये कैसे जाएगा? संजय- मेरी जान ये जो चुत है ना.. इस लंड के लिए ही बनी है, ये बाहर से ज़रूर छोटी दिखती है.. मगर ये इससे भी बड़ा लंड निगल सकती है, बस थोड़ी मेहनत करनी होगी.. फिर असली मज़ा आएगा। पूजा- ओह मामू रियली..! फिर तो आज आप इसे डाल ही दो, मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा लेना है आज.. अब जल्दी डालो ना। संजय- हा हा हा पागल है तू.. लंड ऐसे नहीं जाएगा.. पहले कुछ तैयारी करनी होगी। चल अब बिस्तर पे आ, वहीं तुझे सब समझा दूँगा।
पूजा बिस्तर पर लेट गई और संजय उसके पास लेट गया। अब वो पूजा को किस करने लगा, उसके मुलायम होंठों का रस पीने लगा। वैसे तो पूजा अनाड़ी थी मगर वो संजू का साथ देने की पूरी कोशिश कर रही थी।
संजय पर अब हवस हावी हो गई थी। वो पूजा के छोटे चूचे दबाए जा रहा था.. उन्हें पूरा मुँह में लेकर चूस रहा था।
पूजा- आह.. ससस्स मामू आह.. धीरे आह.. दर्द होता है आह.. ऑच प्लीज़ आह.. काटो मत आह.. उई ऐसे ही चूसो आह.. अब मज़ा आ रहा है।
संजय धीरे-धीरे पूजा के पूरे जिस्म को चाटने लगा। उसकी टांगें ऊपर करके वो अब अपनी भानजी की नंगी चिकनी चुत पे टूट पड़ा। अब भानजी की चुदाई तय थी.
प्यारे साथियो, आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आपसे एक इल्तिजा है कि आप मर्यादित भाषा में ही कमेंट्स करें क्योंकि मैं एक सेक्स स्टोरी की लेखिका हूँ, बस इस बात का ख्याल करते हुए ही सेक्स स्टोरी का आनन्द लें और कमेंट्स करें। [email protected] कहानी जारी है।
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