कमसिन स्नेहा की फड़कती चूत-2

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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे स्नेहा जैन ने मुझे जबरदस्ती भोपाल बुलाया अपनी चूत चुदाई के लिए… आते ही मैंने उसे खुली बालकनी ने पूरी नंगी करके चोद दिया. अब आगे:

करीब नौ बजे वो बोली- चलो अंकल जी, रूम में खाना खाते हैं. खाना तो उसने पहले से बना कर रखा था, हम लोगों ने फर्श पर चटाई बिछा कर नंगे ही बैठ कर खाना खाया. बहुत ही टेस्टी खाना बनाया था उसने, गजब का स्वाद था उसके हाथों में! किसी नवयौवना के साथ नंगे बैठ के साथ साथ खाना खाना, एक दूसरे को अपने हाथों से खिलाना और एक दूसरे को छेड़ना बहुत ही अच्छा अनुभव लगा मुझे!

खाना खाने के बाद हम लोग एक बार फिर बिस्तर पर गुत्थमगुत्था हो गये और दूसरे दौर की घनघोर चुदाई के बाद नंगे ही लिपट कर सो गये. जब मेरी शादी हुई थी, उसके बाद सालों तक मैं अपनी पत्नी के साथ नग्न ही सोता था पर अब वो आदत तो छूट गई. उस रात कई सालों बाद कड़क जवान कामिनी को दुबारा चोदने के बाद उससे नंगे लिपट के सोने में जो मज़ा आया उसे शब्दों में बताना लगभग असंभव है. उसके बदन की वो मादक सुगंध, यौवन से भरपूर जिस्म का उष्ण स्पर्श, उसके पुष्ट उरोजों का मेरे सीने पर स्पर्श, एक दूजे से लिपटीं हुईं नंगी टाँगें और धक् धक् करते दो प्यार भरे दिल… सब कुछ जैसे पारलौकिक आनन्द था.

अगले दिन रविवार था, स्नेहा को कॉलेज तो जाना नहीं था तो मैं भी देर तक सोता रहा. आठ बजे के बाद ही मैं बिस्तर से बाहर निकला. तब तक स्नेहा नहा धो ली थी और एकदम तरोताज़ा दिख रही थी. मैं भी स्नान वगैरह करके तैयार हो गया. तभी स्नेहा चाय लेकर आ गई और मेरे ही सामने बेड पर बैठ गई.

‘और सुना गुड़िया, तेरी स्टडी कैसी चल रही है और यहाँ कोई परेशानी तो नहीं है न तुझे?’ मैंने यूं ही बात शुरू की. ‘नहीं अंकल, कोई नहीं है, कॉलेज भी पास में ही है, पैदल ही चली जाती हूँ. मेरी स्टडी भी अच्छी चल रही है.’ ‘वैरी गुड… और ये तेरे मकान मालिक की फैमिली कैसी है? तुझसे ठीक से तो बिहेव करते हैं न?’

‘हाँ अंकल जी, सब ठीक है, मुझे कोई परेशानी नहीं है, न किसी से कोई प्रॉब्लम नहीं है. मकान मालिक तो पैसे के दास हैं, दोनों बाप बेटे सुबह निकल लेते हैं दूकान पर… फिर शाम को पांच बजे ही आते हैं खाना खाने. खाना खा के फिर चले जाते हैं और रात को दूकान बंद करके नौ साढ़े नौ तक आते हैं. इनके घर में रुपये पैसे की कोई कमी नहीं, बस सुख चैन नहीं है. बेटा भी एक ही है उसकी बीवी को भी कोई सुख नहीं है. न कहीं आना जाना न कोई मनोरंजन. वो बेचारी सोने के जेवरों में कैद घुट घुट के जी रही है बेचारी… इसके माँ बाप गरीब हैं न दहेज़ तो दे नहीं सकते थे तो इस बेचारी को जैसे तैसे इस घर में ब्याह दिया.

‘ओह सो सैड. स्नेहा इनके घर में इतनी धन दौलत है, इकलौती बहू है फिर क्या प्रॉब्लम है?’ मैंने चाय की चुस्की ली. ‘अंकल जी, धन दौलत ही तो सब कुछ नहीं है उसके लिए. बेचारी अच्छी जैन फैमिली से आई है. रानी जैन नाम है इसका… अच्छी यूनिवर्सिटी से एम बी ए कर रखा है इसने फायनेंस में, वो जॉब करना चाहती है लेकिन ये लोग करने नहीं देते. बस खाना बनाओ, बर्तन साफ़ करो और झाड़ू पोंछा करते रहो कामवाली की तरह. कोई पढ़ी लिखी वेल एजूकेटिड लड़की भला ऐसे माहौल में कैसे सुखी रह सकती है? मनोरंजन के नाम पर भी कुछ नहीं, घर में टी वी तो है पर केबल नहीं, सिर्फ दूरदर्शन देखते रहो.’ ‘रानी भाभी की एक बड़ी बहन भी है वो पी ओ है बैंक में. उसने लव मैरिज कर रखी है, वो मजे से रहती है अपनी गाड़ी बंगला है. उसी से खुद को कम्पेयर करके अपनी किस्मत को कोसती रहती है.’

‘ओह… सो सैड. अपनी अपनी किस्मत है!’ मैंने थोड़ा गंभीर होकर कहा. ‘और सबसे बड़ी बात पति का सुख भी नहीं मिलता रानी भाभी को… प्यासी रहती है हमेशा!’ ‘प्यासी? क्या मतलब? उसका पति तो उसकी लेता होगा न?’

‘उसका पति? वो क्या लेगा उसकी, उसके बस का हो तब ना. देखा न उसका पेट कैसे किसी मटके की तरह गोल मटोल हो गया है. वो तो रात में दूकान से आ के नोट तिजोरी में रख के सो जाता है, औरत के काम का वो है ही नहीं, सेक्स करना उसके बस की बात नहीं!’ स्नेहा बोली ‘अच्छा तुम्हें कैसे पता ये बातें?’ मैंने प्रश्न किया. ‘अरे अब रानी भाभी मेरी पक्की सहेली बन गई है. हम लोग सब कुछ शेयर करते हैं. वो कह रही थी कि पिछले सात आठ महीने से कुछ नहीं किया उसके हबी ने!’

‘अंकल जी वैसे मस्त बॉडी है उसकी. जे जे बड़े मम्में हैं उसके!’ स्नेहा ने अपने हाथों से इशारा करके दिखाया मुझे! ‘अच्छा तुझे कैसे पता कि कितने बड़े बूब्स हैं उसके… देखे हैं क्या तूने?’ मैंने आश्चर्य से पूछा. ‘अंकल जी सिर्फ देखे ही नहीं हैं, अपने हाथों में ले के दबाये मसले और चूसे भी हैं मैंने!’ वो धीमे से शर्माती हुई बोली. ‘अरे नहीं, पूरी बात बताओ!’ अब मेरी उत्सुकता बढ़ गई.

‘अंकल… वो क्या है कि शाम को वो अकेली रहती है घर में… उसके पति और ससुर खाना खा के दूकान चले जाते हैं और उसकी सास मंदिर चली जाती है. वो शाम छह से साढ़े आठ तक रोज घर में अकेली रहती है तो मेरे पास आ जाती है कभी कभी बातें करने या मैं नीचे चली जाती हूँ उसके पास. धीरे धीरे हम लोग पक्की सहेलियाँ बन गईं और सेक्स की बातें करने लगीं. मैं उसे अपने मोबाइल से पोर्न फिल्म दिखाने लगी. विदेशी लड़कियों के लेस्बियन सेक्स या काले हब्शी को अपने हाथ भर लम्बे लंड से कमसिन लड़की को चुदते देख देख के हम लोग भी उत्तेजित हो कर पूरी नंगी होकर एक दूसरे से लिपट कर मजे लेने लगीं. वो भी सेक्स की भूखी है, उसे मेरी जरूरत थी और मुझे उसकी… हम लोग अब एक दूसरी से कुछ भी नहीं छिपाती.’ स्नेहा ने मुझे बताया.

‘और क्या क्या बातें करती रहती हो तुम लोग? कहीं तुमने उसे मेरे और तुम्हारे रिश्ते के बारे में तो नहीं बता दिया?’ मैंने पूछा क्योंकि मुझे लग रहा था कि जब इन लोगों के इतने अंतरंग रिश्ते बन गए हैं तो फिर अपनी बाकी बातें भी जरूर ही बताई होंगी. ‘हाँ उसे पता है सब!’ ‘क्यों बताया उसे?’ ‘ऐसे ही… एक दिन बातों बातों में बात चली कि पहली पहली बार किसके साथ सेक्स किया था. तो रानी भाभी ने खुद बताया कि पहली बार उसके सगे मामा ने उसे चोदा था जब वो ग्यारहवीं की परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टी में नाना जी के यहाँ जबलपुर गई थी. फिर दूसरी बार उसके सगे चाचा ने घर में अकेला पा कर उसे चोदा था और फिर उसके जीजा ने भी उसकी चूत मारी थी शादी के पहले और अब शादी के बाद तो तरसती है चुदने के लिए!’ स्नेहा बोली ‘हम्म… चलो ठीक है, अपुन को क्या लेना देना. सबकी लाइफ में कुछ न कुछ कमी रहती ही है.’ मैंने कहा.

‘अंकल जी. मैंने आपसे फोन पर कहा था न कि आपको एक सरप्राइज दूंगी!’ ‘हाँ, याद आया, ला दे क्या सरप्राइज है मेरे लिए?’ मैंने खुश होकर कहा. ‘अंकल जी. सरप्राइज यहाँ नहीं है. वो तो नीचे मिलेगा!’ ‘क्या मतलब? तेरी नीचे वाली तो मैं ले चुका कल रात को दो बार!’ ‘अंकल जी, नीचे वाली रानी भाभी की प्यासी जवानी मिलेगी आपको आज सरप्राइज में!’ स्नेहा हंसते हुए बोली.

‘अरे… यह कैसे पॉसिबल है. मैंने तो उसे अभी देखा तक नहीं. कोई गड़बड़ हो गई तो तू मुझे भी पिटवायेगी और तुझे भी यहाँ से कमरा खाली करना पड़ेगा.’ ‘अरे ऐसा कुछ नहीं होगा अंकल जी, मैंने सब प्लान कर लिया है. जब मैंने रानी भाभी को बताया कि आप भोपाल मुझसे मिलने आ रहे हो तो वो खुद मुझसे मिन्नतें करने लगी, मुझे मनाने लगी कि एक बार मैं उसे भी ये ख़ुशी दे दूं. अंकल जी, प्लीज आप अब मना नहीं करना. मैंने उससे वादा किया है कि आज उसे आपसे चुदाई का भरपूर आनन्द मिलेगा आपसे!’ स्नेहा मेरा हाथ पकड़ कर बोली.

‘अगर तुमने वादा कर ही दिया है तो कोई बात नहीं लेकिन फिर भी एक बार और गहराई से सोच लो.’ मैंने उसे चेताया. ‘अंकल जी सब सोचा है मैंने और रानी भाभी ने… शाम को उसके पति और ससुर छह बजे दूकान चले जायेंगे. आज सन्डे है लेकिन ये लोग आज भी दूकान खोले रहते हैं. रानी भाभी की सास भी खाना खा कर मंदिर चली जायेगी रोज की तरह. मकान का दरवाजा भीतर से बन्द रहेगा. आप और रानी भाभी उसी के बेडरूम में चुदाई करना पूरे दो घंटे! मैं बाहर आँगन में बैठ कर चौकीदारी करती रहूँगी, मान लो कोई आ भी गया तो एकदम से भीतर आ नहीं पायेगा, हमें संभलने का मौका मिलेगा. डरने की कोई बात ही नहीं है.’ स्नेहा ने मुझे प्लान समझाया.

‘ओ.के. मैं तैयार हूँ. अच्छा यह बता कि ये तेरी रानी भाभी दिखने में है कैसी?’ मैंने पूछा. ‘अंकल जी मेरे लैपटॉप में फोटो है. दिखाती हूँ.’ वो बोली.

फिर स्नेहा ने मुझे रानी के कई सारे फोटोज दिखाये. वाकयी गजब का माल थी ये तो. भरपूर हाईट और गदराया बदन. गोल सुन्दर चेहरा, नशीली आँखें, रसीले भरे भरे होंठ… उम्र भी कोई तेईस चौबीस साल… सब कुछ मस्त लगा. ऐसी हुस्नपरी को कौन नहीं चोदना चाहेगा. रानी के सब फोटो अच्छे थे. हाँ नंगी फोटो कोई नहीं थी.

‘अच्छी है, लेकिन इसकी चूत कैसी है स्नेहा?’ ‘अंकल जी. उसकी वो भी मस्त है, कसी हुई है मेरे ही जैसी, वो कौन से ज्यादा चुदी है जिंदगी में. रानी भाभी की शादी को अभी सिर्फ सवा साल ही हुआ और वो न के बराबर चुदी है. शादी से पहले तीन चार बार और शादी के बाद भी दस बारह बार इससे ज्यादा नहीं, रानी भाभी से ज्यादा तो मैं कुंवारे में ही आपसे चुद चुकी हूँ पच्चीस तीस बार!’ वो इठला के बोली. ‘ओ. के. ठीक है. चलो प्लान पक्का. मैं तैयार हूँ.’ मैंने कहा. ‘ठीक है अंकल जी, मैं अभी रानी भाभी को बता के आती हूँ ये बात!’ स्नेहा बोली और तुरंत नीचे चली गई.

फिर वो कोई पंद्रह बीस मिनट बाद ऊपर आई और चहकती हुई बोली- रानी भाभी भी तैयार हैं और खुश हैं कि आप उन्हें चोदने के लिए तैयार हो, एडवांस में थैंक्स भी कहा है आज शाम को आपको सब कुछ चकाचक मिलेगा.

शाम होने के पहले मैं एक राऊँड बाज़ार का लगा के आया. मेडिकल शॉप से एक सेक्स वर्धक दवा ले के खा ली क्योंकि पिछली रात ही स्नेहा को दो बार चोदा था और आज रात उसकी कड़क जवान भाभी जो कि जनम जनम से लंड की प्यासी थी, उसकी भी पलंगतोड़ चुदाई करके उसकी तपती चूत को शीतल करना था. कहीं मेरी मर्दानगी पर आंच न आ जाए इसलिए एहितयात के तौर पर मेडिसिन ले ली थी.

शाम के छह बज चुके थे और स्नेहा अभी नीचे रानी के पास थी. मैं छत पर ही चेयर डाल के बैठा था मेरी नज़र बाहर गली में थी. एक मिनट बाद ही मुझे रानी का पति और ससुर घर से निकल कर जाते दिखे. रानी के पति को देख कर मुझे सच में रानी कि भाग्य से सहानुभूति हुई; उसका पति नाटे से कद का सांवला सा बदसूरत आदमी था. उसका पेट भी सच में किसी बड़े घड़े की तरह बाहर निकला हुआ था. चुदाई की कोशिश करते वक़्त उसका पेट जरूर पहले चूत से जा टकराता होगा; ऐसे लोगों को चूत में लंड घुसाने में बहुत परेशानी होती है. अगर जैसे तैसे लंड चूत में घुसा भी लिया तो फिर धक्के लगाते नहीं बनता… बेचारी रानी!

मैं ये सब सोच ही रहा था तभी मुझे रानी की सास भी घर से निकल के जाती दिखी; मतलब अब लाइन क्लियर हो गई थी.

कुछ ही देर में स्नेहा ऊपर आई और बोली- बस दस मिनट और… रानी भाभी अभी अभी नहा कर आई हैं वो कपड़े पहन लें, फिर हम लोग नीचे चलते हैं.

‘गुडिया रानी, जब तेरी रानी भाभी को अभी थोड़ी देर बाद नंगी हो के चुदना ही है तो कपड़े काहे को पहन रही है बेकार में?’ मैंने मजाक किया. ‘अच्छा जी, ये भी कोई बात है. शर्म लिहाज भी तो कोई चीज है. मेरी भाभी ऐसी फूहड़ बेशर्म भी नहीं है कोई!’ वो बोली.

हम लोग ऐसे ही कुछ देर तक हंसी मजाक करते रहे. नई चूत देखने और चोदने के ख्याल से ही मैं उत्तेजित हो रहा था और दिल में धुकधुकी भी मची थी.

थोड़ी ही देर बाद स्नेहा बोली- अब चलो अंकल जी, आपका सरप्राइज आपका वेट कर रहा है.

प्यासी जवानी की चुदाई की कहानी जारी रहेगी. [email protected]

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