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यह सेक्स स्टोरी मेरे एक प्रशंसक की है, उसने कैसे एक साथ दो स्कूल गर्ल के साथ सेक्स किया. दोस्तो, मेरी पिछली कहानी प्यासा सावन तड़पता यौवन उस पर मेरी बल्ले बल्ले कहानी पढ़ने के बाद मेरे बहुत से दोस्त और बहुत सी सहेलियों के मेल आये और उन्होंने तारीफ करते हुए कहा कि कहानी पढ़ने के बाद भी उनके लंड और चूत ने पानी छोड़ना बन्द नहीं किया। सबसे पहले मेरी कहानी को पढ़ने के लिये धन्यवाद और कहानी पढ़कर जो प्रशंसा आपने की है उस प्रशंसा के लिये मैं हृदय से आप सभी का अभारी हूँ।
आप के ही मेल के बीच मेरे युवा प्रशंसक मिस्टर अंकुश का मेल आया। ये 22 वर्ष के हैं और जब स्कूल के छात्र थे तो उसी समय उनकी क्लास की लड़की मरियम से इश्क हो गया जो बाद में बिस्तर पर पहुंच गया। इन्होंने अपनी कहानी को मेरे माध्यम से आप लोग तक पहुंचाने की गुजारिश की है। आशा करता हूँ की आप सभी को इनकी कहानी पसंद आयेगी।
दोस्तो, मैं अंकुश 22 साल का हूँ, मैं 5 फीट 10 इंच का हूँ। मेरी पर्सनैलिटी अब काफी खिल चुकी है, हट्टा कट्टा जवान हो चुका हूँ, लंड 7 इंच लम्बा और सवा दो इंच गोलाई का हो चुका है, कॉलेज की लड़कियाँ मुझे पर मरती हैं और एक दो लड़की तो मुझे पर स्वाहा हो चुकी है। लेकिन मुझे अपनी 11वीं क्लास की मरियम नहीं भूलती है, जिसके साथ मैंने पहली बार इस खेल को खेला, मजे की बात तो ये है कि दोनों गाली खूब बक लेते थे, चुदाई के बारे में (जब वो मुझसे खुल गई तब की बात है) बातें भी खूब बढ़ा चढ़ा कर कर लिया करते थे, लेकिन जब सच से सामना हुआ तो हम दोनों ही मुख चोद (मुंह से बोलने वाले) ही निकले।
मेरे गाँव में ऐसा कोई अच्छा स्कूल नहीं था जहाँ मैं अपनी आगे की पढ़ाई को जारी रख पाता, इसलिये मुझे शहर आना पड़ा और शहर के एक अच्छे स्कूल में एडमिशन लेना पड़ा। मेरे पापा ने स्कूल के पास ही एक लॉज में रहने का इंतजाम कर दिया।
मेरा पहला दिन तो ऐसे ही गुजर गया। एक लड़का मेरे साथ बैठा और उस दिन का स्कूल खत्म होते-होते वो मेरा दोस्त बन गया। उस स्कूल की पहले से पढ़ने वाली मरियम पर मेरी नजर पहले ही दिन गई तो मेरे अन्दर उसके प्रति एक अजीब सी कशिश सी होने लगी। वो सांवली थी, थोड़ी लम्बी तोते जैसी लम्बी नाक, मोटी सी उसकी चोटी थी, बड़े-बड़े आँख वाली थी और उसकी आंखों पर चश्मा भी चढ़ा हुआ था जो काफी स्टाईलिश था।
उस स्कूल के काफी बच्चे अमीर परिवार से ताल्लुक रखते थे, उन्हीं में वो भी आती थी, जबकि मैं मीडियम क्लास फैमिली से आता था। इतेफाक से वो मेरी आगे वाली सीट पर बैठ गई, उसके जिस्म से सेन्ट की खूशबू भी आ रही थी, मैं उसके बारे में लंच तक सोचता ही रहा, पढ़ने में मन नहीं लग रहा था, लेकिन मरियम ने एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा।
लंच में मैंने अपने उसी दोस्त, जिसका नाम रोहन था, उससे पूछा, तो वो बोला- पढ़ने में अच्छी है, हेल्प भी करती है लेकिन किसी ने उसको छेड़ा तो हरामी, कुत्ता और न जाने पूरी क्लास के सामने क्या-क्या बोल देती है, इसलिये लड़के उससे दूर की दोस्ती ही करते हैं।
जैसे-तैसे मेरा वो दिन बीता।
दूसरे दिन सुबह जब हम लोग स्कूल पहुंचे तो मेरी क्लास में मरियम, सुधा और मैं तीन ही लोग थे, हम लोग सुबह जल्दी स्कूल आ गये थे। मैंने मरियम को देखा तो उसके पास हाथ बढ़ाते हुए बोला- हाय मैं अंकुश हूँ! तुरन्त ही मुझको झिड़कते हुए बोली- तो अंकुश में ही रहो, ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो।
मुझे यह बात चुभ गई, तभी सुधा अपना हाथ बढ़ाते हुए अपना परिचय दिया और मरियम को हल्का झिड़कते हुए बोली- इन्ट्रोड्क्शन ही तो दे रहा था, क्यों बिगड़ती हो, नया है। मैंने भी उसे चिढ़ाते हुए सुधा से बोला- क्यों सुधा जी, इनकी मम्मी इनको रोज स्कूल डाँट कर ही भेजती है क्या, जो ये इस तरह से बात करती है। इससे पहले मरियम कुछ कहती, क्लास के दूसरे और बच्चे आ गये। वो भुनभुनाती रही, लेकिन कुछ बोल नहीं पाई।
लंच तक तो निकल गया, लेकिन लंच के बाद एक हादसा हो गया, मरियम उठी और मुझे कस कर एक रसीद कर दिया, मेरा हाथ मेरी गाल पर था, मुझे समझ में नहीं आया कि उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया. बॉयो की क्लास चल रही थी, वो तुरन्त पलट कर मेरी तरफ देखने लगे, मुझसे मेरा नाम प्रीवियस स्कूल के बारे में पूछा और फिर मरियम से मुझे मारने का कारण पूछने लगे, तो मरियम बोली कि सर ये लड़का मेरे पीछे टच कर रहा है। अब मेरी हवा तो सरक गई, टीचर मेरे पास आये और एक तमाचा और रसीद कर दिया, मैं लाख कहता रह गया लेकिन किसी ने भी मेरी बात नहीं सुनी, स्कूल के दूसरे दिन ही मेरी अच्छी बेईज्जती हो गई थी, मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे.
हाँ जब स्कूल ओवर होने लगा तो रोहन ने सबको हकीकत बता दी, सभी बच्चे चले गये, सबसे पीछे में निकला, मैंने एक बार फिर क्लास में नजर दौड़ाई तो पाया की सुधा ने मरियम का हाथ पकड़ कर रोक रखा था, मैं तुरन्त ही दरवाजे के पास चिपक कर खड़ा हो गया ताकि दोनों की बात सुन सकूँ.
सुधा की आवाज मेरे कान में पड़ी वो मरियम को बोल रही थी कि उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, तो बोली- सुबह जो उसने बोला, उसका सबक सिखाना था. तभी सुधा बोली- देख नया लड़का है, उसके बारे में तू ठीक से जानती नहीं है, कहीं ऐसा न हो कि लेने के देने पड़ जाये? ‘उसकी मां की चूत!’ मरियम की आवाज आई. तभी सुधा बोली- अपने ऊपर संयम रख, कही ऐसा न हो कि कोई तेरे से बदला निकालने के चक्कर में तेरे साथ मजा न ले ले। ‘किसी भोसड़ी वाले में हिम्मत नहीं है कि मेरी चूत को हाथ लगा सके, लंड न काट लूंगी उसका!’
मुझे उसकी बात से लगा, बहुत ही बिगड़ैल लड़की है।
तभी सुधा बोली- लंड तो बाद में काटेगी, चूत तेरी पहले चुदेगी। तभी मरियम बोली- ठीक है ठीक है, चल अब घर चलना है। वो दोनों निकलने लगी, मैं दरवाजे का ओट लेते हुए क्लास के अन्दर चला गया, मरियम बाहर निकलते हुए सुधा से बोली- कल जो वीडियो तूने भेजा था, बहुत ही मजेदार था। मैं समझ नहीं पाया कि किस वीडियो की बात कर रही हैं।
खैर बाद में मामला रफा दफा हो गया। मेरी पढ़ाई और क्लास में विहेवियर देखकर टीचर मुझसे इम्प्रेस रहने लगे। अगर किसी को कोई प्रॉबल्म होती तो मेरे पास आता, लगभग क्लास के सभी बच्चे मेरे से डिस्कस करते थे, नहीं करती थी तो वो मरियम थी।
खैर उस दिन से मैं मरियम पर नजर रखने लगा, जैसे ही वो बाहर जाती तो मैं भी उसके पीछे चल देता, लेकिन वो गर्लज टॉयलेट में चली जाती और फिर कुछ देर में लौट आती. अभी तक उसके खिलाफ मेरे पास कुछ नहीं था. पाँच-छः दिन ही हुए थे मुझे उस स्कूल में ज्वाईन किये हुए, इसलिये उसकी किसी ख़ास जगह के बारे में नहीं समझ पा रहा था। पर आज का दिन मेरे लिये लकी साबित हुआ।
हुआं यूं कि जब स्कूल छूटने वाला था और सभी बच्चे क्लास से निकल रहे थे, मैं भी निकल ही गया था क्लास से, तभी मेरी नजर सुधा पर पड़ी जो बाकी सभी बच्चों की तरह घर जाने के लिये चल दी, लेकिन मरियम ने उसका हाथ पकड़ लिया और सभी का बाहर जाने का इंतजार करने लगे। ये दोनों क्लास में क्यूं रूकी, इसकी वजह जानने के लिये जल्दी से दूसरे क्लास में जाकर छुप गया और जब बच्चे चले गये तो वो दोनों निकलकर जल्दी से बाथरूम की तरफ भागती हुई चली गई.
चूंकि इस समय सभी बच्चे एंव टीचर बिल्डिंग से बाहर जा चुके थे, इसलिये मुझे भी डर नहीं था, मैं भी सीधा उनके पीछे उनकी नजर को बचाकर दरवाजे के पास पहुंचा तो मरियम की आवाज आ रही थी, वो सुधा से सलवार और पैन्टी उतारने के लिये बोल रही थी. सुधा बोली- नहीं मरियम, आज मेरा मन नहीं है, तू शाम को घर आ जाना तो वहीं मस्ती करेंगे! ‘मैं शाम को घर भी आऊँगी, बस अपनी मुनिया का रस दो मिनट चखा दो।’
‘ओह, तो ये बात है, दोनों लड़कियाँ ही आपस में मस्ती करती है और मरियम मादरचोद अच्छी बनने के लिये दूसरों को बुरा बना देती है!’
तभी सुधा बोली- ले बाबा, पर जल्दी कर ले कोई आ नहीं जाये? ‘कोई नहीं आयेगा!’
ठीक इसी समय मैं धड़ाक से अन्दर घुस गया, सुधा की सलवार और पैन्टी उसके पैरों में फंसी हुई जमीन में पड़ी थी और वो अपनी कुर्ती को हाथ से पकड़ कर ऊपर उठाई हुई थी, जबकि मरियम उसकी चूत में अपनी जीभ लगा चुकी थी और उसके मुख से उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गया. मेरे सामने दो स्कूल गर्ल सेक्स कर रही थी लेकिन मैं इस समय बड़े गुस्से में था, तुरन्त ही मरियम को बोला- क्यों री मादरचोद, ऐसे तो बड़ी शरीफ बनती है और यहाँ पर सुधा की चूत को चाट रही है, बहन की लौड़ी देख अब कल से रोज तेरी गांड में उंगली न की तो कहना! और ये बात मैं सभी को बता दूंगा।
दोनों के हाथ पैर काँपने लगे। सुधा रूँआसी सी होकर बोली- अंकुश प्लीज किसी को मत बताना! ‘क्यों नहीं बताऊँगा, तुम लोगों ने मुझे छोड़ा था, पूरे स्कूल में बेइज्जत किया था। अब मेरी बारी है!’ ‘लेकिन मैंने तो नहीं बताया।’
तभी मरियम भी हाथ जोड़ते हुए बोली- अंकुश जाने दे यार, नहीं तो कोई आ जायेगा। ‘चल मादरचोद तेरे को जाने दूं, रंडी साली, आने दो सभी को पता तो चले कि तू साली चीज क्या है।’
अब दोनों लगभग रो चुकी थी। उनको रोती देखकर और वास्तव में कोई आ गया तो लड़का होने के कारण पहले मैं ही बलि का बकरा बनता, इन बातों को सोचकर मैं बोला- ठीक है, जाने देता हूँ, अपने पैन्ट की जिप खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल कर बोला- थोड़ा इसे प्यार कर लो और जाओ। मरियम फिर बोली- अभी जाने दो! ‘नहीं ऐसे नहीं, अपने लंड के खाल को पीछे करते हुए कहा- चलो दोनों मेरे इस लाल वाले भाग को पुच्ची करो और चलती बनो।
दोनों मरती क्या न करती, दोनों ने बारी-बारी से मेरे लंड पर पुच्ची दी और जाने लगी. मैंने पीछे से आवाज लगाई- रूको, एक बात और कहनी है तुम दोनों से! दोनों क्लास के पास पहुंचते ही ठिठक कर रूक गई। ‘अपना फोन नम्बर दो, मुझे शाम को कुछ बात करनी है।’
पहले तो दोनों ने आनाकानी की लेकिन हल्की सी घुड़की से दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर चलते-चलते फोन नम्बर दे दिया। फोन नम्बर लेते हुए हिदायत देते हुए कहा- फोन जरूर उठा लेना।
हम लोग बात करते हुए गेट तक पहुंच गये थे।
मैं घर आया और आधे घण्टे के बाद ही मैंने मरियम को फोन लगा दिया। दूसरी तरफ से ‘हैलो’ की आवाज आई, मैंने पूछा- कौन? तो बोली- मैं मरियम बोल रही हूँ। ‘ओह…’ इतना कहने के बाद मैंने पूछा- क्या कर रही हो? ‘अभी-अभी आई हूँ और अपने कमरे में हूँ।’
मैंने फिर पूछा- कमरे के क्या कर रही हो? तो बोली- कपड़े बदल रही हूँ। ‘इस समय क्या पहना है?’ ‘इस समय ब्रा पैन्टी में हूँ।’ ‘मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ।’ ‘नहीं’ ‘क्या कहा?’ मैं थोड़ा तेज आवाज में बोला।
वो बोली- यार, प्लीज समझा करो। ओ.के. कोई बात नहीं, अपनी साईज बता?’ ‘मुझे नहीं मालूम…’ वो बोली. ‘तो पेन्टी ब्रा बिना साईज के ही पहनती हो?’ ‘यार, मम्मी लाती है। नम्बर 28 पड़ा है।’ ‘ठीक है, चल अब कल मिलते हैं।’
दूसरे दिन जब मैं स्कूल पहुंचा तो देखा दोनों क्लास के अन्दर पहले से ही पहुंची हैं, दोनों की सूरत उतरी हुई थी। मैंने उनसे हाथ मिलाया, दोनों ने हाथ मिलाया, फिर मैं अपनी सीट पर बैठ गया।
अभी भी दोनों का उदास चेहरा देख मैंने उनसे कहा- अब हम दोस्त हो गये हैं। डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा और यह भी मत डरो कि मैं तुम दोनों को ब्लैक मेल करूंगा. फिर मरियम की तरफ देखते हुए कहा- तुम्हारी हरकत के कारण ऐसा हुआ, नहीं तो तुम उसकी और वो तुम्हारी बुर या गांड चाटे, मुझे क्या करना है। वो दोनों कुछ नहीं बोली, बस मेरी तरफ देखती रही।
‘अच्छा ये बताओ, ये कब से चल रहा है?’ ‘दिसम्बर से…’ सुधा जल्दी बोली और अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोली कि एक दिन ये मेरे घर अपने पापा के साथ आई, इसको एक सब्जेक्ट में कुछ प्रॉबल्म थी। मरियम को छोड़कर उसके पापा चले गये और साथ में यह भी बोल गये कि वो एक पार्टी अटेन्ड करने जा रहे हैं, अगर ज्यादा देर न हुई तो मरियम को पिक अप कर लेंगे। नहीं तो रात में मरियम यही रूक जाये। मेरे परिवार को कोई ऐतराज नहीं था। मरियम वहीं रूक गई, हम लोग काफी देर तक पढ़ती रही। रात होने लगी थी, इसके पापा नहीं आये तो मम्मी ने हम दोनों को खाना खिलाकर सोने के लिये बोल दिया और कहा कि इसके पापा अगर आ गये तो वो इसको उठा देगी। हम बातें करती हुई कब सो गई, पता ही नहीं चला।
रात को अचानक मुझे लगा कि मेरी चूत में कुछ चल रहा है, मैंने अपनी चडडी के अन्दर हाथ डाला तो मरियम का हाथ मेरी फांकों के आस-पास हिस्से को सहला रहा था। मैंने उसका हाथ हटाया और करवट बदल ली. लेकिन यह क्या, ये तो मेरे चूतड़ को सहलाने लगी और गांड की छेद में अपनी उंगली रगड़ने लगी। मैंने बीच में ही टोकते कहा- सुधा बस कर, लंड तन गया है। फिर मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगेगा।
सुधा चुप हो गई लेकिन मरियम ने छेड़ते हुए कहा- सुन ले, पूरा मजा आयेगा। ‘तू चाहती है कि कहानी सुनने के बाद मैं तेरी गांड में उंगली करूँ?’ वो धीरे से बोली- लौड़े के… देख तो सही, अब हम सभी स्कूल में है, मरवायेगा क्या, भोसड़ी के? उसके गाली देने के अंदाज में मुझे हंसी आई.
मैं इससे पहले मरियम से कुछ पूछता कि सुधा बोली- चल तू भी क्या याद रखेगा मेरी जान, तू जब चाहे मेरी गांड में उंगली कर लेना। मैंने बात काटते हुए कहा- चल अब बस कर और भी बच्चे आने वाले हैं, किसी पीरियड में बता देना, मेरा लंड काफी कड़क हो गया है और मुझे दर्द महसूस हो रहा है।
फिर हमने अपनी बातें बंद कर दी।
उसके बाद कई दिन बीत गये, न उनकी कहानी सुनने का मौका आया और न ही किसी तरह के और सम्बन्ध बने। हाँ बस इतना होता था कि जब भी कभी हम लोगों को मौका मिलता तो वो दोनों मेरे लंड पर पैन्ट के ऊपर से हाथ फेर लेती और मैं उनकी चूची वगैरह दबा दिया करता और हम तीनों के बीच में गाली-गलौज और तू-तड़ाक से बातें होती, लेकिन एक खास बात ये भी थी कि हम तीनों की संगत ऐसी हो गई थी कि बाकी क्लास हमेशा शक की नजर से देखती, यहाँ तक कि मेरा वो दोस्त रोहन भी।
दो स्कूल गर्ल के साथ सेक्स की कहानी जारी रहेगी. [email protected] [email protected]
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