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दोस्तो, मेरा नाम कोमलप्रीत कौर है, मेरी बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ अन्तर्वासना पर आ चुकी हैं, उनको पाठकों ने पसंद भी बहुत किया है. जैसे चार फ़ौजी और चूत का मैदान को तो अपने बहुत ही पसंद किया था और मुझे बहुत सारी मेल भी आई थी.
मेरे बारे मैं तो आप सभी जानते ही हैं कि मेरे पति आर्मी में हैं. मेरी फिगर के बारे में भी आपको पता है कि मेरा गोरा बदन, पतली कमर, लम्बे रेशमी बाल, कसे हुए चूतड़ और मोटे चूचों को देख देख लड़के तो क्या बूढ़े भी मुठ मारने के लिए मजबूर हो जाते हैं. मुझे पटाने के लिए लड़के तो क्या बूढ़े भी तरसते हैं.
तो अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ. कुछ दिन पहले की बात है, हमारे घर मेरे पति के फूफा जी आए हुए थे, जो करीब 50 साल के होंगे मगर पूरी तरह से तन्दरुस्त और फिट हैं. वो जब भी हमारे घर आते तो अक्सर मुझे घूर घूर के देखते, कभी मेरी बड़ी सी मटक मटक कर चलती गांड को और कभी मेरे डीप गले से बाहर आते चुचों को. मैं भी उनकी नज़रें पहचानती थी मगर सास ससुर के रहते वो कुछ नहीं कर सकते थे.
रात का खाना खाते वक़्त ससुर जी ने शराब की बोतल खोल ली क्योंकि फूफा जी शराब के बहुत शौकीन थे और फुल टाइट होने तक पीते थे, ससुर जी इतनी ज़्यादा नहीं पीते थे मगर आज उनको भी कुछ ज़्यादा ही हो गई. मैं और सासू माँ अपने अपने कमरे में सोने चली गई मगर फूफा जी इतने टाइट हो गये कि उनसे चल पाना भी मुश्किल था.
रात के 11 बज चुके थे कि मुझे ससुर जी ने आवाज़ लगाई. मैं बाहर गई तो ससुर जी बोले- बहू, यह देखो तुम्हारे फूफा तो यहीं पर सो गये… मैंने इनको उठाने की और अंदर ले जाने की बहुत कोशिश की मगर यह तो बेहोश होकर पड़े हैं. ज़रा तुम मेरी मदद करो और हम इनको अंदर ले जाकर सुला देते हैं.
मैंने कहा- ठीक है पिताजी, एक तरफ से मैं पकड़ती हूँ और दूसरी तरफ से आप पकड़िए! और फिर मैंने फूफा जी का एक बाजू अपने गले में डाला, ससुर जी ने भी सहारा दिया और फिर धीरे धीरे उनको अंदर ले जाने लगे.
फूफा जी ने मेरे कंधे को ज़ोर से पकड़ रखा था और मेरे दोनों बूब्स उनके साथ चिपके हुए थे. शायद फूफा जी को पता नहीं था कि उनकी बगल में मैं हूँ, नहीं तो वो मेरे कंधे को नहीं सीधा मेरे चूचे पकड़ते. फिर मैंने ससुर जी से कहा- पिता जी, आप दरवाजा खोलिए, मैं फूफा जी को संभाल लूँगी.
तो ससुर जी ने फूफा जी को छोड़ दिया. मैं बड़ी मुश्किल से उनको अंदर लेकर गई और ससुर जी को कहा- पिता जी, आप जाओ, मैं फूफा जी का लिटा कर आ जाती हूँ. पिताजी तो पहले ही नशे की हालत में मुश्किल से खड़े थे, इसलिए वो भी बोले- हाँ बहू, तुम भाई साहिब को लिटा कर आ जाना और रात को भी एक दो बार देख लेना और पानी वग़ैरा पिला देना. मैंने कहा- ठीक है पिता जी, मैं अच्छे से फूफा जी का ख्याल रखूँगी.
ससुर जी चले गये और मैंने फूफा जी को बेड पर लिटा दिया, मगर उनको लिटाते वक़्त मुझे उनको सामने से पकड़ना पड़ा और उस वक़्त फूफा जी की छाती मेरे दोनों चूचों से एकदम से सटी हुई थी और उनका लंड भी मेरी चूत के बिल्कुल सामने था. फूफा जी का एक हाथ मेरे गले में था और दूसरा हवा में लटक रहा था, जब में उनको बेड के ऊपर लिटाने लगी तो उनका वजन ज़्यादा होने के कारण संभाल नहीं पाई और खुद भी उनके ऊपर ही गिर गई.
मैंने जल्दी से बाहर की तरफ देखा कि कहीं ससुर जी देख तो नहीं रहे… मगर वो जा चुके थे. एक पल के लिए तो मेरा मन हुआ कि ऐसे ही लेटी रहूं और फूफा जी के लंड पर अपनी चूत रगड़ दूं. मैं ना चाहते हुए भी फूफा जी के ऊपर से उठी और बाहर देखा तो ससुर जी अपने कमरे में जा चुके थे.
अब मेरे मन में और शैतानी आने लगी और मैंने सोच लिया कि आज फूफा जी का लंड देख कर ही दम लूँगी. फिर मैंने फूफा जी के जूते निकाले और उनको टाँगों से पकड़ कर सीधा करके बेड पर लिटा दिया. फूफा जी को कुछ भी पता नहीं था. फिर मैं अपने कमरे में गई और ज़ोर से दरवाजा बंद किया ताकि सासू जी और ससुर जी को पता चल जाए कि मैं अपने कमरे में आ गई हूँ. और थोड़ी देर बाद ही फिर से फूफा जी के कमरे में आ गई और दरवाजा लॉक कर दिया.
मैंने देखा कि फूफा जी अब भी वैसे ही पड़े हैं जैसे मैं लिटा कर गई थी. मैं फूफा जी के पास गई और धीरे से फूफा जी को आवाज़ लगाई ताकि मुझे पता चल जाए कि वो पक्का सो रहे हैं. जब फूफा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने फूफा जी के लंड पर हाथ रखा.. उफ्फ़ क्या लंड था फूफा जी का… सोते वक़्त भी कितना बड़ा था! अब तो फूफा जी का लंड देखने को मैं और भी उतावली हो गई… मैंने फूफा जी की पैंट की ज़िप खोली और अंदर हाथ डाल कर देखा, फूफा जी ने कच्छा पहना हुआ था.
मैंने फूफा जी की पैंट की हुक भी खोल दी और पैंट को नीचे सरका दिया, फिर फूफा जी का कच्छा भी नीचे सरका दिया, अब फूफा जी का सोता हुया 7 इंच का लंड मेरी नज़रों के सामने था. एकदम काला मोटा साँप जैसा… मैंने उनके लंड को हाथ मैं पकड़ा और सीधा खड़ा किया और फिर हिलाने लगी. बहुत ही मजेदार लंड था फूफा जी का!
मैं बेड के पास नीचे ही घुटनों के बल बैठी थी और लंड मेरे मुँह के सामने था… वैसे भी इतना बड़ा लंड मेरे हाथ में हो और मैं मुँह में लिए बिना रह जाऊँ… हो ही नहीं सकता! मैंने अपने होंठ खोले और लंड को अपने मुँह में भर लिया. उधर शायद फूफा जी के लंड पर भी मेरे होंठों का नशा चढ़ने लगा… फूफा जी का लंड धीरे धीरे अकड़ना शुरू हो गया था और 7 इंच से 8 इंच और फिर 9 इंच का हो गया.. मेरे मुँह में लंड मोटा होता जा रहा था. उफ़फ्फ़ लंड देखकर तो मेरी चूत में खुजली होने लगी थी.
लंड को खड़ा होता देख मैंने सोचा कि आज फूफा जी के लंड को चूत में भी डाल लेती हूँ और फूफा जी को भी पता नहीं चलेगा और इतना बड़ा लंड मेरी चूत की प्यास भी अच्छे से बुझा देगा. फूफा जी का लंड अब भी मेरे हाथ में था और मैं लंड को पागलों की तरह अपने चेहरे और बूब्स पर रब कर रही थी.
फिर मैं फूफा जी के पैरों की तरफ गई और उनकी पैंट को खींच कर उतार दिया और कच्छे को भी उतार फेंका. फिर मैंने उनकी शर्ट के सारे बटन खोल दिए. अब फूफा जी मुझे करीब करीब नंगे दिखाई पड़ रहे थे… उनका लंड अब भी टाइट हुए खड़ा था… मैं लंड को देखकर पागल हुए जा रही थी.
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और उतार फेंकी फिर मैंने अपनी कमीज़, ब्रा और पैंटी भी उतार दी और पूरी तरह से नंगी हो गई… मैंने फिर से फूफा जी का लंड पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी. उनका लंड पहले से भी ज़्यादा बड़ा हो चुका था करीब 10-11 इंच का… मेरी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी… फूफा जी सीधे लेटे थे और उनका लंड भी ऊपर की तरफ तना हुआ था.
मैं फूफा जी के ऊपर आ गई और दोनों तरफ़ टांगें करके लंड को अपनी चूत के बीच में रख लिया. मेरी चूत तो पहले से ही गीली थी इस लिए लंड का 4 इंच का मोटा सुपारा मेरी चूत के दोनों होंठ खोलता हुआ अंदर घुस गया. मैंने थोड़ा सा और वजन डाला तो फूफा जी का आधा लंड मेरी चूत में समा गया. उफ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअहह…आहहा अहह… लंड अंदर जाते ही मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ी थी.
मैंने अपने एक हाथ से लंड को नीचे से पकड़ा हुआ था और धीरे धीरे उस पर वजन डाले जा रही थी और वो मोटा भयंकर लंड भी मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसता जा रहा था. फूफा जी अब भी बेहोश थे मगर वो नशे की हालत में ही अपनी टाँगों को ऐसे अक़ड़ा रहे थे जैसे उनको भी महसूस हो रहा हो कि उनका लंड किसी चूत में घुस रहा है. अब भी उनका लंड मेरी चूत में से 4 इंच बाहर था… इतना बड़ा लंड पहली बार में ही लेना आसान नहीं था, इसलिए मैं लंड के ऊपर ही उठने बैठने ल्गी और लंड को अंदर बाहर करने लगी.
लंड मेरी चूत की दीवारों से चिपका हुआ था इसलिए अंदर बाहर करने में भी मुझे दर्द हो रहा था.. मगर मज़ा बहुत ज़्यादा आ रहा था… मेरी गीली चूत कुछ ही देर में लंड को आसानी से अंदर बाहर करने लगी और पूरा लंड मेरी चूत में चला गया. मैं फूफा जी के ऊपर ही लेट गई और लेटे लेटे ही लंड को अंदर बाहर करने लगी.
जैसे जैसे फूफा जी का लंड टाइट होता जा रहा था, फूफा जी का नशा भी कम हो रहा था. मेरे दोनों चूचे उनकी बालों से भरी छाती से रगड़ रहे थे. मैं अपने दोनों हाथ फूफा जी की कमर के नीचे ले गई और उनको कस के अपनी बाहों में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से गांड हिलाने लगी. फूफा जी का लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था और अब तो फूफा जी भी नशे में ही अपनी कमर हिला हिला कर मेरी चूत में अपने लंड पेल रहे थे और उनके दोनों हाथ भी मेरी नंगी पीठ पर चल रहे थे.
हम दोनों एक साथ झटका लगाते और फूफा जी का लंड मेरी चूत में जड़ तक घुस जाता.
अचानक से फूफा जी नशे की हालत में ही बड़बड़ाने लगे- ओह माइ स्वीट हार्ट… मेरी पम्मी डार्लिंग…क्या मज़ा देती है तू मेरी पम्मी… क्या मस्त चूत है तेरी…आहह उफफफा आहह!
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फूफा जी के मुँह से पम्मी नाम सुन कर मैं हैरान रह गई… क्योंकि बुआ जी का नाम तो मिन्नी था… फिर मैंने सोचा शायद पम्मी फूफा जी की गर्लफ्रेंड होगी और नशे में यह पम्मी को चोद रहे हैं… मैंने सोचा अच्छा है कि फूफा जी को मेरे बारे में पता नहीं चला. फूफा जी मुझे अपनी बाहों में कसते जा रहे थे और नीचे से ही अपनी गांड हिला हिला कर मुझे चोद रहे थे.
मैं अब झड़ने वाली थी इस लिए मैं और भी ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड हिलाने लगी और अपना सारा गर्म पानी फूफा जी लंड पर उड़ेल दिया.
मैं थक तो चुकी थी मगर फूफा जी की बाहों में पड़ी अब भी उनसे चुद रही थी. फूफा जी पम्मी को याद करते हुए कभी मेरे होंठ चूसते तो कभी मेरे मम्मों को चूसते.. उनके दोनों हाथ मेरी कमर और मेरे काले घने रेशमी बालों में घूम रहे थे.
फिर अचानक से फूफा जी ने मुझे अपने ऊपर से उठा कर साइड पर लिटाने की कोशिश की मगर नशे के कारण वो ऐसा कर नहीं पाए. मगर मैं समझ गई थी कि फूफा जी अब मेरे ऊपर आना चाहते हैं इसलिए मैं खुद ही फूफा जी के साथ चिपके चिपके एक साइड को हो गई और फूफा जी को भी खींच कर अपने ऊपर लाने की कोशिश करने लगी. फूफा जी भी पलटी मार के मेरे ऊपर आ गये… मैंने अपना चेहरा अपने बालों से ढक लिया था कि अगर फूफा जी की आँख खुल भी जाए तो वो मुझे पहचान नहीं पाएँ!
फूफा जी के ऊपर आते ही मैंने अपनी दोनों टांगें ऊपर को उठा कर उनका लंड अपनी चूत में डाल लिया. फूफा जी ने फिर से मेरी चुदाई शुरू कर दी थी… वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में से बाहर निकालते और फिर एक ही झटके में वापिस अंदर डाल देते… सच में बड़ी जबरदस्त चुदाई कर रहे थे फूफा जी मेरी… मेरी दोनों टांगे ऊपर उठी हुई हवा में झूल रही थी और इतनी ताबड़तोड़ चुदाई से मेरा मन चिल्लाने को कर रहा था… मैं अपने ऊपर कंट्रोल रखने की कोशिश कर रही थी मगर फिर भी कभी कभी मेरे मुँह से आअहह औउच की आवाज़ें निकल जाती.
फूफा जी ने मुझे अपनी टाँगों और दोनों बांहों में ऐसे जकड़ रखा था कि मेरा हिल पाना भी मुश्किल था. मगर जिस तरह से फूफा जी मुझे चोद रहे थे, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब दूसरी बार भी मैं झड़ने के बहुत करीब थी इसलिए मैं भी अपनी गांड फूफा जी के झटकों के साथ मिलाकर हिलाने लगी. फूफा जी ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी थी, शायद वो भी झड़ने वाले थे. मैंने फूफा जी को कस के अपनी बाहों में ले रखा था और फूफा जी ने मुझे… हम दोनों एक दूसरे को तेज़ी से चोद रहे थे.
मेरा पानी बहने लगा था मगर फूफा जी अब भी वैसे ही मेरी टाँगों को ऊपर उठाए हुए ज़ोर ज़ोर के झटके लगा रहे थे. अब तो हर झटके के साथ मेरे मुँह से आहह आहह की आवाज़ निकल रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था कि अब फूफा जी मेरी चूत फाड़ कर ही दम लेंगे.
फिर एक दो और झटकों के साथ फूफा जी ने अपना सारा माल मेरी चूत में भर दिया और आखिरी झटका तो उनका ऐसा था कि उनका लंड गोटियों समेत मुझे अपनी चूत में घुसा महसूस हो रहा था. उस वक़्त तो मेरी ज़ोर से चीख भी निकल गई थी.
फूफा जी ने झटके लगाने तो बंद कर दिए थे मगर उनका लंड अब भी मेरी चूत में जड़ तक घुसा हुआ था… मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं मेरी चीख सास या ससुर जी ने सुन ना ली हो. इस लिए मैं अब जल्दी से जल्दी फूफा जी के नीचे से निकलना चाहती थी… मगर फूफा जी तो मुझ पर बेहोश पड़े हुए थे और उनको हटा पाना मेरे लिए मुश्किल था. अगर फूफा जी को ज़ोर से धकेलने की कोशिश करती भी तो मेरी चूत में गड़ा हुया उनका लंड उनको हिलने नहीं देता.
फूफा जी के लंड से गर्म माल अब भी मेरी चूत में टपक रहा था इसलिए फूफा जी भी अपना लंड बाहर निकालना नहीं चाहते थे और मैं उनके नीचे दबी पड़ी थी.
करीब एक घंटे की चुदाई के बाद फूफा जी 15 मिनट तक ऐसे ही मेरी चूत में लंड गाड़े मुझ पर लेटे रहे. अब उनका लंड भी ढीला होने लगा था और खुद ही चूत से बाहर आ रहा था… अब मेरी भी जान में जान आ चुकी थी इसलिए मैंने फूफा जी को ज़ोर से धकेला और नीचे से निकल गई.
फूफा जी का लंड मेरे और उनके माल से सना पड़ा था और मेरी चूत का तो और भी बुरा हाल था… चूत में से फूफा जी का माल ऐसे निकल रहा था जैसे चूत में बाढ़ आ गई हो. फिर मैंने फूफा जी के कच्छे से अपनी चूत को साफ किया और फूफा जी का सोया हुया लंड अपने मुँह में लेकर चाट चाट कर साफ करने लगी.
मगर यह क्या उनका लंड तो फिर से खड़ा होना शुरू हो गया था… और फूफा जी ने नशे की हालत में ही मुझे फिर से पकड़ लिया और मेरे ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगे… मगर अब मुझे पता था कि अगर फूफा जी ने फिर से मुझे पकड़ लिया तो मैं चीख चीख कर पूरा गाँव बुला लूँगी… इसलिए मैंने किसी तरह खुद को फूफा जी से छुड़वाया और उनको ऐसे ही नंगा छोड़ कर अपने कपड़े उठा कर अपने कमरे में भाग गई.
ऐसी भयंकर चुदाई के बाद मेरी टांगें और पूरा बदन दुख रहा था… बस एक चूत ही थी जो बिल्कुल शांत थी क्योंकि उसने आज जी भर के अपनी प्यास एक मोटे लंड से बुझाई थी.
मुझे पता है कि आप यह भी जानना चाहोगे कि अगली सुबह क्या हुआ… मगर वो बात मैं आपको तब बताऊँगी जब आप मुझे मेल करोगे और पूछोगे कि मेरी प्यारी सेक्सी कोमल भाभी अगली सुबह क्या हुआ था… तो अब मेरी तरफ से आपके प्यारे प्यारे लौड़ों को बाइ बाइ…
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