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सेक्स टॉक कहानी में पढ़ें कि बड़ी बहन अपनी छोटी बहन को उनकी ममेरी बहन की कामुकता की बातें बता रही है. जब वो अपने मामा के घर गयी थी तो क्या हुआ?
हाय दोस्तो, पूरा परिवार लंड चुत गांड चुदाई का रसिया
से ही जुड़ी हुई दूसरे शीर्षक से प्रस्तुत इस रसीली सेक्स कहानी में आपका एक बार फिर से स्वागत है.
पिछली कहानी में आपने पढ़ लिया था कि नेहा अपनी छोटी बहन स्नेहा के साथ अपने चाचा चाची की चुदाई का लाइव टेलीकास्ट सुना रही थी. उसके बाद वो दोनों एक दूसरे के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लेने लगी थीं.
तो पढ़ें सेक्स टॉक कहानी:
स्नेहा- दीदू अब आगे किसकी चुदाई देखी है … उसकी बात बताओ? नेहा- मैंने मामा की लड़की ममता की चूत और उसी की भोसड़ी भी देखी है.
स्नेहा- और भोसड़े किसके देखे हैं? नेहा- मम्मी का भोसड़ा तो पचासों बार देखा है … मामी का भोसड़ा भी कई बार देखने में आया है.
स्नेहा- बाप रे … दीदू आप तो कमाल हो पर आपने मॉम का भोसड़ा कैसे देख लिया दीदू? नेहा- यार रात को कई बार छत पर कभी अपने घर के गार्डन में चली जाती थी.
स्नेहा- तो! नेहा- तो एक बार मैं नीचे गई तो मॉम के कमरे से आवाजें आ रही थीं … पर मैं रुकी नहीं … मैं समझ गई थी कि वहां क्या चल रहा है.
स्नेहा- क्या चल रहा था दीदू? नेहा- चल बदमाश, अपनी मॉम अन्दर डैड से चुद रही थीं और क्या.
स्नेहा- आपने देखी मॉम की चुदाई? नेहा- हम्म्म् … देखी तो है.
स्नेहा- सुनाओ न दीदू. नेहा- ओके … मैं गार्डन में कुछ देर घूमती रही, उसके बाद में सोने जाने लगी. तभी मॉम की तेज तेज आवाजें आने लगीं, तो मैंने सोचा एक बार देखते हैं. मैं कमरे के पास गई … तो कमरे की खिड़की तो पूरी खुली हुई थी, बस पर्दा लगा था. वो भी हवा से हिल रहा था. मैंने अन्दर झांका तो अन्दर दूधिया प्रकाश फैला हुआ था. मॉम पूरी नंगी हो कर सीधी लेटी थीं, उनका भरा हुआ शरीर, मोटी-मोटी चूचियां और बड़े बड़े चूतड़ बड़े मस्त दिख रहे थे. डैड, मॉम की जांघों में मुँह लगा कर उनकी सुलगती हुई चूत चाट रहे थे. मॉम जोर जोर से चिल्ला रही थीं.
स्नेहा- फिर क्या हुआ दीदू? नेहा- बड़ा मजा आ रहा तुझे मॉम-डैड की चुदाई का सुन कर.
स्नेहा अपनी चुत मसलती हुई बोली- सुनाओ न दीदू. नेहा- मॉम अपने हाथों से डैड के सिर को अपनी चूत पर कस कर दबा रही थीं. थोड़ी देर में ही मॉम का शरीर ऊपर हवा में उठा और नीचे गिर गया. मॉम सिसकारते हुए झटके खाने लगीं और ढीली पड़ गईं.
स्नेहा ने शरारत से आंख दबाते हुए पूछा- दीदू क्या हुआ था मॉम को? नेहा ने मुस्कुराते हुए बताया- अरे कमीनी मॉम ने अपना पानी छोड़ दिया था.
स्नेहा ने फिर शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा- मॉम ने डैड के मुँह मूत दिया क्या? नेहा- वो मूत नहीं था छुटकी … उनके गर्म भोसड़े की ताजी ताजी मलाई थी, जो डैड पूरी कि पूरी चाट गए थे. तू बीच बीच में बड़बड़ मत कर, आगे तुझे सुनना है या नहीं! स्नेहा- सॉरी सॉरी अब बीच में नहीं बोलूंगी.
नेहा- उसके बाद डैड ने मॉम की चूत पर अपना आठ इंच का लंड रखा और एक ही शॉट में चुत की जड़ तक घुसा दिया … क्योंकि डैड भी बहुत ज्यादा गर्म थे. थोड़ी देर तक डैड ऐसे ही मॉम को चोदते रहे. फिर मॉम डैड के ऊपर आ गईं. मॉम ने डैड का लोहे की रॉड की तरह सख्त गीला लंड पकड़ कर अपनी चूत से लगाया और धच से लंड पर बैठ गईं. डैड का पूरा लंड गप से मॉम की चूत में घुस गया और मॉम लौड़े पर उठक बैठक करने लगीं.
स्नेहा- फिर? नेहा- फिर क्या दस मिनट बाद मॉम की ‘आआ आआह … आआआह ..’ की कराह निकली और मॉम एक बार फिर से झड़ गईं. मॉम के झड़ जाने के बाद डैड फिर से एक बार मॉम पर चढ़ गए और मॉम को चोदने लगे. वो भी जल्दी ही झड़ भी गए.
झड़ने के बाद थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे. उसके बाद पहले मॉम बाथरूम गईं और फ्रेश होकर आ गईं. उसके बाद डैड फ्रेश हो कर आए. बस इसके बाद वो दोनों सो गए.
स्नेहा- बाप रे मेरी तो पूरी पेंटी गीली हो गई, ये देखो दीदू. नेहा- हा हा हा हा बस … एक मॉम के फटे भोसड़े की कहानी में तेरा ये हाल है.
स्नेहा- मतलब! नेहा- अभी तो एक से बढ़कर एक चिकनी सेक्सी चूतें, भोसड़ी … और अभी तो चाची, मामी की झांटों से भरे भोसड़े चुदना बाकी है … मेरी चिकनी चमेली.
ये कहते हुए नेहा ने स्नेहा की चूत को उसके पजामे के ऊपर से मुठ्ठी में भर कर मसल दिया.
स्नेहा- उई मां … क्या करती हो दीदू?
नेहा का पूरा हाथ स्नेहा की चूत के पानी से गीला हो गया, जिसे नेहा ने जुबान निकाल कर चाट लिया और एक चटखारा लिया- आआआह टेस्टी माल है. स्नेहा- उई मां … दीदू.
नेहा- तुझे आगे और सुनना है या चूत की गर्मी निकालने के लिए ब्रेक चाहिए? स्नेहा- दीदू, थोड़ी देर बाद बात करते हैं.
इतना बोल कर स्नेहा बाथरूम में भाग गई, उधर जाकर वो अपनी चूत में उंगली करने लगी.
इधर नेहा की हालत भी कम खराब नहीं थी, उसकी भी लेगिंग में उसकी चूत वाले हिस्से पर बड़ा सा धब्बा बना हुआ था.
वो भी बाथरूम में भागी और फटाफट अपनी लैगी नीचे करके अपनी दो उंगलियां अपनी भोसड़ी में सटासट अन्दर बाहर करके चुत का पानी निकाला, तब जा कर नेहा को चैन मिला. वो बाहर निकल कर आई तो देखा कि सोफे पर स्नेहा पहले से ही बैठी थी.
दोनों की नजरें मिलीं … तो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दीं.
स्नेहा- कैसा रहा दीदू मजा आया? नेहा- साली तेरे चक्कर में मुझे भी आज उंगली का सहारा लेना पड़ा.
स्नेहा- चलो छोड़ो अब किसकी बारी है? नेहा- यार बाकी फिर कभी.
स्नेहा- दीदू इतना अच्छा मौका फिर कभी नहीं मिलेगा … अभी हम अकेले भी हैं. नेहा- चल ठीक है. अब बता तू भोसड़ी की कहानी सुनेगी या भोसड़े की सुनेगी?
स्नेहा- भोसड़े की तो सुन ली, अब पहले ममता की भोसड़ी की सुना दो. दीदू आपने ममता की सिर्फ भोसड़ी ही देखी है … या उसकी चुदाई होते भी देखी है? नेहा- तुझे पता है, ममता एक नंबर की पक्की छिनाल है, साली एक बार तो उस कुतिया ने तो मुझे पकड़ लिया और मेरे दूध दबाने लगी थी … निप्पल चूमने चाटने लगी थी.
स्नेहा- अच्छा … ये कब की बात है दी? नेहा- यार एक बार मैं और मॉम, मामा के घर गए थे. ये तब की बात है.
स्नेहा- यही सेक्स कहानी सुनाओ न दीदू. नेहा- ओके सुन. जब हम मामा के यहां पहुंचे, तो सबसे मिल कर बड़ी खुशी हुई.
अब दोस्तों यहां पहले थोड़ा मामा के घर का परिचय ले लीजिए.
गजेंद्र सिंह एक 45 साल का मजबूत कद-काठी वाला पुरुष है जो नेहा स्नेहा और चिराग का मामा है.
मंजू सिंह 43 साल की 38 इंच की बड़ी बड़ी चुंचियों वाली मादरचोद औरत है. उसके 42 इंच के चूतड़ों को देख कर ऐसा लगता है, जैसे 2 तरबूज काट कर गांड के छेद के दोनों तरफ चिपका दिए गए हों. ये नेहा की मामी है.
अभय 22 साल का मामा का लड़का है.
ममता 20 साल की 34 इंच की मस्त चूचों और 36 इंच के ही मस्त चूतड़ों वाली पटाखा लड़की है. ये नेहा की ममेरी बहन है.
अब आते हैं सेक्स कहानी पर.
ये सेक्स कहानी नेहा अपनी जुबानी स्नेहा को सुना रही है.
मैं और मम्मी 5-6 घंटे का ट्रेन का लंबा सफर करके जब मामा शहर पहुंचे, तो स्टेशन पर मामा खुद हमें लेने आए थे.
मामा को देख मैंने आवाज लगा दी. मामा पास आ गए तो मैंने उन्हें नमस्ते की और झुक कर उनके पैर छुए. उसके बाद मम्मी उनके गले से मिलीं.
ऐसे ही मिलने के बाद हम उनकी कार से घर आ गए. मामी ने हमारा स्वागत किया, फिर हमने चाय पी.
मैं- मामी, ममता कहीं दिखाई नहीं दे रही है? मामी- वो अभी तक सो रही है.
मैं- ठीक है मामी. मामी- चलो तुम लोग नहा-धो लो, तब तक मैं सबके लिए नाश्ता बनाती हूँ.
मुझे शुरू से ही ममता के साथ रूम शेयर करने की आदत थी. मैं उसके कमरे में गई, तो ममता बेसुध सोई पड़ी थी. उसकी नाईटी जांघों तक चढ़ी थी. उसने आज चड्डी भी नहीं पहनी थी, तो मुझे उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत के दर्शन सुबह सुबह ही हो गए.
मुझे एक शरारत सूझी और मैंने उसकी एक चुची पकड़ कर जोर से दबा दी. वो साली बस थोड़ा सा कुनमुनाई और बोली- सोने दो ना. तो मुझे लगा कि वो शायद कोई सपना देख रही है.
मैंने उसे छोड़ा और उसके कमरे के बाथरूम में घुस कर फटाफट अपनी सलवार नीचे की और वहीं कमोड पर बैठ कर सर्रर्रर्र करके मूतने लगी. मूतने के बाद मैंने राहत की सांस ली और उठ कर अपनी सलवार बांधकर बाहर आ गई.
एक बार फिर मुझे शरारत सूझी और इस बार मैंने ममता की चूत की एक किस्सी कर ली. फिर अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी चूत के दाने पर फिराई. पर मुझे आज उसकी चूत से एक अजीब तरह की गंध और टेस्ट आया. मैं पहले भी उसकी चूत चाट चुकी थी, पर आज का टेस्ट मुझे अच्छा लगा. मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी उंगलियों की चुटकी से थोड़ा जोर से मसल दी. इससे वो हड़बड़ा कर उठ बैठी. मुझे देखते ही ममता ने खुशी से मुझे कंधे से पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और पलटी खाकर मेरे ऊपर आ गई.
ममता ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर एक लंबी किस कर डाली. जब हम दोनों की सांस फूलने लगीं तब कुतिया ने मुझे छोड़ा.
मैं- और बता … कैसी है मेरी जान? ममता- मैं तो एकदम मस्त हूँ. तू बता, तू कैसी है … सब कैसे हैं, फूफाजी, स्नेहा और चिराग? मैं- सब, सब बढ़िया हैं.
आज हम दोनों पूरे 4 साल बाद मिल रहे थे.
मैं- पर मुझे तू बदली बदली लग रही है.
मैंने उसे शक भरी नजरों से देखते हुए कहा.
ममता- ये बात तू कैसे कह सकती है? मैं- चल छोड़ … जल्दी से फ्रेश हो जा, मुझे नहाना है.
इतना सुनते ही वो भाग कर बाथरूम में चली गयी. फटाफट मूत के बाहर आई, तब तक मैंने अपने कपड़े बैग से निकाल लिए थे.
उसके आने के बाद मैं बाथरूम में गई. एक ठंडे पानी का शॉवर लिया और टॉवेल लपेट कर बाहर आ गई. फिर वो भी बाथरूम में घुसी और जल्दी से नहा कर आ गई. उसके बाद हम दोनों नीचे आ गए, नाश्ता करने के बाद वापस दोनों अपने कमरे में आ गईं. थोड़ी गपशप की इधर उधर की बातें की.
फिर ममता ने कहा- चल खेत की तरफ घूमने चलते हैं. मैंने भी हां कह दी.
हम दोनों पैदल ही चल दिए इस वक्त खेत में गेहूं की कटाई चल रही थी. मामा जी सब मजदूरों से काम करवा रहे थे.
हमें देख कर उन्होंने एक मजदूर को बोल कर एक खटिया मंगाई और हमको बैठने का कह कर अपने काम में लग गए. इसी तरह दोपहर हो गई.
फिर मामा जी ने पास आकर कहा- चलो … घर चलते हैं. हमें घर चल कर खाना, खाना चाहिए.
हम लोग मामा जी की जीप से घर आ गए. खाना खाकर मैं और ममता अपने कमरे आ गईं. मैं सफर की थकान के कारण बिस्तर पर पड़ते ही सो गई.
बाकी अगले भाग में!
आपको मेरी ये सेक्स टॉक कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मेल करना न भूलें. सेक्स कहानी लम्बी है तो मजा लेते रहिएगा. [email protected]
सेक्स टॉक कहानी का अगला भाग: लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 8
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