This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरे जैसे मस्त, गांड की चुदाई के शौकीन मेरे गांडू दोस्तों को मेरा सलाम गे सेक्स स्टोरीज के प्रेमी लौंडेबाज दोस्तों को मेरी कुलबुलाती गांड.. खड़े लंड को तड़पाती, लंड के मीठे-मीठे शरबत की प्यासी गांड का प्यार भरा आमंत्रण.. मैं अपनी नई कहानी के साथ फिर हाजिर हूँ।
दोस्तो, बहुत पुरानी बात है.. उस वक्त मैं ग्वालियर संभाग के एक शहर में पोस्टेड था। वहां से बस से चल कर लगभग सात-आठ घंटे में ग्वालियर आ पाता था। ये मेरी नई नौकरी थी।
एक बार मुझे एक वर्कशॉप अटेन्ड करने का आदेश प्राप्त हुआ। तब मेरी यही कोई छब्बीस-सत्ताईस साल की उम्र रही होगी। कोई खास काम रहता नहीं था.. नया शहर लोग अपरिचित थे, सो मैं सुबह कसरत करता.. दौड़ता फिर तैयार होकर काम पर जाता। इस दिनचर्या के कारण मेरा शरीर और आकर्षक हो गया।
मेरे ग्वालियर वाले साहब का आदेश हुआ कि मुझे अपने साथ हमारे स्टाफ की ही एक महिला कर्मचारी को भी साथ लाना है। हम दोनों ड्यूटी के बाद चार बजे बस में बैठ जाएं.. और रात के दस-ग्यारह बजे तक पहुँचे।
वहां से ऑटो से साहब के बंगले पहुँचे.. साहब को प्रणाम किया। मेरे साथ की महिला पुनः तैयार हुईं। हम सबने साहब के साथ डिनर लिया.. फिर साहब के बंगले में ही हम दोनों रूके। वो महिला साहब के कमरे में ही रूक गईं। मैं बरांडे में सोया.. रात भर साहब की चुदाई का मंजर याद करता रहा।
अब साहब लंड पर तेल लगा रहे होंगे.. अब मैडम की चुत में अपना लंड पेल रहे होंगे.. अब धक्का लगा रहे होंगे.. कितनी बार चोदा होगा.. इन वाली बाई की चूत कैसी है.. चुदी-चुदाई है कि फ्रेश है.. मेरे से पट जाएगी कि नहीं? मैं अपना लंड सहलाता रहा मेरा ले पाएगी या चिल्लाएगी?
ऐसी ही बातें सोचते हुए मैं सो गया.. सुबह जल्दी नींद खुल गई।
मैं फ्रेश हुआ.. ब्रश किया। तभी वे मैडम चुत सहलाते हुए बाहर आईं और बोलीं- फ्रेश हो लिए? मैंने कहा- जी हाँ.. फिर वे चाय लाईं और बोलीं- साहब भी चाय लेंगे.. उनके साथ ले लो। साहब बरांडे में आ गए.. मैं पैन्ट पहन ही रहा था।
तभी साहब मुझे देख कर बोले- अरे तेरी जांघें तो बहुत मस्त हैं.. क्या कसरत-वसरत करते हो? तब तक मैंने पैन्ट पहन ली। मैं साहब की ओर पीठ करके बटन आगे के लगाने लगा.. तो वे मेरे चूतड़ पर हाथ मार कर बोले- वाह क्या मस्त कूल्हे हैं। फिर साहब कुछ देर तक मेरे चूतड़ सहलाते रहे।
मैंने सोचा ‘साहब ने रात भर चुदाई की है, अब क्या मेरी गांड भी मारना चाहते हैं।’
साहब लगभग अड़तीस-चालीस के रहे होंगे.. मैं छब्बीस का था। फिर वे मेरी पैन्ट के ऊपर से चूतड़ों को सहलाते-सहलाते दोनों चूतड़ों के बीच अपनी उंगली रगड़ने लगे। मैं जानबूझ कर बटन धीरे-धीरे लगाता रहा, फिर वे उंगली करने लगे।
उसके बाद मेरे चूतड़ मसलने लगे और बोले- मस्त.. बहुत टाईट है। फिर मेरी गांड थपथपाने लगे।
मैंने कहा- सर आप आदेश करें, ढीली हो जाएगी। तो वे हंसने लगे.. उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख लिया और बोले- बहुत स्मार्ट हो.. जितने गुड लुकिंग हो.. उतने ही काम के भी लगते हो, चलो मैं तुम्हारा काम देखूंगा। साहब ने साथ में धमकाया व इशारा किया- मेरे झटके झेलना सरल नहीं है। जो मेरा सहयोग नहीं करते, मैं उनकी फाड़ कर रख देता हूँ। मैंने कहा- सर.. आपसे तो मेरी वैसे ही फटी रहती है।
साहब मुझे आजमा रहे थे। इसके बाद वे असली बात पर आए और बोले- तो कभी कमरे में आओ। मैंने कहा- सर जब आप आदेश करें।
मेरी भी हिम्मत बढ़ गई.. मैंने भी साहब के पजामे के ऊपर से.. जहां उनका लंड था.. उसे सहलाने लगा। उनका लंड जोश में खड़ा हो गया, उन्होंने मुझे अपने से चिपका लिया।
साहब का हल्का सा पेट बढ़ा हुआ था.. वे दोहरे बदन के थे। उन्होंने जोर से मेरा एक चूमा ले लिया.. फिर से अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रखा और मसलने लगे अपने लंड को मेरे लंड से रगड़ने लगे। मेरा लंड जब उनके पेट में जोर से गड़ा तो वे पकड़ कर बोले- तेरा कौआ तो बड़ा जबरदस्त है। मेरे लंड को सहलाते हुए बोले- इतना लम्बा और मोटा.. टाईट भी एकदम पत्थर सा!
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- सर.. आपके आगे सब ढीले पड़ जाएंगे.. बस कृपा बनी रहे। वे मेरा लंड हाथ में ही लिए थे।
मैंने कहा- इसकी भी जहां जरूरत हो, यह भी सेवा करेगा.. आप तो बस आदेश करें। वे हॅंसने लगे.. मेरे गाल पर हल्के से चपत लगाई- बहुत बदमाश हो।
तब तक वे मैडम भी आ गईं। साहब अलग खड़े हो गए और उन्होंने आदेश दिया- इन्हें ले जाएं और जहां ये कहें.. छोड़ दें। अभी ड्राइवर नहीं आया वरना उसी से छुड़वा देते। अब साहब की गांड फट रही थी। वे हम दोनों से जल्दी से जल्दी पीछा छुड़ाना चाहते थे। उन्होंने एक सौ का नोट निकाला और देने लगे। मैंने हाथ जोड़ लिए.. वे मैडम भी मुस्कुरा दीं।
हम लोग थोड़ी देर पैदल चले.. सुबह के आठ बजे थे। थोड़ी दूर चलने पर मेन रोड पर एक ऑटो मिला.. उसमें बैठ गए। मैडम बिजली घर मुख्यालय के पास रूकीं वहां उनका छोटा भाई रहता था। उसने ही दरवाजा खोला हम दोनों उतर गए।
भाई मेरा हमउम्र ही था, वो बिजली विभाग में ही था। उसने नाश्ता कराया। वहां से चल कर मैं इन्दर गंज चौराहे पर आ गया। वर्कशॉप बारह बजे से थी.. मैं सोच रहा था कि अब कहाँ जाऊं।
तभी चौराहे पर मुझे एक पुराने क्लास फैलो वकील साहब दिखे.. हम और वे बीएससी में साथ-साथ दतिया में पढ़ते थे। मैं सर्विस में आ गया.. वे एक सीनियर वकील साहब के अन्डर में प्रेक्टिस करते थे।
सुबह का समय था.. सड़क पर इक्का-दुक्का लोग ही थे। उनसे नमस्ते हुई.. वे बोले- अरे तुम इधर कहां? मैंने कहा- दूर शहर में हूँ.. यहां वर्कशॉप अटेन्ड करने आया हूँ। वह बोला- वर्कशॉप कब से है? मैंने कहा- ग्यारह बजे से। उन्होंने कहा- तो उसमें अभी बहुत देर है.. चलो तब तक ऑफिस में चलते हैं, पास ही है।
मैं उसके ऑफिस में एक दूसरी वर्कशॉप अटेन्ड करने पहुँच गया.. जिसके बारे में बताने जा रहा हूँ।
उसका ऑफिस वहीं पास में पाटनकर बाजार में ही था। उन्होंने ऑफिस खोला.. हम दोनों लोग अन्दर गए और बैठे। मैंने उनसे पूछा- तो कोर्ट कब जाओगे? वे बोले- लगभग बारह बजे। मैंने कहा- बड़े वकील साहब आ रहे होंगे? वे बोले- वे अब लगभग बारह बजे तक आते हैं.. पेशी वगैरह मैं ही देखता हूँ, वे तो बस गाईड करते हैं.. इसलिए मैं जल्दी आ जाता हूँ। जल्दी आकर मैटर, केस तैयार करके वकील साहब के सामने रखता हूँ।
हम दोनों कुर्सियों पर पास-पास आमने-सामने बैठे थे। मैंने अपने हाथ के पंजे से उसकी जांघें सहलाने लगा, फिर हल्के-हल्के दबाने लगा। वह मुस्कुराया उसने मेरा हाथ हटा दिया- अरे यार! मैंने थोड़ी देर बाद फिर रखा और ऊपर की ओर बढ़ा तो उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया। वो बोला- अरे तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे.. अब बड़े हो गए अफसर हो.. वे ही लौंडियाई बातें?
पर मैंने देख लिया था.. उसके पैन्ट के अन्दर से उसका लंड उचकने लगा था। वह नकली गुस्सा दिखा रहा था। मैं हाथ बढ़ा कर उसके पैन्ट के बटन खोलने लगा। वह फिर भड़भड़ाया- अरे तुम मानोगे नहीं। मैंने उसका फड़फड़ाता मस्त लंबा मोटा लंड बाहर निकाला और अपने हाथ से उसे कसके पकड़ के रगड़ने लगा। मैंने उससे कहा- अबे, मेरी पैन्ट खोल! यह गे सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
वह रूक कर मेरा मुँह देखने लगा.. फिर मेरी पैन्ट के सामने के बटन खोलने लगा। उसने मेरा लंड निकाल कर अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। मैंने कहा- अरे ये सब के लिए टाइम नहीं है। उसने मुँह से लंड निकाल कर बोला- फिर क्या? मैंने कहा- आज ज्यादा टाईम नहीं है.. फिर तू बड़ी देर तक चूसता है माना तेरी चुसाई जोरदार है.. पर आज शार्ट में कार्यक्रम करते हैं। वह बोला- बता.. मैं सुन रहा हूँ?
उसने फिर से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। तब मैंने उसका लंड अपने हाथ से छोड़ दिया और अपने पैन्ट के कमर से बेल्ट खोल कर पैन्ट को नीचे किया। अंडरवियर नीचे किया उसके मुँह से अपना लंड छुड़ाया और उससे कहा- आज तू जल्दी से मेरी मार ले।
हम दोनों जब बीएससी में थे… गांड की चुदाई के शौकीन थे, तब से ही एक-दूसरे की गांड मारते थे। आज वह फिर नखरे करने लगा- नहीं, पहले तू मार ले! मैंने कहा- मुझे देर लगती है.. तुझे पता है, तू जल्दी निपट जाता है।
कहानी का अगला भाग: गे सेक्स स्टोरी: गांड की चुदाई के शौकीन-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000