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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार! यह कहानी पूर्ण रूप से सत्य है, मात्र पात्रों के नामों को आवश्यकता अनुसार परिवर्तित किया गया है.
मेरा नाम विक्रम है, जयपुर में रहता हूँ. मेरा कद 5 फुट 11 इंच, उम्र 29 वर्ष है रंग सांवला और एक अच्छी कद काठी का मालिक हूँ. मेरा हथियार भी मेरे कद की तरह काफी लम्बा और तगड़ा है. यह कहानी मेरी सत्य घटना है जो आज से दो वर्ष पहले घटित हुई थी.
मेरा जयपुर शहर में कम्प्यूटर और मोबाइल का कारोबार है और शॉप है जो शहर से काफी दूर है. मुझे कई बार अपनी दुकान को बंद करके उपकरण और इत्यादि पुर्जो के लिए शहर जाना पड़ता था, इस वजह से मेरा व्यापर में काफी नुकसान हो रहा था. तभी मेरे एक घनिष्ठ मित्र ने ऑफिस में असिस्टेंट रखने की सलाह दी जो सामान बेचे और मेरे कार्य में सहयोग करे! मैंने अपनी दुकान के आगे असिस्टेंट हेतु आवश्यकता का विज्ञापन चिपका दिया.
एक दो दिन बाद कुछ लोग आये मगर सब कोई न कोई वजह से मना कर जाते. तभी एक दिन एक युवती आई गुलाबी सूट में, रंग सांवला, कद 5 फुट 2 इंच, दुबला शरीर उसकी आयु 23-24 के आस पास होगी. उसका रूप और जिस्म इतना कामुक था क्या बताऊँ और यौवन तो एकदम चरम पे था. उसके हाव भाव से लग रहा था जैसे एकदम कच्ची कली अनछुई रूप कुमारी जिसे हम अंग्रेजी भाषा में वर्जिन भी कहते हैं.
वो लड़की- सर, मेरा नाम रीना है, आपके यहाँ पे ऑफिस असिस्टेंट की पोस्ट निकली है, मुझे नौकरी की अति आवश्यकता है क्या मुझे ये नौकरी मिल पायेगी? विक्रम- हाँ जी, क्यों नहीं, आप तो काफी पढ़ी लिखी लगती हो. सारी बातचीत के बाद रीना ने पूछा- सैलरी कितनी होगी सर? विक्रम- आपको 8 हज़ार रुपये मासिक मिल पायेगा. रीना- फिर, मैं कबसे आना शुरू करूं? विक्रम- आप कल सुबह दस बजे से आ जाओ.
बस फिर मैं कल का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा कि कब दस बजें और मेरी अप्सरा यानि रीना के दर्शन हो जायें! रात भर सोच सोच कर नींद नहीं आई उसकी जिस्म की कल्पना, वो मदहोश कर देने वाली उसकी खुशबू… जैसे तैसे नींद आ ही गई. और फिर अगले दिन रीना काले सूट में आई, क्या बताऊँ… एकदम जबरदस्त माल दिख रही थी, उसको देखते ही मेरा लण्ड एकदम से तन कर खड़ा हो गया.
अब रीना ने मेरे व्यापार में अपना सहयोग देना शुरू कर दिया था, वो रोज मस्त मस्त अलग अलग रंगों के सूट पहने कर आती और अपनी जवानी से मेरे लन्ड महाराज को तड़पाने लगी.
धीरे धीरे हमारी निजी बातचीत भी शुरू हो गई थी. बातों बातों में पता चला कि वो यहाँ रिश्तेदारों के पास रहती है, उसके घर में दो और बहनें हैं जो अभी पढ़ रही हैं और उसके घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं हैं इसलिए काफी दिनों से वो नौकरी की तलाश कर रही थी.
अब मेरा भी लगाव उसकी तरफ होने लगा था.
पर एक दिन सब कुछ बदल गया.
मेरी शॉप के पीछे मेरा गोदाम भी है और उसी में शौचालय की अलग से सुविधा है. एक बार मैं गोदाम में कुछ काम से जाने लगा तभी मुझे कुछ आवाज़ सी सुनाई दी, वो आवाज़ शौचालय से आ रही थी.
जब मैंने दरवाजे पे कान लगाया तो सिसकारी भरी सीत्कार सुनी- विक्रम सर… आई लव यू… चोदो मुझे सर! हय चोदो… कब से चूत तड़प रही है आपके लण्ड के लिए… इसका उद्घाटन करो सर… फाड़ डालो आज!
मैं तुरंत सामने दुकान पर गया तो वहां रीना मौजूद नहीं थी और मुझे अब सब समझ आ गया कि बेटा आग तो दोनों तरफ ही लगी हुई है, मात्र एक चिंगारी की जरूरत है. अब मैं रीना पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगा, उसके जिस्म से एकदम करीब आकर बात करने लगा, वो भी कुछ कुछ सोच पड़ रही थी. मैं उसके करीब आकर उसके मम्में और कमर को गौर से देखता, ख्यालों ख्यालों में एकदम से निचोड़ सा देता था.
एक दिन रीना अचानक से काली स्कर्ट और हल्के गुलाबी टॉप में आई, एकदम हॉट सी हीरोइन लग रही थी, मानो सेक्स से भरा बम! मैंने पूछा- आज स्कर्ट टॉप? क्या बात है? तो उसने मुझे बताया कि आज उसका जन्म दिन है. मैंने कहा- अच्छा तो हैप्पी बर्थडे टू यू! उसने कहा- थैंक यू विक्रम जी, पर आपको तो आज गिफ्ट देना पड़ेगा! मैंने पूछा- क्या चाहिए आपको?
उसने कहा- इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो आई हूँ बताती हूँ बाद में… अभी आज के मोबाइल के आर्डर पूरा कर लेते हैं पहले! मैंने कहा- चलो, ठीक है.
मैंने उसके हाथ से आर्डर की सूचि ली और गोदाम में गया. तभी मेरे दिमाग में खुराफात सूझी, क्यों ना आज तो रीना को एक यादगार गिफ्ट दिया जाए… उसकी कुंवारी चूत की जोरदार चुदाई कर आज उसे औरत बनाया जाये.
योजनानुसार मैं फर्श पे लेट गया और रीना को जोर से आवाज़ लगाई- रीना! मुझे ये मोबाइल मिल नहीं रहा, जरा बता देगी कहाँ पे रखा हुआ है?
रीना भागते भागते आई और तुरंत बोली- ओहो, ये नीचे वाले बक्से में नहीं, ऊपर वाले में रखा है. वो तुरंत मेरे ऊपर खड़ी हो गई और उपकरण खोजने लगी. अब मुझे उसकी स्कर्ट के अंदर का नज़ारा साफ़ साफ़ दिखने लगा, उसने काली रंग की पेंटी पहनी हुई थी और उसकी वो मस्त मस्त जाँघें… मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने हाथ उसकी स्कर्ट में डाल कर झट से उसकी काली रंग की पेंटी उतार दी और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
वो एकदम से चिहुँक उठी और मदहोश होने लगी वो बोली- नहीं सर, कोई आ जायेगा, छोड़ दीजिए मुझे! मैं तुरंत गया और दुकान पर ताला मार आया और गोदाम का गेट अंदर से बंद कर लिया.
मैंने अब उसे अपनी बाजुओं में जकड़ लिया और दोनों के होंठ मिल गए. कुछ मिनट तक हमने जबरदस्त फ्रेंच स्टाइल में चुम्बन किया, फिर उसने मेरी कमीज उतारी और मैंने उसका टॉप. उसने काली रंग की ब्रा पहनी हुई थी, उसके मुलायम मम्में कड़क हो रहे थे इसलिए मैंने उसकी ब्रा उतार कर उसे राहत प्रदान की.
उसके मम्में एकदम अनछुए और कोमल थे. मैंने उन्हें जमकर दबाया एकदम निचोड़ दिए और निप्पलों को मैं चूस चूस कर बीच बीच में काटने लगा. रीना बोली- विक्रम जी, थोड़ा धीरे दर्द हो रहा है! मैंने कहा- जान, थोड़ा तो करेगा ही ना!
फिर मैंने अपनी पैन्ट उतारी और उसकी स्कर्ट भी उतार दी. अब हम दोनों सम्पूर्ण नग्न अवस्था में थे और एक दूसरे को खा जाने की तैयारी में थे. उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैंने उसे चूसने को कहा, वो पहले बोली- नहीं! ये गन्दा है. मैंने कहा- एक बार कोशिश करके देखो, अच्छा ना लगे तो मत करना.
उसके नर्म गुलाबी होंठ मेरे लिंग पर लग चुके थे, उसने हल्का हल्का चूसना शुरू किया, फिर उसे मज़ा आने लगा तो जोर जोर से चूसने लगी और मेरे अंडकोष को भी चाट चाट कर मुझे एकदम मदमस्त कर दिया.
फिर मैंने उसे इशारा किया, वो फर्श पे लेट गई, मैं उल्टा उस पर लेट कर 69 की पोजीशन में आ गया, उसकी चूत मेरे मुँह में थी और मेरा लण्ड उसके मुँह में… करीब 10 मिनट तक हमने जम कर चुसाई करी.
अब मैंने उसकी टाँगें फैलाई और अपना लिंग उसकी चुत के मुहाने पे रख दिया ‘आहा हा! वो चिकनाहट मेरे लिंग को घुस जाने का न्योता दे रही थी. मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसकी चुत में प्रवेश कर दिया, उसने मेरा पूरा सहयोग दिया.
तभी वो जोर से चिल्ला उठी, मैंने कहा- हल्का दर्द होगा शुरू में! और इतने में एक जोरदार झटका दिया, अब लण्ड पूरा उसकी चूत में समां चुका था और मैं जोर जोर से धक्के देने लगा.
थोड़ी देर में रीना सीत्कार भरने लगी, उसे मज़ा आने लगा- ओहो उम्म्ह… अहह… हय… याह… सर चोदिये! तेज़ तेज़! आह आह मज़ा आ गया सर! पूरा कमरा फच-फच की आवाज़ों से गूंज उठा था. रीना- चोदो चोदो मेरे राजा! आह! यही तो गिफ्ट चाहिए था… इसलिए तो मैं स्कर्ट टॉप में आई थी मेरे राजकुमार आह! मस्त चोदते हो!
मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी पे टकरा रहा था और एक एक ठोकर पे वो जोर जोर से चीख रही थी- चोद! चोद! चोद! चोद! मेरे चोदू! इतने में एक जोरदार सा झटका मैंने मारा और सारा वीर्य उसकी बच्चेदानी में भर दिया.
हम दोनों करीब दस मिनट तक और आलिंगनबद्ध रहे. शुक्र है कि उसका मासिक धर्म आने ही वाला था तो गर्भवती नहीं होने वाली थी जैसा उसने मुझे बताया.
फिर शाम को वो चली गई और मैं दुकान बंद करके जाने लगा तो एक उसने एक चिठ्ठी छोड़ रखी थी- विक्रम सर… यह सच है कि मैं आपको बहुत चाहती हूँ. पर आज जो हुआ उसके बाद मैं आपसे नजर नहीं मिला पाऊँगी इसलिए मैं अब यहाँ जॉब नहीं कर सकती. आप मुझे माफ़ कर देना और एक सपने की तरह मुझे भूल जाना!
उसकी चिठ्ठी पढ़ कर मैं भावुक हो उठा.
पर वो कहते है कि जोड़ियाँ तो ऊपर वाला ही बनाता है… मैंने उसके बायो-डाटा से उसके गांव का पता निकाल लिया था और बहुत हिम्मत करके काफी लोगों को मनाने के बाद आज हम दोनों एक सफल और सुखी शादीशुदा दम्पति हैं.
आशा है आपको हमारी यह सत्य कथा जरूर पसंद आई होगी. आप अपने सुझाव हमें ईमेल के माध्यम से लिख कर भेजें. [email protected]
आगे की कहानी : दार्जीलिंग में मस्त चुदाई भरा हनीमून
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