This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
सुनील का धीरज अब जवाब देने लगा था। अब वह ज्योति को पूरी तरह अनावृत (याने नग्न रूप में) देखना चाहते थे। सुनील ने ज्योति की कमर पर लटका हुआ उनका कॉस्च्यूम और निचे, ज्योति के पॉंव की और खिसकाया।
ज्योति ने भी अपने पाँव बारी बारी से उठाकर उस कॉस्च्यूम को पाँव के निचे खिसका कर झुक कर उसे उठा लिया और किनारे पर फेंक दिया। अब ज्योति छाती तक गहरे पानी में पूरी तरह नंगी खड़ी थी।
ना चाहते हुए भी सुनील नग्न ज्योति की खूबसूरती की नंगी सुनीता से तुलना करने से अपने आपको रोक ना सका। हलांकि सुनीता भी बलाकि खूबसूरत थी और नंगी सुनीता कमाल की सुन्दर और सेक्सी थी, पर ज्योति में कुछ ऐसी कशिश थी जो अतुलनीय थी। हर मर्द को अपनी बीबी से दूसरे की बीबी हमेशा ज्यादा ही सुन्दर लगती है।
सुनील ने नंगी ज्योति को घुमा कर अपनी बाँहों में आसानी से उठा लिया। हलकीफुलकी ज्योति को पानी में से उठाकर सुनील पानी के बाहर आये और किनारे रेत के बिस्तर में उसे लिटा कर सुनील उसके पास बैठ गए और रेत पर लेटी हुई नग्न ज्योति के बदन को ऐसे प्यार और दुलार से देखने लगे जैसे कई जन्मों से कोई आशिक अपनी माशूका को पहली बार नंगी देख रहा हो।
ऐसे अपने पुरे बदन को घूरते हुए देख ज्योति शर्मायी और उसने सुनीलकी ठुड्डी अपनी उँगलियों में पकड़ कर पूछा, “ओये! क्या देख रहे हो? इससे पहले किसी नंगी औरत को देखा नहीं क्या? क्या सुनीता ने तुम्हें भी अपना पूरा नंगा बदन दिखाया नहीं?”
ज्योति की बात सुनकर सुनील सकपका गए और बोले, “ऐसी कोई बात नहीं, पर ज्योति तुम्हारी सुंदरता कमाल है। अब मैं समझ सकता हूँ की कैसे जस्सूजी जैसे हरफनमौला आशिक को भी तुमने अपने हुस्न के जादू में बाँध रखा है।”
सुनील फिर उठे और उठ कर रेत पर लेटी हुई ज्योति को अपनी दोनों टाँगों के बिच में लेते हुए ज्योति के बदन पर झुक कर अपना पूरा लम्बा बदन ज्योति के ऊपर से सटाकर उस पर ऐसे लेटे जिससे उसका पूरा वजन ज्योति पर ना पड़े। फिर अपने होँठों को ज्योति के होँठों से सटाकर उसे चुम्बन करने लगे।
ज्योति ने भी सुनील के होँठों को अपने होँठों का रस चूमने का पूरा अवसर दिया और खुद भी बार बार अपना पेंडू उठाकर सुनील के फूल कर उठ खड़े हुए लण्ड का अपनी रस रिस रही चूत पर महसूस करने लगी।
ऐसे ही लेटे हुए दो बदन एक दूसरे को महसूस करने में और एक दूसरे के बदन की प्यार और हवस की आग का अंदाज लगाने में मशगूल हो गए। उन्हें समय को कोई भी ख्याल नहीं था।
ज्योति सुनील के होँठों को चूसकर उनकी लार बड़े प्यार से निगल रही थी। ज्योति की प्यासी चूत में गजब की मचलन हो रही थी। अनायास ही ज्योति का हाथ अपनी जाँघों के बिच चला गया।
ज्योति सुनील का लण्ड अपनी प्यासी चूत में डलवाने के लिए बेताब हो रही थी। जब सुनील ज्योति के होँठों का रस चूसने में लगे हुए थे तब ज्योति अपनी उँगलियों से अपनी चूत के ऊपरी हिस्से वाले होँठों को हिला रही थी। सुनील ने महसूस किया की ज्योति की चूत में अजीब सी हलचल होनी शुरू हो चुकी थी।
सुनील ज्योति के ऊपर ही घूम कर अपना मुंह ज्योति की जाँघों के बिच में ले आये। सुनील का लण्ड ज्योति के मुंह को छू रहा था। ज्योति की चूत तब सुनील की प्यासी आँखों के सामने थी।
ज्योति की चूत की झाँटें ज्योति ने इतने प्यार से साफ़ की थी की बस थोडेसे हलके हलके बाल नजर आ रहे थे। सुनील को बालों से भरी हुई चूत अच्छी नहीं लगती थी। वह हमेशा अपनी पत्नी सुनीता की चूत भी साफ़ देखना चाहते थे। कई बार तो वह खुद ही सुनीता की चूत की सफाई कर देते थे।
ज्योति अपनी चूत में उंगलियां डाल कर अपनी उत्तजेना बढ़ा रही थी। सुनील ने ज्योति की उंगलियां हटाकर वहाँ अपनी जीभ रख दी। ज्योति की टाँगों को और चौड़ी कर ज्योति की चूत के द्वार पर त्वचा को सुनील चाटने लगे।
पानी जीभ की नोक को ज्योति की संवेदनशील त्वचा पर कुरेदते हुए सुनील ज्योति की चुदवाने की कामना को एक उन्माद के स्तर पर वह पहुंचाना चाहते थे।
सुनील की जीभ लप लप ज्योति की चूत को चाटने और कुरेदने लगी। यह अनुभव ज्योति के लिए बड़ाही रोमांचक था क्यूंकि उसके पति जस्सूजी शायद ही कभी अपनी बीबी की चूत को चाटते थे।
दूसरी तरफ सुनील का लण्ड एकदम घंटे की तरह खड़ा और कड़ा हो चुका था। ज्योति ने सुनील की निक्कर के इलास्टिक में अपनी उंगली फँसायी और निक्कर को टांगो की और खिसकाने लगी।
ज्योति सुनील का लण्ड देखना और महसूस करना चाहती थी। ज्योति ने सुनील की निक्कर को पूरी तरह उनके पाँव से निचे की और खिसका दिया ताकि सुनील अपने पाँव को मोड़ कर निक्कर को निकाल फेंक सके।
निक्कर के निकलते ही, सुनील का खड़ा मोटा लण्ड ज्योति के मुंह के सामने प्रस्तुत हुआ। ज्योति ने सुनील का लंबा और मोटा लण्ड अपनी उँगलियों में लिया और उसे प्यार से हिलाने और सहलाने लगी।
ज्योति ने सुनील को पूछा, “सुनील, एक बात बताओ। तुमने मुझे कभी अपने सपने में देखा है? क्या मेरे साथ सपने में तुमने कुछ किया है?”
सुनील ने ज्योति की चूत में अपनी दो उँगलियाँ डालकर चूत की संवेदनशील त्वचा को उँगलियों में रगड़ते हुए कहा, “ज्योति, कसम तुम्हारी! एक बार नहीं, कई बार मैंने मेरी बीबी सुनीता को ज्योति समझ कर चोदा है…
एक बार तो सुनीता को चोदते हुए मेरे मुंह से अनायास ही तुम्हारा नाम निकल गया। पर सुनीता को समझ आये उससे पहले मैंने बात को बदल दिया ताकि उसे शक ना हो की चोद तो मैं उसे रहा था पर याद तुम्हें कर रहा था।”
हर औरत, ख़ास कर किसी और औरत के मुकाबले अपनी तारीफ़ सुनकर स्वाभाविक रूप से खुश होती ही है। मर्द लोग यह भलीभांति जानते हैं और अपनी जोड़ीदार को चुदाई के लिए तैयार करने के लिए यह ब्रह्मास्त्र का अक्सर उपयोग करते हैं।
जो भी पति लोग मेरी इस कहानी को पढ़ रहे हों, ध्यान रखें की अपनी पत्नी को चुदाई के लिए तैयार करने के लिए हमेशा उसके रूप,गुण और बदन की खूब तारीफ़ करो।
अगर कोई महिला इसे पढ़ रही है तो समझे की पति उनको वाकई में खूब प्रेम करते हैं और वह जो कह रहे हैं उसे सच समझे।
आसमान में सूरज ढलने लगा था। अचानक ज्योति को ख़याल आया की बातों बातों में समय जा रहा था।
ज्योति ने सुनील से कहा, “यार समय जा रहा है। तुम्हारी बीबी तो मेरे पति को घास डालने वाली है नहीं। मेरे पति तो तुम्हारी बीबी को तैराकी सिखाते हुए ही रह जाएंगे। आखिर में रात को मुझे ही उनकी गर्मी निकालनी पड़ेगी। पर चलो तुम तो कुछ करो ना? तुम्हारे दोस्त की बीबी तो तैयार है।”
सुनील ज्योति की उच्छृंखल खरी खरी बात सुनकर मुस्कुरा दिए। ज्योति की साफ़ साफ़ बातें सुनील के लण्ड को फनफना के लिए काफी थीं। सुनील ने ज्योति को बैठा दिया और उनको अपनी बाँहों में उठा कर फिर पानी में ला कर रख दिया।
किनारे के पत्थर पर ज्योति के हाथ टिका कर खुद ज्योति के पीछे आ गए और ज्योति की नंगी करारी और खूबसूरत गाँड़ की मन ही मन प्रशंशा करते हुए थोड़ा झुक कर ज्योति की गाँड़ की दरार में अपना लण्ड घुसेड़ा।
ज्योति ने सुनील का लण्ड अपनी उँगलियों में लिया और अपनी चूत की पँखुड़ियों पर थोड़ा सा रगड़ते हुए, उसे अपनी चूत के द्वार पर टिका दिया।
फिर अपनी चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर अपने प्रेमछिद्र में उसे थोडासा घुसने दिया। अपनी गाँड़ को थोड़ा सा पीछे की और धक्का मार कर ज्योति ने सुनील को आव्हान किया की आगे का काम सुनील स्वयं करे।
सुनील ने धीरे से ज्योति की छोटी सी नाजुक चूत में अपना मोटा लंबा और लोहे की छड़ के सामान कड़क खड़े लण्ड को थोड़ा सा घुसेड़ा। ज्योति पहली बार किसी मर्द से पानी में चुदवा रही थी।
यहां तक की उस दिन तक उसने अपने पति से भी कभी पानी में खड़े रह कर चुदवाया नहीं था। यह पहला मौक़ा था की ज्योति पानीमें खड़े खड़े चुदवा रही थी और वह भी एक पराये मर्द से।
सुनील ने धीरे धीरे ज्योति की चूत में अपना लण्ड पेलना शुरू किया। ज्योति की चूत का मुंह छोटा होने के कारण ज्योति को दर्द हो रहा था। पर ज्योति को इस दर्द की आदत सी हो गयी थी।
सुनील का लण्ड शायद ज्योति के पति जस्सूजी के लण्ड मुकाबले उन्न्नीस ही होगा। पर फिर भी ज्योति को कष्ट हो रहा था। ज्योति ने अपनी आँखें मूंदलीं और सुनील से अच्छीखासी चुदाई के लिए अपने आपको तैयार कर लिया।
धीरे धीरे दर्द कम होने लगा और उन्माद बढ़ने लगा। ज्योति भी कई महीनों से सुनीलजी से चुदवाने के लिए बेक़रार थी। यह सही था की ज्योति ने अपने पति से सुनीलजी से चुदवाने के लिये कोई इजाजत या परमिशन तो नहीं ली थी पर वह जानती थी की जस्सूजी उसके मन की बात भलीभांति जानते थे। जस्सूजी जानते थे की आज नहीं तो कल उनकी पत्नी सुनीलजी से चुदेगी जरूर।
धीरे सुनील का लण्ड ज्योति की चूत की पूरी सुरंग में घुस गया। सुनील का एक एक धक्का ज्योति को सातवें आसमान को छूने का अनुभव करा रहा था।
सुनील धक्का ज्योति के पुरे बदन को हिला देता था। ज्योति की दोनों चूँचियाँ सुनील ने अपनी हथेलियों में कस के पकड़ रक्खी थीं। सुनील थोड़ा झुक कर अपना लण्ड पुरे जोश से ज्योति की चूत में पेल रहे थे।
सुनील की चुदाई ज्योति को इतनी उन्मादक कर रही थी की वह जोर से कराह कर अपनी कामातुरता को उजागर कर रही थी। ज्योति की ऊँचे आवाज वाली कराहट वाटर फॉल के शोर में कहीं नहीं सुनाई पड़ती थी।
ज्योति उस समय सुनील के लण्ड का उसकी चूत में घुसना और निकलना ही अनुभव कर रही थी। उस समय उसे और कोई भी एहसास नहीं हो रहा था।
सुनील उत्तेजना से ज्योति की चूतमें इतना जोशीला धक्का मार रहे थे की कई बार ज्योति ड़र रही थी की सुनील का लण्ड उसकी बच्चे दानी को ही फाड़ ना दे।
ज्योति को दर्द का कोई एहसास नहीं हो रहा था। दर्द जैसे गायब ही हो गया था और उसकी जगह सुनील का लण्ड ज्योति को अवर्णनीय सुख और उन्माद दे रहा था।
जैसे सुनील का लण्ड ज्योति की चूत की सुरंग में अंदर बाहर हो रहा था, ज्योति को एक अद्भुत एहसास रहा था। ज्योति न सिर्फ सुनील से चुदवाना चाहती थी; उसे सुनील से तहे दिल से प्यार था।
उनकी कुशाग्र बुद्धिमत्ता, उनकी किसी भी मसले को प्रस्तुत करने की शैली, बातें करते समय उनके हावभाव और सबसे ज्यादा उनकी आँखों में जो एक अजीब सी चमक ने ज्योति के मन को चुरा लिया था।
ज्योति सुनीलजी से इतनी प्रभावित थी की वह उनसे प्यार करने लगी थी। अपने पति से प्यार होते हुए भी वह सुनील से भी प्यार कर बैठी थी।
अक्सर यह शादीशुदा स्त्री और पुरुष दोनों में होता है। अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ किसी और स्त्री से प्यार करने लगता है और उससे सेक्स करता है (उसे चोदता है) तो इसका मतलब यह नहीं है की वह अपनी पत्नी से प्यार नहीं करता।
ठीक उसी तरह अगर कोई शादीशुदा स्त्री किसी और पुरुष को प्यार करने लगती है और वह प्यार से उससे चुदाई करवाती है तो इसका कतई भी यह मतलब नहीं निकालना चाहिए की वह अपने पति से प्यार नहीं करती।
हाँ यदि यह प्यार शादीशुदा पति या पत्नी के मन में उस परायी व्यक्ति के लिए पागलपन में बदल जाए जिससे वह अपने जोड़ीदार को पहले वाला प्यार करने में असमर्थ हो तब समस्या होती है।
बात वहाँ उलझ जाती है जहां स्त्री अथवा पुरुष अपने जोड़ीदार से यह अपेक्षा रखते हैं की उसका जोड़ीदार किसी अन्य व्यक्ति से प्यार ना करे और चुदाई तो नाही करे या करवाए। बात अधिकार माने अहम् पर आकर रुक जाती है। समस्या यहां से ही शुरू होती है।
जहां यह अहम् नहीं होता वहाँ समझदारी की वजह से पति और पत्नी में पर पुरुष या स्त्री के साथ गमन करने से (मतलब चोदने या चुदवाने से) वैमनस्यता (कलह) नहीं पैदा होती।
बल्कि इससे बिलकुल उलटा वहाँ ज्यादा रोमांच और उत्तेजना के कारण उस चुदाई में सब को आनंद मिलता है यदि उसमें स्पष्ट या अष्पष्ट आपसी सहमति हो।
ज्योति को सुनील से तहे दिल से प्यार था और वही प्यार के कारण दोनों बदन में मिलन की कामना कई महीनों से उजागर थी। तलाश मौके की थी। ज्योति ने सुनील को जबसे पहेली बार देखा था तभी से वह उससे बड़ी प्रभावित थी।
उससे भी कहीं ज्यादा जब ज्योति ने देखा की सुनील उसे देख कर एकदम अपना होशोहवास खो बैठते थे तो वह समझ गयी की कहीं ना कहीं सुनीलजी के मन में भी ज्योति के लिए वही प्यार था और उनकी ज्योति के कमसिन बदन से सम्भोग (चोदने) की इच्छा प्रबल थी यह महसूस कर ज्योति की सुनील से चुदवाने की इच्छा दुगुनी हो गयी।
जैसे जैसे सुनील ने ज्योति को चोदने की रफ़्तार बढ़ाई, ज्योति का उन्माद भी बढ़ने लगा। जैसे ही सुनील ज्योति की चूत में अपने कड़े लण्ड का अपने पेंडू के द्वारा एक जोरदार धक्का मारता था, ज्योति का पूरा बदन ना सिर्फ हिल जाता था, ज्योति के मुंह से प्यार भरी उन्मादक कराहट निकल जाती थी। अगर उस समय वाटर फॉल का शोर ना होता तो ज्योति की कराहट पूरी वादियों में गूंजती।
सुनील की बुद्धि और मन में उस समय एक मात्र विचार यह था की ज्योति की चूत में कैसे वह अपना लण्ड गहराई तक पेल सके जिससे ज्योति सुनील से चुदाई का पूरा आनंद ले सके।
पानी में खड़े हो कर चुदाई करने से सुनील कोज्यादा ताकत लगानी पड़ रही थी और ज्योति की गाँड़ पर उसके टोटे (अंडकोष) उतने जोर से थप्पड़ नहीं मार पाते थे जितना अगर वह ज्योति को पानी के बाहर चोदते।
पर पानी में ज्योति को चोदने का मजा भी तो कुछ और था। ज्योति को भी सुनील से पानी में चुदाई करवाने में कुछ और ही अद्भुत रोमांच का अनुभव हो रहा था।
सुनील एक हाथ से ज्योति की गाँड़ के गालों पर हलकी सी प्यार भरी चपत अक्सर लगाते रहते थे जिसके कारण ज्योति का उन्माद और बढ़ जाता था।
ज्योति की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए सुनील का एक हाथ ज्योति को दोनों स्तनोँ पर अपना अधिकार जमाए हुए था।
सुनील को कई महीनों से ज्योति को चोदने के चाह के कारण सुनील के एंड कोष में भरा हुआ वीर्य का भण्डार बाहर आकर ज्योति की चूत को भर देने के लिए बेताब था। सुनील अपने वीर्य की ज्योति की चूत की सुरंग में छोड़ने की मीठी अनुभूति करना चाहते थे।
ज्योति की नंगी गाँड़ जो उनको अपनी आँखों के सामने दिख रही थी वह सुनील को पागल कर रही थी।
सुनील का धैर्य (या वीर्य?) छूटने वाला ही था। ज्योति ने भी अनुभव किया की अगर उसी तरह सुनील उसे चोदते रहे तो जल्द ही सुनील अपना सारा वीर्य ज्योति की सुरंग में छोड़ देंगे।
ज्योति को पूरी संतुष्टि होनी बाकी थी। उसे चुदाई का और भी आनंद लेना था। ज्योति ने सुनील को रुकने के लिए कहा।
सुनील के रुकते ही ज्योति ने सुनील को पानी के बाहर किनारे पर रेत में सोने के लिए अनुग्रह किया। सुनील रेत पर लेट गए। ज्योति शेरनी की तरह सुनील के ऊपर सवार हो गयी।
ज्योति ने सुनील का फुला हुआ लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा और अपना बदन नीचा करके सुनील का पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ दिया।
अब ज्योति सुनील की चुदाई कर रही थी। ज्योति को उस हाल में देख ऐसा लगता था जैसे ज्योति पर कोई भूत सवार हो गया हो। ज्योति अपनी गाँड़ के साथ अपना पूरा पेंडू पहले वापस लेती थी और फिर पुरे जोश से सुनील के लण्ड पर जैसे आक्रमण कर रही हो ऐसे उसे पूरा अपनी चूत की सुरंग में घुसा देती थी। ऐसा करते हुए ज्योति का पूरा बदन हिल जाता था। ज्योति के स्तन इतने हिल तरहे थे की देखते ही बनता था।
ज्योति की चूत की फड़कन बढ़ती ही जा रही थी। ज्योति का उन्माद उस समय सातवें आसमान पर था। ज्योति को उस समय अपनी चूत में रगड़ खा रहे सुनील के लण्ड के अलावा कोई भी विचार नहीं आ रहा था।
वह रगड़ के कारण पैदा हो रही उत्तेजना और उन्माद ज्योति को उन्माद की चोटी पर लेजाने लगा था। ज्योति के अंदर भरी हुई वासना का बारूद फटने वाला था।
सुनील को चोदते हुए ज्योति की कराहट और उन्माद पूर्ण और जोरदार होती जा रही थी। सुनील का वीर्य का फव्वारा भी छूटने वाला ही था।
अचानक सुनील के दिमाग में जैसे एक पटाखा सा फूटा और एक दिमाग को हिला देने वाले धमाके के साथ सुनील के लण्ड के केंद्रित छिद्र से उसके वीर्य का फव्वारा जोर से फुट पड़ा।
जैसे ही ज्योति ने अपनी चूत की सुरंग में सुनील के गरमा गरम वीर्य का फव्वारा अनुभव किया की वह भी अपना नियत्रण खो बैठी और एक धमाका सा हुआ जो ज्योति के पुरे बदन को हिलाने लगा।
ज्योति को ऐसा लगा जैसे उसके दिमाग में एक गजब का मीठा और उन्मादक जोरदार धमाका हुआ। जिसकेकारण उसका पूरा बदन हिल गया और उसकी पूरी शक्ति और ऊर्जा उस धमाके में समा गयी।
चंद पलों में ही ज्योति निढाल हो कर सुनील पर गिर पड़ी। सुनील का लण्ड तब भी ज्योति की चूत में ही था। पर ज्योति अपनी आँखें बंद कर उस अद्भुत अनुभव का आनंद ले रही थी।
कहानी आपको केसी लग रही है, कृपया कमेंट्स में लिखते रहिये, अगला एपिसोड जल्द ही आपके लिए पेश होगा।
[email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000