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बाथरूम सेक्स का मजा लिया मैंने अपने पति के दोस्त को अपने घर बुला कर! उससे चुदने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पति के घर में रहते ही उससे फिर से चुदने का प्लान बना लिया।
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दोस्तो, मैं अंजलि शर्मा आपको अपनी गैर मर्द से पहली चुदाई की कहानी बता रही थी। पिछले भाग पति के दोस्त ने मुझे चोद चोद कर थका दिया में आपने पढ़ा कि मेरे पति के दोस्त पीयूष ने मेरी चूत दो बार चोद कर एक बार मेरी गांड चुदाई भी कर डाली। हम दोनों बुरी तरह से थक गए थे।
अब आगे बाथरूम सेक्स का मजा:
हम दोनों ने ऊपर से कंबल डाला हुआ था। मैं कम्बल के अंदर नंगी थी और पीयूष जी भी नंगे थे। सुबह के 5:30 बज चुके थे।
हमें बात करते हुए ही 1:30 घंटा हो गया था। मैंने पीयूष जी से बोला- अब आपको जाना चाहिए इसे पहले संजीव उठे! वो बोले- हां … मगर संजीव को या किसी और को इस बारे में कुछ पता नहीं चलना चाहिए। मैंने कहा- ठीक है।
उनका लंड मेरी चूत में ही था और मैंने अब उसे अपनी चूत से बाहर निकाल दिया। मैंने उनके लंड को अपने कोमल होंठों में भरा और चूसने लगी।
एक दो बार चूसने के बाद मैंने उनसे कहा- इसने रात भर मेरी चूत की सेवा की है। इसका थैंक्यू तो बनता ही है। वो बोले- और जो मैंने तुम्हारी रात भर सेवा की है उसका थैंक्यू?
मैंने उनके होंठों पर होंठ रखे और दो मिनट तक चूसती रही। मैं बोली- अब आप कभी भी मेरी चूत की सेवा लेने आ सकते हैं।
उन्होंने भी मुझे किस किया और फिर अपने कपड़े पहने और रेडी हो गए। मैंने भी वही रात वाली ब्रा पैंटी पहन ली। मैंने अपना मंगल सूत्र और शादी का चूड़ा भी पहन लिया और साथ में मैंने वो बाली भी पहन ली ताकि संजीव को शक ना हो।
पीयूष जी भी रेडी हो चुके थे। हम दोनों बेडरूम से बाहर आये।
नीचे संजीव सोफे पर बेहोश सो रहे थे। मैंने पीयूष जी को घर के गेट तक छोड़ा और साथ ही उन्हें बाय बोल कर एक हग किया।
मैं बेडरूम में आ गई और बेडरूम को ठीक किया ताकि संजीव को शक ना हो। पूरी रात चुदने की वजह से मैं बहुत थक चुकी थी। मेरे बदन का अंग अंग दर्द कर रहा था, मैंने सोचा कि अब सोना चाहिए।
बेडरूम में आकर मैं सो गई।
11 बजे संजीव रूम में आये, उन्होंने मुझे जगाया। मैंने उन्हें गुडमॉर्निंग बोला। संजीव पूछने लगे- कल रात क्या हुआ था मुझे ये बताओ पहले?
मैंने बोला- कल रात आपने बहुत ज्यादा पी ली थी। वो तो अच्छा हुआ आप गेम खेलते खेलते बेहोश हो गए और सारी गेम वहीं रुक गई। वरना पता नहीं क्या अनर्थ हो जाता कल रात मेरे साथ!
संजीव बोले- कुछ नहीं होता तुम्हारे साथ! मैं उसे जीतने ही नहीं देता। मुझे संजीव की इस बात से समझ आया कि संजीव को कल रात के बारे में कुछ भी याद नहीं है।
वो बोले- पीयूष कब गया? मैंने बोला- आपने ज्यादा पी ली थी इसलिए आपको उन्होंने सोफे पर ही सुला दिया था और वो भी तभी चले गए थे।
संजीव बोले- मेरे सिर में दर्द हो रहा है। चाय बना लो। फिर मैं सोऊंगा थोड़ा और … मेरी तबियत ठीक नहीं है। मैंने बोला- हाँ आपको पीना कम करना चाहिए और आप भी थोड़ा आराम कर लो। सही हो जायेगा।
कल रात की चुदाई की वजह से मेरा भी बदन टूट रहा था मगर मैं ये बात किसी को बता नहीं सकती थी। मैंने हम दोनों के लिए चाय बनायी। मैंने और संजीव ने चाय पी।
संजीव बोले- मैं नहा लेता हूं, उसके बाद मैं सोऊंगा। संजीव नहाने चले गए और मैं बेड पर बैठी थी और याद कर रही थी कि कुछ घंटों पहले इसी बेड पर मेरी ताबड़तोड़ चुदाई हुई है।
मैं मन ही मन कल रात की चुदाई के बारे में सोच कर मुस्करा रही थी और कल रात के हसीन पल याद करके पीयूष जी को मिस कर रही थी। तभी मेरे मन में आया कि क्यों ना पीयूष जी को घर पर बुला लूं संजीव के सोने के बाद?
मुझे मन ही मन डर भी लग रहा था। मगर कल रात की दमदार चुदाई का असर ऐसा था कि मैंने पीयूष जी को घर दोबारा बुलाने का तय किया और सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।
मैं पीयूष से दोबारा चुदना चाहती थी। मैंने संजीव की डायरी से उनका नंबर निकाला और रूम से बाहर आकर उन्हें अपने लैंडलाइन से फ़ोन किया। पीयूष जी ने कुछ रिंग के बाद फ़ोन उठाया।
इधर से मैंने बोला- कैसे हो आप पीयूष जी? वो बोले- कल रात आपसे मिलने के बाद तो ठीक हूं, बस कल रात के पलों को याद कर रहा हूं और तड़प रहा हूं।
मैंने कहा- बिल्कुल यही हाल मेरा है। आप घर आ जाओ दिन में! वो बोले- घर पर कोई नहीं है क्या? मैंने कहा- संजीव है मगर वो सोने जा रहे हैं थोड़ी देर में। मैं उन्हें नींद की दवा दे दूंगी ताकि वो गहरी नींद में सो जायें।
पीयूष जी बोले- ठीक है मैं आ जाऊंगा पर कोई गड़बड़ ना हो। मैंने बोला- आप परेशान मत हो, मैं सब संभाल लूंगी। वो बोले- ठीक है, मैं आता हूं।
मैंने कहा- आप आधे घंटे में आ जाना। फिर मैंने कॉल काट दिया।
अब तक संजीव नहा चुके थे। मैंने उनसे कहा- आप सिर दर्द की दवा ले लो।
मैंने उनको नींद की गोली दे दी उनको बिना बताए। उन्होंने दवा ली और सो गए।
तैयार होकर मैं नीचे लीविंग रूम में आ गयी। शेरू को मैंने दूसरी जगह पर बांध दिया ताकि वो चुदाई में बाधा न डाले।
अब मैं पीयूष के आने का इंतजार कर रही थी। मैंने सोचा कि तब तक एक बार संजीव को देखकर आती हूं। मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
मैं धीरे से गई और देखा कि संजीव सो रहे थे।
अब मैंने उनके रूम की कुंडी बाहर से थोड़ी सी अटका दी। अगर वो गलती से उठ भी जाएँ तो एकदम से बाहर न आ पाएं।
मैं वापस आई तभी दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आई। ये पीयूष ही थे। उन्होंने समझदारी दिखाते हुए बेल नहीं बजाई थी।
वो अंदर आये और मैंने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया। मैंने उनको दूसरे बेडरूम में जाने को कहा।
इस बीच मैंने लैंडलाइन फोन की तार निकाल दी ताकि चुदाई के बीच में कोई फोन न आए और संजीव कहीं उठ न जाए।
हम दोनों बेडरूम में पहुंचे। उन्होंने मुझे हग किया। उन्होंने मेरे दोनों हाथ ऊपर किये और मेरे गाउन को उतार दिया। फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्रा भी वहीं उतार दी।
मेरी पैंटी नीचे खींच कर उतार दी। उन्होंने मेरी चूत पर हाथ लगाया और मेरी बाली भी उतार दी। पीयूष जी मुझे पूरी नंगी कर चुके थे।
मैंने भी उनके सारे कपड़े उतार दिए और वो भी मेरे सामने पूरे नंगे थे।
उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे बेड पर ले जाने लगे। मैंने बोला- यहाँ नहीं, वाशरूम में चलते हैं।
पीयूष जी मुझे वाशरूम में ले आये। मैं उनकी बांहों में ही थी।
हम दोनों टब में आ गए। पीयूष जी टब मैं बैठे और उन्होंने मुझे अपने ऊपर बैठा लिया।
हम दोनों टब में बैठ कर आराम कर रहे थे और साथ ही साथ हम दोनों बातें कर रहे थे। पीयूष जी बोले- संजीव को कोई शक तो नहीं हुआ कल रात को लेकर?
मैंने बोला- नहीं हुआ बल्कि उन्हें तो कुछ याद भी नहीं था कि कल रात क्या क्या हुआ … और तो और ये और बोल रहे थे कि मैं बेहोश हो गया वरना मैं हारता नहीं। उनका घमंड अभी वैसा का वैसा ही है। मैं तो अब चाहती हूं कि उनका घमंड टूटे और आप आज रात को दोबारा आओ और यह शर्त वाली गेम दोबारा खेलो। तब मुझे चोदो दोबारा!
वो बोले- मगर जरूरी तो नहीं है ना कि मैं जीतूं। मैंने कहा- हम संजीव को इतनी पिला देंगे कि उन्हें होश ही नहीं रहेगा कि रात में क्या हुआ?
इस बात पर पीयूष जी बोले- ये तो फिर वही हो जायेगा जो कल हुआ। उसे कुछ पता ही नहीं चलेगा और जरूरी तो नहीं कि वो इस बार दोबारा शर्त लगाए और तुम्हें दाँव पर लगाए?
मैंने बोला- अगर आप उन्हें दोबारा डील का लालच दो तो वो मुझे दाँव पर जरूर लगाएंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि कल अगर वो होश में होते तो वो आपको हरा देते और रही बात बाकी सब चीजों कि तो वो सब आप मुझे पर छोड़ दो। वो मैं संभाल लूंगी और मैं उन्हें सब बताऊंगी कि उनकी गलती की वजह से क्या हुआ मेरे साथ!
पीयूष जी बोले- ठीक है। मैंने कहा- तो फिर आप आज शाम को घर आ जाना। वो बोले- ठीक है।
हम दोनों का शरीर पूरा पानी के अंदर था। पीयूष जी का लंड मेरी गांड में चुभ रहा था। उनके दोनों हाथ मेरे बूब्स पर थे। वो मेरे निप्पलों के साथ खेल रहे थे। मुझे भी काफ़ी मजा आ रहा था।
मैंने पीयूष जी से बोला- अब करें? पीयूष जी ने बोला- ये तो कब से तुम्हें नीचे इशारे कर रहा है। मैंने बोला- हाँ मुझे महसूस हो रहा है।
तभी पीयूष जी खड़े हुए और मुझे भी खड़ी किया। उन्होंने मुझे पानी के टब में ही घोड़ी बना दिया और खुद मेरे पीछे आ गए। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर सेट किया और एक धक्का लगा कर लंड अंदर डालने की कोशिश की।
मगर लंड अंदर नहीं गया क्योंकि हम दोनों पानी में भीग चुके थे इसलिए वो छेद से फिसल गया। इस बार पीयूष जी ने अपना लंड दोबारा लगाया और फिर से धक्का दिया और उनका लंड मेरी चूत की दोनों पँखुड़ियों को चीरता हुआ अंदर चला गया।
मेरी एक आह निकली। उनका आधा लंड मेरी चूत में उतर चुका था। पीयूष जी ने एक और धक्का मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में आ गया। मैं थोड़ी सहम गई।
अब उन्होंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो मुझे चोदने लगे और मैं आहें भरने लगी- आह्ह … आहाहा … आह्ह पीयूष मेरे हस्बैंड … आह्ह … चोद दो … आह्ह … कितना मस्त चोदते हो … आह्ह चोद दो।
अब उनका लंड आराम से मेरी चूत में आर-पार हो रहा था। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैं जोर से उनका नाम ले लेकर चुद रही थी।
पीयूष के नाम से पूरा बाथरूम गूंजने लगा था। हम दोनों की चुदाई से वाशरूम भी महक उठा था।
पीयूष जी ने अपना एक हाथ मेरी गांड पर रखा और दूसरे हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए और धक्कों की स्पीड और तेज़ कर दी।
मैं और जोर जोर से चीखने लगी- आह … आह … आह … आह … आह्ह आह्ह आह्ह आह आह पीयूष … आह्ह … पीयूष। वो मेरी गांड पर जोर जोर से थप्पड़ भी मार रहे थे जो कि मुझे और कामुकता का अहसास दिला रहे थे।
20-25 मिनट मुझे चुदते हुए हो चुके थे। इस दौरान मैं पानी में झड़ चुकी थी।
पीयूष जी झड़ने वाले थे तो उन्होंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए। मैं पानी में जोर जोर से हिलने लगी। मेरी हालत ख़राब हो चुकी थी। मेरे बूब्स हवा में जोर जोर से आगे पीछे हो रहे थे और हिल रहे थे।
पीयूष जी भी अपनी चरम सीमा पर आ गए। उन्होंने मुझसे पूछा- कहां निकालूं? मैंने बोला- अंदर ही निकाल दो।
फिर वो मेरी चूत के अंदर ही झड़ने लगे। मेरी चूत उनके प्रेम रस से भर चुकी थी जिसका अहसास मुझे हो रहा था।
हम दोनों टब में ही लेट गए। मैं पीयूष जी की बांहों में खुद को बहुत खुश महसूस कर रही थी। मेरा अधूरा प्यार मिल गया था मुझे!
कुछ देर आराम करने के बाद पीयूष जी खड़े हुए और मुझे घुटनों के बल बैठा दिया। उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह के सामने रखा और मुझसे उसे चूसने को कहा।
मैंने उनका लंड अपने हाथ में लिया और घप्प से उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था। मैंने उनका पूरा लंड मेरे मुँह में ले लिया था और अच्छे से उसकी चुसाई कर रही थी।
उनका लंड पूरा चिकना हो चुका था और गीला भी हो चुका था। 15 मिनट लंड चुसवाने के बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया मगर मैं और चूसना चाहती थी।
मैंने बोला- बाहर क्यों निकाला? तो वो बोले- अब चूत में डालना है इसलिए! ये बोलकर वो पानी में ही लेट गए और मुझसे लंड के ऊपर बैठने को बोला।
अब मैं उनके पेट के ऊपर आ गई और उनके लंड को हाथ में लिया। धीरे धीरे उस पर बैठ गई। उनका पूरा लंड मेरी चूत में अब समा चुका था; मैं उनके लंड पर बैठी हुई थी।
पीयूष जी ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रखे और मुझे उछालना शुरू कर दिया। अब मैं उनके लंड पर उछलने लगी थी और आहें भर रही थी।
इस बार चुदाई की स्पीड की कमान मेरे हाथ में थी इसलिए स्पीड मैं अपनी मर्ज़ी से तेज़ कर रही थी। मैं उनके लंड पर उछलने लगी और आहें भरने लगी।
कसम से … पिछले सात महीनों में मेरी ऐसी चुदाई एक बार भी नहीं हुई थी। मैं चीखे जा रही थी- आह पीयूष जी … पीयूष जी चोदो मुझे आप … आह्ह चोदो।
इस दौरान मैंने अपने दोनों हाथ हवा में कर रखे थे जिसकी वजह से मेरा चूड़ा भी मेरे हाथों में उछल रहा था और मंगल सूत्र की तो पूछो ही मत कि उसका क्या हाल था।
मेरे बूब्स हवा में बवाल कर रहे थे।
हम दोनों ही चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे।
15-20 मिनट मुझे और चुदते हुए हो गए थे। हम दोनों पानी में चुदाई कर रहे थे इसलिए पानी में ही फच फच की आवाज भी पैदा हो रही थी।
पानी में चुदने की वजह से पीयूष जी का लंड बार बार मेरी चूत से बाहर निकल रहा था इसलिए पीयूष जी उठे और मुझे हाथ पकड़ कर शावर के नीचे ले आये।
उन्होंने मेरी एक टांग उठा कर शीशे की दीवार पर रख दी। इस वक़्त मैं वी शेप में थी … मतलब एक टांग मेरी दिवार पर थी और दूसरी ज़मीन पर।
पीयूष जी ने मेरी दीवार वाली टांग पर अपना हाथ रखा ताकि वो हिले ना और कस कर मेरी टांग दबा ली। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में रखा और अंदर डाल दिया और धक्के मारने शुरू कर दिए।
मैं अब जोर जोर से चीख रही थी क्योंकि मेरी एक टांग पर उनके हाथ का दबाव बना हुआ था। पीयूष जी अपना लंड फचा-फच चला रहे थे और मुझे चोद रहे थे।
मुझे बाथरूम सेक्स में अब दर्द हो रहा था, मेरी जमकर ठुकाई हो रही थी। वो मेरी एक नहीं सुन रहे थे, उन्होंने जोश में आकर अपने एक हाथ की चारों उंगलियां मेरे मुँह में डाल दीं ताकि मैं चीख ना सकूं और धक्के तेज़ कर दिए।
मैं उम्म्म … उम्म्म … उम्म्म … की सांसें ही निकाल पा रही थी। अब बस मुझे ऐसे चुदते हुए 10 मिनट हो गए थे और मैं झड़ने लगी।
मेरी दोनों टाँगें मेरे रस की बूंदों से सन गई और पीयूष जी का लंड भी मेरे पानी से भीग गया।
पीयूष जी अभी भी लगातार चोदे ही जा रहे थे। मेरी आंखों में आंसू आने लगे थे और मैंने हाथ से इशारा करके उन्हें रुकने को बोला। वो बोले- बस दो मिनट, होने वाला है।
ये बोलकर उन्होंने धक्के और तेज कर दिए। वो दोबारा मेरी चूत में झड़ गए। उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी टांग वापस ज़मीन पर लाये।
मेरी दोनों टाँगें काँप रही थीं और मुझसे खड़ी नहीं हुआ जा रहा था। मैं नीचे गिरने लगी तभी पीयूष जी ने मुझे पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और हम वहीं खड़े रहे कुछ देर तक!
अब मेरे दोनों बूब्स उनकी छाती से चिपक रहे थे। पीयूष जी मुझे उठा कर बेडरूम में ले आये और मुझे वहीं लेटा दिया और मेरे साथ ही लेट गए।
मैं बहुत थक चुकी थी। मेरा पूरा बदन काँप रहा था और टूट रहा था। पीयूष जी मुझसे ही लिपटे हुए थे।
मैंने उनके गाल पर एक किस किया और इस दमदार चुदाई के लिए थैंक्स बोला।
हम दोनों ने लगभग 2 घंटे चुदाई का मजा ले लिया था। दिन के 2.30 बज चुके थे। मैंने बोला- अब हमें शावर लेना चाहिए और आपको जाना चाहिए। संजीव उठने वाले होंगे।
फिर हम दोनों वाशरूम में आ गए। मैंने पीयूष जी को अच्छे से नहलाया और खुद भी नहा ली।
हम बाहर आए और मैंने उनको मेरी चूत की बाली पहनाने को कहा। उन्होंने मेरी चूत पर बाली पहना दी।
मैं अभी पूरी नंगी ही थी। वो बोले- तुम तो कुछ पहन लो। मैंने बोला- नहीं बस मैं अब संजीव के साथ जाकर सोऊंगी इसलिए अभी जरूरत नहीं है।
वो बोले- ठीक है, अब मैं चलता हूं।
मैंने उन्हें एक हग किया और बोला- शाम का प्लान याद है ना कि क्या करना है … कैसे करना है? पीयूष जी बोले- तुम फ़िक्र मत करो। मैं सब संभाल लूंगा। मैंने बोला- ओके।
फिर मैं पीयूष जी को नीचे छोड़ने आ गई। सब कुछ शांत था। संजीव सोये हुए थे। पीयूष जी चले गए।
उनके जाने के बाद मैंने घर का गेट बंद कर लिया।
मुझे बहुत भूख लगी थी इसलिए मैंने एक गिलास दूध पीया और कुछ खाना खाया। फिर अपने रूम में आ गई।
संजीव सोये हुए थे। मैंने अपने बाल बनाये और मेकअप किया। मैं रेडी हो गई। मैं अभी भी नंगी ही थी।
कल रात की चुदाई की वजह से ही मेरा बदन टूट रहा था और दिन में भी बाथरूम सेक्स का मजा लिया था।
मेरे बदन का अंग अंग दर्द से कराह रहा था। मैंने ड्रॉअर से बदन दर्द की दवा निकाल कर खा ली और सोने के लिए बेड पर आ गई। ऊपर से कम्बल डाल लिया और संजीव के साथ चिपक कर नंगी ही सो गई।
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कहानी अगले भाग में जारी है।
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