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अंजलि- अब आप जल्दी से मुझे वो दो जो मैं चाहती हूँ आपसे! वो कभी मेरे निप्पल चूसती तो कभी मेरे होंठ… मैं उसकी गांड की दरार में उंगली करने लगा. मैंने अंजलि को इशारा किया कि वो अपनी बुर को मेरे मुँह पे रख दे… वो समझी नहीं… पर मेरे सिखाने पर मेरे चेहरे से बुर सटा दी.. और मेरी तरफ पीठ करके मेरे लंड पर झुक गई…
समझे आप? 69 की दशा में थे हम… मेरे हाथ उसकी पीठ को सहलाने लगे बीच बीच में चुची को भी मसल देता.. अंजलि पूरी तमन्यता से मेरे लंड को चूस रही थी… मेरी जीभ अंजलि की बुर के अंदर तक जा उसको चोद रही थी. ‘आह्ह्हह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओ जान पागल कर दिया तुमने.. और चूसो.. आहह्ह आह..!’ ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… म्म म्म्माआआह्ह…’
सिर्फ आवाजें और सिर्फ सिसकारी… और बाहर टीवी पर बजता सॉफ्ट म्यूजिक…
‘अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह आहः’
करीब दस मिनट तक की एक दूसरे को चूसने के बाद मैंने उसको पीठ के बल लिटा दिया- अंजलि, तुमको थोड़ा दर्द होगा, हो सकता है कि ब्लड भी आये, तुमको बर्दाश्त करना होगा. अंजलि- किशोर, मैं बच्ची नहीं हूँ, मुझे पता है कि मेरा क्या हाल होने वाला है, बस तुम रुकना नहीं… चाहे कुछ हो जाए!
मेरी सबसे बड़ी समस्या थी कि मेरे पास कंडोम नहीं था.. मैंने कबर्ड में से एक टॉवल निकाला और अंजलि की बुर के नीचे एक तकिया लगा कर उस पर बिछा दिया. अब उसकी बुर उभर आई थी… मैंने झुक के उसकी बुर को चाटना शुरू किया.
‘ओफ्ह्ह किशोर… अब मत तड़पाओ.. बस डाल दो!’ ‘उफ्फ्फ जल्दी करो, बर्दाश्त नहीं हो रहा है!’
पर मैं आराम से उसकी बुर चाट कर उसमे एक उंगली डाल कर फिंगर फ़क करने लगा. अंजलि- आह्ह्ह्ह आअह्ह दर्द होता है… दूसरी फिंगर को डालने की कोशिश की पर अंजलि की कसी हुई बुर मुझे इज़ाज़त नहीं दे रही थी. मैंने उँगलियों को मुँह में डाल कर गीला किया और फिर कोशिश की, इस बार थोड़ी कशमकश के बाद प्रवेश कर ही गई…
अंजलि- ई माँ म म म उफ़ उई अह्ह्ह्हह! दर्द से भरी आवाज़!
थोड़ी फिंगर फ़क के बाद लगा कि अब अंजलि मेरे लंड को सह लेगी तो एक बार बुर को फिर चाटा और अच्छे से गीला किया. अंजलि की बुर भी अपना पानी छोड़ रही थी. मैंने लंड को बुर की लकीर में रगड़ना चालू किया, बुर से निकलते रस से मेरा लंड भीग कर और अंजलि के चूसने के कारण काफी गीला हो चुका था.
अंजलि- ऑफ अह्ह्ह किशोर, अब डालो भी… मेरी बुर आपके लंड का इंतज़ार कर रही है… अब डाल भी दो किशोर… अंजलि ने उतेज़ना में मेरे लंड को बुर के मुहाने पर लगा कर अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए, मेरे भी दबाव से लंड का मुख बुर के अंदर प्रवेश कर गया. ‘आअह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह मर गई ई ई ई ई ई ई… माँ म म म उफ़ उई अह्ह्ह्हह…’ ‘उह आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह माआआ रुको ओओ ओ ओ…’
पर रुकना संभव नहीं होता, मेरा दबाव बढ़ता गया.. लंड अंदर जाता गया.. कुछ ही पलों में आधा लंड बुर में था. अंजलि की दर्द भरी सिसकारी निकली- आह उम्म्ह… आहह… हई… याह… अह हहा हहह! उफ्फ उफ्फ! उसने दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ रखी थी, आंखें बंद थी… और सर को इधर उधर करके दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी. ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… म्म म्म्माआआह्ह…’
मेरे लंड को कोई रोक रहा था… मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और एक जोरदार झटका दिया, मेरा लंड सारी दीवारों को तोड़ता हुआ अंजलि की कुवारी बुर में समां गया, मुझे लंड में जलन सी हुई कुछ बहता हुआ सा लगा. अंजलि जोर से चीख पड़ी- आह उम्म्ह… अहह… ओह्ह मआ माँ मा मर गई ई ई ई ई हाय किशोर र र र र उफ्फ हय… याह… अह हहा हहह उफ्फ् फ्फ्फ़ मई… मर र र र र गई ई ई ई ई ओह्ह्ह मा आ आ आ निकाल लो किशोर!
अब निकलना संभव नहीं था. ‘आह उम्म्ह… अहह… याह… अह हहा हहह!’
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मैं झुक कर उसके चुची को चूसने लगा. ‘अय्य… याह… आईईईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह आहः किशोर र र र बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज निकाल लो!’ पर मै वैसे ही उसकी चुची चूसता या फिर उसके होंठों को चूसता रहा, अंजलि कराहती रही और मैं चूसता रहा.
कुछ मिनटों में ही अंजलि के चूतड़ उछलने लगे तो मैंने भी लंड को हल्का निकाल फिर से अंदर डाला. अंजलि चिल्ला उठी- ओह्ह्ह माँ म म म धीरे उफ्फफ्फ्फ़ आअह उफ्फफ्फ्फ़ आआअह्ह आहह आऐई ईईईइ सस्स्याआह आह्ह्ह
थोड़ी देर में अंजलि भी अपनी गांड धीरे धीरे उचकाने लगी, मैंने भी हल्के हल्के लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. ‘आआहह आहह उउउ इइईई ममम उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई किशोर अअअह हह ओओहह हहह’
मैंने अपना लंड पूरा निकला और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर कर दिया। ‘आआआहहह… बसस ससस… धधीरररे किशोर धीरे से…’
थोड़ी देर वैसे हो अंजलि को और 2 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा. ‘किशोर धीरे… मुझे अभी भी दर्द है!’
पर मैं अब रुक नहीं सकता था मेरा लंड उसकी बुर की गहराइयों को छू गया… और लंड को एक समान स्पीड में अंदर बाहर करता रहा. जो थोड़ा बहुत दर्द था, वो मेरे चुची चूसने से निप्पल को मसलने से थोड़ी देर में कम हो गया, उसे भी मजा आने लगा, उसके मुँह से आवाज निकलने लगी थी- फ़ास्ट किशोर… और जोर से… आह… आह… मेरे किशोर… मुझे काफी समय से इस पल का इंतज़ार था! आपको लेकर कितने सपने देखे थे, आज आप पूरा कर दो… आप और अंदर डालो… आह… सी…सी…
मैं पूरे जोर से लंड को उसकी बुर में ठोक रहा था- हाँ अंजलि ओह्ह्ह आह! अब अंजलि के मुँह से स्सीईई.. अह्ह ह्हह्ह… ओह्हह माआअ मरर्र गयीई रीई जैसी आवाजें निकलने लगी.
थोड़ी देर चोदने के बाद मैंने उसको घोड़ी बना दिया, खुद लंड को बुर पे रगड़ कर एक झटके में बुर के अंदर कर दिया. अंजलि के एकबारगी सिसकारी निकल गई- ह आह्ह आह हय ईई ईई हई उफ़्फ़ ह्म्फ़…
उसके मुँह से सिसकारियों की आवाज बढ़ती ही जा रही थी, तभी वो अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और अटक अटक कर बोली- हाँ आ..आ…आ… औरर्र तेज्ज अंदर बाहर करो… हाय ईईई मेरा निकलाआआआ निकलाआअ… कह कर शान्त सी हो गई और मैंने महसूस किया कि बुर अंदर से मेरे लंड पे बुर अपनी रस की फुहार छोड़ रही थी.
मैं थोड़ा रुका क्योंकि अंजलि दो बार झड़ कर निढाल सी गिर पड़ी थी. मेरा लंड अभी भी अंदर ही था बुर में… मैंने झुक कर उसकी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया और चुची को मसलने लगा. कुछ ही पलों में अंजलि फिर तैयार थी मेरा साथ देने को!
अब मैंने फिर से उसको पीठ के बल लिटा कर फिर से अपना लंड बुर में डाल दिया और अंजलि- हयय ईई मर गई ऊई मेरररि म्ममआआअ मेरीईईई चूऊत फाआआड़ दीईई!
और अब मैंने भी बेरहम होकर उसकी दोनों टांगों को मोड़ कर उसकी चुची पर दबा दिया जिससे उसकी बुर उभर आई और जोर जोर से लंड को उसकी बुर में घुसाने लगा निकालता… फिर घुसा देता… ‘अंजलि ओह्ह्ह अंजलि… कितनी मस्त हो तुम… उफ्फ कितना नशा है…’
अंजलि- किशोर और कितनी देर रुकोगे.. मेरे में दम नहीं है…
अब मैंने धक्के लगने की गति तेज कर दी थी और मैं पसीने-2 हो रहा था अब मेरे मुँह से भी अन्ट-शन्ट निकलने लगा- ह्हह्हाआअ… मैं आज तुमको अपना बना लूंगा… हाय! मेरी अंजलि… ईईई लगता है निकलने वाला है उफ़्फ़्फ़ और लओ और लो! कहते हुए फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था कि लगा कि मेरे लंड से कुछ बाहर आ रहा है और मैंने हांफ़ते हुए उसे कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उसकी चुची चूसने लगा।
उधर अंजलि की भी आवाजें निकल रही थी- हाआ ऐईईइ मैं ईई फिर से झर रहीईईई हूँ! ओ मेरी माआआअं मेराआआ निकल रहा है! यह कहते-2 उसका सारा शरीर एक बार फिर से अकड़ गया और वो भी मेरे साथ साथ झड़ गई।
उसने झड़ते हुये अपने दांत मेरे कंधे में गड़ा दिये और मेरे मुँह से एक चीख निकल गई और वो जोर से हंस पड़ी। मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।
जब सांसें कुछ ठीक हुई तो मैं उसके ऊपर से उठा तो देखा कि मेरा लंड पूरा लाल और सफ़ेद रस से सना हुआ था, अंजलि की बुर से मेरा और उसका रस मिल कर बाहर आ रहा था लाल सा… तौलिये के लाल निशान भी अंजलि की कुंवारी बुर की कहानी बयां कर रहे थे.
अंजलि ने कस कर मुझे बाँहों में भर कर मेरे होंठों को चूम लिया- किशोर लव यू… मुझे पता था कि आपके साथ मैं इसका भरपूर आनन्द उठा सकती हूँ, और आपने तो मुझे मेरे उम्मीदों से ज्यादा आनन्द दिया… लव यू… बस आप ऐसे ही मुझे प्यार देते रहना!
बुर की चुदाई स्टोरी कैसी लग रही है आपको, अपने विचार मुझे मेल करें! [email protected] कहानी जारी रहेगी!
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