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दोस्तो, मैं किंशुक फिर हाजिर हूँ, मैं काफी स्मार्ट हूँ, ऐसा मैं नहीं मेरे दोस्त कहते हैं। मेरा कद 5’10” हैं और मेरा लन्ड काफी लंबा और मोटा है जो किसी भी लड़की की चूत को फाड़ सकता है। मेरे घर में कुल 4 सदस्य हैं, मैं, मेरी बड़ी सिस्टर और मम्मी पापा! मेरी बहन की शादी को 4 साल हो चुके हैं, वो अपने पति के साथ कानपुर में रहती है।
एक बार उनके घर में उनके छोटे देवर की शादी थी तो हमारे यहाँ से किसी को तो जाना ही था। पापा की तबीयत ख़राब होने के कारण मम्मी भी नहीं जा सकती थी तो उन्हें मुझे जाने के लिए बोल दिया। अगले दिन सुबह 5 बजे मेरी ट्रेन थी तो मैंने रात में ही पैकिंग कर ली। सुबह मैंने ट्रेन पकड़ी और मैं 3 बजे तक कानपुर पहुँच गया।
रेलवे स्टेशन पर जीजाजी मुझे लेने आये हुए थे, लगभग आधे घंटे में हम घर पहुँच गए।
वहाँ दीदी ने मेरा सब लोगों से परिचय कराया। वहाँ दीदी की दूर की ननद भी आई हुई थी जिससे मैं पहले कभी नहीं मिला था। वो दिखने में एकदम पटाका लग रही थी और उसकी गोदी में एक छोटा बच्चा भी था, शायद वो उसी का था क्योंकि वो शादीशुदा थी।
वो काफी समय से मुझे घूर घूर कर देख रही थी। मैंने सीधे उसके पास जाकर उसे हेलो बोला तो उसने भी हेलो बोला। धीरे धीरे हम दोनों आपस में बातें करने लगे।
उसने बताया की उसकी और मेरी दीदी की शादी एक ही दिन होने के कारण वो शादी में नहीं आ सकी थी। उसने अपना नाम पल्लवी बताया।
उसका बच्चा बार बार रोये जा रहा था तो वो बोली- मैं अभी ऊपर इसको सुला कर आती हूँ। मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ, यहाँ काफी शोर हो रहा है। तो उसने कहा- ठीक है।
हम दोनों ऊपर कमरे में अकेले थे, वो अपने लड़के को अपना दूध पिला रही थी तो मैं उसकी चूची बड़े ध्यान से देख रहा था।
दूध पिलाने के बाद उसने लड़के को सुला दिया और मुझसे बोली- इतनी देर से क्या देख रहे हो? मैं बोला- तुम्हारे बूब्स बड़े सुंदर हैं!
तो वो शर्मा गई और वहाँ से जाने लगी।
मैंने उसको खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को चूसने लगा और एक दोनों हाथों से उसके नर्म नर्म चूची को मसलने लगा। वो मना करने लगी- कोई आ जाएगा। पर मैंने उसकी एक नहीं मानी और अपना काम करता रहा। मेरा लन्ड भी अब तन चुका था जो उसकी गांड की दरार में घुसा जा रहा था।
तभी नीचे से आवाज़ आई- पल्लवी कहाँ हो? तो वो बोली- अभी आती हूँ। वो मुझसे बोली- अब मुझे जाना ही होगा, नीचे सब इन्तजार कर रहे हैं। मैंने कहा- ठीक है, चली जाओ पर मेरे खड़े लन्ड का तो कुछ करो? उसने झट से मेरे पैंट की चैन खोल दी और मेरे लन्ड को देखकर बोली- इतना लंबा और इतना मोटा? मेरे पति का तो छोटा सा है।
फिर वो मेरे लन्ड की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी। मैंने कहा- ऐसे नहीं, इसको अपने मुँह में तो लो। तो उसने कहा- अभी नहीं… रात को, अभी मैं तुम्हें ऐसे ही हल्का किये देती हूँ।
वो मेरी मुठ मारने लगी और थोड़ी देर मेरे लन्ड ने अपना पानी छोड़ दिया जिसे उसने चाट के साफ़ किया और रात में आने का वादा करके नीचे चली गई।
उसके बाद मैं रात होने का इन्तजार करता रहा। धीरे धीरे शाम हो गई तो मैं नीचे गया तो वहाँ सगाई का प्रोग्राम हो रहा था। दीदी बोली- कहाँ था तू अब तक? मैंने कहा- थक गया था इसलिए ऊपर सो रहा था। दीदी बोली- ठीक है, जा अब जल्दी से तैयार होके नीचे आ जा!
मैं थोड़ी देर में तैयार होकर आ गया। मेरी निगाहें पूरी महफ़िल में केवल पल्लवी को ढूंढ रही थी पर वो कहीं नज़र ही नहीं आ रही थी। थोड़ी देर में वो भी तैयार होकर आ गई। क्या बताऊँ दोस्तो… वो लाल साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज में बिल्कुल सनी लियोनी लग रही थी।
उसने मेरे पास आकर मुझसे पूछा- कैसी लग रही हूँ मैं? मैंने कहा- एकदम पटाका लग रही हो, दिल कर रहा है की यहीं पटक कर चोद दूँ। तो वो बोली- चल बदमाश!
रात के करीब 12 बजे फंक्शन ख़त्म हो गया और सब लोग थके होने के कारण सोने चले गए। मैं भी अपने कमरे में आ गया और कपडे चेंज करके बेड पर लेट कर पल्लवी का इन्तजार करने लगा। करीब 1 बजे वो आई तो मैंने गुस्से से पूछा- इतनी देर कहाँ लगा दी तुमने? तो वो बोली- लड़के को सुला रही थी। मैंने कहा- ठीक है।
अब मैंने उसको बेड पर खींच लिया और उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बोबे दबाने लगा. उसने अभी तक वही साड़ी पहनी हुई थी। वो मस्ती में अआ ईईई उम्म्ह… अहह… हय… याह… उउऊ जैसी कामुक आवाजें निकाल रही थी।
अब मैंने उसकी साड़ी को उसके बदन से अलग क़र दिया. उसके बदन का साइज़ 34-32-38 था। फिर मैंने उसके ब्लाउज को हटा दिया उसने नीचे लाल रंग की पारदर्शी ब्रा पहन रखी थी। अब मैं उसके पूरे शरीर को अपनी जीभ से चाटने लगा, कभी उसकी गर्दन तो कभी उसकी नाभि तो कभी उसकी बाँह को…
फिर मैंने धीरे से उसकी ब्रा को अलग किया और उसके 34 साइज़ के चूचों को मसलने लगा और उसके बूब्स पर अपना मुँह लगा दिया और उसके बूब्स पीने लगा. मेरे ज्यादा पीने से उसके बूब्स में से दूध निकलने लगा जिसको मैं पी गया। मैंने अपने लन्ड को उसके मुंह में दे दिया और वो मज़े से उसको चूसने लगी। बीच-बीच में वो मेरे लन्ड को अपने बूब्स के बीच में रगड़ रही थी।
कुछ देर की लंड चुसाई के बाद मेरे लन्ड ने अपना माल उसके मुँह में ही छोड़ दिया जिसे उसने सारा पी लिया। यह हिंदी चुदाई कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब मैं उसकी बगल में आकर लेट गया और उसके पेटीकोट को उतार कर एक साइड में फेंक दिया उसने नीचे लाल रंग की पेंटी पहनी हुई थी जो उसकी फूली हुई चूत को मुश्किल से ढक पा रही थी। मैं उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही चाटने लगा तो वो बोली- चड्डी को उतार दो! मुझे चूत चटाई का पूरा मजा लेना है। मैंने उसकी पेंटी को फाड़ के अलग क़र दिया तो वो बोली- फाड़ने की क्या जरूरत थी? मैंने कल ही ख़रीदी थी। मैंने कहा- कोई बात नहीं… मैं और दिला दूँगा।
अब मैं उसकी चूत को इस तरह से चाट रहा था जैसे डेरी मिल्क के ऐड में लड़की चॉकलेट के रेफर को चाटती है। उसकी चूत में से से नमकीन पानी निकल रहा था जिसे मैं पिए जा रहा था। काफी देर तक उसकी चूत चाटने के बाद मैंने अपने लंड को उसके हाथ में दे दिया। उसके हाथों के कमाल ने मेरे लन्ड को फिर से खड़ा कर दिया।
अब मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और अपने लंड को उसकी चिकनी चूत पर सेट कर दिया और खड़े होकर झटके देने लगा।
उसकी चूत पहले से ही खुली हुई थी इसलिये उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ। वो मेरे लन्ड पर जोर जोर से उछल रही थी और आआह आआईई ऊऊऊ ऊऊईईईई… फ़क मी हार्ड आआ… फाड़ दो मेरी चूत को…’ बोले जा रही थी। अब मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी चूत में जोर जोर से धक्के लगाने लगा।
कुछ मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरे लन्ड और उसकी चूत का पानी दोनों मिक्स होकर उसकी गांड तक बह रहा था। उसने मेरे लन्ड को अपनी ब्रा से साफ़ किया और जाने लगी तो मैंने उससे उसकी गांड मारने के लिए बोला तो वो कहने लगी- अभी रात काफी हो चुकी है, इसलिये मुझे जाना होगा नहीं तो कोई आ जाएगा। फिर वो मेरे लिप्स पर एक किस करके चली गई।
मैं वहाँ 4 दिन तक और रुका इन 4 दिनों में मैंने उसकी गांड और चूत मार मार के उसे अपना दीवाना बना दिया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी चुदाई कहानी। [email protected]
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