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डियर फ्रेंड्स, मैं राकेश दिल्ली से हूँ और अपनी चाची की देसी चुदाई की सेक्स स्टोरी लिख रहा हूँ।
बात उस समय की है जब मैं कई सालों बाद दिल्ली से अपने घर आया था। जब मैंने अपनी चाची को देखा तो मुझे वो बहुत ही खूबसूरत लगीं। वो उसी पल मेरे दिल में समा गईं। मैं किसी भी तरह उनको चोदने का उपाय सोचने लगा। पर क्या करता मेरी छुट्टी केवल एक हफ्ते की थी.. मैंने भी ठान लिया था।
जल्द ही मैं फिर से छुट्टी लेकर अपने घर आया। जिस दिन मैं अपने घर पहुँचा, उस दिन तो मैं बहुत थका हुआ था, सो खाना खाकर सो गया। कुछ समय बाद उठा तो देखा कि घर पर कोई नहीं है, मालूम हुआ कि सभी लोग एक पार्टी अटेंड करने गए थे। इस वक्त घर में केवल चाची जी स्नान कर रही थीं।
जब वो नहा कर निकलीं तो मैंने देखा कि वो काफ़ी परेशान सी लग रही थीं। मैंने पूछा- क्या हुआ चाची, कुछ परेशान लग रही हो? तो बोलीं- कुछ नहीं.. बस यूं ही। लेकिन वो काफ़ी परेशान थीं। वो जब अपने कमरे में गईं तो मैंने सोचा घर पर कोई नहीं है.. और चाची काफ़ी परेशान दिख रही हैं। कोई न कोई बात ज़रूर है, पर वो मुझसे बता नहीं पा रही हैं।
मैंने खिड़की से झाँक कर देखा तो वो अपने कपड़े उतार कर केवल ब्रा और पेटीकोट में थीं। पहले तो मैंने सोचा कि ये देखना ग़लत है.. पर मेरा कामुक मन नहीं मान रहा था, फिर भी मन को समझा कर मैंने देखना बंद कर दिया।
कुछ समय बाद आवाज़ आई- उह उह.. ओह्ह..
मैंने सोचा कि कोई बड़ी परेशानी लगती है सो मैंने फिर से झाँक कर देखा तो वो अपनी चुत में उंगली कर रही थीं।
जब मैंने ये सीन देखा, तो मैं सब समझ गया कि चाची प्यासी हैं। चाचा 5 साल से बाहर जॉब कर रहे थे। वो बेचारी घर में रह कर उंगली से काम चला रही थीं।
अब मुझसे रहा नहीं गया.. मेरा लंड एकदम मौसम में आ गया। पूरे 8 इंच का मेरा मोटा लंड इतना टाइट हो गया कि अब लगने लगा था कि चाची की चुत में ही सीधा घुसेड़ देना चाहिए।
चाची कमरे में अन्दर हस्तमैथुन में मस्त थीं। कुछ देर उंगली करने बाद जब चाची की चुत कू पूरा न्मजा मिल गया आई तो वो कुछ शांत हुईं। तभी उन्होंने मुझे अपने कमरे के पास देखा.. तो उन्होंने बाहर आकर पूछा- राकेश, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मैंने बोला- कुछ देख रहा था। उन्होंने बोला- किधर? मैंने जबाब दिया- आपके रूम में।
वो समझ गईं और शरमा के भाग गईं। पर क्या करें यार.. मेरा लंड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैं अपने लंड को शांत करने के लिए मुठ मारने में लग गया। हिंदी देसी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं मुठ मार ही रहा था कि चाची आ गईं और उन्होंने मेरे कड़क लंड को देख लिया। चाची ने पल्लू मुँह में दबाते हुए कहा- ये क्या कर रहे थे तुम.. शर्म नहीं आती.. आने दो तुम्हारी मम्मी से शिकायत करती हूँ। मैंने बोला- चाची क्यों बदनाम कर रही हो मुझे.. तुम भी अपनी जवानी बर्दाश्त नहीं कर पा रही हो और मैं भी प्यासा हूँ। उसने बोला- तुम्हारा मतलब क्या है? तब मैंने कहा- जो तुम रूम के अन्दर कर रही थीं.. वो सब मैंने देख रहा था। इतना सुनने के बाद चाची एकदम चुप सी हो गईं और मुझे इस तरह से देखने लगीं कि अब वो मुझे खा जाएंगी।
फिर उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने मुझे अपने कमरे में अन्दर ले जाकर दरवाजा लॉक कर दिया। चाची कहने लगीं- राकेश 5 साल हो गए.. कोई कैसे बर्दाश्त करेगा.. तुम मेरी प्यास बुझा दो।
इतना सुनते ही मेरे रोम-रोम में जोश आ गया और मैंने भी हाँ में मुंडी हिला दी।
अब चाची ने मुझे कसके पकड़ लिया और किस करने लगीं। मैंने देखा उनके चुदास की आग भभक रही थी। फिर मैं बिस्तर से उठा और उनको किस करना शुरू कर दिया। चाची बोलीं- राकेश किस बाद में करना.. पहले तुम अपना लंड मेरी चुत में डाल दो। मतलब चाची फ़टाफ़ट वाली देसी चुदाई चाह रही थी.
मैंने चाची की साड़ी ब्लाउज पेटीकोट सब उतार दिया। अब वो केवल ब्रा-पेंटी पर आ गई थीं। उनके तने हुए मम्मों को देखते ही मेरा लंड फिर से उफान खाने लगा।
चाची ने देखा कि मेरा लंड बहुत फूल रहा है तो उन्होंने झट से मेरे पेंट-शर्ट उतार कर मेरे अंडरवियर से लंड बाहर निकाल लिया और सहलाने लगीं। उस वक्त मानो मैं जन्नत की सैर कर रहा था। उन्होंने कहा- राकेश और मत तड़पाओ मुझे.. जल्दी से अपना मूसल डाल दो।
मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और चाची ने भी अपनी टांगें उठा कर चूत चुदवाने के लिए खोल दी, एकदम देसी चुदाई का तरीका था यह! चाची की चुत इतनी कोमल और खूबसूरत थी कि जी चाहता था कि कच्चा खा जाऊँ साली को।
उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया मुझसे लिपट गईं। तब मैंने सोचा कि इस वक्त चाची को ज्यादा तड़पाना सही नहीं है.. पहले इनकी प्यास बुझा दूँ, फिर बाकी की हसरत दूसरी बार में पूरी करूँगा।
जब मैंने अपना लंड केवल उनकी चुत पर सहलाया तो वो ‘ओह.. उह.. अह..’ करने लगीं। चाची चुदास से बोलीं- अह.. राकेश पेल दो पूरा.. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है। मेरा लंड भी पूरे में जोश था कि कब चाची की चुत को फाड़ दूँ।
उस वक्त मेरे पास कंडोम नहीं था मैंने चाची से कहा तो उन्होंने कहा कि ऐसे ही पेल दो। मैं अपना लंड बिना कंडोम के डालने लगा.. लेकिन चाची की चूत पांच साल से चुदी न होने के कारण एकदम सिकुड़ गई थी। जब चूत ने दर्द सहने से मना कर दिया तो चाची झट से उठीं और वैसलीन ले आईं।
उन्होंने तुरंत अपने हाथों से मेरे लंड पर वैसलीन लगाई और कुछ अपनी चूत की फांकों में लगा ली। मैंने उनकी चुत पर सुपारा लगाया और धीरे से अन्दर को ठेला तो चाची व्याकुलता से बोलीं- अह.. राकेश मुझे चोद दो.. ज़ोर से पेल दो.. पूरा डालो।
मैंने भी चाची की टांगें उठा लीं और अपना लंड पूरा घुसेड़ दिया। चाची की कराह निकल गई लेकिन कुछ ही समय में चूत ने साथ देना शुरू कर दिया, चाची बोलीं- अह.. और डालो.. चोदो चोदो ज़ोर से अह.. मैंने तेज़ी से चोदना शुरू किया और चाची देसी चुदाई का मजा लेते हुए चिल्लाती रहीं ‘ओह उह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह..’
जब चाची वैसलीन लेने गई थीं तब मैंने दवा खा ली थी।
कुछ ही मिनट के बाद चाची झड़ गईं.. जब वो झड़ी तो लंड के झटकों से ‘फच.. फच..’ की आवाज आने लगी। मैं चाची को धकापेल चोदता रहा। चाची बोलीं- राकेश थोड़ा रुक जाओ, मुझे तकलीफ हो रही है। लेकिन मैं चाची को चोदता रहा। मेरा लिंग भी कड़क होकर दर्द करने लगा.. लेकिन दवा के जोश में मैं रूका नहीं, चोदता ही रहा।
फिर मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया और फिर चोदना शुरू कर दिया।
चाची बोलीं- राकेश बस करो.. जलन हो रही है। मैंने कहा कि बस आने ही वाला हूँ चाची थोड़ा और झेल लो।
जब मैं झड़ने वाला था तब मैंने बोला- चाची माल अन्दर गिराऊँ या बाहर? तो बोलीं- नहीं.. अन्दर ही गिराओ।
मैं नहीं माना और मैंने लंड निकाल कर उनके मुँह में डालना चाहा.. पर उन्होंने मना कर दिया। तब तक मेरा माल उनके चेहरे पर गिर गया। चाची संतुष्ट हो चुकी थीं.
इसके बाद तो चाची को मेरे लंड से प्यार हो गया और उन्होंने कुछ देर बाद मुझे अपनी चूत फिर से चोदने के लिए दे दी।
मेरी चाची की देसी चुदाई की मेरी सेक्स स्टोरी पर आपके कमेंट्स का स्वागत है। [email protected]
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