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यह मेरी पहली कहानी है एक आंटी की चुदाई की… मैं एक 28 साल का लम्बा, स्लिम शरीर वाला लड़का हूँ. यह कहानी 4 साल पहले की है. मैं तब अक्सर एक दोस्त के घर जाता था करीब 6 बजे. वहाँ से उस वक़्त रिक्शा से एक आंटी जाती थी वो दिखने में थोड़ी मोटी थी, हाइट भी उनकी ज़्यादा नहीं थी, उनकी उमर 45 साल के आस पास होगी लेकिन उनके चूतड़ काफ़ी भारी और बड़े थे. रिक्शा की पूरी सीट पर उनकी गांड होती थी. बूब्स भी उनके काफ़ी भारी थे.
मैं उन्हें चोदने की सोचता था पर घर का पता लगा कर कैसे उन्हें पटा कर चोदूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैंने एक दिन रिक्शा का पीछा करके उनके घर का पता किया, उनकी दिनचर्या का पता लगाया. काफ़ी दिनों के बाद उनकी पूरी जानकारी लगी, उनका एक बेटा था जो मेरी ही उमर का था, मैंने उससे दोस्ती की कोशिश की और धीरे धीरे दोस्ती हो गई लेकिन मैं अभी तक आंटी तक नहीं पहुंच पाया था.
मैंने अब आंटी पे डाइरेक्ट लाइन मारना शुरू कर दिया, वो जब भी मेरे सामने से जाती, मैं उन्हें देखता था, आंटी ने कई बार मुझे अपने बेटे के साथ बात करते भी देखा था, आंटी मुझे डाइरेक्ट लाइन तो नहीं देती थी पर वो चुपके मुझे नोटिस करती थी. वो कभी कभी मेरी तरफ़ भी देखती थी. मैं अब आंटी के और पास जाने की कोशिश करने लगा. मैंने उन तक पहुंचने के लिए उनके बेटे को ज़रिया बनाया. मैं उनके बेटे के साथ ज़्यादा रहने लगा.
किस्मत से एक दिन आंटी अपने लड़के के साथ सब्जी मंडी में मिल गई. मैं इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, मैंने जल्दी से उनके पास जाकर उनसे नमस्ते की और उनके बेटे के साथ बात करने लगा, बीच बीच में आंटी से भी बात कर रहा था, आंटी भी मुस्कुरा कर बात कर रही थी.
तभी आंटी सब्जी वाले पे गुस्सा होने लगी, वो प्याज़ के रेट बहुत ज़्यादा बोल रहा था, तभी मैंने आंटी से झूठ बोला, मैंने आंटी से कहा- अरे आंटी, आप प्याज़ क्यों खरीद रही हैं, मेरे एक अंकल हैं जो प्याज़ की खेती करते हैं, वो अक्सर हमारे घर पर प्याज़ भेजते हैं, काफ़ी तो घर पर खराब होकर जाते हैं, मैं उनमें से कुछ आपको दे दूँगा. आंटी थोड़ा हँसी और ‘ठीक है…’ बोल दिया.
मैं खुश था कि आंटी के घर जाने का मौका मिल गया.
मैं अगले दिन 5 किलो प्याज़ खरीद कर आंटी के घर पर गया, आंटी घर के काम कर रही थी, वो मॅक्सी में थी जो स्लीवलेस थी, उनके नंगे हाथ मुझे उत्तेजित कर रहे थे. मैंने उनको नमस्ते की और उन्हें प्याज़ देकर वापस जाने के लिए पूछने लगा. आंटी ने मुझे बैठने को कहा, मैं ख़ुशी ख़ुशी झट से सोफे पे बैठ कर उनके बेटे के साथ बात करने लगा.
आंटी ने मुझे पानी दिया और थैंक्स बोला. मैंने कहा- कोई बात नहीं आंटी! फिर आंटी ने हमें कॉफी बना कर दी और अपने घर के काम करने कागी. वो जब काम कर रही थी तो उनकी मॅक्सी कभी कभी घुटनों तक उठ जाती, जिससे उनकी मोटी गोरी टाँग दिख जाती. जब वो झुकती तो उनके भारी बूब्स दिख जाते, मैं नज़र भर कर उनको देखता. आंटी ये सब नोटिस कर रही थी मगर अपने कपड़े ठीक नहीं कर रही थी, मुझे ऐसा लगा जैसे आंटी मुझे सिड्यूस कर रही हैं.
जब मैं उनके घर से चलने लगा तो आंटी प्याज़ का बैग उठाने लगी, तब मैं आंटी की हेल्प करने का नाटक करने लगा ताकि मैं उन्हें टच कर सकूँ, उनकी मदद करते समय मेरा हाथ उनके बूब्स पर टच कर रहा था जिसे मैं धीरे से पुश कर रहा था. आंटी भी मुस्कुरा कर मुझसे बात कर रही थी, हम एक दूसरे की आँखों मैं देख रहे थे. आंटी बड़ी नॉटी स्माइल के साथ मुझे गेट तक छोड़ने आई और मैं वापस घर आ गया.
अब मैं आंटी के बारे और भी कॉन्फिडेंट हो गया और उनके बारे मैं सोचकर अपना लंड हिलाने लगा. मैं सोचने लगा कि आंटी को आगे कैसे पटाया जाए. मैं अक्सर उनके बेटे के पास फोन करता, कभी कभी आंटी से बात हो जाती, मैं आंटी के साथ फोन पर डबल मीनिंग बात भी कर देता. आंटी भी मुस्कुरा देती और कभी भी बुरा नहीं मनती थी.
एक बार मुझे उनके बेटे से पता चला कि आज आंटी घर पर अकेली होंगी क्योंकि उनका बेटा और उनके पति गाँव में किसी कार्यक्रम में जा रहे हैं और उन्हें घर तक आते हुए रात हो जाएगी. मैं सुबह 11 बजे उनके घर आ गया, आंटी ने दरवाज़ा खोला. उसके बाद जो हुआ वो इस तरह है:
आंटी ने दरवाज़ा खोला, मैंने कहा- मुझे आकाश[उनके बेटे का बदला हुआ नाम] से मिलना है. आंटी हंसकर बोली- वो तो आज किसी कार्यक्रम में गया है. मैं- तो मैं बाद में आता हूँ. आंटी-‘क्यों सिर्फ़ आकाश से ही मिलना है, आंटी से नहीं मिलना? मैं हंसते हुए- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. आंटी- तो फिर अंदर आओ, मैं अकेली बोर हो रही हूँ!
मैं फटाफट अंदर चला गया. आंटी ने सारी पहनी हुई थी, वो बड़ी सेक्सी लग रही थी, मैं आज उन्हें किसी भी कीमत पर चोदना कहता था.
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- आंटी कब तक आएँगे आकाश और अंकल? आंटी- उन्हें रात हो जाएगी. मैं मन में सोच रहा था कि रात तक तो आंटी की कई बार चुदाई हो जाएगी.
मैं- आंटी, आप क्यों नहीं गई’? आंटी- बस ऐसे ही पीछे से कोई घर में आ जाए तो उसे भी अटेंड करने के लिए होना चाहिए. मैं- क्या कोई पीछे से भी आता है? आंटी हंसते हुए- हाँ, तू जो आता है. मैं- आंटी, मैं तो पहली बार आया हूँ. आंटी- मुझे पता है, अब से तू पीछे से ही आया करेगा.
आंटी नॉटी स्माइल के साथ मुझसे बोली- रुक… मैं कुछ खाने पीने के लिए लाती हूँ!
थोड़ी देर बाद आंटी फ्रूट की प्लेट के साथ आई और टेबल पर प्लेट रख कर मेरे सामने सोफे पर बैठ कर बात कर रही थी. आंटी की वक्षरेखा साफ दिख रही थी, उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, उनका पेट भी नज़र आ रहा था, मैं बार बार उनकी क्लीवेज देख रहा था, आंटी ये सब नोटिस करती और मुझे देख कर हंस देती. तभी आंटी ने पूछा- क्या तुम्हें सच मैं नहीं पता था आज मेरा बेटा घर पर नहीं है? मैं- नहीं, मुझे नहीं पता था.
आंटी- झूठे, तुमने कल जब फोन किया तो मैं यहीं पर थी, जब मेरा बेटा तुमसे बात कर रहा था. और आंटी हंसने लगी फिर आंटी ने पूछा- सच बताओ तुम यहाँ क्यों आए हो? मैंने आंटी से कहा- आंटी, मैं आपसे मिलने आया हूँ. आंटी- मुझसे मिल के तुम्हें क्या मिलेगा, मिलना है तो किसी लड़की से मिलो! मैं- नहीं, मुझे लड़की नहीं, आप अच्छी लगती हो!
आंटी- मुझमें क्या अच्छा लगता है? मैंने आंटी की क्लीवेज की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये अच्छा लगता है. आंटी हंसते हुए- तू शरारती हो गया है, अरे जवान लड़की के तो मुझसे भी अच्छी होगी, मेरे बूब्स अच्छे लगते हैं? जब आंटी ही इतनी फ्रेंक हो रही थी तो मैं भी फ्रेंक हो गया और मैंने कहा- आंटी आपके बूब्स बड़े हैं, और काफ़ी नर्म हैं. आंटी- तुझे कैसे पता नर्म हैं? मैं- मैंने प्याज़ देते वक्त महसूस किया था.
आंटी हंसने लगी और पूछने लगी और पूछने लगी- और क्या क्या अच्छा लगता है? मैं- एक चीज़ मुझे आपकी बहुत अच्छी लगती है, जो मैंने अब तक नहीं देखी. आंटी- ऐसी क्या चीज़ है जो तूने देखी भी नहीं और अच्छी भी लगती है? मैं- ये मैं आपको तभी बताऊँगा जब आप खड़ी होकर आँख बंद करेंगी और जब तक आँख नहीं खोलेंगी, जब तक मैं नहीं कहूँगा.
आंटी खड़ी होकर बोली- ले मैंने आँखें बंद कर ली, अब बता! मैं आंटी के पास गया और उनकी उनकी साड़ी नाभि से नीचे करके उनकी नाभि को जीभ से चाटते हुए बोला- मुझे आपकी नाभि बहुत अच्छी लगती है. आंटी ने मेरे बाल सहलाते हुए कहा- तुझे मेरी नाभि क्यों अच्छी लगती है? मैंने उनकी नाभि मैं अपनी उंगली घुमाते हुए कहा- ये बहुत गहरी और बड़ी है. यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
यह कह कर मैं उनकी नाभि को चाटने लगा. आंटी भी मेरा फेस अपनी नाभि पे रगड़ने लगी और बोली- आज तो तेरे मन की पूरी हो गई! मैं- आंटी, अभी मेरे मन की पूरी नहीं हुई, मुझे और भी बहुत सी चीज़ अच्छी लगती है. आंटी हंसते हुए- और क्या अच्छा लगता है? मैं- आप पहले बेड पर चलो!
आंटी नीचे झुकी, मेरे गाल पर किस जड़ दी और मुझे हाथ पकड़ कर बेड पर ले गई और अपनी साड़ी उतार कर पेटीकोट, ब्लाउज में बेड पर लेट गई और अपने बाल खोल कर बोली- और क्या अच्छा लगता है तुझे’ मैं भी अपनी टीशर्ट निकाल कर आंटी के लिप्स पर अपनी जीभ लगाकर बोला- मुझे आपके लाल लिप्स भी बहुत अच्छे लगते हैं. आंटी ने मुझे अपने नीचे किया और पागलों की तरह स्मूच करने लग गई. हम काफ़ी देर तक एक दूसरे के ऊपर नीचे होकर स्मूच कर रहे थे. मैं उनकी गर्दन पर किस करता, कभी आंटी अपने दांतों से मेरे गाल काट रही थी. मैं उनके बूब्स भी दबा रहा था.
अब आंटी ने मुझे नीचे किया और मेरी चेस्ट को काटने लगी और बोली- बहुत चौड़ी छाती है तेरी! मैंने आंटी का ब्लाउज उतारा और उनके निप्पल से खेलना शुरू कर दिया. मैं अपनी दोनों उंगलियों से उनके निप्पल जब भी दबाता, वो कहती- ये काफ़ी शरारती हो गए हैं, इन्हें दांतों से काटो! मैंने निप्पल को दांतों से काटना शुरू किया.
आंटी कह रही थी- ज़ोर से काटो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे दर्द नहीं होगा. मैं अब उनके निप्पल ज़ोर से काटने लगा. आंटी बड़ी मस्त आवाज़े निकल रही थी. मैं आंटी की बगलों को चाटने लगा. काफ़ी बाल थे पर मैं मस्त तरीके से आंटी की बगलें चाट रहा था. आंटी भी मस्त हो रही थी. मैंने मौका देख कर आंटी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और आंटी को पूरा नंगी कर दिया. आंटी ने भी टाँगों से मेरी निक्कर निकाल कर अपनी टांग से मेरे लंड को सहलाने लगी. मैं आंटी के पेट को चाट रहा था और धीरे धीरे उनकी झाँटों को चाटने लगा, आंटी मस्ती में आवाजे निकाल कर हिल रही थी.
मैं धीरे धीरे उनकी जांघों को चाटने लगा और उन्हें उल्टा करके उनकी गांड पर अपनी जीब फेरता, कभी उनकी गांड पर थप्पड़ मारता. अब धीरे धीरे मैं अपनी जीभ से उनकी गांड के छेद को चाटने लगा. आंटी मेरा चेहरा अपनी गांड में दबा रही थी, मैं पीछे से ही उनकी चूत को भी चाट रहा था.
अब मैं आंटी को सीधा करके उनकी चुची चूसने लगा और अपनी उंगली से उनकी चूत सहला रहा था, आंटी भी मेरा लंड पकड़ कर हिला रही थी. थोड़ी देर के बाद मैंने आंटी की चुची पर अपनी गांड रख कर उन्हें अपना लंड चूसने के लिए कहा, आंटी भी मस्ती से मेरा लंड चूस रही थी.
कुछ देर बाद आंटी ने कहा- अब नहीं रुका जा रहा! और वो मुझे नीचे लिटाकर मेरे लंड पर बैठ कर कूदने लगी, मैं उनकी चुची दबाता, कभी उनके निप्पल चूसता, आंटी भी मुझे स्मूच कर रही थी.
कुछ देर बाद हम मिशनरी स्टाइल में आ गये और मैं काफ़ी तेज झटके मारने लगा. 5 मिनट झटके मारने के बाद आंटी झड़ गई और मेरी छाती पर काटने लगी. कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया. हम काफ़ी देर नंगे ही ऐसे पड़े रहे. उस दिन मैंने आंटी की चुदाई रात तक 4 बार की और उनकी फैमिली आने से पहले घर वापस आ गया.
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