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दोस्तो, मेरा नाम राजू है, मेरी उम्र इस समय 23 साल है। मैं यूपी का रहने वाला हूँ। मेरा घर गांव में ही है। कहानी मेरी पड़ोस में रहने वाली चाची की है, वो मेरी सचमुच की चाची नहीं ऐसे ही पड़ोसन है। उनका नाम गीता है, उनकी उम्र इस समय 40 के लगभग हो रही है। फिर भी वो देखने में बिल्कुल जवान लगती है। उनके 4 सन्तान भी हैं, दो लड़की दो लड़के, एक लड़की की शादी भी हो चुकी है और दो लड़के बाहर में काम करते हैं।
उनके पति का हालत हमेशा खराब ही रहती है, उनका परिवार गरीब है फिर भी रहन सहन अच्छा है। उनके यहाँ मेरा हमेशा आना जाना लगा रहता है.
मैंने आपको बताया कि गीता चाची दिखने में बहुत सुंदर और गोरी हैं, उनकी खड़ी खड़ी दोनों चूचियाँ 34″ की है, उनकी कमर लगभग 28″ तो होगी ही… गांड भी पीछे बहुत उठी हुई है। मतलब वो बहुत सेक्सी दिखती हैं, चेहरा भी गोल है। उन्हें चोदने के लिए मेरे मन में कब से खयाल आते रहते थे लेकिन वो किसी भी मर्द के तरफ नहीं देखती है सिवाय चाचा के! चाचा अब चाची की अच्छे से प्यास नहीं बुझा पा रहे थे।
चाची हमेशा साड़ी ही पहनती हैं, मेरी बुरी नजर चाची पर हमेशा रहती थी, चाची भी जहाँ मुझे देखती थी, अपनी साड़ी के पल्लू से अपनी चुची ढक लेती थी।
एक दिन गीता चाची बाथरूम में थी, मैं उनके यहाँ कुछ सामान लेने गया। तभी मुझे उनके बाथरूम से कुछ आवाज सुनाई दी, मैं चुपचाप बाथरूम की तरफ चला गया।
जो मैंने उस समय देखा, मेरा तो दिमाग ही हिल गया, मैंने देखा कि गीता चाची अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर के ब्लाउज के हुक खोले हुए अपनी चुची मसल रही थी. उस समय वो गुलाबी रंग की साड़ी पहने थी, उनके खुले घने काले बाल बिखरे हुए थे और अपने पेंटी को नीचे करके अपनी चूत में कुछ घुसेड़ रही थी और खूब आहें भर रही थी उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाह… मुझे उस समय उनकी चूत साफ नहीं दिख रही थी क्योंकि वहाँ थोड़ा अंधेरा था।
जब चाची शांत हो गई तो मैं वहाँ से धीरे से खड़ा लंड लिए खिसक गया।
तभी गीता चाची को कुछ शक सा हुआ क्योंकि वहाँ से जाते समय मेरा पैर फिसल गया था तथा कुछ आवाज चाची को सुनाई दे गई। तभी जल्दी से गीता चाची बाहर आ गई और मुझे भागते देख लिया।
दूसरे दिन चाची मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी और अब वह मुझे देख कर अपनी साड़ी भी सही नहीं कर रही थी। तभी मैं बोला- क्या हुआ चाची, आज आप इतनी चुप क्यों हैं? वो कुछ नहीं बोली तो मैं वहाँ से जाने लगा।
तभी चाची पीछे से आकर के बोली- राजू, जरा सुनो, तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है। मैं बोला- ठीक है। वो अपनी किचेन में मुझे ले जा कर पूछने लगी- तुमने कल कुछ देखा था क्या? मैं बोला- क्या? वो चुप हो गई।
फिर मैं बोला- क्या? हिचकते हुए चाची बोली- जब मैं बाथरूम में थी! तब मैं चुप हो गया और उनके कसे दूध की तरफ देखने लगा. चाची उस समय नारंगी रंग की साड़ी और ब्लाउज पहने हुई थी।
चाची कुछ नहीं बोली और सर झुकाये चल दी, मैं अपने घर चल दिया। चाची भी चली गई और कुछ नहीं बोली.
मैं घर जा कर लेट कर कल वाली बात सोचने लगा और मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया मेरा लंड उफान मारने लगा. तभी मैं जोश में आकर चाची के घर चल दिया.
चाची खाना पका रही थी. तभी मैं पीछे से जाकर उनकी चूचियाँ मसलने लगा. चाची बोली- छोड़ गुंडे कहीं के… तेरी माँ बहन नहीं है क्या? कुत्ते हरामी छोड़… नहीं तो मैं अभी हल्ला करती हूँ।
मैं उन्हें छोड़ कर अलग हो गया। वो मुड़ी और आकर के मुझे एक तमाचा मारा।
मुझे बहुत गुस्सा आया और बोला- अभी मैं सबको बता कर आता हूँ कि उस दिन तुम बाथरूम में क्या कर रही थी। और भी धमकी दी कि उस समय की सारे तस्वीरें मेरे मोबाइल में बंद हैं, मैं सभी को दिखाने जा रहा हूँ। फिर मारना, जितना मारना होगा।
चाची चुप हो गई, मैं वहाँ से जाने लगा। तभी गीता चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलने लगी- मुझे माफ़ कर दो, मुझसे गलती हो गई। तुम्हें बोलो क्या चाहिए, मैं तुम्हें सबकुछ देने के लिए तैयार हूँ। मगर वो बाथरूम वाली बात किसी को मत बताना, मेरी बहुत बदनामी होगी। मेरी बेटी दामाद मुझे क्या समझेंगे!
मैं बोला- मुझे जो चाहिए वो दोगी? वो बोली- तुम्हें जो चाहिए ले लो।
मैं चाची से बोला- पहले तुम मुझे अपनी चूत के दर्शन कराओ! चाची बोली- तुम मुझे चाची कहते हो, मेरे भतीजे हो, मेरी चूत कैसे देख सकते हो? मैं बोला- ठीक है, मैं अभी जाकर के सभी को तुम्हारे बारे में बताता हूँ। चाची- नहीं राजू, रुको! मैं तो ऐसे ही बोल रही थी।
तभी गीता ने अपनी साड़ी समेटते हुए पेटीकोट को भी साथ में समेटते हुए ऊपर की, चाची की काले रंग की पेंटी दिखने लगी उस पर सफेद फूल का डिजाइन था। मैं जाकर पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को दबाने लगा. गीता चाची बोली- ये क्या कर रहे हो? तुमने तो सिर्फ दिखाने के लिए बोला था।
मैं और जोश में आ गया और चाची की ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी चूची को जोर जोर से निचोड़ने लगा। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
चाची अब गर्म हो चुकी थी, तभी बोली- छोड़ो मुझे, ये अच्छा नहीं है। तो मैं बोला- क्या अच्छा है? जो तुम बाथरूम में कर रही थी? वो बोली- नहीं वो तो… मैं- क्या वो तो?
चाची चुप हो गई थोड़ी देर के लिए… फिर बोली- क्या तुम मुझे चोदना चाहते हो? मैं बोला- हाँ! चाची बोली- मैं तैयार हूँ… मगर अभी नहीं रात को, जब मैं बाहर शाम को टहलने निकलती हूँ, तुम उस समय आ जाना! मैं बोला- कहाँ? तो वो बोली- बंधे पे जहाँ हम सब मैदान टट्टी करने निकलते हैं।
मैं बोला- हम सब मतलब और कौन आएगा तुम्हारे साथ? तो चाची बोली- कोई नहीं, मेरी छोटी वाली बेटी! ‘अच्छा गुड़िया…’
हाँ दोस्तो, मैं आप सब से एक बात कहना भूल ही गया था कि चाची की बेटी जो बड़ी वाली थी उसका नाम कुसुम और छोटी वाली का नाम गुड़िया है, दोनों बहुत मस्त माल हैं, कुसुम की उम्र 22 के लगभग होगी, गुड़िया की उम्र 20 साल है, बड़ी वाली की शादी भी हो चुकी है, उसका एक लड़का भी है।
मैं चाची से बोला- चाची, गुड़िया की बुर अभी तक खुली है या नहीं? चाची गुस्सा हो गई और बोलने लगी- उसके बारे में कुछ बोलना भी मत… नहीं तो तुम मेरी भी चूत नहीं चोद पाओगे, चाहे तुम कुछ भी कर लो। मैंने मन में सोचा- पहले तेरी चूत तो मार लूँ, फिर देख जायेगा। मैं बोला- तो चाची गुड़िया कहाँ पे रुकेगी? चाची- मैं उसे समझा दूंगी।
मैंने उस समय चाची से पूछा- अभी मेरे लण्ड का क्या होगा? चाची बोली- तो मैं क्या करूँ? ‘तुम केवल अपनी चूची को दबाने दो अभी 5 मिनट के लिए…’ चाची बोली- ठीक है, लेकिन ब्लाउज नहीं खोलूंगी। ऊपर से ही दबाओ मगर धीरे दबाना! तुम बहुत जोर से निचोड़ते हो! मैं बोला- ठीक है।
चाची बगल में खड़ी हो गई, मैं एक हाथ से उनकी चूची दबा रहा था दूसरे हाथ से मुठ मार रहा था।
तभी कुछ देर बाद उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरा पानी निकल गया और मैंने चाची की साड़ी में अपना माल पौंछ दिया। उसके बाद हालात कुछ ऐसे बने कि मैं कुछ नहीं बता सकता.
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