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दोस्तों, मैं आपका दोस्त दीप अब आपको आगे की कहानी बताता हूँ..
टिकट लेकर हम दोनों गाड़ी में बैठ गए। गाड़ी में बहुत ही भीड़ थी। लेकिन हम फेर भी एक सीट पे जगह बनाकर बैठ गए। भीड़ ली वजह से सविता का बदन मुझसे रगड़ खा रहा था।
इससे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मेरी पेंट में तम्बू बन गया था। जिसका शायद सविता को भी आभास हो गया था। वो हल्का सा मुस्कुराई और दूसरी तरफ मुंह कर लिया। फेर गाडी 2 घण्टे बाद मेरे शहर जाकर रुकी।
उस वक्त शायद 11 बज रहे थे, रात को कोई यातायात का साधन दिख नही रहा था। मैंने सोचा पास में ही तो घर है, पैदल चले जाते है। रास्ते में एक ढाबे से खाना पैक करवाया और बाते करते आधे घण्टे में घर आ गए। घर पे दरवाजा बाहर से लॉक था।
सविता ने पूछा,” अजय दरवाजा आगे से बन्द क्यों है। तुम्हारे साथ कोई नही रहता क्या ?
मैं — भाभी वैसे तो मेरा पूरा हरा भरा परिवार है, लेकिन बाकी परिवार गांव में है, काम की वजह से मैं अकेला यहां शहर में किराये के मकान में रहता हूँ। आप चिंता न करो। आपको यहां कोई तकलीफ नही होगी। यहां आपके खाने, नहाने का सब इंतज़ाम है ।
मैंने अंदर आते ही, लाइट्स ओन की और भाभी को बेड पे बैठने का इशारा किया फेर किचन में जाकर 2 गिलास पानी ले आया। पानी पीकर बोला,” भाभी आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं खाना परोसता हूँ।
सविता आपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई। करीब 10 मिनट बाद एक खुली सी नाइटी में वही दुबारा वापिस आ गयी। जिसे देखकर मेरा मुंह खुले का खुला ही रह गया। फ्लर्टी ढंग से उनसे बोला,” वाओ भाभी यू आर सो ब्यूटीफुल इन दिस सिचुएशन….
आगे से सविता भी हल्का सा हंस पड़ी और बोली,” अकेला देखा नही लग गए कॉमेंट करने।
मैं — नही भाभी कसम से आप बहुत सुंदर लग रही हो इस कॉस्ट्यूम में, अगर मेरी जगह भाई होते तो पकड़ कर चूम लेते।
इसपे दोनों हंस दिए
सविता — बस बस अब खाना परोसो, क्या बातो से पेट भरोगे अपना और मेरा।
हम ने मिलकर खाना खाया। अब दिक्कत थी तो सोने की, क्योंके मेरे पास एक ही डबल बेड था। लेकिन सोने वाले 2 जने। रात भी बहुत हो चुकी थी।
मैं — भाभी माफ़ करना, आज की रात आपको मेरे साथ ही इस बेड पे सोना पड़ेगा। सुबह होते ही आपके लिए कोई नया इंतज़ाम कर दूगा। लेकिन फेर भी आपको कोई ऐतराज या दिक्कत है तो मैं अपना बिस्तर निचे ज़मीन पे लगा लेता हूँ। आप अकेले ऊपर सो जाओ।
सविता — नही नही अजय ऐसी कोई बात नही, तुम भी ऊपर ही सोवो। मुझे कोई आपत्ति नही है।
सविता भी मेरी मज़बुरी समझ गयी और ना चाहते हुए उसे मेरे साथ उसके बेड पे सोना पड़ा।
लेटते ही घर परिवार की बाते शुरू हो गयी। जिसमे सविता ने बताया के कैसे और कहाँ कहाँ से उसने अपना इलाज़ करवाया है। बाते करते करते वो भावुक हो गयी और उसकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।
मैने अपने हाथो से उसकी आँखे पोंछी और कहा,” माफ़ करना भाभी, मेरा मकसद आपको रुलाना नही था। मैं तो सिर्फ अपनी जानकारी के लिए आपसे कुछ पूछ रहा था।
वो कहते है न यदि किसी दुखी इंसान को जरा सा कुछ उसके दुःख के बारे में पूछ लो तो वो पूरी गठरी खोलके सामने रख देता है। यहाँ भी ऐसा ही हुआ वो ज़ोर ज़ोर से मेरे गले लगकर रो रही थी। जिस से थोडा मैं भी इमोशनल ही गया था। मैं जितना उसे चुप करवाने का यतन करता वो ज्यादा रोने लगती।
सविता (रोते हुए)- अजय किसी भी तरह से मुझे माँ बनने में मेरी मदद करदो। मैं आपका ये अहसान जिंदगी भर नही भुलुगी। आस पड़ोस की बहुए जो मेरे बाद आई है, वो 2-2 बच्चों की माऐं बनी हुई है। इधर मैं हूँ के शादी को 10 साल हो गए है, एक बार भी ये सपना पूरा नही कर पायी।
वो इमोशनल होकर इतना बहक गई के हर जायज, नज़ायज़ काम करने को तैयार थी। उसे सिर्फ माँ बनने से मतलब था। तरीके की कोई भी हो परवाह नही थी।
इधर मैं भी आज कई महीनो बाद किसी औरत को इतना पास से देख रहा था। उसका सोया हुआ काम भी जाग गया। सो मैं न चाहते हुए भी मन का कण्ट्रोल खो रहा था। जिसका शायद सविता को भी थोडा बहुत आभास हो रहा था।
लेकिन शायद उसे भी ये अच्छा लग रहा था तो वो भी बिना किसी डर के मेरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर बाद सविता ने महसूस किया के उसके पेट में कुछ कड़क सा चुभ रहा है। उसने हाथ लगाकर देखा तो वो मेरा निक्कर में तना हुआ 8 ईची मोटा लण्ड था। जिसे हाथ लगते ही वो भी काम आवेश की वजह से बहक गयी, आखिर आग के पास घी कब तक ठोस रहता।
उसका मन भी अब उस लण्ड को लेने का हो रहा था। परन्तु पहल कैसे करे ये मुसीबत थी। फेर उसके दिमाग में एक तरकीब आई। वो बोली,” अजय मैं हमेशा कपिल के साथ चिपक कर सोती हूँ, अगर आपको नींद में चिपक जाऊ तो प्लीज़ बुरा मत मानना।
मैं — कोई बात नही भाभी, आपका जैसे दिल करे सो सकती हो।
अब आग दोनों तरफ लगी हुई थी। बस कहने से डर रहे थे। इतने में बाहर बारिश होने लग गयी। उधर आसमान में ज़ोरदार बिजली गड़की और इधर सविता डरकर मेरे साथ चिपक गई। दोनों की जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी हो। मैने उसकी बिखरी ज़ुल्फो को ऊँगली से ठीक किया।
मेरे हाथ का स्पर्श पाकर सविता फेर बहकने लगी। उसकी आँखे काम आवेग में बन्द होने लगी। मेरा दिल भी धक, धक, धक करने लगा के यदि मेरे पहल करने से ये बुरा मान गई तो मैं भाई को क्या मुंह दिखाऊँगा?
फेर भी मैने एक बार फेर अपना दायां हाथ सविता के सिर पे फेर और उसके बिखरे बालो को सेट करने लगा। फेर ऊँगली से माथे के बिच में से निचे की ओर नाक पे, फेर होंठो में ऊँगली घिसाते हुए फेर गाल पे, कान की पेपड़ी पे जीभ से स्पर्श किया। सविता की तो जैसे आह्ह्ह्ह निकल गयी।
मैँ भी समझ गया के वो चुदासी फील कर रही है। फेर धीरे धीरे गर्दन पे किस किया, फेर ऊपर आकर उसके उरोजो फेर नाइटी उठाकर गोरे गदराये बदन में अपने गर्म होंठो का स्पर्श किया तो सविता ने आँखे बन्द किये ही मेरे सर को पकड़कर बाँहो में ले लिया और अपने हाथो से मेरी पीठ को सहलाने लगी।
अब इतना कुछ तो हो चूका था। तो शर्म की कोई बात नही थी। तो मैने साइड पे होकर सविता को उठाया और एक ही झटके में उसकी नाइटी उतार दी। जिसमे से गोरा चिटा बदन उभर के बाहर आया और बड़े बड़े 2 उरोज़ झूलने लगे।
सविता — अजय आप बहुत शातिर खिलाडी हो। आपने अपनी कामुक हरकतों से मुझे चुदने कोेे मज़बूर कर ही दिया । चलो यहां इतना हो गया आगे भी कर लेते है। उतारो अपने कपड़े भी, मुझे नंगी करके खुद कपड़ो में रहो, ये बहुत ही नाइसाफी है
मैने भी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसकी आज्ञा का पालन किया और अपनी बनियान और निक्कर उतार दी। जिसमे से तना हुआ 8 इंची लण्ड झूलने लगा। जिसे देखकर सविता का मुंह खुले का खुला ही रह गया।
मैं — क्या हुआ भाभी, कभी लण्ड नही देखा क्या ?
सविता — नही अजय, लण्ड तो रोज़ाना देखती हूँ। लेकिन इसे देखकर लगता है के वो लण्ड नही छोटी सी लुल्ली है।
इसपे दोनों ठहाके लगाकर हसने लगे।
मैने तना हुआ लण्ड सविता55 के हाथ में दिया। वो डरते डरते हाथ लगाने लगी। इधर लण्ड पे सविता का स्पर्श पड़ते ही मेरी कामुक सिसकी निकल गयी। अब हम 69 की पोज़िशन में आ गए।
मैंने उसे इशारे से चूसने को कहा,” वो मेरा इशारा पाते ही भूखे भेड़िये की तरह मेरे तने हुए लन्ड पे टूट पड़ी और शातिर रंडी की तरह चूसने लग गयी।
इधर मैं भी कमर हिला हिलाकर उसे लण्ड चुसवा रहा था और उसकी कलीनशेवड चूत को जीभ घुसा घुसा के चूस रहा था।
मेरी जीभ के प्रहार को सविता ज्यादा देर झेल न पायी और लम्बी आहह्ह्ह्ह्ह् लेकर मेरे मुंह में ही छूट गई। मैं भी उसका माल अमृत समझकर गटक गया। फेर मैं उठा और अपना, उसके थूक से सना 8 इंची हथियार उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी तो जैसे साँस ही अटक गयी।
फेर धीरे धीरे जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने अपनी स्पीड तेज़ करदी। अब जब मुझे लगने लगा के मेरा माल निकलने वाला है, तो मैंने अपनी कमर की स्पीड तेज़ करदी और एक लम्बी आह्ह्ह्हह्ह लेकर उसकी चूत में ही झड़ गया। सविता भी आखे बन्द करके इस मौके का मज़ा लेने लगी।
फेर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर उसके मुंह ने दुबारा दे दिया। जिस से कुछ वीर्य उसके मुंह में चला गया, जिसे वो गटक गयी, उसने अपनी जीभ से मेरे वीर्य की आखरी बूँद तक निचोड़ ली।
अब हमने कुछ मिनट का आराम किया और बाथरूम में जाकर इकठे एक दूसरे को मसल मसलके नहलाया। वहां भी एक बार ताबड़तोड़ चुदाई की इस बार भी मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ा। फेर हम नंगे ही बाँहो में बांहे डाल सो गए।
सच पुछो तो आज से बेहतर नींद कभी नही आई। सुबह पास के मदिर की घन्टी की आवाज़ से हमारी नींद खुली। सुबह हम दोनों एक दूसरे से नज़रे नही मिला पा रहे थे। वो शर्माकर उठी और भागकर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गयी।
वहा फ्रेश होकर आई भी तो चेहरा झुकाके बैठी रही। मैंने उसकी ठुडी पे हाथ लगाकर उसका चेहरा ऊपर किया तो फेर शर्मा गयी और बोली,” आप बहुत गन्दे ओ अजय, बहला फुसलाकर मुझसे क्या करवा दिया। मैं अपनी ही नज़रो में गिर गयी हूँ। आई किस काम थी। क्या हो गया।
मैं – कोई बात नही भाभी ।
सविता — अब भाभी न बोलो, मेरा नाम लो सविता, क्योंके कोई भाभी के साथ ऐसा थोड़ी न करता है।
मैं – चलो सविता, जो हुआ बुरा सपना समझ के भूल जाओ, मुझे माफ़ करदो, मैं भी तेरा मादक स्पर्श पाकर बहक गया था। गलती हम दोनों में किसी की नही है। गलती तो मौके की है, ना ऐसा मौका आता, न ये सब होता। चलो जो भी हुआ ठीक ही हुआ, अब शायद आपकी रिपोर्ट में कुछ बदलाव आ जाये।
ऐसा करो तुम चाय बनाओ, मैं सामने की डेयरी से दूध ले आउ, बाद में सोचते है आगे क्या करना है ?
इतने में सविता किचन ने चली गयी और मैं कपड़े पहनकर डेयरी पे दूध लेने चला गया।
वापसी पे ब्रेड, बटर और कुछ खाने का समान लेता आया। हमने इकठे चाय पी, नाश्ता किया और तैयार होकर चेकअप के लिए हम मेरे दोस्त की एक लैब में गए। मैंने उसे सब समझ दिया । फेर उसने भाभी से यूरिन सेम्पल लिए और आधे घण्टे बाद रिपोर्ट लेने को बोला। आधे घण्टे बाद उसने बोला, बधाई हो आप दोनों माँ बाप बनने वाले हो।
उसकी बात सुनकर सविता की आँखे भर आई और हम रिपोर्ट लेकर घर आ गये उसने मुझे जोर से गले लगा के आई लव् यू अजय, मैं तेरा ये एहसान ज़िन्दगी भर नही भूल सकती। तूने मुझे आज वोह तोहफा दिया है, जो 10 सालो में मेरा पति नही दे पाया।
मेरे पास पैसे की कोई कमी नही है माँगलो जितना चाहिए, दें दूगी। जबके मैंने उसे इसके बदले सिर्फ उसका ऐसा ही सहयोग माँगा के जब भी मेरा दिल चाहेगा, मैं कही भी बुलाकर अपनी काम अग्नि ठंडी कर सकु। उसने भी हाथ में हाथ देकर वादा किया के ऐसा ही होगा।
इसके बाद वो मेरे पास एक हफ्ता रही, जिसमे मैंने पता नही कितनी बार रसोई, सीढ़िया, कमरे, बाथरूम और घर का कोई कोना नही छोड़ा जहां उसको न चोदा हो। ये मेरे जीवन की एक अनोखी घटना थी।
करीब कई महीनो बाद उसने बहुत ही सुंदर बेटे को जन्म दिया। अब वो अपनी जिदगी में बहुत खुश है। अब भी जब हमे कही मौका मिलता है, हम दो बदन एक जान हो जाते है।
तो दोस्तों ये थी मेरी एक और सेक्स गाथा, आपको जैसी भी लगी उसके लिए अपने सुझाव या आप भी कोई अपनी कहानी इस साईट के माध्यम से अन्य मित्रो तक पुहचाना चाहते हो तो मुझे मेरे ईमेल पते पर निसंकोच भेज दे।
आज के लिए इतना ही, फेर किसी दिन नई कहानी लेकर जल्द ही हाज़िर होऊँगा। तब तक के लिए नमस्कार, खुदा हाफिज
??? समाप्ति ???
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