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दोस्तो, यह मेरी पहली हिंदी सेक्स स्टोरी है इसलिए अनुभव न होने के कारण थोड़ी गड़बड़ी हो सकती है।
यह बात लगभग एक साल पुरानी है।
मेरा नाम तो वैसे बहुत बड़ा है लेकिन सब मुझे गोलू कहकर पुकारते हैं। मैं ग्वालियर शहर का रहने वाला हूँ। पहले हम सब एक गांव में रहते थे।
ग्वालियर में मैं अपने दोस्त के साथ पढ़ाई करता था। मेरे मम्मी-पापा गाँव के पास ही एक छोटे से शहर में रहते थे। हमारे गाँव में किसी की डेथ हो जाने के कारण हमें गाँव जाना पड़ा। वहां पर हमारे सभी मेहमान आए थे। हम अपने चाचू के घर रुके.. उनके परिवार में चाचू-चाची व तीन बच्चे थे। चाचा काम के चक्कर में अधिकतर हफ्तों गाँव से बाहर रहते थे। इस वक्त भी वे कहीं दूर थे, इसलिए इस स्थिति में भी आ ना सके।
मेरी चाची जी लगभग 30 साल की हैं। वैसे तो वो थोड़ी सांवली हैं.. लेकिन उनकी फूली हुई गांड और बड़े-बड़े चूचे देखकर अच्छे-अच्छों का लंड खड़ा हो जाता है। वो एकदम किसी हॉलीवुड की ब्लैक ब्यूटी से कम नहीं लगती हैं।
गाँव में सभी मुझे प्यार करते हैं क्योंकि मैं गाँव में कभी-कभार ही जाता हूँ। मेरे पहुँचने पर चाची को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने मेरा बड़े प्यार से स्वागत किया।
चाची मेरे से कुछ बातें करने लगीं। थोड़ी देर बाद रात हो गई तो हम सब खाना खा कर सो गए। सुबह मेरी नींद थोड़ी देर में खुली.. तो मैं फ्रेश होने के लिए अटारी से बाहर निकला। मैंने देखा कि चाची आँगन में एक छोटे से बाथरूम में नहा रही थीं। बाथरूम में छत न होने के कारण सामने से मुझे सब दिख रहा था.. वो ब्लाउज़ और पेटीकोट में नहा रही थीं, मैं उन्हें वहीं से देखने लगा। पहले मैंने सोचा यह गलत है, लेकिन फिर मैंने सोचा कि कौन सा उन्हें पता है कि मैं देख रहा हूँ।
धीरे-धीरे उन्होंने अपना ब्लाउज भी उतार दिया.. अब उनके बड़े-बड़े गुब्बारे मुझे साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे।
अब तक मेरा 6 इंच का लंड पेंट में पूरी तरह खड़ा हो चुका था तथा लंड के अकड़ जाने से उसमें कुछ दर्द सा होने लगा था। मैं लंड को पेंट से बाहर निकालकर मुठ मारने लगा। सामने चाची के मम्मों की छटा बिखर रही थी.. और कुछ ही देर में मेरे लंड ने भी मलाई बिखेर दी।
जब वो नहा कर बाहर आईं तो मैं भी फ्रेश होकर नहाने लगा।
नहाने के बाद केवल तौलिया में मैं बाहर निकला और कपड़े पहनने के लिए कमरे की तरफ जाने लगा। चूँकि मेरा ध्यान चाची पर था.. तो मुझे पता नहीं चला कि कब मेरी तौलिया खुल गई और मेरा लंड जो कि चाची को देखकर दोबारा खड़ा हो चुका था.. चाची के सामने लहरा रहा था। जैसे ही तौलिया खुल कर गिरा.. मैं हड़बड़ा कर तौलिया उठाकर रूम में चला गया और गेट अन्दर से लॉक कर के कपड़े पहनने लगा। मैं सोचने लगा कि चाची क्या सोच रही होंगी।
थोड़ी देर बाद चाची ने बाहर से गेट खटखटाया.. तो मैंने शरमाते हुए गेट खोला।
मेरा मुँह नीचे लटका हुआ था.. तो चाची बोलीं- ऐसा तो होता रहता है.. इसमें शर्माने वाली बात कैसी.. मैं तेरी चाची ही तो हूँ.. छोटे में तो तुझे नंगा देखती ही थी.. सो अब देख लिया। मैंने उनसे कहना चाहा- लेकिन.. तब चाची मुझे टोकते हुए बोलीं- लेकिन-वेकिन कुछ नहीं.. जल्दी आओ और नाश्ता कर लो।
मैं भी चुप हो गया और आकर नाश्ता करने लगा और इसके बाद बाहर चला गया।
कुछ देर बाद जब मैं वापस आया तो मैं थोड़ा बोर हो रहा था, मैंने चाची से कहा- टीवी देख लेता हूँ। चाची ने कहा- चलो तेरे साथ मैं भी देख लूंगी।
मैंने जैसे ही टीवी चालू किया, उसमें कोई ब्लू-फिल्म लगी थी.. जिसमें एक सांड सा आदमी एक लड़की की चुदाई कर रहा था।
इसे देखकर चाची ने जल्दी से रिमोट से डिस्क निकाल दी तथा मेरी तरफ उदास भाव से देखने लगीं।
मैं भौंचक्का सा चाची की तरफ देखने लगा कि चाची ब्लू-फिल्म देखती हैं।
चाची सफाई देते हुए खुल कर बोलीं- ये सीडी जब तेरे चाचा आते हैं.. तो मैं उनसे मंगा लेती हूँ.. क्योंकि तेरे चाचा ने बच्चे तो पैदा कर दिए, पर वो ठीक तरह से मुझे शांत नहीं कर पाते हैं.. तो मुझे इन चीजों से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। वैसे भी वो बहुत दिनों में आते हैं।
मैंने कहा- कोई बात नहीं चाची.. ऐसा सबके साथ होता है। तो वो बोलीं- तेरे साथ भी कुछ हुआ क्या.. तेरी कोई गर्लफ्रेंड है? मैं चुपचाप बैठा रहा.. तो बोलीं- बोल ना.. इतना सब हो जाने के बाद भी शर्माता है। मैंने कहा- नहीं मेरी कई फ्रेंड नहीं है.. हाँ कुछ दोस्त हैं, जिन्होंने मुझे ब्लू-फिल्म दिखाकर इन सब बातोँ के बारे में सिखा दिया था।
अब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैं उसे छुपा रहा था.. तो चाची ने कोई हॉलीवुड फिल्म लगाई और मेरी गोद में सिर रखकर लेटकर टीवी देखने लगीं। मैं भी टीवी देखने लगा।
जब भी टीवी स्क्रीन पर भी कोई एडल्ट सीन आते तो हम एक-दूसरे की तरफ देखकर हंस देते। मेरा लंड खड़ा था तो उन्हें अपने सिर पर ये महसूस हो गया था।
जब मैं मूवी देख रहा था तो उन्होंने एकदम मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं- तेरा बहुत बड़ा हो गया है.. तू छोटे में नंगा घूमता था। मैंने बोला- तब की बात अलग थी। वो बोलीं- मैं भी तो देखूं कि क्या अलग बात है। मेरे रोकने के बावजूद उन्होंने मेरा लोअर चड्डी के साथ निकाल दिया, लंड को हाथ में लेकर बोलीं- सचमुच में बहुत बड़े हो गए हो। चाची हल्के हल्के से लंड की मुठ मारने लगीं।
अब मुझसे भी रहा नहीं गया तो मैंने भी भागने की सोची। तो वो बोलीं- हमसे चालाकी करता है। चाची मेरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं और बोलीं- आज तो तुझे अपनी चाची की चूत चोदनी ही पड़ेगी।
जब उन्होंने कहा कि ‘चाची की चूत की चुदाई करनी ही पड़ेगी।’ तो मैंने भी उनका ब्लाउज खोल दिया। ब्रा को निकाल फेंका और उनके चूचों पर टूट पड़ा। गरम वीडियो वगैरह देखकर मैं भी थोड़ा कुछ सीख गया था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं चाची के कभी एक चूचे को मसलता तो कभी चूसता.. साथ ही चाची के भूरे कलर के निप्पलों को काट देता। चाची मजा लेते हुए बोलीं- आराम से कर.. आज ये तेरे ही हैं। चाची कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
थोड़ी देर मैं हमने एक-दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए, मैं 69 में होकर चाची की फूली हुई गुलाबी चूत को देखने लगा, जिस पर हल्के-हल्के रोएँ जैसे बाल थे।
उन्होंने भी मुझे चुत देखते हुए पाया तो कहा- सिर्फ देखता ही रहेगा कि कुछ करेगा भी?
मैंने चाची की चूत को चाटना शुरू कर दी। पहले तो कुछ खट्टी और अजीब सी लगी.. फिर अच्छा लगने लगा। चाची भी मेरे लंड को चूसने लगीं।
कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए और एक-दूसरे से 69 में ही चिपक कर लेटे रहे।
थोड़ी देर में जब फिर जोश आया तो पहले तो मैंने चाची की चुत पर किस किया और चाची ने मेरा लंड चूसा। जब लंड पूरी तरह तैयार हो गया तो वो बोलीं- अब और मत तड़पाओ।
मैं सीधा होकर उन्हें चोदने लगा। मैं पहली बार किसी चुत को चोद रहा था तो मुझे थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन चाची की मदद से मैंने एक ही बार में पूरा लंड अन्दर पेल दिया। एकदम से लंड घुसा तो चाची चिल्ला पड़ीं और बोलीं- अह.. मार डाला रे.. साले जरा धीरे-धीरे कर..
मुझे भी टांका टूटने से दर्द हुआ था तो मैं धीरे-धीरे चोदने लगा। कुछ ही पलों की देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
अब चाची सेक्स और चुदाई के नशे में सिसकारियाँ ले रहीं थीं और कुछ बड़बड़ा रही थीं।
मैं भी उनकी मदमस्त आहें सुनकर उनको धकापेल पेले जा रहा था। थोड़ी देर बाद चाची एकदम अकड़ सी गईं और उन्होंने अपना गरमागरम पानी छोड़ दिया।
लेकिन मैं फिर भी चुत चोदने में लगा रहा। चाची की चुत के पानी की वजह से ‘पुछ..पुछ..’ की आवाज आने लगी थी।
लगभग 3-4 मिनट बाद मैंने भी उनकी चूत में अपना पानी निकाल दिया। अब हम लोग बिस्तर पर सो गए।
लगभग 2 घंटे बाद मेरी नींद खुली तो मैं चादर ओढ़कर सो रहा था। अब चाची और मैं एक-दूसरे से एकदम खुल गए थे। रात में उन्होंने मेरी पसंद का खाना बनाया और रात में हमने दो बार सेक्स और किया। इस घटना के बाद जितने दिन मैं वहां रहा.. मजे से चाची को चोदता रहा और वापस ग्वालियर आ गया।
आज भी मैं ग्वालियर में रहता हूँ और किसी भी छुट्टी पर गाँव जरूर जाता हूँ। अभी भी मुझे सबके द्वारा वही प्यार दिया जाता है.. बस चाची का थोड़ा प्यार करने का तरीका बदल गया है।
यह मेरे पहले सेक्स की पहली सेक्स स्टोरी है.. आपको अच्छी लगी या नहीं, बताएँ या आप मुझे कुछ सुझाव देना चाहें तो मुझे मेल कीजिए। [email protected]
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