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रात को आशु 9 बजे तक ही आ पाया, नेहा सो चुकी थी.. घंटी सुन कर उठी। आशु आकर नहा धोकर खाना खाने बैठ गया। उसने नेहा से पूछा दिन कैसा रहा? नेहा बोली- पहला दिन था, थकान हो गई इसीलिए ऑफिस से आकर खाना बनाकर सो गई थी।
अगले दिन नेहा की रवि से दो-तीन बार फोन पर बातें हुईं। रवि ने कहा कि आशु आज उसे रात को बुलाना चाह रहा है और बल्कि रवि ने यहाँ तक कहा कि आशु चाहता है कि वो तीनों मिल कर ग्रुप सेक्स करें, पर आशु की जानकारी में नेहा इसके लिए तैयार नहीं है। नेहा ने रवि को लंच में पास एक रेस्तराँ में मिलने को बुलाया और वहाँ उसे बताया कि ग्रुप सेक्स में वो कभी इच्छुक नहीं है क्योंकि उसके हिसाब से सेक्स तो एकांत और बिना डर के आनन्द लेने का विषय है। ग्रुप सेक्स के बाद में परिणाम अच्छे नहीं होंगे, ऐसा नेहा का मानना था।
रवि भी सोचने लगा कि नेहा सही कह रही है, क्योंकि अगर आज सपना और आशु अकेले हों तो रवि उन पर शक करेगा ही.. इसलिए अगर पर्दे में सब कुछ हो तो बढ़िया है। उधर सपना आशु से चुदती रहे और इधर नेहा उससे! सपना और आशु दोनों पर रवि का एहसान रहेगा।
इधर नेहा भी यह सोच कर रवि से जुड़ी रहेगी की उनके बीच के सम्बन्ध आशु को नहीं मालूम, केवल वो या रवि जानते हैं। रवि ने पूछा कि क्या वो रात को आये? नेहा ने हंस कर कहा- अगर तुम्हारा दिल न हो तो मत आना, और हो तो मैं इंतज़ार करूंगी। रवि मुस्कुरा दिया।
थोड़ी देर बाद आशु का फोन आया कि क्या वो रवि को खाने के लिए कह दे? नेहा को हंसी आ गई, उसे तो पहले से ही मालूम था, वो बोली- कह दो!
रात को नेहा ने डिनर जल्दी ही बना लिया, छोले भटूरे बनाये, उसने छोले बना कर रख लिए, भटूरे की तैयारी कर ली।
उसे मालूम था आज रात को आशु पूरा दबाव बनाएगा ग्रुप सेक्स के लिए, इसलिए उस परिस्थिति से निबटने के लिए उसने सोचा आशु की हवा पहले ही निकाल दी जाए। आज उसने स्कर्ट और शर्ट पहनी, जिसके नीचे न तो ब्रा थी न पेंटी। आशु के आने से पहले उसने बियर चिल्ड कर ली और पनीर टिक्का बना कर ओवन में रख दिया।
आशु घर आया, नेहा को देख कर चौंक गया.. नेहा ने आते ही उसे हग किया और उसे जूस का गिलास देते हुए बोली- जूस पी लो और फटाफट फ्रेश हो जाओ। आशु बोला- इतनी जल्दी क्यों? तो नेहा बड़े स्टाइल से बोली- आज तुम्हारा दोस्त भी तो आ रहा है पीछे पीछे, अब उसके सामने तुम वाशरूम में हुए और मुझे अकेला देख कर उसकी नीयत खराब हो गई तो? आशु हंस कर बोला- उसकी नीयत तो बाद में खराब होगी, मुझे तो तुम्हारी नीयत खराब दिख रही है.. आज तो लगता है तुम रवि का दैहिक शोषण करोगी।
नेहा मुंह घुमा कर बोली- रवि जैसे तो मेरे आगे पीछे घूमते हैं, मेरी मर्जी के बिना कोई मुझे छू नहीं सकता। अब आशु बोला- अगर मैं कहूँ उससे कि वो छू ले तो मन कर दोगी? नेहा बोली- देखा जाएगा, पर एक बार अगर छू लिया तो फिर तुम्हारे बिना कहे कभी भी छुआ लूंगी, फिर शिकायत मत करना।
नेहा का तीर ठिकाने पर जा लगा था। दिखाने को तो आशु हंस दिया पर मन में वो भी सोचने लगा कि अभी तो बात बिगड़ी नहीं है अगर एक बार उसने रवि से नेहा को चुदवा दिया तो फिर नेहा तो कभी भी रवि से चुदवाया करेगी और वो सपना के चक्कर में रवि से कुछ नहीं कह पायेगा।
आशु ये सब सोच ही रहा था कि डोर बेल बज गई। रवि ही होगा… आशु ने जूस का गिलास ख़त्म किया और नेहा से बोला- तुम रिसीव कर लो, मैं नहा कर आता हूँ। आशु नहाने चला तो गया पर अब वो घबरा रहा था कि अच्छा हुआ रवि से नेहा को अभी तक चुदवाया नहीं है, वरना ऐसी परिस्थिति में वो नेहा को अकेला रवि के साथ नहीं छोड़ता! पर..
नेहा ने गेट खोलाम रवि बडे स्टाइल में खड़ा था, उसके हाथ में एक गुलाब का फूल था और नेहा के लिए एक गिफ्ट भी था। नेहा ने गेट बंद किया और थोड़ी ऊँची आवाज में कहा- आओ, अन्दर आ जाओ, आशु अभी फ्रेश होकर आ रहा है! बैठो… बताओ क्या लोगे? वो कह ये सब रही थी पर वास्तविकता में वो रवि से चिपट गई थी और उसकी बात ख़त्म होते होते दोनों के होंठ मिल चुके थे, दोनों एक दूसरे में समां जाने को बेताब थे।
पर मौके को पहचानते हुए दोनों अलग हुए, रवि ड्राइंग रूम में बैठा, और नेहा अपने कपड़े और लिपस्टिक ठीक करके पानी और जूस ले आई थी। वैसे तो आशु नहाने में देर लगाता था पर आज तो वो राजधानी मेल की स्पीड से नहा कर शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन कर आ गया। उसके आने से पहले नेहा ने नैपकिन से रवि के चेहरे पर लगी लिपस्टिक साफ़ कर दी थी।
रवि ने फॉर्मेलिटी दिखाते आशु से कहा- मैं रोज तुम दोनों को परेशान करने आ जाता हूँ। इस पर नेहा बोली- अगर परेशानी मान रहे हो तो जब सपना आ जायेगी हम लोग रोज आ जाया करेंगे तुम्हारे घर! रवि बोला- हाँ, सपना कल आ रही है।
यह सुन कर आशु का चेहरा खिल गया.. साथ ही उसने सोचा की अगर नेहा को रवि से चुदवाना है तो बस आज की रात आखरी है। पर अब उसकी हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी।
रवि ने नेहा के चिपटते ही यह तो अंदाज कर लिया था कि उसने ब्रा नहीं पहनी है, इसलिए वो अब बार बार उसकी शर्ट से झांकते उसके निप्पल के उभार को देख रहा था। नेहा ने आज तो तय कर लिया था कि वो आज आशु को तड़पाएगी, वो अपना जूस का गिलास लेकर रवि के पास बैठ गई, आशु सामने बैठा था। आशु और रवि बियर ले रहे थे।
तभी आशु की निगाह नेहा की चिकनी टांगों से होते ही उसकी जांघों तक गई, नेहा ने भी अपने पैर चौड़े कर लिए। आशु तो मानो झटका खा गया। सामने नेहा की चिकनी चूत दिख रही थी… मतलब उसकी बीवी बिना पेंटी पहने रवि के साथ बैठी है? अब उसकी समझ में आया कि नेहा सामने क्यों बैठी है ताकि उसकी चूत केवल आशु देखे।
नेहा समझ गई कि आशु ने उसकी चूत देख ली है तो उसने जोर पनीर टिक्का देने के बहाने धीरे से आशु से पूछा- क्या तुम्हारे पास बैठ जाऊँ? आशु बोला- नहीं नहीं, तुम रवि को कम्पनी दो.. तभी अचानक लाइट चली गई। हालाँकि लाइट कम ही जाती थी, नेहा बोली शायद इन्वर्टर का स्विच ऑफ है, आशु प्लीज ऑन कर दो। आशु बुझे मन से बाहर को गया और रवि का हाथ सीधे नेहा के टॉप के अंदर… नेहा ने रवि को नीचे बैठा दिया और अपनी एक टांग उसके कंधे पर रख दी। अब रवि की जीभ उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसकी चूत चूस रही थी।
तभी लाईट आ गई।
रवि झटके से अपनी सीट पर पहुंचा और नेहा बाहर टेरेस पर गई और अपने कपरे ठीक किये। रवि और आशु भी बाहर टेरेस पर आ गए, नेहा ने अंदर से स्नैक्स लाकर वहीं रख दिए। तीनों खड़े होकर बातें करने लगे।
नेहा चुदासी हो रही थी और आशु का लंड भी खड़ा था, नेहा आशु से लिपट कर खड़ी होकर उसके गिलास से बियर का सिप लेने लगी। आशु ने बिना रवि की शर्म किये उसको एक बार चूम भी लिया।
नेहा ने रवि की निगाह बचाते ही आशु का लंड मसल दिया और अब वो किचन में चली आई क्योंकि उसे मालूम था कि अगर अब वो ज्यादा देर वहाँ रही तो चुदाई शुरू हो जाएगी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उसके पीछे पीछे आशु किचन में आया और उसे चिपटाते हुए बोला- चलो, बेड रूम में चलते हैं। बड़ा मजा आएगा, तीनों मौज करेंगे। नेहा बोली- पागल मत बनो.. एक बार कहानी शुरू हुई तो फिर रुकेगी नहीं। अभी अच्छा लग रहा है पर बाद में क्या पता कि शक हमारी जिन्दगी बर्बाद कर दे। आज रहने दो… फिर कभी मन होगा तो कर लेंगे।
आशु तो पगला गया था, बोला- रवि तुम्हारे मम्मे घूर रहा है, चलो उसे ये ही दिखला दो। नेहा बोली- मम्मे क्या… तुम कहो तो चूत भी दिखा देती हूँ, पर फिर क्या वो बिना चोदे मानेगा, और मेरा मन भी तो कर जायेगा न चुदवाने का? आशु बोला- मैं बस तुम्हारे ऊपर के दो बटन खोल दूंगा, उसके बाद अगर तुम्हारा मन करे तो चुदवा लेना, न मन करे तो मत चुदवाना, मैं कुछ नहीं कहूँगा।
नेहा जानती थी कि आशु मानेगा नहीं, पर वो चुदवाने को कतई तैयार नहीं थी।
नेहा ने डिनर टेबल पर लगाना चाहा तो आशु बोला- बाहर टेरेस पर नीचे दरी बिछा लेते हैं और तुम भटूरे सेक कर ले आओ, एक साथ खायेंगे। नेहा बोली भी- गर्म गर्म सेकती हूँ! पर रवि भी बोला- नहीं, सेक कर रख लो, एक साथ ही खायेंगे।
नेहा सारा सामान लेकर बाहर टेरेस पर आ गई। किचन की गरमी से वाकई उसे गर्मी लग रही थी और उसकी टॉप से पसीना झाँक रहा था। टेरेस पर बाहर की लाईट आशु ने बंद कर दी थी तो वहाँ रोशनी बहुत कम थी। नेहा ने लाईट जलानी चाही तो आशु बोला- मच्छर आ जायेंगे। बात ठीक थी… पर आशु के मन में कुछ और भी था।
नेहा ने सबको खाना परोसा तो आशु ने गर्मी का रोना रोना शुरू किया और बड़ी बेशर्मी से अपनी टीशर्ट उतार दी। उसकी देखा देखी रवि ने भी अपनी टीशर्ट उतार दी। अब दोनों केवल शॉर्ट्स में थे।
आशु नेहा से बोला- तुम्हें गर्मी लग रही होगी, तुम भी शर्ट उतार दो। नेहा ने उसे झिड़क दिया। दो मिनट बाद आशु ने फिर कहा- गर्मी है तो शर्ट उतारने में हर्ज क्या है? नेहा ने गर्दन हिला कर मना कर दिया तो आशु ने आगे बढ़ कर उसकी शर्ट के दो बटन खोल दिए।
नेहा जानती थी कि आशु मानेगा नहीं, इसलिए उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा। अब उसके भारी भारी मम्मे बाहर झांक रहे थे और रवि ललचाई निगाहों से उन्हें देख रहा था।
खैर जैसे तैसे खाना ख़त्म हुआ, सामान हटाने के बहाने नेहा वहाँ से हटी और रवि भी जाने के लिए तैयार हुआ लेकिन उसकी निगाहें नेहा के मम्मों पर ही थी क्योंकि नेहा ने बटन बंद नहीं किये थे।
आशु बोला- नेहा, एक बार रवि को झलक पूरी दिखा दो, वर्ना ये रात को तड़प कर मर जायेगा। नेहा हंस पड़ी और एक झटके में ही अपनी शर्ट उतार दी। अब उसके मम्मे दूधिया रोशनी में चमक रहे थे। नेहा हंसती हुई मुड़ी और बेडरूम में भाग गई और दरवाजा बंद कर लिया। मतलब वो चुदाई को तैयार नहीं थी।
खैर रवि चला गया।
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