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हैलो दोस्तो, मेरा नाम सीमा सिंह है, मैं चंडीगढ़ में रहती हूँ। मेरी सेक्स की भूख कितनी है, इसके बारे में आप मेरी पहली सेक्सी स्टोरीज में पढ़ चुके होंगे। मैंने अपने स्कूल, कॉलेज, आस पड़ोस, रिश्तेदारी में जहाँ कहीं भी कोई मौका मिला, मैंने अपनी काम पिपासा शांत की है।
ऐसे में ही मुझे एक और दोस्त मिली, उसका नाम है नैन्सी। नैन्सी भी मेरी ही तरह, खूबसूरत, नौजवान, और सेक्स की भूखी औरत है।
हम दोनों अन्तर्वासना पे सेक्सी स्टोरीज पढ़ती, हाथ से भी करती, मगर कभी आपस में मिली नहीं थी। वो गुजरात में रहती है, मैं चंडीगढ़ में! मगर भगवान ने जिसको मिलाना होता है उसके लिए कोई रास्ता भी निकाल ही देता है।
हुआ यह कि जब मेरी कहानी अन्तर्वासना पे छपती तो नैन्सी बढ़िया बढ़िया से कॉमेंट मुझे भेजती और जब नैन्सी की कहानी छपती तो मैं उसे अपने कॉमेंट भेजती। इसी तरह हम दोनों में दोस्ती सी हो गई।
पहले तो मैं और नैन्सी दोनों आपस में थोड़ा डरती थी कि इंटरनेट की दोस्ती है, जिसे हम लड़की समझ कर बातें कर रहे हैं, वो कहीं लड़का ही न निकले। तो इस शक को दूर करने के लिए मैंने नैन्सी से उसकी पिक्स भेजने को कहा, और धीरे धीरे हम दोनों ने आपस में एक दूसरी से अपनी बहुत से पिक्स शेयर की। पिक्स शेयर हुई, बातें शेयर हुई, हर तरह ही अच्छी बुरी बातें हमने आपस में की, और हम दोनों को लगा कि हम दोनों बेशक एक दूसरी से सैकड़ों किलोमीटर दूर थी, मगर भगवान ने जैसे हमें एक ही साँचे से बनाया था।
दोस्ती बढ़ी तो एक दूसरी से मिलने की इच्छा भी बढ़ी। हर रोज़ हम फोन पे एक दूसरी से चेटिंग करती, और हमारी दोस्ती और भी गहरी होती गई। सिंपल पिक्स से हमने एक दूसरी को अपनी नंगी तस्वीरें भेजनी भी शुरू कर दी। अपने नए पुराने सारे किस्से भी एक दूसरी से शेयर किए।
एक दिन नैन्सी ने मुझे मेसेज करके पूछा- अरे यार एक बात पूछूँ! मैंने वापिस लिखा- तुझे पूछने की ज़रूरत कबसे पड़ने लगी, बिंदास बोल! उसने फिर टेक्स्ट किया- अगर हम कभी मिलीं, तो क्या तू मुझसे लेस्बीयन सेक्स करेगी? मुझे क्या ऐतराज था, मैंने भी वापिस लिखा- साली तेरी तो बड़े प्यार से लूँगी मैं, मेरे पास डिल्डो है, पूरे का पूरा तेरी गांड में घुसेड़ दूँगी! उसका भी वापिस मेसेज आया- तो डाल दे न कमीनी, साली रोका किसने है! मैंने फिर लिखा- क्यों बड़ी जल्दी गरम हो गई! उसने लिखा- तूने बात ही ऐसी की है।
और उसके बाद हम दोनों की आपस में गर्मी बढ़ती गई, और नतीजा यह हुआ कि हमने आपस में वीडियो कॉलिंग की और एक दूसरी के सामने हाथ से किया। मेरे पास डिल्डो था तो मैंने वो अपनी चूत में ले लिया, नैन्सी के पास डिल्डो नहीं था, तो वो किचन में एक गाजर उठा लाई, उससे उसने डिल्डो का काम लिया।
अब यह तो पक्का हो गया था कि हम दोनों के जल्दी ही मिलना पड़ेगा, मगर कैसे, यह पता नहीं था। इसी दौरान एक दिन नैन्सी का मेसेज आया कि उनकी रिश्तेदारी में कोई शादी आ रही है, जिस में शामिल होने के लिए वो दिल्ली आ रही है।
मैंने उससे कह दिया कि 2-3 दिन का प्रोग्राम बना कर आना, ताकि आराम से मिल सकें। उसने यह भी पूछा था कि उसके पति भी साथ आएंगे, तो मैंने कह दिया- अरे यार, पति से करते ही रहते हैं, इस बार अगर करेंगी तो किसी बिल्कुल अंजान आदमी से करेंगी, जिसे हम दोनों में से कोई नहीं जानती हो। वो भी मान गई।
अब जब सारा प्रोग्राम सेट हो गया, तो चेटिंग करते करते फिर से हमारा मूड बन गया। हम दोनों ने फिर वीडियो कॉलिंग शुरू की, अपने अपने कपड़े उतार कर नंगी हुई और फिर से अपनी अपनी चूत में कुछ लेकर शुरू हो गई।
‘ओह मेरी जान, अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दे!’ ‘ज़ोर ज़ोर से दबा मेरे चूचे!’ ‘गांड चाट ले मेरी साली कुतिया!’ जैसे प्यारे प्यारे वाक्य हम दोनों ने एक दूसरी को कहे।
फिक्स डेट पर मैंने एक टैक्सी ली, अपने घर बताया कि मैं अपने मायके दिल्ली जा रही हूँ, और चल पड़ी। टैक्सी चलाने वाला एक नौजवान सा लड़का ही था।
मैंने एक टाइट ब्लू जीन्स और वाइट टी शर्ट पहनी थी, जिसमें से मेरा मादक हुस्न खूब खुल कर सामने आ रहा था, मगर वो साला ऐसा शरीफ के मेरी तरफ देख ही नहीं रहा था। मैंने उस से उसका नाम पूछा, वो बोला- जी मेरा नाम राजेन्द्र है, और पेशे से मैं इंजीनियर हूँ, य मेरे दोस्त की गाड़ी है, वो बीमार हो गया, तो उसने मुझसे कहा कि मेरी गाड़ी ले जा तुझे दिल्ली ही तो जाना है, साथ में एक सवारी को भी छोड़ आना। मैं कोई टैक्सी ड्राइवर नहीं हूँ!
मैंने कहा- ओ के, बताने के लिए धन्यवाद। दिल्ली में कहाँ रहते हो? कह कर मैंने बात आगे बढ़ाई। मैं सोच रही थी कि नैन्सी से मिल कर उसके साथ एक दो बार तो चलो लेस्बीयन तो हो जाएगा, मगर चूत की भूख तो लंड से ही मिटती है, अगर ज़रूरत पड़ी तो इसको ही पटा लेती हूँ, जो भी पैसे लेगा दे दूँगी, मगर अपना काम तो हो जाएगा!
मैंने उससे अगले 3 दिन का और ठेका कर लिया कि अगले तीन दिन भी वो मुझे दिल्ली घुमाएगा, सिर्फ यही नहीं, और जो कोई काम भी मैं कहूँगी, वो भी वो करेगा!
दोपहर को मैं दिल्ली पहुंची, पहले अपने घर गई, अपने घर वालों से मिली। अपने पति को फोन करके बता दिया कि मैं ठीक ठाक पहुँच गई। उसके बाद शाम को नैन्सी का फोन आ गया कि वो भी दिल्ली पहुँच चुकी है। मैंने उसका होटल पूछा और राजेंदर को फोन करके बुला लिया, उसके साथ मैं होटल पहुंची।
राजेंदर को नीचे ही रोक कर मैंने ऊपर नैन्सी के रूम में पहुंची, दरवाजा खोला, सामने मेरी प्यारी दोस्त खड़ी थी, जिसे मैं पहली बार मिली, बड़े जोश हम दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया, एक दूसरे को चूमा, फिर और एक बार गले से लिपटी।
नैन्सी का पति वहीं पीछे खड़ा सब देख रहा था, वो बोला- अरे भाई, दोनों फ्रेंड्स ही आपस में मिलती रहोगी? हम भी हैं!
मैंने जाकर नैन्सी के पति से हाथ मिलाया, तो उसने मेरा हाथ हल्का सा अपनी तरफ खींचा, मैं समझ गई और मैंने खुद आगे बढ़ कर उसको गले लगा लिया। मैं जानती थी के वो मुझे अपने सीने से लगा कर मेरी चुची का मजा लेना चाहता था। मैंने भी उसको पूरा मजा दे दिया, मन में सोचा- ले यार, तू भी क्या याद करेगा, ले दबा ले मेरे चूचे अपने सीने से!
सिर्फ इतना ही नहीं उसने अपना लंड भी मेरे पेट पे रगड़ दिया। मुझे पता चल गया कि साला ठर्की मुझे चोदने के सपने मन में बुन रहा है। खैर अच्छा खासा हैंडसम बंदा था, तो मुझे भी कोई ऐतराज नहीं था, अगर नैन्सी उसे मेरे से शेयर करना चाहे तो मुझे कोई ऐतराज नहीं था।
हम दोनों बैठ कर बातें करने लगी, उसका पति तैयार होने लगा, तैयार होकर वो नीचे चला गया, होटल की बेसमेंट में ही शादी का समारोह था। नैन्सी ने रेड वाइन और चिकन टिक्का ऑर्डर किया। जब वो आ गया तो हम खाते खाते आपस में बातें भी करती रही। जब एक एक गिलास अंदर चला गया, तो हमारी बातों का रुख भी बदल गया।
नैन्सी ने पूछा- सीमा, आज तक तूने अपने पति के अलावा कितनों और मर्दों से किया है? मैंने कहा- जहाँ तक मुझे याद पड़ता है, पति के अलावा मैं अब तक 18 और मर्दों से चुदी हूँ, और तू? वो थोड़ा सोचने की एक्टिंग करते हुये बोली- मैं तो बस 5 या 6 से… उससे ज़्यादा कभी मौका ही नहीं मिला, जाइंट फ़ैमिली है, अकेले बाहर आना जाना कम ही होता है!
मैंने कहा- फिर भी एक घर में इतने सारे लोगों के बीच रह भी 5-6 बेगाने मर्दों से चुदना कोई कम नहीं! हम दोनों हंस पड़ी।
फिर मैंने कहा- वैसे मैं अपने साथ अपना टैक्सी ड्राइवर लाई हूँ, मैंने सोचा, तेरे साथ लेस्बीयन करके, अगर फिर लंड लेने को दिल किया तो, एक लंड तो चाहिए न! नैन्सी बोली- अरे यार तूने खामख्वाह ही तकलीफ की, तुझे बताया तो था कि मेरा पति साथ आ रहा है, बढ़िया से पेलेगा तुझे! मैंने उसे आँख मार कर कहा- वो मैंने देख लिया, साला मेरी चुची भी चेक कर गया और अपना लंड भी मेरे पेट पे रगड़ गया!
फिर नैन्सी उठ कर बिल्कुल मेरे पास आ बैठी और मेरी आँखों में देखने लगी और मैं भी! वो आगे बढ़ी, मैं आगे बढ़ी और हम दोनों के होंठ एक दूसरी के होंठों से जुड़ गए। एक भरपूर चुम्बन हमने एक दूसरी के होंठों पे किया। मैंने जीन्स टी शर्ट पहनी थी, मगर नैन्सी ने शादी की वजह से बहुत ही सुंदर लहंगा चोली पहनी थी। गहरे गले की चोली से बाहर झाँकता उसका बेबाक हुस्न, पीछे से बैकलेस से उभर कर बाहर को निकली उसकी गोरी चिकनी पीठ!
मैंने तो खैर पहले भी लेस्बीयन किया था, इसलिए मुझे खास रोमांच नहीं हुआ, मगर नैन्सी बहुत ही रोमांचित हो उठी, उसने बार बार मुझे किस किया। मैंने पूछा- क्या हुआ? वो बोली- आज पहली बार किसी औरत को किस किया है, मुझे लेस्बीयन करना बहुत अच्छा लगा! मैंने कहा- अरे अभी लेस्बीयन हुआ कहाँ है! तो वो बोली- तो करो न!
मैंने कहा- यार देख, लेस्बीयन तो मैं तेरे साथ कर लूँगी, मगर मेरी भूख सिर्फ मर्द का तना हुआ लंड लेकर ही मिटती है। नैन्सी बोली- तुझे बोला तो है, मेरे पति से कर लेना!
मैं मुस्कुरा दी तो नैन्सी फिर आगे को बढ़ी, फिर हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गए, नैन्सी मेरा नीचे वाला होंठ चूसने लगी तो मैंने अपनी जीभ से नैन्सी का ऊपर वाला होंठ चाटना शुरू कर दिया। नैन्सी ने अपनी जीभ से पहले मेरे नीचे वाले होंठ को चाटा और फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसके जीभ चूसी, उसने मेरी जीभ चूसी, और फिर हम दोनों के हाथ अपने आप एक दूसरी के स्तनों तक जा पहुंचे। दोनों एक दूसरी की चुची दबाने लगी।
चुची दबाते दबाते नैन्सी ने मेरी टी शर्ट उतार दी। रेड ब्रा में मेरे गोरे बूब्स बहुत उत्तेजक लग रहे थे। वो बोली- वाओ, तेरे बूब्स तो मस्त हैं यार!
और फिर खुद ही मेरे ब्रा की हुक खोल कर मेरी दोनों चुची आज़ाद कर दी। पहले मेरी दोनों चुची को अपने हाथों में पकड़ कर देखा, फिर मेरी एक चुची के निप्पल पर किस किया तो मैंने उसका सर आगे को करके अपना निप्पल उसके मुँह में दे दिया, और वो किसी छोटे बच्चे की तरह मेरा दुद्दू पीने लगी।
मैंने अपनी जीन्स का बटन और ज़िप खोली और अपनी जीन्स भी उतार दी। नीचे रेड पेंटी थी, जिसे नैन्सी ने उतार दिया। मैं तो बिल्कुल नंगी हो गई, मगर नैन्सी अभी पूरे कपड़ों में थी, मैंने कहा- मुझे तो नंगी कर दिया, खुद तो नंगी हो?
उसने अपने टॉप की पीछे पीठ पर ज़िप मुझसे खुलवाई और अपना टॉप उतार दिया, नीचे से उसने ब्रा नहीं पहना था, क्योंकि टॉप के अंदर ही ब्रा बना हुआ था। गोरे, गोल बूब्स, हल्के भूरे निप्पल।
हम दोनों ने फिर एक दूसरी को अपनी बाहों में भरा तो हम दोनों की चुची आपस में भिड़ गई और एक दूसरे के निप्पल को किस करने लगे। एक और लंबा किस, जिसमें हम दोनों एक दूसरी की सारी की सारी लिपस्टिक खा गई।
नैन्सी किस करते करते मेरी चूत के दाने को अपनी उंगली से सहलाने लगी। मैंने भी उसके घागरे में ऊपर से ही हाथ डाल कर उसकी चूत को छेड़ा तो वो बोली- हाथ से मत कर यार, चाट ले इसको!
मैंने नैन्सी को सोफ़े पर बिठाया, उसका घागरा ऊपर उठाया, और उसकी गोरी चिकनी जांघों को फैला दिया, अंदर दूध जैसे गोरी, शेव की हुई चूत… जिसकी फाँके जब मैंने खोली तो अंदर से गुलाबी रंग की थी।
पहले मैंने उसकी चूत के होंठों को किस किया, तो एक ‘आह’ नैन्सी के मुँह से निकली। मैंने फिर उसकी चूत से जो भागनसा बाहर को निकली हुई थी, उसको अपने होंठों में लिया और चूस गई तो नैन्सी ने मेरे सर के बाल पकड़ लिए और ज़ोर से ‘आह’ करके चिल्लाई- ‘खा जा इसे साली कुतिया, खा जा! नैन्सी जोश में बोली।
मैंने थोड़ी देर उसकी चूत चाटी जो लबालब पानी छोड़ रही थी। फिर मेरा भी मन कर रहा था, मेरी चूत भी गीली हो रही थी।
मैं उठ खड़ी हुई, और नैन्सी का सर पकड़ कर अपनी चूत से लगाया। वो बोली- यार मैंने आज तक किसी की नहीं चाटी, कैसी होती है? मैंने कहा- जैसे लंड चूसती है न, वैसी ही होती है। यह हिंदी सेक्सी स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
और मैंने उसका मुँह अपनी चूत से लगा दिया, थोड़ा धीरे से मगर उसने चाटनी शुरू की, एक दो बार थोड़ा डर कर मगर बाद में आराम से चाटने लगी। मैंने पूछा- अगर इस वक़्त तेरा पति आ जाए तो क्या हो? नैन्सी ने मेरी चूत से मुँह हटाया और बोली- क्या होगा, तुझे नहीं छोड़ेगा, मेरी तो वो रोज़ ही लेता है!
फिर बोली- सुन, तू भी तो एक ड्राईवर लेकर आई है, उसको बुला ले, देखें उसके पास क्या है! मैंने कहा- अरे वो ड्राइवर नहीं है, इंजीनियर है, वो तो बस वैसे ही मेरे साथ आ गया, बुलाऊँ उसे?’ मैंने पूछा तो नैन्सी मेरी चूत के दाने को अपने दाँतो से काट कर बोली- बुला ले!
मैंने अपने फोन से राजेन्द्र को रिंग किया, और अपना रूम नंबर बता दिया। दो मिनट बाद ही राजेन्द्र ने दरवाजा खटखटाया, मैंने उसे कहा- खुला है आ जाओ!
जब वो अंदर आया तो एकदम भौंचक्का रह गया ‘ओ सॉरी, मैं बाद में आता हूँ!’ कह कर वो जाने लगा, तो मैंने उसे बुलाया- अरे नहीं, इधर आओ, मैंने ही तुम्हें बुलाया है! नैन्सी उठ कर उसके पास गई, वो थोड़ा डरा हुआ सा खड़ा था, नैन्सी उसके कंधे पे हाथ रख कर बोली- देखो मिस्टर, अब तुम्हें बताने की ज़रूरत नहीं है कि इस वक़्त इस रूम में दो नंगी औरतें तुमसे क्या चाहती हैं, अगर तुम हम दोनों को संतुष्ट कर दो तो इसके भी तुम्हें पैसे मिल सकते हैं, बोलो क्या कहते हो?
राजेन्द्र बोला- सॉरी मैडम मैं आपकी यह इच्छा पूरी नहीं कर सकता! मैं भी उठ कर उसके पास आ गई और बोली- क्यों, खड़ा नहीं होता तुम्हारा? वो बोला- मैडम खड़ा तो पूरा होता है, मगर मेरी दिक्कत यह है कि मैं एक गे हूँ, मुझे औरतों में नहीं, मर्दों में रुचि है! ‘ओ तेरी साले की!’ नैन्सी बोली- तो तू लौंडा है! वो बोला- जी!
नैन्सी ने फिर हैरान होकर पूछा- गांड मरवाता है? वो बोला- जी! मैंने पूछा- और क्या करता है? वो बोला- जी लंड चूस लेता हूँ, माल पी लेता हूँ! ‘तो हमारी चूत से भी तो माल ही निकलता है, इसे भी पी ले, तेरे लंड का माल हम पी लेंगी!
वो बोला- सॉरी मैडम, मगर मुझे आप दोनों में कोई इंटरेस्ट नहीं है! नैन्सी को जैसे गुस्सा आ गया- क्या यार सीमा, किस को उठा लाई? फिर राजेन्द्र की की तरफ घूम कर बोली- तो भोंसडी के लंड क्यों लगवा रखा है, कटवा दे इसे!
मैंने नैन्सी को शांत किया और राजेन्द्र को बोली- देख अगर तू हमारी मदद करे तो हम तेरी मदद भी कर सकते हैं, तू हम दोनों की मार, और इस नैन्सी के पति से हम तेरा काम करवा देंगे!
वो बोला- मैडम, आपकी बात ठीक है, मगर आप जैसे चाहे मेरे साथ कर लो, मगर मुझे मज़ा सिर्फ कोई मर्द ही दे सकता है! हमारे लिए इतना ही बहुत था, बस तभी हम दोनों उस पर टूट पड़ी, एक मिनट में ही उसे नंगा कर दिया, दोनों घुटनों के बल बैठ गई और उसका लंड पकड़ कर सहलाने लगी। थोड़ी सी देर में ही उसका लंड अकड़ गया।
कोई 7 इंच का काला मोटा और बिल्कुल सीधा लंड, हम दोनों बारी बारी से उसे चूसने लगी। जैसे हम दोनों में होड़ लगी हो कि कौन उसका लंड ज़्यादा चूसेगी।
नैन्सी ने उसको धक्का दिया और नीचे गिरा दिया, अपना घागरा उठाया और उसके लंड के ऊपर जा बैठी, घागरे के अंदर से ही उसने राजेन्द्र का लंड अपनी चूत में ले लिया।
मैं उठी और जाकर राजेन्द्र के मुँह पर बैठ गई- चाट इसे! मैंने राजेन्द्र को कहा तो वो मेरी चूत चाटने लगा।
दोनों औरतें अपने अपने हिसाब से मजा ले रही थी। तभी दरवाजा खुला और नैन्सी का पति अंदर आ गया। अंदर का हाल देख कर वो बोला- अरे ये सब क्या हो रहा है, और ये आदमी कौन है? नैन्सी बोली- अब कुछ मत पूछो, तुम भी आ जाओ, ये सीमा के साथ है!
हमारी हालत देख कर नैन्सी के पति ने अपना कोट पैंट सब उतार दिया और सीधा मेरी तरफ आया। ‘आ जा आ जा, मैं जानती थी, तुम मुझे ही पहले लोगे!’ मैंने कहा तो वो बोला- साली तू है ही इतनी सेक्सी, तेरी मारे बिना चला जाता तो दिल्ली आना फिजूल हो जाता! अपना ढीला सा लंड हिलाते हुये मेरे पास आया और मेरे मुँह में अपना लंड ठूंस दिया।
अपनी चूत चटवा कर चुदासी तो मैं हुई पड़ी थी, अब तो कोई कुत्ता भी अपना लंड मेरे मुँह में डालता तो मैं चूस जाती, ये तो अच्छा भला गुड लुकिंग मर्द था, मैं भी खा गई उसके लंड को! ‘तुम तो बहुत अच्छा चूसती हो!’ नैन्सी का पति बोला। मैंने कहा- 12 साल हो गए, चूसती को, अब तो पूरा तजुरबा है! वो हंस पड़ा, उसका लंड भी बड़ी जल्दी तनाव पकड़ता जा रहा था और 2 मिनट में ही उसका लंड तन कर पत्थर हो गया, काला मोटा लंड और आगे गुलाबी रंग का टोपा!
‘चल उठ खड़ी हो, तेरी भी ले कर देखूँ!’ वो मुझसे बोला। मैं एक बड़ी ही आज्ञाकारी पत्नी की तरह उठ कर खड़ी हो गई, नैन्सी के बिल्कुल सामने उसने मुझे नीचे कालीन पर ही लेटाया और मेरे ऊपर लेट गया, मैंने खुद उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रख लिया।
तभी राजेन्द्र बोला- सर, सेक्स चाहे आप मैडम से कर लेना, पर अपना माल मेरे मुँह में ही गिराना! उसकी बात सुन कर वो बोला- क्यों भाई तुम्हारे मुँह में क्यों? तो नैन्सी बोली- अरे यार, ये राजेन्द्र न गे है, इसे मुझे से सेक्स करने से ज़्यादा तुमसे मरवाने में ज़्यादा मजा आएगा! ‘अरे वाह!’ नैन्सी का पति बोला- मैंने भी आज तक किसी लौंडे की गांड नहीं मारी, कोई नहीं बेटा, पहले इससे अपनी प्यास बुझा लूँ, बाद में तेरी ही गांड मारूँगा!
मैंने कहा- वैसे बी साइड मैं भी चला लेती हूँ। तो उसने मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दाँतों में पकड़ा और ज़ोर से चूस कर बोला- तेरे तो हर होल में अपना लंड डालूँगा मैं, वैसे तुम्हारा नाम क्या है? मैंने कहा- नाम में क्या रखा है और अब नाम कुछ भी हो क्या फर्क पड़ता है, नैन्सी ही बुला लो, अपनी पत्नी वाला नाम!
उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा जो उस लौंडे के लंड के ऊपर उछल रही थी, और मुस्कुरा कर मेरे कान में बोला- माँ चुदवाए नैन्सी!
अगले दो तीन मिनट उसने मुझे चोदा, फिर मुझे उल्टा करके लेटा दिया, थोड़ा सा थूक लगा कर अपना लंड उसने मेरी गांड में घुसेड़ना शुरू किया, सूखी होने की वजह से मुझे भी दर्द हुआ और उसका लंड भी ठीक से अंदर नहीं घुस रहा था।
तब उसने राजेन्द्र को आवाज़ लगाई- अरे भाई सुनो ज़रा, थोड़ा सा थूक लगा कर गीला करोगे? राजेन्द्र तो उड़ता हुआ आया, किसी भूखे की तरह उसने लंड पकड़ा और चूस चूस कर उसे अपने थूक से गीला किया, फिर मेरी गांड के छेद पर भी ढेर सारा थूक लगाया, इस बार जब उसने ज़ोर लगाया तो उसका लंड मेरी गांड में उतरता चला गया।
वो मेरे ऊपर लेट गया और ज़ोर लगा लगा कर अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ना चालू किया। मुझे तकलीफ हो रही थी, तो नैन्सी बोली- अरे सीमा अगर दर्द हो रहा है, तो रहने दे! मगर मैं कुछ कहती, इससे पहले ही उसका पति बोल पड़ा- अरे यार, तू अपना देख न, मुझे इस कुतिया की गांड फाड़ कर बहुत मजा आ रहा है!
उसने और ज़ोर लगाया, मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… धीरे यार तुम तो सच में फाड़ने पर तुले हो! मगर उसने परवाह नहीं की। कोई 5 मिनट उसने मेरी जम कर गांड मारी, मुझे बहुत तड़पाया, दुखी किया, फिर बोला- अरे राजेन्द्र, आएगा क्या?
राजेन्द्र ने इतना सुनते ही नैन्सी को छोड़ा और झट से आकार घोड़ी बन गया और फिर नैन्सी के पति ने राजेन्द्र की भी चीख निकलवा दी, बिना कोई थूक लगाए उसने अपने लंड का टोपा उसकी गांड में घुसेड़ दिया, राजेन्द्र का दर्द हम साफ साफ उसके चेहरे पे देख सकते थे।
मेरा और नैन्सी का दिल भी पसीज गया, मगर नैन्सी का पति तो बहुत खुश हुआ, अट्टाहस करके हंसा- आह, हाहाहा, फाड़ दी गांड साले लौंडे की, और मजा ले मादरचोद, ले अपने यार का लौड़ा अपनी गांड में! वो बेचारा तड़पता रहा, और वो उसकी गांड में ज़ोर लगा लगा कर अपना लंड ठेलता रहा। पता नहीं मर्दों को दूसरों को तड़पा कर क्या मज़ा आता है।
मुझे तरस आया, तो मैंने पास जा कर राजेन्द्र से किसिंग करनी शुरू की, उसके होंठ चूमे, उसको दिलासा दिया, नैन्सी भी उसकी पीठ सहलाने लगी। ‘बहुत मोटा है दीदी!’ राजेन्द्र नैन्सी से बोला- मुझे दर्द हो रहा है!
नैन्सी ने राजेन्द्र से कहा- अगर दर्द ज़्यादा है तो निकलवा दूँ? और फिर अपने पति से बोली- अरे सुनो न यार, उस बेचारे को दर्द हो रहा है, आप निकाल लो न! मगर उसका पति बोला- ये तो साला कहता नहीं, तुम इसकी वकील बनी जाती हो! फिर राजेन्द्र से बोला- क्यों बे, निकाल लूँ क्या?
मगर वो राजेन्द्र भी ढीठ था, बोला- नहीं भैया, लगे रहो, बस थोड़ा आराम से करो! इस पर नैन्सी का पति और ज़ोर से हंसा- आराम से तो नहीं करूंगा, तेरी तो माँ चोदूँगा अच्छी तरह से! और फिर वो उसको सख्ती से चोदने लगा… राजेन्द्र की खूब चीखें निकलवाई।
नैन्सी पास आ गई और उसने राजेन्द्र का लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही राजेन्द्र का लंड अपने माल की पिचकारी मार गया, नैन्सी का सारा मुँह, छाती उसके माल से भीग गया। मगर देखने वाली बात ये थी कि नैन्सी के पति का अभी तक नहीं झड़ा था। अपना पूरा लंड उसने राजेन्द्र की गांड में डाल रखा था्।
थोड़ी देर और चुदाई करने के बाद उसने अपना लंड राजेन्द्र की गांड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया। मैं वैसे ही उल्टी लेटी थी, मेरा मुँह घूमा कर उसने मेरे होंठ होंठों में लिए और चूसने लगा।
नैन्सी भी अपने पति के ऊपर आ कर लेट गई। वो पूरे ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार कर मेरी चुदाई कर रहा था। फिर वो एकदम उठा, राजेन्द्र का सर पकड़ा और अपना लंड उसके मुँह में डाल कर उसका मुँह ऐसे चोदने लगा, जैसे उसकी गांड को चोदा था, और सिर्फ 5-7 झटके दे कर ही उसका माल झड़ गया। ‘आह आह!’ करते हुए वो नीचे को गिर गया, मगर राजेन्द्र ने उसका लंड अपने मुँह से नहीं निकलने दिया और आखरी बूंद तक वो उसका वीर्य पी गया।
मैं अलग से संतुष्ट को कर गिरी पड़ी थी। सिर्फ नैन्सी को पूरा मजा नहीं आया था। नैन्सी बोली- आप सब का तो हो गया, मगर मुझे मजा नहीं आया! तो उसका पति बोला- कोई बात नहीं, थोड़ा रुक जा तेरी भी तसल्ली करवाता हूँ!
कुछ देर हम चारों उसी तरह रूम में नंगे ही लेटे रहे। फिर बारी बारी से उठ कर बाथरूम में गए, फ्रेश होकर, फिर से तैयार हुये और नीचे हाल में शादी में शामिल हो गए।
नीचे हाल में बहुत से लोग थे, मगर कोई नहीं जानता था कि यहाँ कौन अभी अभी चुदवा कर आया है। [email protected] [email protected]
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