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करीब एक घंटे के बाद मेरी नींद बहुत जोर से पेशाब लगने के कारण खुली, बहुत जोर से पेशाब लगी होने के कारण मैं उठा और बाथरूम से बाहर ही लंड को निक्कर से निकाल कर सीधे बाथरूम में घुस गया।
यह क्या… भाभी पहले से ही अन्दर थी और बिल्कुल नंगी होकर नहा रही थी। मेरा हाथ लंड को पकड़े हुए था, मेरी नजर भाभी के नंगे जिस्म पर टिकी हुई थी और भाभी भी अपनी आँखें बन्द किये हुए कुछ गुनगुनाते हुए नहा रही थी। मैं उन्हें देखे ही जा रहा था। क्या गोल-गोल तनी हुई चूची और उनके चिकने जिस्म से फिसलता हुआ पानी जो उनके जिस्म से लुढ़कता हुआ सीधा नीचे की ओर गिरा जा रहा था। उनके उठे हुए कूल्हे जिसको वो धीरे धीरे सहला रही थी।
कि अचानक उनकी नजर मुझ पर पड़ी और मुझे देखते हुए अपने स्तन दोनों हाथों से छिपाने का प्रयास करने लगी और चूत को दोनों पैरों से! ‘तुम.. तुम यहाँ क्या कर रहे हो? और तुम बाथरूम का दरवाजा खोलकर कैसे आ गये?’
मैं हकलाते हुए बोला- भाभी मुझे पेशाब तेज लगी हुई थी तो मेरी नींद टूट गई और मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला तो खुल गया। और मुझे नहीं पता था कि आप पहले से ही अन्दर हो। ‘मतलब तुम अपने कमरे से बाथरूम के अन्दर आये हो?’ ‘हाँ!’ मैंने सिर हिलाते हुए कहा।
जल्दी से अपनी तरफ का पर्दा उन्होंने खींचा और बोली- जल्दी से पेशाब करो और जाओ यहाँ से! मैं पेशाब करके बाहर आ गया।
थोड़ी देर बाद वो नहा धोकर बाहर आई, वो अपने ऑफिस का यूनिफार्म पहने हुए थी। काले रंग की पैंट, सफेद रंग की कमीज और उसके ऊपर जैकेट थी, साथ में ऊँची हील की सैन्डिल पहने हुए थी, माथे के बीच में एक छोटी सी बिन्दी और होंठों पर बहुत ही हल्के लाल कलर की लिप्सिटक लगाये हुए थी और साथ में रेक्टएंगल चश्मा पहने हुए थी।
वास्तव में उनके उस पहनावे में भी वो गजब की सेक्सी लग रही थी।
मैं उस समय चादर ओढ़े हुए था और उनका अभी थोड़ी देर वाला रूप और इस समय का रूप दोनों देखकर मेरा हाथ अपने आप ही लंड पर चला गया और मसलने लगा। उनकी नजर मेरे खड़े लंड पर पड़ चुकी थी। कुछ देर तक वो मुझे देखती रही और फिर बोली- अमित, मैं सोच रही हूँ कि एक बार मैं फिर बाथरूम में नहाने जाती हूँ और तुम मुझे नंगी नहाते हुए देखकर मुठ और तेज तेज मारो जिससे जल्दी से तेरा माल निकल जाये और तेरे लंड को शन्ति मिल जाये। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं अचकचा कर बोला- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है। ‘तो ठीक है, जा जल्दी से नहा धो ले, नाश्ता लगा दिया है, नहाने के बाद नाश्ता कर लेना। मैं ऑफिस जा रही हूँ। शाम को मैं और तेरे भाई वापस जब आयेंगे तो फिर बात होगी। कुछ संकोच मत करना, अगर कोई प्रॉबल्म हो तो मुझे फोन कर देना।’ कहकर वो मुड़ी और अपने कूल्हे को लचकदार बनाते हुए चली गई।
मैं उठा और दरवाजा बन्द करके फारिग होने के लिये बाथरूम में घुस गया। फारिग होने के बाद जब मैं नहाने के लिये बाथ टब के पास गया तो देखा कि भाई और भाभी दोनों के अन्दरूनी कपड़े इधर उधर पड़े हुए थे। भाई के कपड़े उठाकर मैंने पास पड़ी हुई बाल्टी में डाल दिये। और भाभी की जब ब्रा उठाई तो उसमे बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी। मैं उसे सूंघने लगा फिर पास पड़ी हुई पेंटी को भी उठा कर सूंघने लगा। पेंटी जालीदार थी और उसमे दो तरह की खुशबू आ रही थी, एक तो सेन्ट की और दूसरी भाभी के रस की!
मेरी जीभ अपने आप ही उस पेंटी के गीली हिस्से पर चलने लगी जो भाभी के रस से गीली हो चुकी थी। बहुत ही अजीब और कसैला सा टेस्ट था।
मैं वहीं टब के अन्दर बैठ गया, मेरा लंड टाईट हो चुका था, भाभी की पेंटी को लंड से लगाया और फिर लंड को फेंटने लगा, मुंह से सी सी… आह आह… की आवाज आने लगी हाथ और तेज तेज चलने लगा।
कुछ देर ही बाद लंड से धार छुटी और भाभी की पेंटी मेरे वीर्य से गीली हो चुकी और मेरे मस्तिष्क को आराम मिला। मैं नहा धोकर तैयार हो गया।
पहला दिन था, कहाँ जाऊँ, यह भी नहीं समझ में आ रहा था, घर में इधर उधर घूमने लगा, बहुत बोर हो रहा था।क्या करूँ क्या न करूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं एक बार फिर भाई के बेड रूम में पहुँचा, पर इस बार मेरे सेक्सी भाई भाभी की कोई फोटो दीवार पर नहीं थी। शायद उन्होंने मेरी वजह से हटा दी थी।
क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा था कि मेरी नजर लेपटॉप पर पड़ गई। लैपटॉप उठाकर अपने कमरे में आ गया। लैपटॉप ऑन किया तो बड़ी ईजी ऑन हो गया। मतलब ये लैपटॉप पासवर्ड प्रोटेक्ट नहीं था।
मैंने सीधा माई रिसेन्ट डाक्यूमेन्ट पर क्लिक किया तो बहुत सी सेक्सी मूवी उस रिसेन्ट डाक्यूमेन्ट में थी। मैं बारी बारी सभी मूवी को देखने लगा। मूवी की दो चार सीन देखता और बन्द कर देता। लेकिन एक मूवी भाई और भाभी की थी, जिसमें भाभी मूत रही थी और भाई की आवाज आ रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी जान, तेरी चूत से निकलती हुई मूत कितनी शानदार है।
फिर भाभी की उंगलियाँ अपनी चूत पर फिसली और फांकों को फैला कर बोली- जान, जी भर कर देख लो मेरी चूत को! ‘आह… सेब जैसी तेरी लाल लाल चूत मन कर रहा है खा जाऊँ!’ ‘मेरी जान, ये मेरी चूत तुम्हारी ही तो है, जब चाहो तब खाओ।’ भाई की फिर आवाज आई- मेरी जान, अब मेरी मूतने की बारी है। भाभी बोली- लेकिन मैं तेरे लंड को पकड़ूंगी और तू मूतना! ‘ठीक है।’ भाई बोला।
फिर कैमरा इधर उधर हिलने लगा और फिर पूरा बाथरूम दिखने लगा। भाभी एक तरफ पूरी नंगी खड़ी थी, उनकी गोल-गोल चूची पर काले-काले निप्पल, उनका पेट किसी हिरोइन की तरह परफेक्ट शेप में था। अन्दर की तरफ धंसी हुई चिकनी चूत, गद्देदार जांघें!
तभी भाई कैमरे में आता हुआ दिखाई पड़ा, उसका लम्बा लंड तना हुआ था, फ्रेम के अन्दर आते दिखाई पड़ा। भाई ने भाभी को कस कर पकड़ लिया और भाभी के कूल्हे पर हाथ फिराने लगा और फिर गांड के अन्दर उंगली डालते हुए बोला- जान तुम्हारी चूत, चूची सब कुछ कैमरे में आ चुका है अब तुम थोड़ा झुक जाओ तो तुम्हारी गद्देदार गांड की भी वीडियो बना लूँ!
‘ओ.के. जान…’ कहकर भाभी घूमकर झुक गई। ‘भाई थोड़ा से साईड बैठते हुए उनकी गांड को फैलाया और गांड के अन्दर और उनके चारों तरफ उंगली चलाने लगा और बीच बीच में उनके कूल्हे को दांत से काट लेता।
फिर भाई भाभी के गांड के ठीक पीछे की तरफ आया और उनकी गांड को चाटने लगा। थोड़ी देर तक भाई भाभी की गांड चाटता रहा और भाभी आह-ओह करके बोलती जा रही थी- सुनील मेरी जान तुम बस ऐसे ही गांड चाटो… बहुत अच्छा लग रहा है आह-आह, हाँ-हाँ गांड के अन्दर जीभ डालो। बहुत सुरसुराहट हो रही है मेरी गांड में!
भाभी अपने एक हाथ से भाई के सिर को पकड़कर अपनी गांड से चिपकाये हुए थी- सुनील मेरी जान, अपने थूक से गीली कर दो, मेरी गांड! थोड़ा चाटने के बाद भाई खड़ा हुआ और बोला- मेरी जान कमीनी, तेरी गांड पर जब भी नजर पड़ती है, मेरी जीभ लपलपाने लगती है! ‘और जब मैं तेरे लंड को देखती हूँ तो मेरे मुंह में भी पानी आ जाता है और कोन वाली आईसक्रीम समझकर इसे मेरा मन चाटने को करता है।’
इस बार भाभी घुटने के बल बैठ गई और भाई के लंड को पकड़ कर उस पर अपना अंगूठा चलाने लगी और बीच-बीच में अपनी जीभ चला देती और दूसरे हाथ से अपनी चूत को भी सहला रही थी।
तभी भाई बोला- यार, मुझे मूतास बहुत जोर से लग रही है पर निकल नहीं रही है। भाभी भाई की तरफ नशीली नजरों से देखते हुए बोली- जान तेरी कामिनी जब तक तेरे पास है, सब कुछ निकलेगा।
कह कर भाभी खड़ी हुई और भाई के पीछे खड़े होकर लंड को पकड़ लिया और ‘शीशीईईईई…’ करने लगी, बीच बीच में सुपारे को खींच लेती थी। थोड़ी ही देर में भाई के लंड से मूत की धार निकलने लगी और भाभी के हाथ में पड़ने लगी। भाभी ने अपना हाथ हटाया नहीं बल्कि अपनी हथेली से सुपारे को ढक लिया, इससे भाई की मूत भाभी के हाथ से छितराते हुए बाथरूम के फर्श पर गिरने लगी। बीच-बीच में भाई को भाभी बोले जा रही थी- ओ मेरी चूत के मालिक, अब कैसा लग रहा है? भाई ने जवाब दिया- मेरी जान, मेरा लंड तो तेरा गुलाम इसीलिये है कि जो तुम चाहो मेरा लंड तुम्हारी जी-हजूरी करते हुए सब काम करे।
जब भाई मूत चुके, तब भाभी भाई के लंड को छोड़ते हुए भाई के सामने आई और अपनी हाथ को चाटते हुए भाई की तरफ देखने लगी। भाई ने फ्लाईंग किस के साथ कुछ इशारा किया, जिसे समझते ही भाभी फिर घुटने के बल बैठ गई और भाई के लंड को लॉलीपॉप की तरह एक बार फिर चूसने लगी। एक बार फिर से भाई का लंड टनटना कर खड़ा हो गया।
भाभी लंड चूसना छोड़कर खड़ी हो गई और दीवार का टेक लेकर झुक गई, भाई भाभी के पीछे आया और अपने हाथ को थूक से गीला किया भाभी की चूत पर उसे लगा दिया। दो-तीन बार उसने ऐसा ही किया और फिर चूत में लंड को सेट किया और एक ही धक्के में अपने लंड को चूत के अन्दर पेल दिया। आह की आवाज आई और भाभी बोली- आय मादरचोद, तुम्हारे इसी चोदने के तरीके पर तो मैं तुम पर फिदा हूँ। निकाल दो इस मादरचोद चूत के सारी हेकड़ी! ‘ले मादरचोद ले… तू भी साली कुतिया क्या याद करेगी कि किस भोसड़ा फाड़ लंड से पाला पड़ा है।’ ‘आह… ओह… ओह… और जोर से मुझे चोदो मेरे राजा! फाड़ दो मेरी चूत को!’ ‘ले मेरी रानी, तेरा यह गुलाम लंड तेरी चूत की चुदाई करके ही अब बाहर आयेगा।’
‘नहीं मेरे राजा, केवल चूत ही नहीं मेरी गांड भी तेरे इस लंड का इंतजार कर रही है। मेरी गांड की भी चुनचुनाहट मिटा दो।’ ‘मेरी जान चिन्ता मत करो, मेरा लंड भी तेरी गांड की चुनचुनाहट मिटाने को तैयार है।’ कहकर भाई ने चूत से लंड निकाला और भाभी के कूल्हे को फैलाकर उसके अन्दर अपनी थूक को उड़ेल दिया और फिर उंगली से थूक को छेद के अन्दर डालने लगा। उसके बाद लंड को भाभी की गांड पर सेट किया और हल्के से अन्दर की तरफ धक्का देने लगा।
‘उईईई… बस मेरे राजा, ऐसे ही… हाँ बस थोड़ा और कोशिश करो… मैं तुम्हारे लंड को अपनी गांड के अन्दर महसूस कर रही हूँ। आह आह… इधर! ‘लो मेरी जान, मेरे लंड ने तेरी गांड में जगह बना ली है। बस मेरी जान धक्के लगाओ और मेरी गांड में हो रही चुनचुनाहट को मिटाओ।’
उसके बाद भाई शुरू में तो धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे और फिर कुछ समय बाद ही तेजी से उनका लंड अन्दर बाहर हो रहा था। दोनों की चीखे बढ़ने लगी, एक चिल्ला रही थी- हाँ चोद मादरचोद, इसी तरह चोद!’ दूसरा बोल रहा था- ले मेरी जान, आज तू भी क्या याद करेगी मेरी जान, किस लंड से तेरा पाला पड़ा है।
फच फच की आवाज आ रही थी।
‘मैं आ रही हूँ सुनील… मेरा निकलने वाला है।’ ‘मेरा भी निकलने वाला है मेरी कामिनी, क्या करूँ किस छेद में निकालूँ?’ ‘नीचे के दोनों छेद में मत निकालना, ऊपर के छेद में निकालना, मुझे तुम्हारी मलाई चाटने में बड़ा मजा आता है सुनील… मेरा निकल गया!’
अपने लंड को निकालते हुए भाई बोला- जानू, मेरा भी आने वाला है, खोलो अपना मुंह! भाभी तुरन्त ही अपने घुटने के बल बैठी और अपने मुंह को खोल दिया। भाई ने अपना पूरा माल भाभी के मुंह में डाल दिया, जिसे भाभी ने गटक लिया और उसके बाद उनके लंड को अपने मुंह में लेकर साफ कर दी।
फिर भाभी खड़ी हुई और भाई घुटने पर बैठ गया और भाभी की चूत की फांक को फैलाकर उसको चाटने लगे। फिर दोनों ने एक दूसरे के होंठों को पीना शुरू किया, उसके बाद दोनों ने एक दूसरे को नहलाया।
उसके बाद वो वीडियो खत्म हो गया। लेकिन इधर मेरे हाथ में मेरी मलाई आ चुकी थी। भाई भाभी की यह उत्तेजक सेक्स वीडियो शूट देखकर मेरे लंड ने कितनी बार पानी छोड़ा मुझे पता नहीं चला, लेकिन मेरे हाथ साथ-साथ मेरा लोअर भी गीला हो चुका था।
मैंने अपना हाथ अपने लोअर के अन्दर से निकाला तो मेरा हाथ पूरा चिपचिपा रहा था।
तभी मुझे वीडियो देखकर कुछ ख्याल आया और मेरा हाथ मेरे मुंह तक पहुंच गया। मेरी जीभ बाहर निकलती और वापस अन्दर चली जाती। मैं अपने चिपचिपे हाथ को चाटना चाह रहा था, पर दिल मान नहीं रहा था और दिमाग कह रहा था- देख वीडियो में तेरे भाई और भाभी कैसे इस मलाई का मजा ले रहे हैं।
बड़ी मुश्किल हो रही थी… मैंने अपनी आँखें बन्द की और जल्दी से जीभ को हथेली पर चलाने लगा। पहली ही स्पर्श में मुझे इसका स्वाद बड़ा अजीब सा लगा, मेरी जीभ तुरन्त ही हथेली से दूर हो गई, लेकिन एक-दो प्रयास के बाद मैं मलाई चाटने लगा।
सुबह भाभी की पेंटी के मलाई का स्वाद और मेरी मलाई का स्वाद मुझे एक सा ही लगा।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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