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यह तब की बात है.. जब मैं अपने पेपर देकर गाँव गया था.. वहाँ पर मेरी मौसेरी बहन भी आई थी। वो मुझसे 2 साल बड़ी थी और उसके छोटे-छोटे मम्मे थे। लेकिन अब तक मेरी नियत उस पर खराब नहीं हुई थी। हम लोग हँसते-खेलते थे।
एक दिन खेलते-खेलते हम लोग खेत में चले गए थे, वहाँ कुछ छोटे बच्चे हमारे मामाजी के खेत में शरारत कर रहे थे। उसने उन बच्चों को पकड़ कर डांटना शुरू कर दिया और उन्हें धक्का देते हुए खींचने लगी। इस स्थिति में वो झुकी हुई थी।
अचानक मेरी नजर उसकी छाती पर पड़ी.. उसकी बड़े गले की टी-शर्ट काफ़ी खुली सी थी, जिसमें से उसके छोटे-छोटे चूचे दिखाई दे रहे थे।
उस दिन मैंने पहली बार किसी के चूचे देखे थे। मैं उन्हें देख कर दंग रह गया था.. उसकी छोटी-छोटी चीकू जैसी चूचियां फूली हुई थीं और मैं उन्हें लगातार देख रहा था। उसकी रसभरी चूचियों को देख कर उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरे लंड में अचानक से करंट दौड़ गया। मेरा दिल करने लगा था कि उन्हें पकड़ के अपने मुँह में डाल लूँ।
पर मैं ऐसा नहीं कर पाया क्योंकि मुझे डर लग रहा था। इस वक्त तक मुझे मुठ मारने का भी आइडिया पता नहीं था।
उसके बाद से फिर तो जैसे मेरी लॉटरी ही लग गई थी। मुझे दिन में चार-पाँच बार उसके मम्मों के दर्शन हो ही जाते थे। उसका एक कारण ये भी था कि अब मैं उसके मम्मों को ताड़ता रहता था।
फिर कुछ दिनों बाद में हम सब अपने-अपने घर आ गए। इसके 2 साल बाद मैं जवान हो गया और मुझे मुठ मारने के बारे में पता चला। जिस दिन से मुठ मारना सीखा, उस दिन से तो मैं उसके ही बारे में सोच-सोच कर मुठ मारता रहता था।
अपने वार्षिक इम्तिहान होने के बाद मैं फिर गाँव गया.. वो सब फिर वहाँ पर मिले। इस बार मेरी नजर तो शुरूआत से उसके मम्मों पर ही थी.. उसके मम्मे अब और भी मस्त और बड़े हो गए थे।
एक दिन हम सब पकड़म-पकड़ी खेल खेलने लगे, जिसमें बार-बार मेरा हाथ उसके मम्मों पर जाता और मैं उसके मम्मों को दबा देता.. सच में बहुत मजा आता था।
ये सब मैं ऐसे करता था, जैसे अंजाने में हुआ हो.. पर इसके आगे जाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई। छुट्टियों के बाद हम सब फिर अपने अपने घर आ गए।
इसके बाद मैं इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद भाई की शादी में गाँव गया। इस बार तो वो कमाल का माल लग रही थी। उसके चूचे अब फुल साइज़ के बड़े-बड़े और गोल-मटोल हो गए थे। पिछवाड़ा भी हाहाकारी हो चुका था। उसके लटके-झटके भी सेक्सी हो गए थे।
अब तो वो कुछ भी करती तो ऐसे लगता था कि वो जानबूझ कर अपने मम्मों के दर्शन करा रही है। मुझे भी उसके चूचे ताड़ने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी।
एक दिन शाम को वो तैयार हो रही थी, तो मैं कमरे में चला गया और बिस्तर पर बैठ गया। वो बार-बार अपना बैग उठाती और बिस्तर पर रख कर बिल्कुल मेरे सामने रख कर झुक कर कुछ ढूँढने लगती। उसने गहरे गले का सूट पहना हुआ था, जिससे उसके बड़े बड़े खरबूजे मुझे मजा दे रहे थे। उसकी हिलती चूचियों को बार-बार देख कर मेरा लंड कड़ा हो गया।
कमरे में उस समय कोई भी नहीं था.. सब नीचे शादी में बिज़ी थे। मैं बड़ी तन्मयता से उसके मम्मों को देख रहा था। फिर उसने मुझसे पूछा- इन दोनों में से में कौन सूट पहनूँ? तो मैंने पिंक वाले की तरफ इशारा किया। इस वक्त में एक हाथ से अपना लंड दबा रहा था और वो ये सब देख रही थी।
फिर उसने मेरे सामने ही शर्ट उतार दिया। मैं उसे देख कर एकदम से दंग रह गया कि ये ऐसा कैसे कर बैठी है। पर उसे देख कर मैं ये सब भूल गया। उसने सफ़ेद ब्रा पहन रखी थी और उसकी चुची अब काफ़ी बड़े-बड़े दिख रही थी। उसके रसीले मम्मे मानो ब्रा में से बाहर को निकल भागने के लिए झाँक रहे थे।
मेरा संयम खो रहा था और मैं अपने लंड को दबाए जा रहा था।
फिर वो शर्ट पहनने लगी.. पहनते समय उसका शर्ट बालों में फंस गया और उसने मुझे आवाज देकर हेल्प करने को कहा।
मैं डर रहा था कि कोई आ ना जाए पर मैं ऐसा मौका खोना भी नहीं चाहता था। मैं हिम्मत करते हुए और अपने लंड को दबाते हुए उसके पीछे आ गया। उसने अभी सलवार बदली नहीं थी, इसलिए वो सलवार में ही थी।
मैं उसके कुरते को उसके बालों से छुटाने लगा, पर पता नहीं वो कैसे फंसा हुआ था। इसी बीच मेरा लंड उसकी गांड को टच हुआ और मुझे बड़ा मजा आया। पर अगले ही पल मैंने होश सम्भाला और थोड़ा पीछे को हो गया। हालंकि लंड टच हो जाने से उसने कुछ नहीं कहा और कुरता जल्दी निकालने को बोलने लगी।
अब मैंने हिम्मत करके लंड को पैंट से बाहर निकाला और उसकी गांड में लंड लगा कर कुरता निकालने लगा.. साथ ही लंड से उसकी गांड का मजा लेने लगा।
उसे पता चल गया था कि मैं क्या कर रहा हूँ.. पर वो कुछ नहीं बोली। अब मैंने झटके से उसका कुर्ता पकड़ कर नीचे किया तो कुरता तो निकल गया, पर मेरे हाथ उसके मम्मों पर जा टिके और मैंने देर ना करते हुए उन्हें दबा दिया।
इसी वक्त मेरा लंड भी पीछे से उसके छेद से जा टकराया। इस सबके प्रतिक्रिया स्वरूप उसके मुँह से ‘आह्ह..’ की आवाज निकल गई।
जब तक वो शर्ट नीचे कर रही थी.. मैंने तुरन्त अपना लंड पेंट के अन्दर किया और उसके सामने आकर खड़ा हो गया।
उसने मुझसे कुछ नहीं कहा.. जल्दी से उसने सलवार पहनी और तैयार हो गई। हम दोनों नीचे जाने लगे, पर मेरा तो मूड खराब हो रहा था। मैं पहले बाथरूम में गया और उसको याद करके मैंने मुठ मारी।
शादी के बाद हम मामा के घर गए। उस दिन मामा-मामी मार्केट गए हुए थे। मामी अपने छोटे बेटे को हमें संभालने को दे गई थीं।
मेरी तो जैसे लॉटरी निकल आई थी। हमने बच्चे को सुला दिया.. दिन का समय था। मैं टीवी देखने लगा और वो मेरे आगे आकर लेट गई।
थोड़ी देर बाद कहने लगी- मुझे सूट चुभ रहा है। मैंने उससे कपड़े बदल लेने के लिए कह दिया। मौसम में गर्मी थी.. तो वो शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन कर आ गई, उसमें वो कहर ढा रही थी।
उसकी टी-शर्ट एकदम चुस्त थी और उसने शॉर्ट्स ढीली-ढाली पहन रखी थी।
फिर वो मेरे आगे आ कर लेट गई। मुझे उसके चूचे एकदम साफ दिखाई दे रहे थे.. मेरा दिल कर रहा था कि साली को अभी ही पकड़ लूँ, पर मैंने अपने आपको रोके रखा।
फिर वो मेरी साइड गांड करके लेट गई। शायद वो इंतजार कर रही थी कि कब मैं कुछ करूँ, पर मैंने खुद को रोके रखा।
मुझे पता था कि ये पक्का कुछ बोलेगी, वही हुआ, उसने कहा- यार मेरे पैर दर्द हो रहे हैं.. तू कुछ कर ना! ‘क्या करूँ?’ ‘तू मेरे पैरों के ऊपर पैर रख दे।’
मैं समझ गया और मैंने उसके करीब होते हुए पैरों के ऊपर पैर रख दिए, जिससे मेरा लंड उसकी गांड को टच होने लगा।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ ली और उसको दबोच लिया और पूरी तरह से उसके बगल में लेते रहते हुए उसके ऊपर चढ़ सा गया। वो पेट के बल लेटी थी और मैं उसके ऊपर लगभग चढ़ा सा था।
मैंने उससे पूछा- अब आराम मिल रहा है? उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
बस फिर क्या था.. मैंने उसके बगल में सैट होकर नीचे हाथ करके अपना लंड निकाला और उसकी गांड में लगा दिया। साथ ही उसके दोनों मम्मों को धीरे-धीरे हाथ बढ़ा कर पकड़ लिया और दबाने लगा।
बस अब वो मस्ती में आ गई थी, जो वो चाहती थी, वही हो रहा था। मैंने भी देर किए बिना उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी और ब्रा खोल दी।
फिर अपनी टी-शर्ट भी उतार दी और उसे पूरी तरह से मसलने लगा। वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगी। मैंने उसे पूरी तरह नंगी कर दिया और गांड में लंड रगड़ने के साथ-साथ उसके मम्मों को मसलने लगा।
कुछ पल बाद मैंने उसे सीधा किया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अए हय.. क्या मस्त माल लग रही थी वो.. उसकी आँखें बंद थीं। मैं उसके बड़े-बड़े मम्मों पर होंठ लगा कर चूसने लगा। वो और गनगना गई.. मैं बारी-बारी से उसके दोनों चूचुकों को बुरी तरह से चूस रहा था। इससे उसके मुँह से आवाज निकलने लगी।
मैंने उसके खूब दूध पिए.. चूस-चूस कर उसके मम्मों को लाल कर दिए।
मैं नीचे आया और उसकी चुत को चाटने लगा.. मेरी इस हरकत से वो पागल होने लगी और 2 मिनट के अन्दर उसकी चुत का पानी छूट गया और वो निढाल हो गई।
अब मेरी मौसेरी बहन संग चुत चुदाई की कहानी को मैं अगले भाग में पूरा लिखूंगा। आपके मेल का इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है। [email protected] बहन की चुदाई की इस सेक्सी स्टोरी का अगला भाग
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