This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरा नाम बंटी है, मैं गुजरात के बड़ोदरा से हूँ, मेरी उम्र 28 साल है। यह मेरी बहन के साथ की हुई चुदाई की कहानी है। अभी भी हम दोनों के यौन संबंध कायम हैं। मुझे लड़कियां चोदना पहले से पसंद है, पर मैं पढ़ाई और दूसरे शौक को भी तवज्जो देता हूँ। मैं पढ़ने में पहले से होशियार था और दिखने में भी सुंदर था। साथ ही मैं मेरी बहनों का भी दुलारा था।
इस कहानी की शुरूआत बहुत पहले हो चुकी थी जब मैं पढ़ता था। तब सेक्स के बारे में कुछ अधिक नॉलेज नहीं थी मेरी!
हुआ यूं कि मैं अपनी दादाजी की मृत्यु पर गाँव में गया था। हमें 3-4 दिन तक वहाँ रुकना था। वहाँ मेरे बड़े अंकल रहते हैं, जिनकी लड़की प्रीति मेरी उम्र की ही है। हम दोनों में काफ़ी दोस्ती थी और वो मुझे पसंद भी करती थी।
गाँव पहुँचने पर वहाँ मेरी मुलाकात प्रीति से हुई। मैं उसे देख रहा था.. वो भी मेरे चेहरे को देखते हुए मेरे पास आई और मेरे करीब बैठ कर बात करने लगी।
शाम को मेरे चाचा का लड़का प्रतीक, जो मेरे उम्र का ही है, मुझे बुलाने आया, वो बोला- चल प्रीति के साथ खेलते हैं। मैं छत पर चला गया.. मैंने पूछा- क्या हो रहा है? उसने बताया कि वे लोग ‘घर-घर’ खेल रहे हैं और प्रीति उसकी बीवी बनी है। प्रीति फ्रॉक पहने हुई थी। हम तीनों खेलने लगे और फिर प्रतीक ने खेल को आगे बढ़ाते हुए कहा- यार समझो कि रात हो गई है.. सो जाओ!
हम तीनों सो गए.. प्रतीक ने प्रीति की फ्रॉक को ऊंचा किया और उसकी चड्डी निकालने का इशारा किया। प्रीति ने तुरंत चड्डी उतार दी। वो उसकी चूत में अपना लंड रगड़ने लगा.. मैं ये देख कर तो दंग रह गया। मैंने उन दोनों को अलग किया और पूछा- ये क्या कर रहे हो?? प्रतीक बोला- सब मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं। हम पिछले 2 दिन से ऐसे खेल रहे है। प्रीति चाहती है कि तू उसका हज़्बेंड बने और ऐसा करे, इसीलिए तुझे बुलाया है।
मैंने उसकी तरफ देखा, वो मुस्कुराई.. तो मैं भी मचल गया और अपनी चड्डी उतारने लगा। मैंने अपने लंड को उसकी चुत के ऊपर रखा और रगड़ने लगा। हम दोनों को मजा आ रहा था।
फिर रात को हमने साथ में खाना खाया और सो गए। पापा ने बताया कि कल शाम को वापस शहर जाना है, मुझे लगा अब प्रीति प्रतीक की बीवी बनेगी। मैंने उससे बात की और मेरे साथ शहर आने के लिए मना लिया।
वो अब मेरे घर पर आ गई.. हम शाम को छत पर घर-घर खेलते और मैं उसको नंगी करके मजा लेता। दूसरे दिन मैंने उसको बोला- तुम उल्टी लेट जाओ, मुझे तेरी गांड देखनी है।
वो शरमाई.. पर एक-दो बार बोलने पर पलट गई। मैं उसकी गांड की दरारों में लंड फंसा कर हिलाने लगा, बड़ा मजा आया।
अब मैं रोज उसको नंगी करके चूमता और लंड रगड़ता। फिर उसकी गांड को भी खुद दबाया और छेद पर लंड रगड़ा। कुछ ही दिनों में छुट्टियाँ खत्म हो गईं और वो गाँव चली गई। लेकिन जाने से पहले मैंने उससे वादा लिया कि वो अब ये घर-घर नहीं खेलेगी और किसी और की बीवी नहीं बनेगी। उसने भी बोला कि मैं तुम्हारी हूँ।
फिर पापा का तबादला दिल्ली हो गया और हम वहाँ चले गए।
कुछ समय बाद प्रीति की बहन की शादी में मुझे गाँव जाना था। मैं खुश हो गया और सोचने लगा कि वो कैसी लग रही होगी.. अब मुझे सेक्स का नॉलेज हो चुका था। मैं सोचने लगा कि वो कैसे पटेगी मेरे साथ चुदने के लिए!!
खैर हम सब गाँव पहुँच गए, मैं प्रीति को ढूँढ रहा था.. अचानक वो मेरे सामने आई। अरे वाह.. क्या जवान हो गई थी वो..! उसका दूध सा गोरा रंग, ऐसा लग रहा था जैसे अप्सरा हो।
मेरे हिसाब से उसके 32 के दूध और 34 की गांड होगी। वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, मैं उसके पास गया और ‘हाय’ कहा। वो मुझसे बात तो कर रही थी, पर शर्मा रही थी। शाम को मैंने उसको छत पर आने का इशारा किया, वो समझ गई। हम दोनों वहाँ रखी सूखी घास में बैठ कर बात करने लगे।
मैंने कहा- काफ़ी बड़ी हो गई हो। वो मुस्कुरा दी.. मैंने उसको उसका फिगर साइज़ पूछा.. तो उसने बताया कि 32-28-34 का है। मैंने बोला- जवान लड़की के लिए आइडियल फिगर है। वो मुस्कुरा दी, फिर मैंने उससे पूछा- याद है, हम यहाँ मिले थे! वो मेरी तरफ देख कर शर्मा रही थी.. मैंने बोला- तुम मुझे बहुत पसंद हो.. आई लाइक यू वेरी मच।
उसने मुस्कुरा कर नजर नीचे कर ली। मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसके गालों को चूम लिया, उसने भी मेरे गालों पर चुम्मी कर दी।
मुझे तो मानो सिग्नल मिल गया था, मैंने देर ना करते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगा।
क्या मजा आ रहा था.. वो भी मेरा साथ देने लगी.. हम बस चूमते रहे। दस मिनट बाद हम दोनों ने होंठों को अलग किया.. उसके होंठ लाल हो गए थे। मैंने फिर से उसको जकड़ कर चूमना चालू किया। अब मैं उसके गाल, गर्दन पर चूम रहा था.. उसको मजा आ रहा था। धीरे-धीरे उसकी मादक सिसकारियाँ बढ़ने लगीं।
मैंने अब धीरे से उसके मम्मों को दबाना चालू किया, तो मैंने महसूस किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसका कुर्ता ऊपर करके उसके मम्मों को देखने लगा। वो शर्मा गई, पर मुस्कुरा कर मेरे हाथ को पकड़े हुए थी।
मैंने उसे रोका और बोला- ये काफ़ी बड़े हैं.. मुझे इधर किस करने दो। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! उसने मुस्कुराते हुए बोला- भाई तुम्हारे ही हैं.. तुमसे वादा जो किया था.. अब तक निभा रही हूँ। आ जाओ मेरे राजा भैया.. लो अपनी बहन का दूध पियो।
उसने हाथ खोल दिए और लेट गई.. मैं तो बस उन मम्मों पर टूट पड़ा। मैंने उसके लेफ्ट बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा ‘उम्म्म उम्म्म उम्म्म…’ वो भी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए मेरा साथ दे रही थी।
मैंने ज़ोर से दबाना चालू किया.. तो प्रीति बोली- हाँ दबाओ.. और दबाओ बंटी.. तुम्हारे लिए कबसे प्यासे थे ये.. और दबाओ आ आ आअहह आअहह!
यह सब सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया.. मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और दबाने को बोला। मैं उसके निपल्स काटने लगा.. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था.. मैंने उसकी पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत दबाई.. तो उसने एक लंबी साँस ली- आआहह भैया.. बस करो!
मैंने पजामी को खोलने की कोशिश की ताकि उसकी गुलाबी चुत देख पाऊँ।
वो मुझे अपने से दूर करते हुए बोली- मेरे सैंया होश में आओ, हम खुली छत पर हैं, इधर कोई आ जाएगा तो देख लेगा। रात को मेरी जवानी का, मेरे बदन का पूरा मजा लूटना.. सब्र का फल मीठा होता है।
मैंने पूछा- कब?? मैं पागल हो चुका हूँ तेरे लिए..! वो मुस्कुराई और बोली- रात को सेकेंड फ्लोर पर जो स्टोर रूम है, वहाँ आ जाना। गाँव में सब जल्दी सो जाते हैं, मैं वहीं मिलूंगी। फर्स्ट फ्लोर पर सामान पड़ा है.. तो उधर कोई नहीं होगा।
मैंने उसको किस किया और नीचे जाकर काम करने लगा।
सब रात को 11 बजे सो गए। मैं प्रीति के बताए अनुसार उसका स्टोर रूम में वेट कर रहा था। एक घंटे से ऊपर हो गया, मेरी आँख लग गई। करीब 12 बजे मेरे हाथ पर किसी ने चूमा, तो मेरी आँख खुली।
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था.. सामने प्रीति खड़ी थी, वो बोली- अपनी पहली सुहागरात में ही आँख लगा दी, थोड़ा सा इंतजार भी ना हुआ?
वो वाइट टी-शर्ट ओर ब्लैक शॉर्ट्स पहनी थी। मैं उसको निहारने लगा.. नाइट लैंप की रोशनी में उसका बदन कमाल लग रहा था। उसके वो 32 के चूचे और 34 की गांड को देख कर मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था, पर मैंने अपने आप पर काबू रखा।
मैंने उसे बगल में बैठने को बोला, उसका हाथ चूमा और कहा- तुम्हारी बहुत याद आती है, पता नहीं क्यों इतने साल मिल नहीं पाए! मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ। उसने मुझे चूम लिया, फ़िर प्रीति बोली- तुमने बोला है तब से मैंने किसी और लड़के को नहीं देखा, मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी, मुझे पता था तुम और मैं एक दिन साथ में होंगे।
मैंने उसको नजदीक खींच लिया.. हम पुरानी बातें कर रहे थे। मैं बोला- इस साल की शुरूआत में ही पॉर्न मूवी दोस्तों के साथ देखी तो पता चला कि हम दोनों बचपन में क्या करना चाहते थे।
वो शर्मा गई.. मैंने उसके मुँह को ऊपर किया और अपने होंठ उसके होंठों से लगाते हुए अपने हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा। उसके निप्पल टाइट होने लगे थे।
आपको मेरी चुदाई की कहानी कैसी लग रही है.. जरूर बताएँ। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000