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पिछले कुछ महीनों से मेरी चुदाई हुई ही नहीं थी। मेरे पति विदेश गए हुए थे। अजित से ब्रेक अप हो गया था।
शायद इसलिए मेरा छिद्र और भी छोटा दिख रहा था। अब मुझे भरोसा था की योग से बार बार चुदवाकर मेरा छिद्र चोदने लायक तो हो ही जाएगा।
खैर, मैंने योग के लण्ड को अपनी चूत की पंखुड़ियों पर रगड़ा जिससे उसका लण्ड चिकनाहट से लिप्त हो जाए। अच्छी तरह स्निग्ध करने क बाद मैंने एक हाथ की मेरी उँगलियों से मेरी चूत की दोनों पंखुड़ियाँ खोली और दूसरे हाथ से योग का लण्ड मेरी उँगलियों में पकड़ कर मेरे छिद्र में धीरे से घुसेड़ा। उसके लण्ड के थोड़े से प्रवेश होने पर ही मुझे रोमांच हो उठा और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। अब यह चिंता थी की आगे क्या होगा। क्या योग का मोटा लण्ड मेरी छोटी सी चूत में घुस पायेगा? और अगर घुस भी पाया तो मुझे कितना दर्द देगा।
मुझे डर ज्यादा था, क्यूंकि योग का लण्ड देखते ही मेरी हालत खराब हो जाती थी। ऐसा लगता था योग की दोनों झांघों के बिच किसीने रबर का एक सॉलिड पाइप घुसेड़ दिया हो।
मैं जानती थी की ऐसे कोई दिक्कत नहीं होती है। एक बार स्त्री जब वयस्क हो जाती है तो उसकी चूत बड़ा लण्ड भी ले सकती है। बल्कि बड़े लण्ड से चुदवाने में उसे और भी मजा आता है क्यूंकि उसकी चूत का पूरा हिस्सा लण्ड के साथ अच्छी तरह से जब रगड़ता है तो फिर स्त्री को एक गजब की ऊंचाई का अनुभव होता है जिसे बताना बड़ा मुश्किल है।
वह एक अजीब सा नशा है जो औरत और मर्द दोनोँ महसूस करते हैं। सेक्स में कुछ ऐसा अनोखा उत्तेजक उन्माद झटका लगता है की जिसका अनुभव करते ही बनता है।
यह अजीब सा अनोखा अनुभव भगवत कृपा से ही इंसान और दूसरे जानवरों को प्राप्त है। इसी लिए तो पुरुष और स्त्री चोदते हैं। अगर चुदाई की क्रिया ना हो तो संसार कैसे चलेगा।?
कई बार हम सोचते हैं की भगवान् को इंसानों की चुदाई की क्रिया पसंद नहीं है। शायद इसीलिए संत महात्मा कहते हैं स्त्रियों के संग से दूर रहो। पर भगवान् ने ही तो पुरुष और स्त्री में जातीयता की भावना दी है ना? पुरुष स्त्री की और, और स्त्री पुरुष की और क्यों आकर्षित होते हैं? क्यों की यह भाव भगवान् ने ही दिया है।
इस लिए स्त्री पुरुष का मिलन यानी चोदना वर्ज्य नहीं है। संत लोग यह इस लिए कहते हैं यदि आप भगवान् का भजन एक निष्ठा से करना चाहते हैं तो यह आकर्षण उस में बाधा देता है।
परन्तु यहां भी भगवत इच्छा ही आती है। अच्छे अच्छे महात्मा स्त्री का अवैध संग भी करते हैं तो यह साफ़ हो जाता है की वह सिर्फ दिखावा ही करते हैं और लोगों को धोखा देते हैं।
चुदाई करने की इच्छा से या कोई भी कारण किसी भी स्त्री पर जबरदस्ती करना या उस पर मानसिक या शारीरिक अत्याचार करना अथवा अभद्र व्यवहार करना वर्ज्य है। वह ना सिर्फ सामाजिक बुराई बल्कि घोर पाप है।
किसी भी नाबालिग को लुभाकर या ताड़ कर यौन व्यवहार करना घोर अपराध या पाप है। कानूनन भी इसकी कड़ी सजा होनी चाहिए और है।
एक बात और। हमारे समाज ने नियम बनाये हैं की किसी की पत्नी से चुदाई नहीं करनी चाहिए। पर आजकल सामाजिक तनाव या चुदाई के अभाव के कारण शादी शुदा स्त्रियां अलग अलग पुरुषों से चुदवाती हैं या शादी शुदा पुरुष अलग अलग स्त्रियों को चोदते हैं।
आपस की सहमति से अगर यह होता है तो यह भी वर्ज्य नहीं माना जाना चाहिए। कई बार पति या पत्नी लज्जा या सामाजिक ग्रंथि के कारण सीधे सीधे इजाजत ना दें पर उनकी मौन अनुमति होती है ऐसा भी मैंने देखा है।
हमारे समाज में स्त्रियों का स्थान पहले से ही ऊंचा रहा है। पर आजकल उनपर होते हुए अत्याचार या मानसिक यातना देख कर हम सब जो समझदार हैं उनका का दिल पसीज जाता है। सब लेखक और पाठक गण से प्रार्थना है की ऐसा ना करें और ना होने दें।
मेरी चूत दूसरी औरतों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही टाइट थी। मेरे पति और अजित ने उसका अनुभव किया था। दोनों ही मेरी चूत के दीवाने थे। दोनों का ही कहना था की दूसरी औरतों के मुकाबले उन्हें मुझे चोदने में एक अलग ही आनंद का अनुभव होता था।
मेरी चूत चोदने वाले का लण्ड इतना टाइट पकड़ती थी की चोद ने वाले को मजा ही आ जाता था। मुझे लगा की अजित के मोटे लंड से कई रात चुदवाने के बाद मेरी चूत शायद थोड़ी ज्यादा चौड़ी हो गयी होगी। अजित से चुदवाये हुए काफी समय हो चुका था और उस बिच में मेरी चूत फिर सिकुड़ गयी होगी।
योग ने मेरे इशारे पर अपना लण्ड मेरी चूत में थोड़ा घुसेड़ा। योग के लण्ड के घुसते ही मेरे पुरे बदन में एक अजीब सी सिहरन फ़ैल गयी। मेरी कई महीनों की इच्छा उस रात फलीभूत हो रही थी। मैंने योग को मेरी गाँड़ ऊपर उठाकर धक्का मारा जिससे उसका लण्ड मेरी चूत में और घुसे।
मैंने तय किया की जो होना है सो हो; उस रात मैं योग से खूब चुदाई करवाउंगी। योग का लण्ड घुसते ही मुझे दर्द तो हुआ पर मैं उसको सहने के लिए तैयार थी। मैं जानती थी की दर्द के आगे मझा है।
शायद योग थम कर मुझे समय देना चाहते थे। पर मैं इंतजार के मूड में नहीं थी। मैंने योग की पीठ में मेरी उंगलियां और नाख़ून गाड़ कर इशारा दिया की वह मुझे चोदना शुरू करे। योग ने धीरे से अपना लंड और घुसेड़ा और उसका लण्ड मेरी चूत की गहरायिओं में समाने लगा।
मुझे दर्द तो काफी हुआ पर अब मैं रुकने वाली नहीं थी। योग ने धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू किया। योग के लण्ड को मेरी चूत की गहरायिओं में महसूस करते ही मैं सातवें आस्मां को छूने लगी। मेरी चूत में मेरे रस का फव्वारा छूट पड़ा था।
शायद योग ने भी उसे महसूस किया होगा। वह मेरी चूत में अपना लण्ड पेलते हुए मुस्करा दिए।
मैं उनको देख कर शर्मायी और मुस्करायी। योग ने झुक कर मेरी चूत में अपना लण्ड रखते हुए मेरे होंठों को बड़े प्यार से चूमा और मेरे होंठों को चूसने लगे।
मैंने योग की कमर के इर्दगिर्द मेरी बाहें फैलायीं और उनको मेरी बाहों में ले लिया और उनको अपने और खींचा और अपनी कमर उठाकर उन्हें मुझे चोदना जारी रखने को इंगित किया। योग भी शायद कई महीनों से मुझे चोदने को बेताब थे।
पर पता नहीं क्या हुआ की योग ने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाला और आगे बढ़कर मेरे होँठों को बड़े प्यार से चूमने लगे। मैं हँस पड़ी और मैंने पूछा, “जानूं, क्या हुआ? चुदाई करने का मूड नहीं है क्या?”
योग ने कहा, “प्रिया, मुझे तुम पर इतना प्यार आता है की जब तुम्हें चोदता हूँ तो खूब प्यार करने का मन करता है और जब प्यार करता हूँ तो खूब चोदने का मन करता है। तू इतनी प्यारी है की मेरी समझ में नहीं आता की क्या करूँ? पता नहीं शायद इसी लिए तुम्हारा नाम प्रिया है।”
मैंने कहा, “इसका जवाब यह है की तुम मुझे बड़े प्यार से चोदो। प्यार भी करते जाओ और चोदते भी जाओ। मेरी यह चूँचियाँ तुम्हारे प्यार भरे चुम्बन को तरस रही हैं। मुझे चोदते हुए इनको चूमते जाओ। मेरा पूरा बदन तुम्हारा है। मेरे पुरे बदन को प्यार करो। पर मुझे चोदना जारी रखो। मैं तुमसे चुदने ने के लिये बेताब हूँ। पता नहीं कबसे मैं तुमसे चुदवाने के लिए बेताब थी…
यदि तुमने मुझे उस दिन लिफ्ट में पकड़ कर चोद दिया होता तो कसम तुम्हारी, मैं सब के सामने ही तुमसे चुदवा लेती। मैं बहुत शर्मीली हूँ। मैं अपना नंगा बदन किसी को नहीं दिखा सकती। पर उस दिन मैं यह सब झेल लेती अगर तुम मुझे पकड़ कर सब के सामने ही चोद देते। मैं तुमसे चुदवाने के लिए उस दिन भी इतनी बेताब थी और आज भी हूँ।”
योग ने मेरी और देखा और बोले, “डार्लिंग, मैं तुम्हें मात्र चोदने के लिए ही नहीं, मैं तुम्हें सच्चे दिलसे प्यार करता हूँ और अगर तुम किसी की बीबी नहीं होती तो मैं तुमसे शादी कर तुमसे जिंदगी भर की साथीदारी निभाना चाहता हूँ…
पर मेरा दुर्भाग्य तो देखो, जो मेरी थी उसे ऊपर वाले ने मुझसे जल्दी छीन लिया और जो मेरी बन सकती है उसकी अपनी मजबूरियां है।” ऐसा कह कर योग ने मेरी शादी शुदा होने का अफ़सोस जताया।
मैंने योग को झकझोरते हुए कहा, “प्यारे, मैं यहीं तुम्हारे साथ तुम्हारे निचे चुदवाने के लिए लेटी हुई हूँ। मैं हमेशा हमेशा के किये तुम्हारी हूँ और रहूंगी। शादी वादी ठीक है। मेरे पति ने शादी की रस्म नहीं निभाई और मुझसे थोड़ा दूर होते ही, दूसरी औरत के पीछे भागने लगे और उस को चोदने लगे…
अरे भाई मुझे भी तो मेरे पति से चुदवाये बगैर परेशानी होती थी। पर मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया। फिर भी अगर वह मुझे बताते तो शायद मैं समझ जाती। मैं बीबी हूँ ना? हो सकता है, मैं थोड़ा शोर शराबा करती, पर आखिर में मान जाती…
मैं जानती हूँ की मेरे पति जैसा एक युवा हट्टा कट्टा मर्द चूत चोदे बिना ज्यादा दिन नहीं रह सकता। पर ना ही उन्होंने मुझे बताया और ना ही उन्होंने अपना गुन्हा कुबूल किया। जब मैंने उन्हें रंगे हाथों पकड़ा तो उलटा मुझ पर ही इल्जाम लगाने लगे…
अगर शादी का मतलब यही है, तो ठीक है। फिर मुझे क्या पड़ी है? मैं तो उनसे भी एक कदम आगे चलूंगी। मैं तो खुल्लम खुल्ला तुमसे चुदवाउंगी और मेरे पति से भी नहीं छुपाउंगी। शादी अपनी जगह और चुदाई अपनी जगह…
लगता है आजकल यही दुनिया का नियम है। इस लिए मेरी शादी की चिंता मत करो और अब तुम मेरी भूख को शांत करो और मुझे खूब चोदो।”
योग मेरी और आश्चर्य भरी नज़रों से देखने लगे। शायद उन्होंने इसके पहले ऐसी कोई शादी शुदा औरत को नहीं देखा होगा जो इतनी खुल्लमखुल्ला अपने अंदर के भावों का इजहार करती हो।
फिर एक बार और झुक कर वह मेरे दोनों स्तनोँ को बारी बारी से अपने मुँह में लेकर उन्हें चूमने और चूसने लगे। मेरी फूली हुई निप्पलोँ को मुंहमें ले कर योग उन्हें अपने दांतों से काटने लगे।
एक बार तो मेरे मुंह से दर्द भरी सिसकारी भी निकल गयी। मैंने योग के तले लेटे हुए अपने दोनों हाथों में योग का घने बालों सर पकड़ रखा था और मैं उनका यह कार्य कलाप महसूस कर रही थी।
योग ने अपने होँठ और निचे ले जा कर मेरी नाभि को प्यार से चूमा और मेरी चूत के ऊपर के उभरे हुए टीले पर अपनी जीभ फैला कर उसे चाटने लगे। योग का खड़ा लण्ड मेरे घुटनों को छेद रहा था। मैं योग की इन हरकतों से बड़ी उत्तेजित हो रही थी। मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने कहा, “यार अब बस भी करो, तुम मुझे चुदवाने के लिये रुलाओगे क्या? अब मुझसे रहा नहीं जाता। तुम्हारा इतना बड़ा और मोटा लण्ड मेरी चूत में डालो और मुझे चोदो भी!!…
एक दो बार मुझे अच्छी तरह चोदने के बाद मैं तुम्हें पूरी रात मेरे नंगे बदन से खेलने दूंगी। तब तुम मुझे जहाँ चाहे चाटना जहाँ चाहे काटना। पर अभी तो बस मेरी चूत की भूख शांत करो।”
योग ने अपना बदन सीधा कर, अपना लण्ड पकड़ा और उसे मेरी चूत की पंखुड़ियों से रगड़ने लगे। उन्हें पता था की अगर उनके लण्ड और मेरी चूत के बिच थोडा सा भी सूखापन रहा तो मुझे बहुत कष्ट होगा।
हालांकि जिस तरह से मैं अपना पानी छोड़ रही थी और योग का लण्ड उनके अपने पूर्व रस से सराबोर था; ऐसा होने का कोई सवाल ही नहीं था। उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर मेरी जान निकली जा रही थी। पर यही तो हर औरत को चाहिये।
हर कोई औरत को ऐसे मोटे और लम्बे लण्ड से चुदवाने का मौक़ा हररोज नहीं मिलता। जरूर मुझे दर्द होगा। पर ऐसे लण्ड से चुदवाना भी तो अपने में ही एक अनुभव है। तो फिर जब सर ओखल में रख ही दिया था तो फिर मुसल से क्या डरना?
पढ़ते रहिये.. इस कहानी का अंतिम एपिसोड जल्द ही देसी कहानी डॉट नेट पर पढने को मिलेगा!
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