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कुछ अधूरे से ख्वाब-1
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने पड़ोस वाली आंटी को गैर मर्द से चुदते देख लिया। मैंने आंटी को मेरे साथ सेक्स करने के लिए कहा तो वो नाराज हो गई। अब आगे:
अगले दिन आंटी ने मुझे घर बुलाया, मुझे बहुत अच्छा खाना खिलाया, फिर मुझसे कहा- देखो बेटा मुकेश, कोई शादीशुदा औरत ख़ुशी से अपने पति से बेवफाई नहीं करती है। आज से 8 साल पहले एक एक्सीडेंट की वजह से तुम्हारे अंकल के अंडकोष पे भारी चोट लगी और उनकी सम्भोग की शक्ति लगभग समाप्त हो गई थी, उनको शीघ्रपतन की समस्या हो गई थी। जब मैं उनसे इलाज़ कराने को कहती तो वो मुझे ही मारते-पीटते थे। हद तो तब हो गई, जब एक दिन उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी। अब ऐसे में 3 साल पहले मेरी मुलाकात मेरी बहन के एक भतीजे से हुई जो उम्र में मुझसे करीब 10 साल छोटा था। उसे देखते ही मेरी अधूरी इच्छाएँ जाग उठी और तब से वो मेरे अधूरेपन को पूरा कर रहा है। लेकिन अब जब तुम सब जानते हो तो बताओ क्या चाहते हो?
मैंने कहा- आंटी आप बड़ी चालू हो, सब समझते हुए भी अनजान बन रही हो। मुझे तो बस आपकी सेवा का मौका चाहिए। वो बोलीं- बेटा अगर सेवा करनी है तो पहले अपनी काबिलियत दिखाओ? यह कहते हुए उन्होंने मेरे लंड को मेरी पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ लिया और दबाने लगीं।
फिर तो क्या बताऊँ दोस्तो, मेरे शरीर में तो जैसे करंट दौड़ गया… बिल्कुल जन्नत सा एहसास हो रहा था। मेरा लंड एकदम से बहुत कड़ा हो गया था, एक अजीब सी मदहोशी छाने लगी।
तभी आंटी ने मेरे लंड से अपना हाथ हटा लिया। मुझे बहुत ख़राब लगा और फिर न जाने मेरे मुंह से कैसे ये बात निकली- आंटी हाथ न हटाओ! इतना कहते हुए मैंने आंटी का हाथ पकड़ लिया और फिर से अपने लंड के ऊपर रख दिया।
उसके बाद आंटी ने मुझे अपनी ओर खींचा और फिर मेरी पैन्ट और अंडरवियर नीचे खिसकाकर मेरे लंड को सहलाते हुए बोलीं- तेरा लौड़ा अभी तेरी ही तरह बच्चा है।
यह सुनते ही न जाने कैसे मेरे मुंह से अपने आप निकल गया- इसे जवान बना दो आंटी, अपना ही समझो, किसी और का नहीं!
आंटी मेरे लंड को सहला रहीं थीं और साथ में दबा भी रहीं थीं। मैं बता नहीं सकता क्या एहसास था वो, बिल्कुल जन्नत जैसा।
फिर आंटी ने उठकर मुझे किस किया और कहा- और मजा चाहिए मेरे मुन्ना राजा? मैंने कहा- हाँ आंटी, आज तो बस अपना ही बना लो मुझे!
आंटी ने कहा- तेरे लंड के आसपास बाल बहुत हैं, पहले इन्हें हटा कर अपना लंड चिकना बना ले फिर तुझे जन्नत की सैर कराऊँगी। लेकिन अभी तेरा पानी जरूर निकालूंगी वर्ना तू खड़ा लंड लेकर घर जायेगा। इतना कहते हुए आंटी उठी, तेल की बोतल लेकर आई और फिर मुझसे कहा- नंगे होकर घुटनों के बल बिस्तर पर खड़े हो जाओ।
मैंने ऐसा ही किया। फिर आंटी ने बोतल से तेल निकालकर मेरे लंड पे लगाया और मेरे लंड की मालिश करने लगीं। मेरा लंड तो जैसे लोहे का डंडा हुआ जा रहा था।
तभी आंटी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड की खाल को पीछे करके सुपारा खोला और दूसरे हाथ से तेल की बोतल से काफी तेल मेरे लंड गिराया और फिर लंड की खाल को आगे-पीछे करने लगीं।
फिर आंटी ने अपनी दूसरी हथेली में भी तेल लिया और उसे मेरी गांड में लगाया। अब आंटी एक हाथ से मेरे लंड की खाल को धीरे-धीरे आगे-पीछे कर रहीं थीं और दूसरे हाथ से मेरी गांड का छेद सहला रहीं थीं।
थोड़ी देर बाद मेरा शरीर थोड़ा अकड़ने लगा और यह देखते ही आंटी मेरे लंड को और भी तेजी से हिलाने लगीं और साथ में अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी।
अब क्या बताऊँ दोस्तो, क्या एहसास था वो… उसे शब्दों में ब्यान कर पाना नामुमकिन है।
फिर थोड़ी ही देर में मेरे लंड ने अपना पानी छोड़ दिया। मैं बिस्तर पे आराम से बैठ गया और आंटी भी मेरे बगल में बैठ गईं। इतना मजा आया और ऐसा नशा छाया कि थोड़ी देर में मैंने आंटी की चुची को उनकी साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया।
आंटी ने थोड़ा विरोध किया लेकिन मैं एक पागल दरिन्दे की तरह आंटी की चुची को दबाये जा रहा था। दबाते दबाते मैंने उनका ब्लाउज भी फाड़ दिया।
तभी आंटी ने मुझे धक्का दिया और फिर उठकर मुझसे दूर होकर चिल्लाते हुए कहा- होश में आओ मुकेश! तब मैं कुछ शांत हुआ और उनसे बोला- सॉरी आंटी, मैं थोड़ा बेकाबू हो गया था, लेकिन मैं अब आपको चोदना चाहता हूँ।
वो बोलीं- अभी नहीं बेटा, एक घंटे में बच्चे घर आ जायेंगे और वैसे भी मैंने कहा न कि पहले अपने लंड को चिकना बनाओ, फिर तुम्हारी इच्छा पूरी होगी। अभी तुम यहाँ से जाओ!
मैं उठा और कपड़े पहनकर अपने घर चला गया।
घर आकर सबसे पहले मैंने अपने लंड की सफाई की। करीब एक घंटे तक बहुत आराम से और बहुत चिकनाई से अपने लंड की शेविंग की।
फिर मेरे दिमाग में एक शैतानी आई, उस वक़्त मैं घर में अकेला था इसलिए मैं सिर्फ तौलिया पहनकर आंटी के घर जाकर दरवाज़ा खटकाया। आंटी ने दरवाज़ा खोला और मुझे सिर्फ तौलिये में देखकर वो घबरा गईं, बोलीं- पागल हो क्या, जाओ यहाँ से, बच्चे अन्दर हैं। इतना कहकर वो दरवाज़ा बंद करने लगीं।
मैंने अपने हाथ से दरवाज़े को रोका और कहा- बस एक सेकंड आंटी! इतना कहकर मैंने अपना तौलिया खोलकर आंटी को अपना चिकना लंड दिखाया।
उसे देखकर आंटी ने कहा- अरे वाह, शाबाश, बहुत अच्छे, लेकिन अभी जाओ, कल आना, जाओ अभी जाओ! मैं अपने घर चला आया।
पूरा दिन बस आंटी के बारे में ही सोचता रहा। उनके बारे में सोच-सोचकर बार-बार मेरा लंड बेकाबू हो रहा था। मेरी चाची टीचर थीं और दोपहर के 4 बजे घर आती थीं। उनके घर आते ही मैं अपने एक दोस्त के घर चला गया। उसके पास कुछ ब्लू फिल्म की सीडी थीं। मैंने उसके घर 3 ब्लू फिल्म्स देखीं और उससे मैंने कुछ नई सेक्स पोजीशन अपने दिमाग में सेट कर लीं। फिर मैं घर आ गया और अगले दिन का इंतज़ार करने लगा।
यह दिन इतना लम्बा लग रह था जैसे कि दिन नहीं पूरा साल हो। मैं रात भर सो भी नहीं पाया, बार-बार आंटी को याद करके मेरा लंड खड़ा हो रहा था। मैं पूरी रात नंगा ही रहा।
सुबह होते ही मेरी बेचैनी और बढ़ गई कि कब 11 बजें। मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मेरे चाचा चाची 10 बजे तक घर से निकल गये। मैं उसके 10 मिनट बाद ही आंटी के घर पहुँच गया, दरवाज़ा खटकाया लेकिन दरवाज़े के खुलते ही मुझे तो जैसे 440 वोल्ट का झटका लग गया।
सामने अंकल खड़े थे, मुझे देखते ही पूछा- क्या है, क्या चाहिए? मैंने हकलाते हुए कहा- अ..अ… अंकल वो मेरे घर में ठंडा पानी नहीं है, तो वही चाहिए।
अंकल ने आंटी को आवाज़ दी, आंटी ने कहा- किचन में आके ले लो, कोई दिक्कत नहीं है। मैं किचन में गया, आंटी खाना बना रही थीं और अंकल कमरे में बैठे टीवी देख रहे थे।
मैंने आंटी से धीरे से कहा- अब क्या करें? आंटी ने भी धीरे से मुझसे कहा- एक बजे बिल्डिंग की छत पे मिलो। मैं वहाँ से चला आया।
एक बजे मैं बिल्डिंग की छत पे बने एक शेड में पहुंचा। वहां एक बंद जगह थी, वहाँ पे किसी और बिल्डिंग की छत से भी कुछ दिखाई नहीं देता था।
5 मिनट बाद आंटी वहाँ आईं, उनको देखते ही मैं बेकाबू हो गया, उनके आते ही मैंने कहा- बहुत इंतज़ार किया… अब तो रहा नहीं जाता! इतना कहकर मैंने आंटी को गले लगाया, किस करने लगा और उनकी गांड भी दबाने लगा। यह सब मैंने ब्लू फिल्म में देखा था।
आंटी भी मेरा साथ देने लगीं, मुझे कसके पकड़ लिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! फिर मैंने आंटी की साड़ी उठाई और उनकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा।
आंटी बोलीं- सिर्फ उंगली ही घुसाओगे, लंड नहीं घुसाओगे क्या? यह कहते हुए उन्होंने मेरी पैन्ट उतारकर मेरा लंड पकड़ लिया और फिर अपने ब्लाउज में से एक छोटी तेल की बोतल निकाली। आंटी अपने घुटनों के बल बैठ गईं और मेरे लंड को पहले उन्होंने चूमा फिर चूसने लगीं। लंड चूसते वक़्त वो मेरे मेरे अंडकोष को थोड़ा दबा रही थीं, मुझे तो बस जैसे जन्नत मिल गई हो।
फिर वो मेरे लंड पे तेल लगाने लगीं और मुझसे कहा- जरा मेरी मुनिया को थोड़ा तेल लगा मेरे मुन्ना राजा! मैंने अपनी दो उंगलियों में बहुत तेल लगाया और मैंने उनकी चूत के ऊपर थोड़ा तेल लगा कर अपनी दोनों उंगलियाँ उनकी चूत में डाली और तेजी से अन्दर-बाहर करने लगा। अब आंटी को ज्यादा मज़ा आ रहा था उम्म्ह… अहह… हय… याह… और मुझे और भी ज्यादा!
करीब 10 मिनट बाद आंटी ने कहा- अब मुझे चोदो मुकेश, अपना लंड डालो मेरी चूत में! यह सुनकर मुझे तो जैसे दुनिया का सबसे बड़ा खजाना मिल गया।
मैं आंटी की चूत में लंड डालने ही जा रहा था कि अचानक सीढ़ियों पे किसी के चलने की आवाज़ आई। हम दोनों घबरा गये और तुरंत अलग होकर एक दूसरे से दूर खड़े हो गए। हम लोगों ने अपने कपड़े पूरी तरह नहीं उतारे थे इसलिए हमें अपने कपड़े सही करने में टाइम नहीं लगा।
हमने देखा कि बिल्डिंग में ही रहने वाली एक आंटी छत पे कपड़े डालने आईं थीं। उन्होंने हमें देखा लेकिन हमारी तरफ ध्यान नहीं दिया, लेकिन आरती आंटी ज्यादा घबरा गईं थीं इसलिए वहाँ से तुरंत चलीं गईं।
फिर उस दिन कुछ भी नहीं हो पाया, मैं तो खुद को ठगा सा महसूस करने लगा।
अगले दिन आंटी सुबह ही अंकल और बच्चों के साथ गाँव चली गईं। फिर करीब 10 दिन बाद अंकल के साथ लौटीं लेकिन सिर्फ आधे दिन के लिए। वो घर से कुछ सामान लेने आईं थीं।
मुझे मेरी चाची से पता चला कि वो लोग अपने नये घर में शिफ्ट हो रहे हैं। यह सुन कर मुझे तो जैसे शॉक लग गया, मैं बहुत बेचैन होने लगा, मैं सोचने लगा कि ये क्या हो गया? सब कुछ हाथ में आकर, एक झटके में ही हाथ से निकल गया।
2-3 दिन बाद मुझे अपने घर से बुलावा आया और मैं चला गया और मेरा हसीन ख्वाब अधूरा ही रह गया।
मैं चाहूँगा कि मेरी इस अधूरे सेक्स की कहानी पे आप लोग अपने विचार मुझे अवश्य मेल करें ताकि मैं अपने दो और अधूरे ख्वाबों के बारे में भी बता सकूँ। [email protected]
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