कुछ अधूरे से ख्वाब-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम मुकेश कुमार है, मैं एक इंजीनियर हूँ और लखनऊ शहर का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का एक पुराना पाठक हूँ।

आज से कुछ साल पहले मैंने अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स कहानी पढ़ना शुरू किया था तब मुझे इसकी कहानी झूठी लगती थी। मगर एक दिन एक कहानी के प्रेषक का नाम और ईमेल पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं इसे जानता हूँ।

असल में वो कहानी मेरे कॉलेज के एक सीनियर की लिखी हुई थी। तो मैंने एक दिन उनसे इस बारे में बात की तो पता चला कि उनकी कहानी सच है।

उसके बाद मैंने यह तय किया कि मैं भी अपनी कहानी लिखूंगा। मगर बदकिस्मती से अभी तक ऐसा कुछ नहीं हो पाया है जिसे मैं बड़ी ख़ुशी के साथ लिख सकूँ।

इसलिए मैं अपने कुछ अधूरे अनुभव आपके सामने रख रहा हूँ, उम्मीद है आप लोग इन्हें भी सराहेंगे।

मेरा पहला अधूरा अनुभव उस वक़्त का है जब मैं 19 साल का था। मेरे चाचाजी जो पुलिस ऑफिस में क्लर्क थे, मैं उनके घर रहता था, उनका घर पुलिस कॉलोनी में था।

वहीं पड़ोस में एक आंटी रहती थी, उनका नाम आरती था, उनकी उम्र 39-40 साल की थी। वैसे थी तो वो दो बच्चों की माँ लेकिन फिर भी उनके फिगर को देख कर किसी का भी लंड तन जाए। उनके पति भी पुलिस में थे और ज्यादातर शहर से बाहर रहते थे, महीने में 2-3 दिनों के लिए ही घर आते थे।

एक दिन मैं अपने घर से निकल रहा था कि मैंने आंटी के घर में कुछ भारी सामान गिरने की आवाज़ सुनी। मैं थोड़ा घबरा गया कि कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई, मैंने दरवाजा खटकाया तो आंटी ने बिना दरवाज़ा खोले अन्दर से ही पूछा- कौन है?

मैंने कहा- मैं हूँ आंटी… मुकेश, मुझे कुछ गिरने की आवाज़ सुनाई दी है, क्या अन्दर कोई भारी सामान गिरा है? आंटी- नहीं कुछ नहीं गिरा, तुम जाओ!

मुझे कुछ ठीक नहीं लगा, मैं एक बार अन्दर देखना चाहता था क्योंकि आंटी की आवाज़ में एक अजीब सी कम्पकपी जैसी थी, लेकिन दरवाज़ा तो बंद था और आंटी ने भी मुझे जाने के लिए कह दिया था।

इसलिए मैंने दरवाज़े पर ही अपना कान लगा दिया तो मैंने कुछ अजीब आवाजें सुनीं और उससे मुझे यह पता चला कि आंटी के साथ अन्दर कोई आदमी भी है।

सुबह के 11 बजे का वक़्त था, आंटी के बच्चे स्कूल गए हुए थे और अंकल भी घर नहीं आये हुए थे। मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने सोचा की मकान के पीछे की तरफ की दीवार कूदकर देखता हूँ। मैं दीवार कूदकर पीछे के दरवाज़े से किचन में पहुँच गया।

वहाँ मैंने पाया कि आगे के कमरे का दरवाज़ा तो बंद है और अन्दर से आंटी की आवाज़ आ रही है- और तेज… हूम्म… और तेज!

मैंने ध्यान दिया कि दरवाज़े से थोड़ा ऊपर एक छोटी सी खिड़की है, किचन में एक ड्रम पड़ा था, मैं उसके सहारे खिड़की तक पहुँच गया और तब मैंने अन्दर जो देखा उसे देखकर आँखें खुली रह गई।

मेरे सामने जो चल रहा था, वो मैंने अब तक सिर्फ मोबाइल की छोटी सी स्क्रीन पे ही देखा था। मैंने देखा कि आंटी पूरी नंगी लेटी थी और एक अनजान नंगा आदमी उनको बड़ी तेजी से चोद रहा था। आंटी एक पानी बिना मचलती मछली की तरह बिस्तर की चादर को अपनी मुट्ठी में बंद करके नोच रही थी और वो आदमी अपने हाथों से आंटी की चुची को ऐसे दबा रहा था जैसे उन्हें निचोड़ रहा हो।

मैंने ध्यान दिया कि वहीं पे एक बक्सा गिरा हुआ था। शायद इसी के गिरने की आवाज़ मुझे सुनाई दी थी।

अब आगे क्या बताऊँ कि मेरी हालत क्या हो रही थी। मेरा लंड एकदम से कड़ा हो गया था जिससे मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी। इसलिए मैंने अपनी जीन्स खोलकर अपना लंड पकड़ लिया।

जो आदमी आंटी को चोद रहा था, उसकी उम्र 30 साल की रही होगी। वो तो अपना लंड आंटी की चूत में घुसा कर उनकी चुची को निचोड़ते हुए धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था। आंटी भी अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवा रही थी।

अब मैं तो यह सब देख कर बहुत उत्तेजित हो रहा था, मेरा लंड बेकाबू हुआ जा रहा था। मैं कभी सेक्सी ब्लू फिल्म देखते हुए भी इतना उत्तेजित न हुआ था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

तभी अचानक मैंने देखा कि वो दोनों रुक गए, उस आदमी ने दो तकिये उठाकर आंटी की गांड के नीचे रखे है और उसके बाद आंटी उसके लंड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।

वो आदमी भी बड़ा बेरहम था, जब आंटी उसका लंड हिला रही थी तब वो उनके दोनों निप्पल मसल रहा था और चुची भी निचोड़ रहा था। आंटी ‘सी… उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी…’ की तेज आवाजें निकल रही थी।

यह सब देख कर मैं और उत्तेजित हो रहा था, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं अन्दर जाकर आंटी को चोदना चाह रहा था।

तभी उस आदमी ने आंटी को लिटा के अपना लंड उनकी चूत में फिर से पेल दिया, फिर पूरी तरह से उनके ऊपर लेट गया और उनको चोदना शुरू कर दिया।

इस बार मैंने देखा कि आंटी अपनी एक उंगली से उसकी गांड का छेद सहला रही थी। करीब 10-12 मिनट तक चोदने के बाद वो झड़ गया, उसने अपना पानी आंटी की चूत के बाहर निकाला। उसके बाद वो आदमी आंटी के बगल में लेट गया और उनकी चूत को अपनी उंगली से सहलाने लगा।

फिर मैं भी वहाँ से निकलकर अपने घर आ गया। लेकिन मेरा ध्यान आंटी के घर की तरफ ही था।

करीब 1 घंटे बाद आंटी के घर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई तो तुरंत मैंने भी अपने घर का दरवाज़ा खोला और देखा कि वो आदमी वहाँ से जा रहा था। मैंने फिर आंटी से पूछा- आंटी घर में कुछ गिरा था क्या, कुछ गिरने की बहुत तेज आवाज़ आई थी?

यह सुनने के बाद उस आदमी ने मेरी तरफ थोड़ा गुस्से से देखा और फिर तेजी से वहाँ से चला गया। तभी आंटी ने थोड़ी बेरुखी से कहा- कुछ नहीं गिरा, तुम अपने काम से काम रखो!

अब हर समय मेरे दिमाग में बस आंटी की चुदाई सीन घूमता रहता और मैं सिर्फ उन्हें चोदने के बारे में ही सोचता रहता।

करीब 10 दिन बाद मैंने देखा कि वो आदमी फिर आंटी के घर आया है, मैं समझ गया कि आज फिर से आंटी की चुदाई होने वाली है। मैं फिर से सब कुछ देखना चाहता था इसलिए मैंने फिर से पीछे की दीवार कूदकर अन्दर जाने का प्लान बनाया।

जैसे ही दीवार कूद कर मैं अन्दर पंहुचा तो मैंने देखा कि किचन का दरवाज़ा बंद है। मैं समझ गया कि आंटी को मुझ पर शक हो गया है इसलिए उन्होंने ऐसा किया। मैं वापस अपने घर चला गया और 1 घंटे बाद अपने घर से निकल कर आंटी के घर के थोड़ा आगे खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद मैंने उस आदमी को वहाँ से जाते हुए देखा।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं बस किसी भी तरह आंटी को चोदना चाह रहा था।

अगले ही दिन मुझे कुछ सामान लेने के लिए आंटी के घर जाने का मौका मिला। मैंने सोचा की यही सही मौका है, शायद ऐसा मौका दुबारा न मिले। मैं आंटी के घर गया, मुझे उनके घर से बिजली का तार लेना था जो थोड़ा ऊपर की तरफ रखा था। मैं जाकर तार उतारने लगा लेकिन मेरे दिमाग में बस आंटी की चुदाई का ख्याल घूम रहा था।

मुझे बात शुरू करने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। तभी मेरी नज़र वहीं बिस्तर पर पड़े एक अंडरवियर पर पड़ी और तब मेरे दिमाग में एक आईडिया आया।

मैंने तार को जानबूझकर बिस्तर पे पड़े अंडरवियर के पास गिरा दिया। इस पर आंटी ने कहा- ठीक से काम करो!

मैं बिस्तर पर से तार को उठाने लगा, तभी मैंने मौका देखते हुए आंटी से पूछा- ये अंडरवियर किसका है? आंटी ने कहा- ये अंकल का है, लेकिन तुम इसके बारे में क्यों पूछ रहे हो? मैंने कहा- बस ऐसे ही आंटी, मुझे लगा कल जो आदमी आया था, ये अंडरवियर उसका होगा।

मेरी बात सुनकर आंटी पहले थोड़ा घबराई और फिर गुस्से से बोलीं- तुम्हारे बोलने का मतलब क्या है, कोई और आदमी यहाँ अपना अंडरवियर क्यों छोड़ेगा? मैंने आंटी से कहा- आंटी, मुझे सब पता है। आंटी- क्या पता है? साफ़-साफ़ बोलो! मैं- अरे यही आंटी कि वो आदमी आपको खुश कर देता है।

आंटी ने तुरंत उठकर पहले दरवाज़े की कड़ी लगाई और फिर मुझे धमकाते हुए कहा- देखो मुकेश, पूरी बात साफ़ साफ़ बोल दो नहीं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।

मैं थोड़ा सा डर गया, लेकिन फिर भी मैंने पूरी हिम्मत दिखाते हुए कहा- आंटी, आप अंकल को धोखा दे रही हैं। अंकल के न रहने पर आप किसी और के साथ मजा कर रही हैं।

आंटी ने जोर से कहा- चुप रहो, यह बात अगर तुमने किसी को बोली तो मैं तुम पर मुझसे जबरदस्ती करने का केस कर दूँगी। अब मेरा डर थोड़ा कम हुआ क्योंकि आंटी की इस बात को सुनकर मैं समझ गया कि आंटी अब मेरी बात से बहुत डर गई हैं और किसी तरह मुझे भगाना चाह रही हैं।

फिर मैंने कहा- आंटी रिलैक्स, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा। यह बात सिर्फ मुझ तक ही रहेगी। मैं तो बस यह कह रहा हूँ कि मुझे भी कभी सेवा का मौका दीजिये, आप निराश नहीं होंगी। आंटी तुरंत बोलीं- उठो और निकल जाओ यहाँ से, नहीं तो अच्छा नहीं होगा। मैं उठकर चल दिया और जाते जाते कहा- आराम से सोचकर बताइएगा।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

कुछ अधूरे से ख्वाब-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000