Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 18

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मैं योग सर की उन तविरों को देख कर जीसमे एक औरत बिलकुल मेरे जेसी दिख रही थी, खो गयी थी, मेरे दिमाग में कई सवाल घूम रहे थे।

तभी मेरे पीछे से योग सर की आवाज आयी, ” यह मेरी पत्नी कनिका थी।” उनकी अचानक पीछे की और से आकर मुझे तस्वीरों को देखते हुए पकड़ा इससे मैं थोड़ी सेहम गयी।

तब मैं समझी की योग सर मुझे इतना घूर घूर कर क्यों देख रहे थे। पर “थी” शब्द सुन कर मैं थोड़ा असमंजस में पड़ गयी। मेरे शक्की दिमाग ने फिर काम करना चालु कर दिया।

“अच्छा! तो साहब को कनिका ने तलाक दे दिया लगता है।” मैंने सोचा। पर योग ने जो कहा वह सुनकर मैं काँप उठी। योग ने मुझे शांति से सोफे पर बिठाया और बोले, “कनिका मेरी जिंदगी, मेरी सब कुछ थी। पर दुर्भाग्य ने उसको मुझसे समय से बहुत पहले छीन लिया। उसकी मौत एक कार दुर्घटना की वजह से हुई और एक राँड़, कुलटा, भ्रष्ट और अनैतिक पेशेवर स्त्री उसके लिए जिम्मेदार थी।”

मैं योग की बात सुनकर दो कारणों से स्तब्ध थी। पहला यह की, मुझे अच्छा लगा (नहीं सॉरी, बुरा लगा) की योग अपनी पत्नी से तलाक के कारण नहीं पर कार दुर्घटना से मौत के कारण अलग हुए थे।

दुसरा यह की मैंने इससे पहले योग को कभी किसी भी महिला के लिए इतने गंदे शब्दों का प्रयोग करते हुए नहीं सूना था। कई बार उनका वर्तन कुछ असभ्य और अशिष्ट होता था।

वह कुछ सेक्सी शब्दों का इस्तमाल भी जरूर करते थे, पर इतनी भद्दी भाषा मैंने उनके मुंह से पहेली बार ही सुनी थी। योग के मन में उस महिला के लिए कितनी कड़वाहट और ज़हर भरा था वह उनके शब्दों द्वारा जाहिर होता था।

मैं उनकी और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा। योग एक गहरी साँस लेकर बोले, “मेरी पिछली कंपनी में मेरा प्रमोशन तय था। कंपनी के मालिक ने मुझे बुलाकर यह बात बता दि थी। उन्होंने कहा था की कंपनी के रजिस्ट्रेशन की सालगिराह पर मेरे प्रमोशन का ऐलान किया जाएगा…

फिर अचानक एक दिन बहुत सेक्सी और खूबसूरत औरत पता नहीं कहाँ से टपक पड़ी। कहा जाता था की उसने पिछली कंपनी में गज़ब का प्रदर्शन किया था और बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की थीं…

हमारी कंपनी का मालिक उस स्त्री से इतना प्रभावित हुआ था की जो पद मुझे मेरी काबिलियत के आधार पर प्रमोशन के बाद मिलना था उस पर उन्होंने उस स्त्री को बिठा दिया। मैं अपना अंगूठा ही चूसता रह गया।” यह बात कहते हुए योग ऐसे हताश लग रहे थे जैसे वाक्या कुछ सालों पहले नहीं, कल ही हुआ हो।

योग ने आगे बताया, “मुझे जल्द ही पता लगा की वह औरत धोखेबाज थी। वह अलग अलग कंपनियों के मालिकों को अपने रूप और सेक्स के जाल में फाँस कर उच्च पद पर नौकरी करती थी, और जब बॉस ऊब जाते थे तो दुसरे किसी को फाँस कर वहाँ जॉब कर लेती थी।

अपने रूप और बदन का सौदा करके वह औरत अच्छे प्रमाणपत्र लेती थी और खूब पैसे कमाती थी। उस औरत की वजह से मेरी जिंदगी छिन्नभिन्न हो गयी। मैं अंदर ही अंदर टूट गया। मुझे सारी दुनिया की पेशेवर औरतों से नफरत सी हो गयी।

कनिका और मैं मेरा प्रमोशन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और जब उस औरत ने हमारे सपनों को चकनाचूर कर दिया तो मैं टूट सा गया।” योग की आँखे यह कहते छलछला उठीं..

“कनिका ने मुझे ढाढस देने की खूब कोशिश की पर मेरे जहन में जो नफरत और घृणा का ज़हर भरा था वह हट नहीं रहा था। मैं दिन रात बस यही विचारों के कारण कुढ़ता रहता था..

मेरा ऐसा हाल देख कर एक शाम कनिका ने मुझे बाहर एक रोमांटिक शाम गुजार ने के और रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए आग्रह किया। हम वहाँ ही एक अच्छे क्लब में गए।

क्लब में मैंने शराब थोड़ी ज्यादा पी ली। मेरा दुर्भाग्य की मैंने क्लब में मेरे बॉस को उस औरत के साथ एक निजी कमरे से बाहर निकलते हुए देखा।

जाहिर था की मेरे बॉस, उस औरत को कमरे में चोद रहे थे, क्यूंकि वह जब बाहर आये तो उन दोनों के कपडे सही तरीके से पहने हुए नहीं थे। उनको साथ में देख कर मेरी छुपी हुई गुस्से की आग भड़क उठी। मैं अपने आप को गुस्से में रोक नहीं पाया..

तो मैंने उस औरत को पकड़ा और जोर से हिलाया और उसे खूब गालीयाँ दी। मैंने मेरे बॉस को भी भला बुरा कहा। पहले तो मेरा बॉस मुझे इतना गुस्सैल देख कर हड़बड़ाया और फिर मुझे फ़ौरन नौकरी से बर्खाश्त कर दिया।”

योग के चेहरे पर गुस्सा और कूँठता का भाव था। पर अपनी बात जारी रखते हुए योग बोले, “मैंने कनिका का हाथ पकड़ा और ग़ुस्से में क्लब के बाहर निकला और कार में बैठा। कनिका ने मुझे शांत करने की बड़ी कोशिश की..

मैं घर वापस जाने के लिए पहाड़ी रास्ते पर तेजी से कार चलाने लगा। कनिका ने मुझे बार बार कार धीमी चलाने के लिए कहा। पर मुझ पर जनून सवार था। मैं उस औरत तो कोसता हुआ गुस्से में तेजी से कार चलाता था की अचानक सामने एक बड़ा ट्रक आने के कारण, मैं अपनी कार पर नियंत्रण नहीं रख पाया और मेरी कार गहरी खाई में जा गिरी। कनिका को गहरी चोटें आयीं और उसने वहीं दम तोड़ दिया। और मैं अकेला हो गया।”

योग की आँखों में जैसे आंसुओं की बाढ़ उमड़ रही थी। मैं अनायास ही योग के पास पहुंची और मेरे रुमाल से उनके आंसू पोंछे, और वह भयावह एवं दुखद हादसे पर अपनी सहानुभूति जता ने के लिए उनके एकदम करीब जा बैठी।

मुझे तब समझ में आया की योग कार्यव्यस्त महिलाओं के खिलाफ इतनी नफरत और तिरस्कार की भावना क्यों रखते थे।

मैंने योग का हाथ अपने हाथों में लिया और बोली, “कनिका की कमी की पूर्ति तो कोई नहीं कर सकता। परन्तु कनिका की आखरी इच्छा थी की आप खुश रहो और जो हो गया उसे भूल जाओ। तो आपको उस बात का तो सम्मान करना चाहिए…

आप को अपने आप पर नियत्रण रखना होगा। आपको उस घटिया और चालु औरत को भूलना होगा और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना होगा। अगर मैं इस में आपकी कुछ भी मदद कर पाऊं तो वह मेरा सद्भाग्य होगा और ऐसा करने पर मुझे बड़ी ख़ुशी होगी।”

योग थोड़ी देर के लिए कनिका का फोटो देखते रहे, फिर एक गहरी साँस लेकर बोले, “मैंने आपके साथ जो सलूक किया है उसके लिए मैं आप से माफ़ी माँगता हूँ। मैं उस घटिया औरत के प्रति मेरी नफरत को भुला नहीं पा रहा था..

मुझे हमेशा लगता था की मैंने मेरी प्यारी कनिका को उस धोखे बाज, घटिया राँड़ के कारण ही गँवाया था। इस के कारण मैं हर एक प्रोफेशनल औरत को उस औरत जैसा ही मानने लगा था और उनसे नफरत करने लगा था, मेरे मन में प्रोफेशनल औरतों के लिए एक पूर्वग्रह पैदा हो गया था..

आपका यह प्रोग्राम का अध्यन करने के बाद जब मैंने देखा की आपने कितना कार्यदक्ष यह प्रोग्राम डिज़ाइन किया है तो मेरी समझ में आया की महिलाएं भी इतना बढ़िया प्रोग्राम डिज़ाइन कर सकती हैं..

वह एक धोखे बाज औरत के कारण मैं सारी औरत जात को धोखेबाज समझने लगा था। मेरे कड़वे और घातक शब्दों के कारण आप का ह्रदय तोड़ने के लिए मुझे आप माफ़ करना।” फिर योग सर की आँखों में आंसू झलक पड़े।

मैंने योग का सर मेरी छाती पर रखा और मैं उनके बालों में बड़े प्यार से अपनी उँगलियाँ फिराने लगी। मेरे जहन में उस समय अनजानी अजीब सी उत्तेजनात्मक भावनाएँ उमड़ रहीं थीं। मुझे लगा की यह समय था की जब मैं योग सर का अपने स्त्री सुलभ मनोभाव से हौसला बढ़ाऊँ।

मैंने उनसे कहा, “मुझे ख़ुशी है की आप उस घटिया स्त्री को पीछे छोड़ चुके हो।” फिर मैंने योग के होठोँ पर उंगली फिसलाते और उनकी आँखों में आँखें डालते हुए नटखट अंदाज में कहा, “पर सावधान। आपको उतनी ही चालाक और शायद उससे कहीं अधिक कष्ट दायक दूसरी औरत से भी निपटना है।”

योग इतने गंभीर होते हुए भी बरबस मुस्करा उठे। उन्होंने उतने ही शरारत भरे अंदाज में कहा, ” मैं उस उतनी ही चालाक और कष्टप्रद स्त्री को बड़ी अच्छी तरह जानता हूँ। मैं यह भी जानता हूँ की ऐसी औरतों से कैसे निपटा जा सकता है।”

मैंने कहा, “अच्छा जनाब? तो फिर क्यूँ ना हम शैम्पैन की बोतल खोकर उस पुरानी औरत को अलविदा कहें और नयी औरत बनाम मुसीबत का स्वागत करें?”

योग मेरी इस अठखेली से हँस पड़े. अब वह काफी तनाव मुक्त लग रहे थे। वह उठकर एक अल्मिराह के पास गए और उसे खोल कर उसमें से शैम्पेन की एक बोतल निकाली। उसे एक बर्फ से भरी छोटी सी बाल्टी जैसे बर्तन में रख कर कुछ देर तक चुचाप इंतजार करते रहे।

फिर उन्होंने बोतल का ढक्कन मेरे मुंह के सामने जोर से खोला। ढक्कन उछल कर दूर जा गिरा और शैम्पेन एक उफान की तरह उमड़ पड़ी और मेरे सर, मुंह, होंठ, गर्दन और छाती पर फ़ैल गयी। शैम्पेन मेरे ब्लूज़, ब्रा को गीला कर अंदर मेर स्तनों पर भी फ़ैल गयी।

योग ने उसी मश्कारे अंदाज में कहा, “ओ नयी औरत! आप भी सावधान रहना। योग तुम्हें पुरानी औरत की तरह आसानी से छोड़ने वाला नहीं है।”

मैंने मेरे होंठों पर लगी शैम्पेन चाटी और चखी।

योग ने पहले मेरा ग्लास भरा और फिर उफान में उठती हुई शैम्पेन से अपना गिलास भी भरा।

मेरे प्रोग्राम के सम्मान में योग ने अपना गिलास उठाकर बड़ी गंभीरता और जिम्मेदारी भरे शब्दों में कहा, “यह बड़े ही उच्चतम प्रोग्राम राइटर ने डिज़ाइन किये हुए अत्यंत उमदा और व्यावसायिक तौर पर सफल होने वाले प्रोग्राम के लिए।”,

योग ने गिलास में से एक चुस्की ली और मेरी और मूड कर बड़े ही मनोहर शब्दों में फिर कहा, “प्रिया, मुझे आपके इस सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की मुहीम में शामिल होने में बड़ा गर्व महसूस हो रहा है। मुझे इस में शामिल करने के लिए बहुत शुक्रिया।”

ऐसा कह कर उन्होंने शम्पैन की एक और चुस्की ली। मुझे योग की तरह धीरज नहीं थी। मैं उस शाम कुछ ख़ास करने की फिराक में थी, वह करने के लिए मुझे काफी हिम्मत और हौसले की जरुरत थी।

मैं गटक से पूरा गिलास एक ही झटके में पी गयी। मैंने दूसरा गिलास भी शैम्पेन से भर दिया और उसे भी गटका गयी।

योग के शब्दों ने मेरे अंदर भावनाओं की एक सुनामी जैसी ऊँची ऊँची लहरें पैदा कर दी थीं। मेरे लिए यह एक अद्भुत एवं अविश्वश्नीय बात थी की योग के जैसे कट्टर महिला विरोधी पुरुष अब उन्हीं महिलाओं के काम का कितना कायल हो गया था।

मेरे मन में योग के लिए जो घृणा और वैमनस्य था, वह डैम फटने से जैसे डैम के परखच्चे उड़ जाते हैं, वैसे ही उड़ गए। योग के प्रति जो नफरत की दिवार थी वह रातो रात ढह गयी और अब उसकी जगह उनके लिए मेरे मन में एक अजीब सी रोमांचकारी रूमानी भावना ने जगह ले ली थी।

मेरे काम के लिए उन्होंने जो प्रशंशा भरे शब्द बोले थे यह सुनकर मैं पागल सी हो रही थी।

अब मेरा यह पागलपन मेरी जिंदगी में क्या मोड़ लायेगा, यह तो अगले एपिसोड में पता चलेगा!

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