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अब तक की इस चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा.. पापा मेरी चाची को ऊपर उठा कर.. अपने दोनों हाथों को ब्रा खोलने के लिए उनकी पीठ पर ले गए। इस समय चाची पूरी मस्ती से पापा की बांहों में जकड़ी हुई थीं, ऐसा साफ़ दिख रहा था। उस वक्त पापा चाची के गले पर किस कर रहे थे। अब पापा ने ब्रा का हुक खोल दिया.. ये सब एक मिनट में हो गया।
चाची ने सिर्फ हाथ से पापा को ‘नहीं..’ करते हुए इशारा किया, पर आँखें बंद रखीं और मुँह से भी कुछ नहीं कहा। पापा मुस्कुराए और ब्रा ऊपर करते हुए चाची की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगे।
चाची फिर पापा को सहलाने लगीं। तभी मैं फिर से चौंक गया क्योंकि चाची ने धीरे से कहा- प्लीज़ यार, मत करो, बाजू में बच्चे है.. अब बस करो! पापा ने उनके कान में फुसफुसाते हुए कहा- चुप रहो डार्लिंग, कुछ बोलोगी तो उठ जायेंगे.. मजा लो और लेने दो।
अब स्थिति ऐसी थी कि पापा चाची के ऊपर लेटे हुए थे और चाची का ब्लाउज और ब्रा हाथ तक निकला हुआ था। पापा एक चूची चूस रहे थे और दूसरी चूची को हाथ से दबा रहे थे। इसके साथ ही पापा ऊपर-नीचे हिल भी रहे थे।
मैंने ध्यान से देखा कि पापा अपना लंड चाची की चूत पर रगड़ रहे थे, पर बीच में कपड़े थे, लेकिन चाची लंड की रगड़ महसूस कर रही थीं इसलिए वे मदहोश थीं।
पापा अब दोनों चूचियों को ऐसे चूस रहे थे.. जैसे पूरी खा ही जायेंगे। चाची जोर-जोर से साँस ले रही थीं और पापा के मुँह को अपनी चूची पर दबाते हुए चूची चुसवा रही थीं।
पापा अब धीरे-धीरे नीचे जाने लगे और चाची के पेट पर जीभ घुमाने लगे। चाची ने तकिये के दोनों साइड में अपने हाथ ऊपर को कर दिए, पापा ने अपने दोनों हाथ चाची के दोनों चूची पर रखे और अपनी जीभ से चाची की नाभि पर घुमाने लगे। चाची एकदम जोर से पीठ ऊपर करके ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगीं और हमारी तरफ देखने लगी कि कहीं हम उठ न जाएं।
पापा ने कुछ देर नाभि चूसने के बाद पेट पर चुम्बन करते हुए अपना दायाँ हाथ एक चूची से हटाकर नीचे चाची के पैरों पर पर ले आए। चाची आँख बंद कर हाथ ऊपर किए लेटी रहीं।
अब पापा अपने हाथ से ने धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाया और चाची के घुटनों के ऊपर जांघ का मांसल भाग सहलाने लगे, इससे चाची सिहर उठीं।
पापा ने चाची के पेट पर चूमना बंद किया और एकदम से अपने घुटनों पर आधे खड़े होकर अपनी बनियान उतार कर अलग कर दिया.. व फिर से चाची के ऊपर लेट गए।
चाची को जैसे ही चुदाई होने का अहसास हुआ, वे एकदम से ‘नहीं नहीं..’ बोलने लगीं। पापा ने जोर से चाची को अपने सीने से चिपटाया और उनके ऊपर पोजीशन बना कर लेटने लगे। अब चाची समझ चुकी थीं कि वे पापा को चुदाई करने नहीं रोक पाएंगी, तो चाची कुछ शिथिल पड़ गईं।
चाची का विरोध कम होने पर पापा ने चाची की पूरी साड़ी कमर से ऊपर पेट पर कर दी और पेंटी पर हथेली फैलाते हुए चूत पर हाथ घुमा दिया। चाची एकदम से सहम गईं और वे पापा के हाथ पर हाथ रख कर रोकने जैसा प्रयास करने लगीं। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इस पर पापा ने फिर अपने होंठ चाची के होंठों पर लगाने चाहे, तो चाची ने मुँह फेर लिया। अब पापा को थोड़ा गुस्सा आया तो उन्होंने चाची की पेंटी के अन्दर हाथ डालकर अपनी एक उंगली जोर से चूत के अन्दर पेल दी।
चाची का मुँह दर्द के कारण खुला का खुला रह गया और तुरंत पापा को आँख खोलकर देखने लगीं। पापा ने हँसकर चाची के गाल पर एक पप्पी धर दी तो चाची ने फिर आँखें बंद कर लीं। पापा उंगली धीरे-धीरे अन्दर-बाहर कर रहे थे और चाची के एक चूचे को चूसे जा रहे थे।
अगले ही पल पापा ने अपना पूरा बदन चाची के थोड़ा ऊपर उठा कर दूसरे हाथ से अपनी अंडरवियर नीचे को सरका दी। पापा की इस हरकत का चाची को पता नहीं चल पाया था। फिर पापा ने उसी हाथ से पेंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचना शुरू किया। चाची ने पेंटी पकड़ कर रखी थी। पापा और जोर लगाने लगे चाची अपना मुँह ‘नहीं नहीं’ करने के लिए हिला रही थीं, पर कुछ बोल नहीं रही थीं।
पापा और चाची के जोर लगाने से पेंटी फट गई और पापा के हाथ में आ गई। पापा खुश हो गए और उसे दूर फेंक दिया। चाची का मन तो था.. पर वे हम दोनों के कारण थोड़ा घबरा रही थीं।
तभी पापा ने चूत में फिर से उंगली घुमा दी। अब चाची को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने अपने पैर फैलाते हुए पापा को कसके जकड़ लिया।
तभी पापा ने चाची के हाथ को पकड़ कर नीचे लेकर गए और उनके हाथ में लंड पकड़ा दिया। चाची ने लंड पकड़ कर छोड़ दिया, पर थोड़ी देर बाद हाथ में लेकर लंड हिलाने लग गईं।
पापा अब बहुत खुश हुए और चाची के पूरे बदन पर किस करने लगे। लेकिन उसी वक्त गुड्डू ने करवट बदली तो चाची बुरी तरह से डर गई और कपड़े ठीक करने लगीं। पर पापा चाची के ऊपर से नहीं हटे और पापा ने चाची के हाथ पकड़ लिए। चाची बहुत डर गई थीं, चाची ने कहा- प्लीज जल्दी करो और जाओ यहाँ से.. बच्चे उठ जायेंगे!
पापा खुश हो गए और वे लंड चूत पर रगड़ने लगे, साथ ही चाची के चूचे चूसने लगे।
पापा ने दो बार जोर लगाया.. पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था, तभी चाची ने अपने हाथ से लंड को चूत पर रखा और अन्दर डालने का इशारा करने लगीं।
पापा समझ गए और उन्होंने एक तबियत का जर्क लगा दिया। पापा का लंड शायद चाचा से बड़ा था.. इसलिए चुत में अन्दर जाते ही चाची की आँखें फ़ैल गईं और उनकी जोर से चीख निकल गई- आह्हह्ह.. मर गई..
पापा भी डर गए कि कहीं हम दोनों उठ ना जाएं, पापा ने चाची के होंठ पर होंठ रखे और इस बार दर्द होने के बाद भी चाची ने अपने होंठ पापा के होंठों से जोड़ दिए। पापा को मजा आ गया क्योंकि पहले चाची होंठ नहीं चूसने दे रही थीं।
चाची ने पापा के होंठ जकड़ रखे थे इसलिए पापा होंठ चूसते हुए जोर-जोर से लंड के झटके मारने लगे। चाची होंठ दबे होने के कारण चीख नहीं पा रही थीं.. पर अपने हाथ से पापा की कमर को धीरे-धीरे चुदाई करने के लिए रोक रही थीं।
पापा ने 8-10 धक्के लगाने के बाद चाची के होंठ छोड़ दिए। चाची तुरंत जोर-जोर से हांफने लगी और उन्होंने मस्ती में आकर पापा के गाल पर एक पप्पी जड़ दी। पापा ने जोर-जोर से लंड पेलना शुरू कर दिया।
चाची चुदाई की मस्ती में अब सब भूल गई थीं उन्होंने अपने हाथ से अपनी चूची पापा के मुँह में दे दी। फिर पापा अपने घुटनों के सहारे आधे खड़े से हो गए और चाची की टांगों को उठाकर चोदने लगे। इसके बाद पापा ने चाची को उठाया, चाची के उठते ही पापा ने उनका ब्लाउज और ब्रा निकाल कर अलग कर दिया और चाची को अपने गोद में बिठा लिया।
पापा के लंड पर बैठकर चाची भी पापा के लंड में धक्के देने लगीं। आखिर पापा ने चाची को पूरा चिपका लिया और उन्हें लेकर उठकर खड़े हो गए। चाची ने मना किया.. पर पापा ने लंड वैसे ही रखकर चाची को उठाया था। चाची के दोनों हाथ पापा के गले में थे.. और पैर पापा की कमर से जकड़े हुए थे।
पापा चाची को एक कोने में लेकर गए और वहाँ नीचे उतारकर चाची को झुकाने लगे। पापा ने वहाँ पर चाची को घोड़ी बना कर पीछे से उनकी चुत में बहुत जोर-जोर से धक्के मारे, चाची को मजा आ रहा था।
चूँकि चाची झड़ चुकी थीं और उनको अब ये सब ख़त्म करना था, तो चाची पापा से छूटने के लिए थोड़ा हट गईं और भाग कर अपनी जगह पर बिस्तर पर आ गईं।
पापा भी लंड हिलाते हुए आए और सीधा चाची के ऊपर चढ़ गए। चाची ने पूरे जोर से पापा को पकड़ लिया और अपने होंठों में उनके होंठ ले लिए।
कुछ ही देर शायद चाची फिर से गरम हो गई थीं। अब वो पापा के कूल्हों को ऐसे खींच रही थीं, जैसे कह रही हों कि थोड़ा भी लंड बाहर नहीं रहना चाहिए।
चाची का ऐसा जोश देख कर पापा बहुत एक्साइट होकर धक्के मारने लगे, छत के सुनसान वातवरण में जोर-जोर से ‘पछक पछाक..’ की आवाजें आने लगीं।
चाची हम दोनों की तरफ देख रही थीं और पापा बहुत जोश में धक्के मार रहे थे। थोड़ी ही देर में पापा ने पूरा माल चाची की चूत में डाल दिया और उनके ऊपर ही ढेर हो गए।
अब दोनों भी शांत हो गए, पापा ने लंड निकाला तो बहुत वीर्य बाहर निकला मतलब चाची भी फिर से झड़ गई थीं।
पापा ने चाची को बहुत प्यार से किस किया और उठकर गुड्डू के बाजू में सो गए।
चाची ने सब कपड़े पहन कर एक जोर से साँस ली और अपने आप मुस्कुरा कर मेरे ऊपर हाथ रखकर सो गईं।
मैंने भी चाची को जोर से हग किया और हम दोनों सो गए।
आपको चाची और पापा की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. जरूर लिखिएगा। [email protected]
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