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दोस्तो मेरा नाम नीलेश है, मैं झाँसी उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।
बात आज से दो साल पहले की है जब मैं कॉलेज में था और नौकरी की तैयारी के लिए एक कॉम्पटिशन क्लास में जाता था जहाँ पर एक लड़की ज्योति मेरे साथ के बैच में ही पढ़ती थी। वह मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड की सहेली थी इसी वजह से मेरी भी उससे दोस्ती हो गई थी।
ज्योति के बारे में क्या बताऊँ क्या गजब का माल थी वो… उसका फ़िगर 32-28-34 था। जब उसकी गांड मुझे नज़र आती तो मेरा लंड अपने आप खड़ा हो जाता था। जबसे उसको देखा था, बस उसको चोदने के सपने देखता था और उसकी गांड को याद करके सुबह शाम मुट्ठ मारा करता था।
हालांकि मेरी एक गर्लफ्रेंड थी पर उसके साथ लॉन्ग डिस्टेन्स रिलेशनशिप था, इस वजह से उसको चोदने का मौका बहुत कम मिल पाता था। ज्योति से दोस्ती होने के बाद पता चला कि उसका घर और मेरा घर थोड़ी ही दूरी पर है, वो पास के एक गाँव से है और पढ़ाई के लिए यहाँ रूम लेकर रहती है।
मैं बहुत खुश हुआ, मैंने उससे पूछा- क्या मैं तुम्हारे यहाँ पढ़ने आ सकता हूँ? साथ में पढ़ेंगे तो मन लगा रहेगा पढ़ाई में! तो वो मुस्कुरा कर बोली- ठीक है, पर सिर्फ पढ़ने के लिए! और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी। मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे कि अब मजा आएगा।
अगले दिन से मैं उसके रूम पे जाने लगा और हम पढ़ाई करने लगे लेकिन मेरा मन पढ़ने में कहाँ लगता था, मैं बैठ कर उसकी चुची की तरफ तो कभी उसकी जांघों को देखता रहता। उसने एक दो बार नोटिस किया पर कुछ कहा नहीं।
ऐसा कई दिनों तक चला।
अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था और मैं रोज़ उसकी गांड और चुची को याद करके मुट्ठ मार के अपनी आग को शांतकर लेता।
एक शाम मुट्ठ मारते हुये ही मैंने उसे फोन किया और पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या? उसने पूछा- क्यूँ पूछ रहे हो? मैंने कहा- ऐसे ही! और फोन रख दिया।
अगले दिन जब मैं उसके रूम पर पहुँचा तो वो लूज टीशर्ट और शॉर्ट में थी। मैं तो उसको देखता ही रह गया। मैंने कहा- ये क्या पहन लिया आज? वो बोली- अच्छा नहीं लग रहा क्या? मैंने कहा- बहुत अच्छा… मुझे कुछ हो रहा है! वो बोली- हट पागल, आज शनिवार है, मैंने अपने सारे कपड़े धुलने डाल दिये, इसलिए ये पहना है।
मैंने शरारत में पूछा- अपनी ब्रा भी धो दी क्या? वो बोली- क्यूँ? तो मैंने कहा- क्यूंकि टी शर्ट से तुम्हारे निप्पल दिख रहे हैं। वो बोली- शैतान कहीं के… यह बताओ कि बॉयफ्रेंड का क्यूँ पूछा था?
मैंने सोचा कि आज मौका अच्छा है, बात को ज़्यादा घुमाना अच्छा नहीं तो बोल दिया- मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड बनना चाहता हूँ। वो बोली- क्यूँ? तो मैंने कहा- एक दूसरे की ज़रूरत को पूरा करने के लिए! और उसको तुरंत अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों पे किस करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मेरा हाथ उसकी चुची पर गया और मैं उसकी चुची को सहलाने लगा और उसको चूम रहा था। मैंने कहा- मेरी जान, कब से मुझे इस पल का इंतज़ार था और आज ये मौका मिला। तो वो बोली- मेरे राजा, ये बिना ब्रा के टी शर्ट तुमको दिखाने के लिए ही तो पहनी है।
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, उसकी चुची मेरे सामने आ गई। उनको देखते ही मैंने उनको अपने हाथों से दबाया और चूसने लगा।
वो मेरा सर पकड़ कर अपने वक्ष पर दबाने लगी। मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और अपने पूरे कपड़े उतार दिये और उसके ऊपर आकर उसकी चुची को रगड़ने लगा। वो मस्त हो रही थी।
अब मैंने उसको पूरी नंगी किया और उसके गोरे बदन को निहारने लगा। उसको उल्टा किया और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा जिसका मैं दीवाना था।
उफ़्फ़ क्या गांड थी! मैं तो पागल हो रहा था, मैंने ज़ोर ज़ोर से थप्पड़ मारना शुरू किया गांड पे तो वो चिल्लाने लगी। मैंने कहा- रुक साली रंडी, अभी मजा आएगा। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब मैंने उसको सीधा किया और उसको बोला- आ जा, मेरा लंड मुह में ले ले! वो मना करने लगी पर मेरे ज़ोर देने पर थोड़ा सा लिया, फिर बोली- बस और नहीं! मैंने भी ज़बरदस्ती नहीं की क्यूंकि पहली बार था।
अब मैंने नीचे आया और उसकी बुर को चाटने लगा, वो पागल होने लगी। मैंने कहा- अब मैं तेरी बुर मारूँगा रंडी! वो मना करने लगी- नहीं प्लीज नीचे मत डालना, बहुत दर्द होगा।
मैंने सोचा ‘यार अब क्या होगा?’ तो मैंने उसको बोला- अच्छा गांड मरवा ले! तो थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई।
मैंने उसको उल्टा किया और बोला- चल मेरी रानी, अब घोड़ी बन जा! आज तुझे घोड़ी बना के तेरी गांड मारूँगा! और धीरे धीरे उसकी पीठ पे हाथ फेरने लगा। अपने लंड को हाथ से हिलाया जो बहुत सख्त हो चुका था और उसकी गांड और अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गांड में धीरे धीरे लंड को डालने लगा।
उसको दर्द हुआ तो वो चिल्लाने लगी। मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा बस! और मैंने लंड को पूरा उसकी गांड में डाल दिया, वो चिल्ला पड़ी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैं रुक गया और उसके पेट के पास से अपना हाथ लाकर उसकी बुर पे उंगली फेरने लगा, उसकी बुर को सहलाने लगा। अब उसे अच्छा लगने लगा और वो अपनी गांड हिलाने लगी।
मैं समझ गया और मैंने लंड को अंदर बाहर करना चालू कर दिया, मैं उसकी बुर को भी सहला रहा था, उसे बहुत मजा आ रहा था। 10 मिनट तक मैं उसकी बुर सहलाते हुये उसकी गांड मारता रहा और अब मैं छूटने वाला था। वो भी झड़ चुकी थी।
मैंने उसको सीधा लिटाया और उसकी चुची के बीच में लंड को रख कर उसके बूब्स को फक करने लगा और उसकी चुची पर ही अपना रस छोड़ दिया। फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर साफ हुये। मैंने उसको बोला- मेरी जान, अगली बार तेरी बुर मारूँगा! तो वो कुछ नहीं बोली।
फिर मैं अपने घर आ गया। आगे मैंने उसकी बुर कैसे मारी वो फिर कभी!
आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे ज़रूर लिखिएगा। [email protected]
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