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मेरा नाम रोहित है, मैं 21 साल का हूँ और अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं अपने घर में सबसे छोटा हूँ।
यह मेरे साथ घटी हुई एक सच्ची सेक्स स्टोरी है। वैसे तो मुझे शुरू से ही सेक्स की बड़ी चुल्ल थी। मैं जब भी कोई ब्लू-फ़िल्म देखता.. तो मैं खुद को बहुत ही उत्तेजित महसूस करता था और उस वक्त मुझे चोदने की बड़ी इच्छा होती थी.. पर चुत तो होती नहीं थी, तो बस मुठ मार कर ही खुद को शांत करना पड़ता था।
जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया.. मेरी चोदने की इच्छा भी बढ़ती गई, पर मैंने अब तक किसी को चोदा नहीं था।
उन दिनों की बात है जब मैं स्कूल की बड़ी क्लास में था और मेरी उम्र 18 साल हो गई थी। उन दिनों गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं.. इसीलिए कॉलेज वगैरह बंद थे।
इन छुट्टियों में हर बार की तरह मेरी मौसी हमारे घर आई हुई थीं। मेरी मौसी का नाम संगीता है, उनकी उम्र 48 साल है। वो दिखने में थोड़ी सांवली हैं.. पर उनका शरीर अभी भी कसा हुआ है। उनके स्तन बहुत बड़े और सुडौल हैं और गांड तो बहुत ही मस्त और मोटी है।
मेरी मौसी के दो बच्चे हैं.. वे दोनों मुझसे उम्र में बड़े हैं। मौसी के पति यानि मेरे मौसा जी की उम्र 52 साल है.. उन्हें दमे की शिकायत है।
घर में मेहमान आने के कारण थोड़ी रेलमपेल हो गई थी। मौसी ने मुझसे मेरी पढ़ाई वगैरह के बारे में पूछा और वो मेरी मम्मी से बात करने अन्दर किचन में चली गईं।
तभी मुझे बॉथरूम लगी और मैं भी अन्दर चला गया। जैसे ही मैं अन्दर गया तो मैंने देखा कि गेस्टरूम में मौसी अपने कपड़े बदल रही थीं। मुझे पता नहीं क्या हो गया और मैं वहीं दरवाजे के पीछे छुपकर उन्हें कपड़े बदलते देखता रहा। उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी, वो वहीं रखे हुए सोफे पर बैठ गईं और अपनी टांगे ऊपर करके उन्होंने साड़ी के अन्दर हाथ डाला और अपनी लाल रंग की चड्डी बाहर निकाली।
ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.. तभी अचानक किसी ने मेरा नाम पुकारा तो मैं डर गया और वहाँ से चला आया।
मैंने देखा कि बाहर मेरा दोस्त आया है। तब मुझे याद आया कि मुझे कुछ काम से बाहर जाना था और इसीलिए मुझे लेने मेरा दोस्त आया था। मैंने अपने दोस्त से कुछ देर रुकने को कहा और मैं अन्दर तैयार होने चला गया। मैंने देखा कि गेस्ट रूम की लाइट बंद हो चुकी थी और शायद वहाँ कोई नहीं था।
शायद मौसी ने कपड़े बदल लिए थे.. इसीलिए मैं अन्दर चला गया। मैंने देखा कि वहाँ कोई नहीं है और मौसी की साड़ी, जो वो पहन कर आई थीं, वो सोफे पर पड़ी हुई थी और आजू-बाजू में कुछ कपड़े बिखरे हुए थे।
तभी अचानक मेरी नजर मौसी की उस लाल रंग की चड्डी पर पड़ी। मैंने आजू-बाजू देखा और कोई नहीं है ये देखकर मैंने वो चड्डी अपने हाथ में उठा ली। पसीने के कारण वो चड्डी थोड़ी गीली हो गई थी और उसमें से एक गजब की खुशबू आ रही थी। मैं वो खुशबू सूँघकर पूरी तरह से मदहोश हो गया, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं किसी जंगली की तरह वो चड्डी सूंघने लगा वहीं बाजू में मौसी की ब्रा भी पड़ी हुई थी, मैंने ब्रा भी हाथ में उठाई और उसे भी सूंघने लगा, उसकी खुशबू भी गजब की थी।
फिर ब्रा में जो कटोरियां होती हैं.. जहाँ आगे नोक सी निकली होती है, जो हिस्सा औरतों के निप्पल के ऊपर फिट होता है.. मैं ब्रा के उस नोक वाले हिस्से को अपने मुँह में डालकर चूसने लगा। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो मैं किसी औरत के निप्पल चूस रहा होऊँ। तभी अचानक बाहर से आवाज आई और मुझे याद आया कि मैं तो अन्दर तैयार होने आया था। मैं जैसे ही गेस्ट रूम से बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ा तो मैंने देखा कि मौसी दरवाजे पर खड़ी थीं।
मैं वहीं का वहीं रुक गया.. मौसी दरवाजे से अन्दर आईं और बोलीं- कुछ ढूंढ रहे हो? पहले तो मैं थोड़ा डर गया.. फिर खुद को सँभालते हुए मैंने कहा- हाँ.. वो मैं कंघी ढूंढ रहा था!
इतना कहकर मैं वहाँ से जल्दी से चला गया। मैं अपने कमरे में जाकर झट से तैयार हुआ और दोस्त के साथ जाने के लिए बाहर आ गया।
तभी मौसी मुझसे बोलीं- रोहित कहीं बाहर जा रहे हो? मैंने कहा- हाँ मौसी मुझे मार्किट में कुछ काम है। मौसी बोलीं- ठीक है।
मैं अपने दोस्त के साथ चला गया। मुझे लगा मौसी ने मुझे उनकी चड्डी सूँघते हुए और ब्रा चूसते हुए नहीं देखा होगा। मौसी की वो मदहोश करने वाली खुशबू अभी भी मैं महसूस कर रहा था।
रात को जब मैं घर वापस आया तो खाना तैयार था, मम्मी मुझसे बोलीं- रोहित खाना खाने आ जाओ। मैं बोला- हाँ फ्रेश हो कर आता हूँ।
मौसी भी वहीं खड़ी थीं.. मैं मौसी से नजरें चुराते हुए अपने कमरे में चला गया। मैं अपने कमरे में कपड़े बदल रहा था.. तभी अचानक मौसी मेरे कमरे में आईं.. शायद मैंने अपने रूम का दरवाजा गलती से खुला छोड़ दिया था।
जब मौसी अन्दर आईं.. तब मैंने सिर्फ चड्डी पहनी हुई थी। उनको देखकर मैं शर्मा गया और बाजू में पड़ी हुई तौलिया उठा कर अपने पेट पर लपेटने लगा, पर हड़बड़ी में तौलिया मेरे हाथ से गिर गया।
मौसी ये सब देखकर हँसने लगीं और बोलीं- इतना क्यों शर्मा रहा है, तू अभी भी मेरे लिए छोटा ही है।
मौसी मेरे पास आईं, मेरे गाल पर हाथ फेरने लगीं और बोलीं- जल्दी से खाना खाने बाहर आ जाओ।
मैं जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आ गया और सबके साथ खाना खाने बैठ गया। खाना होने के बाद सब लोग सोने की तैयारी करने लगे। मुझे भी बहुत नींद आ रही थी, गेस्ट रूम का कूलर ख़राब होने के कारण वहाँ कोई नहीं सोया।
मेरे रूम में एक कूलर लगा था तो मम्मी ने मौसी से कहा- तुम रोहित के रूम में सो जाओ। मौसी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- ठीक है.. तुझे चलेगा? मैंने भी कहा- हाँ ठीक है।
मैं अपने रूम में सोने चला गया।
मैंने रूम की लाइट को बंद कर दिया और सोने की कोशिश करने लगा.. पर मुझे बार-बार मौसी की वो लाल रंग की चड्डी और ब्रा दिखाई दे रही थी। मेरे मन में ख्याल आया कि चड्डी की गंध इतनी मदहोश कर देने वाली है.. तो मौसी की चूत की गंध कैसी होगी!
यही सोच-सोच कर मैं चड्डी के अन्दर हाथ डालकर अपने लंड को सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मौसी अन्दर आईं और मेरे बाजू में आकर लेट गईं। उन्होंने मुझसे पूछा- रोहित सो गया क्या? मैंने कहा- हाँ बहुत नींद आ रही है।
पर मुझे तो असल में नींद ही नहीं आ रही थी.. मेरी नींद तो मौसी की चड्डी और ब्रा ने उड़ाई हुई थी।
मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया था और मुझे किसी को जमकर चोदने की बहुत तेज इच्छा हो रही थी। मैं मन ही मन मौसी को नंगी इमेजिन करने लगा और उनकी चुत चुदाई की कल्पना करने लगा। मैं पूरी तरह से बेकाबू हो चुका था।
मौसी अब तक सो चुकी थीं, मेरा बेड काफी बड़ा था.. मौसी बेड पर एक तरफ होकर सो गई थीं। मेरे और मौसी के बीच में थोड़ा ही अंतर था, मुझे तो नींद ही नहीं आ रही थी। मेरा लंड तोप की तरह खड़ा था और मेरी चड्डी से बाहर आने को और मौसी की चुत फाड़कर अन्दर घुस जाने को तड़प रहा था।
मैंने मौसी की तरफ मुँह किया तो देखा हमारे बीच में बहुत थोड़ा सा ही अंतर है। मैंने धीरे से अपने पैर मौसी के पैर पर रख दिए और मैं अपने पैर धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करके रगड़ते हुए उनकी साड़ी उनके पैर के ऊपर सरकाने लगा। कुछ ही पलों में मेरा पैर उनके पैर को छूने लगा.. मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।
पर तभी शायद मौसी को इसका एहसास हुआ और उन्होंने मेरा पैर अपने पैरों के ऊपर से हटा दिया। थोड़ी देर बाद मैंने फिर से अपना पैर उनके पैर पर रखा और रगड़ने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था कि तभी मौसी उठीं और बोलीं- अरे रोहित ठीक से पैर रखो बेटा!
पर मैंने अपनी आँख नहीं खोली और सोने का नाटक करता रहा, मौसी को लगा मैं नींद में पैर फेंक रहा था। उन्होंने मेरा पैर ठीक से रखा और फिर से सोने लगीं। थोड़ी देर बाद वो सो गईं और उन्हें चोदने के बारे में सोचते-सोचते मुझे भी नींद आ गई।
रात के 2 बजे के आस-पास मुझे सूसू लगी तो मैं उठ गया और सूसू करने के लिए बाथरूम में चला गया। सूसू करने के बाद मैं वापस बेड पर आकर लेट गया, मैंने देखा कि मौसी पीठ के बल होकर चित्त लेटी थीं और गहरी नींद में सोई हुई थीं तो मैं भी उनकी तरफ मुँह करके लेट गया।
मैंने धीरे से अपना हाथ उनके पेट पर रख दिया और मौसी की साड़ी का पल्लू धीरे-धीरे हटाने लगा। मैंने मौसी का पल्लू उनके पेट पर से हटा दिया और उनके मुलायम पेट के ऊपर से धीरे-धीरे हाथ फेरने लगा। उनका पेट बहुत ही मुलायम था.. मानो जैसे मक्खन हो। कुछ देर उनके पेट के ऊपर हाथ फेरने के बाद मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई और मैं अपना हाथ धीरे-धीरे ऊपर उनके स्तन की तरफ बढ़ाने लगा। अब मेरा हाथ उनके बाएं स्तन पर आ गया था, मैंने उसे हल्के से दबाया तो मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई।
मेरी एक बार तो गांड फटी कि कहीं मौसी जाग नहीं जाएं, पर मन में आज मौसी चुत की चुदाई करने का मन था, सो मैं लगा रहा।
आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी के लिए अपने कमेंट्स जरूर लिखिएगा।
कहानी का अगला भाग: चुत चुदाई की तमन्ना मौसी को चोदकर पूरी हुई- 2
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