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नमस्कर दोस्तो, मेरा नाम यशवीर जाट है, मैं 21 साल का हूँ, सफीदों हरियाणा का रहने वाला हूँ, मैं M.Sc कर रहा हूँ।
मैं अपने जीवन की सच्ची कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ। कुछ समय पहले की बात है, मेरे घर पर मेरी मौसी की लड़की आई हुई थी मिताली… वो मुझसे एक साल छोटी है। मैं और वो आपस में काफी घुले मिले हुए हैं, हमारा आपसी प्यार बहुत ज्यादा है। वो बहुत ही खूबसूरत है, उसका जिस्म मानो संगमरमर सा तराशा हुआ है, पतली कमर, गोरा बदन, गोलाई ली हुई दो चूचियाँ, गोल उठी हुई पिछला हिस्सा, मानो कोई ज़न्नत की अप्सरा हो।
मैंने कभी उसे उस बुरी नज़र से नहीं देखा। पर एक रात बहुत कुछ अजीब हुआ, जो मैं इस कहानी में बताने जा रहा हूँ।
एक रात वो मेरे साथ सो गई, एका एक मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ, मेरा लंड खड़ा हो गया, मैंने अपनी टांगों से उसकी टांगों को सहलाना शुरू किया। परन्तु उसने कुछ नहीं कहा, शायद वो सोई हुई थी।
मैंने अपने लंड क़ो उसके पीछे से उसकी गांड की दरार में फ़िट कर दिया, मेरे हाथ उसकी पीठ और उसकी चुची को सहलाने लगे और वो चिहुंक गई। शायद उसको बुरा लगा और उठ कर दूसरे रूम में चली गई।
मैंने मिताली की चूचियों व गांड को याद करके मुठ मारना चालू कर दी। थोड़ी देर में मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य निकाल दिया। मुझे बहुत डर लग रहा था कहीं वो सुबह किसी को कहना दे। मैं सुबह उससे नज़र नहीं मिला पा रहा था।
दो दिन बाद वो चली गई।
मैंने मिताली की चूचियों व गांड को याद करके 3 साल मुठ मारी, उसका इंतज़ार करता रहा कि शायद मुझे उसकी चुदाई करने को मिल जाए!
तब मैं मेरी मौसी के लड़के के विवाह में गया तो वहाँ उस अप्सरा के दर्शन हुए। दिन बीत गया, मुझे रात का इंतज़ार था, मैं और वो और उसके बुआ के बच्चे एक रूम में सो गये।
वो अप्सरा लग रही थी, उसे देख कर मेरा लंड में फ़िर उफ़ान आना शुरू हो गया। मेरे लोअर का अगला भाग तंबू की तरह खड़ा हो गया। मेरे लंड का उफ़ान मिताली की नज़र में भी आ गया था।
तभी वो बाथरूम में घुस गई। अभी तक मेरे दिमाग का शैतान भी जाग गया था, मैं भी बाथरूम में घुस गया, उसे वहीं पकड़ लिया। मैंने कहा- मैं तुम्हें अपनी बाहों में भरना चाहता हूँ, तुम्हारे साथ मजा करना चाहता हूँ। बाहों में भरते हुए मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए।
‘आआ आम्म मुऊऊआह अह्ह्ह आअम्म मऊऊअह्ह्ह…’ मैं उसके होठों को चूसने लगा। क्या रस भरे हुए थे उसके होंठ! मैं कभी उसके ऊपरी होठों को चूसता तो कभी नीचे! उसकी गर्म साँसों की आवाज़ मुझमें सेक्स भर रही थी।
धीरे धीरे मैंने उसका टॉप और जीन्स उतार दिए। अब वो ब्रा और पेंटी में थी। मैंने उसके ब्रा का हुक खोल दिया, मैंने उसकी चूची को दबा कर मुंह में भर लिया, खूब चूसा, वह तड़प रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह’ करके मैं उसके बूब्स का रसपान करने लगा।
मैंने उसकी पेंटी को उतारा और अपनी जीभ से उसकी बुर को चूस रहा था। ‘आअह्ह्ह आआअह्ह्ह! और चूसो और ‘आअह्ह्हा ह्हहहा डिअर आअह्ह्ह्ह!’ की सिसकारी के साथ अपना पानी छोड़ रही थी।
उसने मेरा अंडरवियर उतारा। फिर धीरे धीरे मैंने अपना लंड उसकी बुर में डाल दिया। ‘आआह्ह्ह हाह्ह आह्ह्ह!’ दर्द से उसकी चीख निकल गई।
मैंने उसे बाहों में समेटा और धक्के तेज़ करने लगा, वो सेक्स का मजा ले रही थी। अब वह भी उछल उछल के सेक्स का मजा ले रही थी- आअह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह डिअर!
अचानक उसका जिस्म ढीला पड़ गया, अब उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया।
20-25 धक्कों के बाद मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपना लंड उसकी बुर से बाहर निकाल कर उसकी चुची पर अपना सारा माल निकाल दिया। हमने अपने कपड़े पहने ओर फिर सो गये। अपनी बहन की चुदाई करके मुझे खूब मजा आया।
उम्मीद है आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी। कमेंट्स करके अपनी राय दें।
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