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समीर के जाने के बाद मुझे अब और देर करना ठीक न लगा… मैंने हिना को अपनी बाहों में लिया और सोफे पर लिटा दिया, खुद उसके ऊपर लेट गया, उसकी गोल जवान चूचियों का मेरी बड़ी और चौड़ी छाती की नीचे कचूमर निकल रहा था… उसके दोनों हाथों को मैंने ऊपर कर उन्हें पकड़ रखा था मानो उसे मुझे छूने की इजाजत नहीं… और मैं उसके पूरे शरीर को रौन्द रहा था।
शायद उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था क्योंकि मादक गंद आ रही थी मुझे उसके शरीर से… जो बढ़ती ही जा रही थी। इस गन्ध ने मेरे अन्दर की वासना को और जगा दिया, मुझे अब और न रुका गया.. हिना भी पूरी गर्म थी, मैंने तुरंत उसकी टीशर्ट और पजामा उसके शरीर से अलग करके उसे नंगी कर दिया, अब वो लाल ब्रा में और लाल पेंटी में मेरे सामने थी।
मैंने उसके दोनों हाथों को ऊपर खींच उसी की टीशर्ट से बांध दिए.. वो मुझे सवालिया नजरों से देखने लगी.. मैंने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन तभी मेरा ध्यान समीर के कमरे की तरफ गया, दरवाजा हल्का सा खोल हम दोनों को चुदाई वो छुपकर देख रहा था और अपना लंड निकाले मुठिया रहा था।
फिर धीरे धीरे मैं हिना को चूमने लगा.. उसको होठों को कुछ मिनट चूसने के साथ अब मैं उसको कानों को चाटने लगा, कानों के पीछे का हिस्सा! वो चिहुंक उठी लेकिन हाथ बंधे होने के कारण कुछ कर न सकी, वो मुझे चूमना चाहती थी लेकिन मैं उसके कान चाट रहा था।
फिर मैंने उसकी गर्दन पर हमला किया, हल्की गर्म सांस उसकी सुराहीदार गर्दन पर मैंने छोड़ी तो उसकी कामवासना बढ़ने लगी.. शायद आज से पहले कोई असली मर्द नहीं मिला था उसे.. जो औरत को सही तरीके से इस्तेमाल करना जानता हो। सारे मर्द बस घुसा कर हिलाने को सेक्स समझ लेते हैं।
लेकिन आज हिना को मैं असली सेक्स की दुनिया दिखा रहा था.. वो अपना सर इधर उधर घुमा रही थी, उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था सब..
तभी गर्दन चूमते हुए मैंने धीरे से उसके पेट पर उंगली से उसका नाम लिखा.. हर छुवन पर उसका पेट थरथरा रहा था।
और मैंने उस पर अगला हमला किया.. धीरे धीरे अपनी उंगलियाँ उसकी योनि की तरफ ले गया। इस एहसास ने उसे बेचैन कर दिया- ह्म्म्म… रोहित… नहीं… आह्ह..
और तभी मेरी उंगलियाँ गीली हो गई, उसकी पेंटी पूरी तरह चूत के आसपास गीली हो चुकी थी.. और शायद वो शर्मा रही थी। मैंने उसकी चूत की पूरे हाथ में दबोच लिया और दो तीन बार मसल दिया मानो उसका जूस निकाल रहा हूँ।
हिना के मुख से एक चीख निकल गई- आह्ह अह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह… नहीं… उसके सब्र का बांध टूट गया, उसका शरीर जोर जोर से हिलने लगा और उसने चूत ने अपना कामरस उगलना शुरू कर दिया। वो तड़प रही थी, उसकी आँखों में लाली छाई थी, वासना से भरी आँखें बस मेरे तरफ देखे जा रही थी थी मानो मैंने उसे ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दे दी हो।
करीब 20 सेकंड्स तक हिना झड़ती रही, उसके बाद उसक शरीर शांत पड़ गया तो मैंने उसके हाथों को खोल आजाद कर दिया। अगले ही पल वो उठ कर मुझे कूद पड़ी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी मेरे होठों को, मेरे माथे को हर तरफ!
कुछ देर बाद वो शांत हुई और मुझे देख कर बोली- रोहित, जो तुमने मुझे आज मुझे महसूस कराया है वो मैंने आज तक नहीं किया था। हिना आज से तुम्हारी हुई… मुझे अपना बना लो रोहित…
इतना प्यार था उसकी बातो में.. और आंखों में वासना!
मैं फिर अपने काम पर लग गया.. और दोबारा उसके शरीर से खेलने लगा।
मैंने धीरे से उसके बदन से पेंटी खींचनी शुरू की, जैसे ही पेंटी उसकी चूत से नीचे उतारी.. आआह्ह.. एक सुगंध मेरी नाक में आई.. उसके योनि रस की सुगंध… 4-5 इंच की दूरी से देख रहा था मैं नंगी चूत का यह सुन्दर नज़ारा… हल्के हल्के रोयें जैसे बाल… दो काले रंग के चूत के फांकें! बीच में मोती सी भगनासा! पूरी चूत काम रस से सनी.. चमकता हुआ काम रस मुझे अपनी ओर खींच रहा था, मुझसे रुका न गया, मैंने अपनी जुबान से उस काम रस से भरी चूत को चाट लिया।
‘नहींईई… रोहित… आआ अह्ह्ह… ओह्ह माआअ…’ हिना एक बार फिर ऐंठ गई। लेकिन मैं उसकी चूत का काम रस पिए बिना उसे चोदने वाला नहीं था.. वो आआह्ह्ह.. आःह्ह्ह.. कर रही थी.. अब उसे फर्क नहीं पड़ता अगर समीर उसे देख भी रहा हो तो!
उसकी मादक आवाज अब पूरे कमरे में गूँज रही थी ‘रोहित… आआअह्ह… ह्म्म्म.. म्मम्म.. मा.. आआअह! उसने मेरे सर को हाथों से पकड़ लिया।
मैं धीरे धीरे दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबा रहा था, बीच बीच में उसकी निप्पल मसल देता तो वो मचल कर चीख पड़ती थी… उसके मुँह से अब बस मेरा नाम ही निकल रहा था.. वो अपने होश में नहीं थी अब- अह्ह्ह… रोहित…म्मम्म… मम्म…
तभी उसके सब्र का बांध टूट गया और बोली- रोहित… मुझसे अब नहीं रुका जाता.. करो न..
मैं बोला- खुल कर एक बार बोल दो क्या करना है? उसे कोई होश नहीं था… वो तुरंत बोली- चोद दो मुझे.. मैं तुम्हें अपने अन्दर महसूस करना चाहती हूँ। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
वो मेरे पजामे में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ने लगी, मुझसे भी अब और सब्र न हुआ.. तुरंत मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी दोनों टांगों को मोड़ कर ऊपर कर दिया जिससे उसकी रस से भीगी गद्देदार चूत मेरे लंड के ठीक सामने आ गई।
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा तो उसने आंखें बंद कर ली… मैं लंड को उसकी चूत में घुसाया नहीं बस उसकी नंगी चूत पर रगड़ दिया.. वो फिर मचल उठी… मैं बोला- आँखें खोल मेरी तरफ देखो.. जो नशा और हवस इस वक़्त नंगी पड़ी हिना की आँखों में थी.. शायद कमजोर दिल वाले यह देख कर ही झड़ जायें।
वो फिर बोली- आआअह्ह रोहित… अब मत तड़पाओ.. करो… आह्ह! मैंने अब लंड उसकी नंगी चूत पर फिर लगाया और एक जोरदार झटका दिया.. चिकनी चूत होने के कारण उसकी गर्म वादियों में मेरा लंड घुसता चला गया। उसके मुख से निकली एक जोरदार चीख.. अब हिना को असली मर्द मिला था।
मैंने समीर को इशारे अन्दर आने को कहा और वो धीरे से आकर हिना के पास बैठ गया, हिना ने उसे देखा लेकिन उसे कुछ फर्क नहीं पड़ा, वो अपनी चुदाई में मस्त थी।
समीर ने हिना के होंठों को चूम लिया, घूर घूर कर मेरे लंड को अन्दर बाहर जाते देखने लगा और अपना लंड मुठियाने लगा।
उसमे मेरे कंधों को दोनों हाथ से कस कर पकड़ लिया, मेरा हर झटका उसके शरीर में करंट ला रहा था।
फिर मैं जोरदार चुदाई करने लगा थप थप्प.. उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मेरा लंड- अह्ह्ह्हह… हिना… रंडी है तू मेरी! ‘ह्हाँ… हाँ रोहित… मैं बस तेरी हूँ आज से… जो आप कहो… वो मैं करूँगी।’ ‘तू मेरे बच्चे पैदा करेगी कुतिया… बिना शादी के… तू रखैल रहेगी मेरी…’ ‘अह्ह्ह ह्ह… हाँ रोहित… मैं रंडी हूँ तेरी… बस चोदो मुझे…’
थप्प.. ठप्प… फ़च्छ.. फच…फ़च्छ… आवाज से कमरा गूँज रहा था।
बीच में वो फिर एक बार झड़ गई लेकिन कुछ ही पलों में फिर से ताल से ताल मिला कर मेरा साथ देने लगी थी। अब मैंने उसे उठाया और सोफे के किनारे से उसे झुका कर खड़ा कर दिया, इस वक़्त सोफे पर पूरी तरह झुकी हुई थी, देखने वालों के लिए मानो झुक कर वो अपने ही घुटने को चूमना चाह रही हो.. लेकिन सोफे का एक हत्था उसके बीच में था।
ऐसा करने से उसकी गांड उचक कर बाहर आ गई और चौड़ी लगने लगी।
अब मैं भी झड़ने के करीब पहुँचने वाला था तो मैंने भी ड्रावर से कंडोम निकला और पहन लिया।
जैसे ही मैं वापिस आया तो देखा… समीर कुतिया की तरह झुकी हुई हिना के पीछे बैठ उसकी चूत चाट रहा है। उसने चाट चाट कर सारा रस साफ कर दिया।
जैसे ही मैं आया, उसने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया और थोड़ा से मुठिया कर फिर कड़क कर दिया मानो अपनी बहन को चुदवाने की तैयारी कर रहा हो। लेकिन तभी उसने मेरा लंड चूसना सुरू किया जिससे पूरा लंड थूक से सन गया और फिर अपने हाथ मेरा लंड अपनी बहन की चूत पर लगा दिया।
मैंने भी एक झटके में अपना लंड घुसा दिया हिना की नंगी चूत में… वो फिर दर्द और मस्ती से दोहरी हो गई- आआह्ह्ह… धीरे… फिर अगले पाँच मिनट.. मेरी जिंदगी की सबसे घमासान चुदाई हुई…
मैं हिना के पीछे से उसको चोद रहा था.. हर चोट के साथ उसका पूरा शरीर हिलता था… कमरे में थप्प.. ठप्प.. फच.. फच.. आवाजें गूँज रही थी।
अब मैं झड़ने के करीब आ रहा था.. मैं और तेजी से उसे चोदने लगा था। हिना भी फ़िर से झड़ने के करीब थी।
तभी मैंने अपना लंड बाहर निकाला.. कंडोम हटाया और उसकी गांड के छेद और चूत के मुँह के ऊपर सब उगल दिया।
हिना भी वहीं ढेर हो गई, उसके शरीर में जान नहीं बची थी.. और न ही मेरे शरीर में! मैं भी वहीं सोफे पर गिर गया।
अब नींद के आगोश में जा रहा था मैं.. और हिना भी! अधखुली आँखों से मैं देख रहा था कि समीर एक बार फिर हिना के पीछे गया और उसकी चूत और गांड से मेरा वीर्य चाट चाट कर साफ़ कर रहा था। वो साफ करने के बाद उसने मेरा लंड भी चूस कर साफ किया।
इसके बाद मैं सो गया.. सुबह आँख खुली तो मैं बिस्तर में था, मेरी बगल में मेरे हुस्न की मल्लिका हिना बिल्कुल नंगी सो रही थी।
फिर हमने दो दिन बहुत चुदाई की और कुछ पिक्स भी ली जो मेरे फेसबुक पर हैं.. वो आप भी देख सकते हैं।
दोस्तो, यह थी मेरे साथ समीर की बहन हिना की सच्ची कहानी! कैसे लगी कहानी, मुझे कमेंट में जरूर बताएँ।
प्लीज किसी का नंबर या ईमेल न मांगें मुझसे! [email protected] फेसबुक https://www.facebook.com/RasiyaRohit
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