This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
दोस्तो, मैं आपका मित्र नवीन आपके लिए अपनी एक नई कहानी लेकर आया हूँ। आपको तो पता ही है कि मैं एक गे हूँ, यानि लौंडा! लंड चूसना, वीर्य पीना, और गांड मरवाना मेरा पसंदीदा शौक है। पुरुष के लंड के साथ खेलने का मैं कोई भी अवसर नहीं चूकता। अपने लंड के साथ भी मैं बहुत खेलता हूँ।
कभी कभी जब रात को मन कर जाता है तो अपने लंड से खेलता हूँ, अपनी गांड में कोई चीज़ लेकर उस से अपनी गांड मरवाता हूँ, और साथ ही मुट्ठ मार कर अपना माल गिराता हूँ। गिराता नहीं, बल्कि खुद ही अपना माल पी जाता हूँ। बहुत बार मैंने दीवार के सहारे उल्टा खड़ा हो कर मुट्ठ मारी है, ताकि जब मेरा माल गिरे तो सीधा मेरे मुंह पर ही गिरे, जैसे मेरे प्रेमियों के लंड मेरे मुंह पर थूकते हैं, पिच पिच करके गर्म, स्वादिष्ट वीर्य की पिचकारियां मेरे चेहरे पे गिरती हैं और मैं अपने चेहरे से और उनके लंड से चाट चाट कर माल खाता हूँ।
खैर यह तो हुई मेरे मन की बात… अब असली बात पर आते हैं, जब मैंने एक हलवाई से अपनी गांड मरवाई।
मेरी बुआ की लड़की की शादी थी, जिसके लिए मैं अपने परिवार के साथ अपने गाँव गया। गाँव में तो शादी से पहले ही सब तैयारियाँ करनी पड़ती हैं, तो मिठाई के लिए घर में ही हलवाई बैठाया था। रोज़ वो कोई ना कोई नई मिठाई, नमकीन कुछ ना कुछ बनाता। अब पता नहीं भगवान ने इन्सानों में क्या सिस्टम फिट किया है, पहले ही दिन जब मैंने उस हलवाई को देखा, तो मुझे अच्छा लगा। कोई 40-42 साल का आदमी, बाल शायद डाई करता था, साफ सुथरा, क्लीन शेवन, मगर बढ़िया बदन का मालिक!
मैंने उसे देखा तो उसने भी मुझे बड़ा ध्यान से देखा, जैसे उसे मेरे बारे में पहले ही पता चल गया हो कि मैं क्या चीज़ हूँ। पहले दिन तो सिर्फ आँखें मिली, अगले दिन मैं बहाने से उसके पास गया, वैसे मिठाइयों के बारे में पूछने लगा, वो भी बात करते करते मुझे बड़ा घूर घूर के देख रहा था।
जब मैं वापिस आने लगा तो उसने मुझे आँख मार दी, मैं हंस पड़ा, तो वो भी हंस पड़ा। एक तरह से सेटिंग हो गई थी।
शाम को उसने मुझे कहीं बाहर घूमने के बारे में पूछा। अब हमारा अपना गाँव था, तो मुझे बहुत सी जगह पता थी, जहाँ कोई आता जाता नहीं था, मैंने उसको गाँव के बाहर बीहड़ की तरफ आने को कहा।
अब दस पंद्रह दिन से मेरी गांड में भी खुजली हो रही थी और अपना वीर्य पी पी कर मेरा भी मन भर चुका था, मैं चाहता था कि कोई मेरा मुंह चोदे और फिर अंदर ही पिचकारी मार के मेरा मुंह अपने गर्म माल से भर दे।
शाम को जब हल्का अंधेरा सा होने लगा तो मैं वैसे ही बहाने से घर से निकला। अकेला ही मैं बीहड़ की तरफ चल पड़ा।
काफी दूर जाने पर मैं रुक कर इधर उधर देखने लगा, तभी वो एक टीले के पीछे से निकल कर आया। नीला कुर्ता और सफ़ेद लुंगी में वो मेरे सामने आ खड़ा हुआ।
मैं उसे देख कर मुस्कुराया तो उसने आगे बढ़ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया, मैंने भी बिना कोई देरी किए सीधा उसका लंड उसकी लुंगी के ऊपर से ही पकड़ लिया।
‘अरे बाप रे…’ मेरे मुंह से निकला! उसका लंड तो सोया हुआ भी मेरे लंड से मोटा था। ‘क्यों, क्या हुआ? हाथ में लेकर ही गांड फट गई क्या?’ वो बोला। ‘तुम्हारा तो बहुत मोटा है!’ मैंने कहा।
‘अरे अभी तो सो रहा है, इसे खड़ा होने दे, ना ये तेरी माँ चोद दे तो कहना!’ वो बड़े गुरूर से बोला। ‘वो तो है, अभी ये सो रहा है, जरा जागने दे फिर देखना नज़ारे!’ पहले तो उसने एक दो बार मेरे चेहरे को चूमा, मेरे चूचे दबाये, मगर मेरे जैसे पतले दुबले लड़के के बदन पे मांस था ही कहाँ… तो उसने मुझसे कहा- चल कपड़े उतार, नंगा हो साले रांड!
मुझे रांड शब्द बहुत पसंद है, मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब मेरे प्रेमी मुझे औरतों वाली गालियां देते हैं। मैंने झट से अपनी कमीज़, पैंट, बनियान और चड्डी उतार दी। उसने मुझे आगे को झुकाया, और मेरे दोनों चूतड़ खोल कर मेरी गांड के छेद को देखा। ‘ज़्यादा नहीं मरवाई है तूने!’ वो बोला। मैंने कहा- जी बस यही कोई 4-5 बार! ‘मगर आज की चुदाई तो याद रखेगा मादरचोद, ठहर अभी मूत के आता हूँ, फिर तेरी माँ चोदता हूँ!’ वो बोला।
मैंने कहा- कहाँ जा रहे हो? वो अपनी लुंगी उठाते हुये बोला- कहीं नहीं, यहीं तेरे सामने ही मूतूंगा। मैंने कहा- अरे नहीं मेरे सामने नहीं, मेरे मुंह में मूत हरामी, मुझे मूत पीना भी अच्छा लगता है।
उसने अपनी लुंगी खोली, नीचे से उसने कच्छा भी नहीं पहना था। मैंने पहली बार उसका लंड देखा, जैसे कोई मोटी सी शकरकंदी हो। लुंगी खोल कर वो बिल्कुल मेरे ऊपर ही आ चढ़ा, मैं नीचे बैठ गया और वो अपना लंड पकड़ कर मेरे सामने खड़ा हो गया। मैं आँखें बंद करके और अपना मुंह खोल के इंतज़ार करने लगा।
कुछ ही सेकेंड्स बाद बाद गर्म पेशाब की धार मेरे मुंह पे पड़ी। जो पेशाब मेरे मुंह में गया वो मैंने घूंट भर भर कर पिया, बाकी उसने मेरे चेहरे, और बाकी बदन पर गिरा दिया। नमकीन गर्म पेशाब!
जब उसने मूत लिया तो अपना लंड मेरे मुंह में ठूंस दिया- ले चूस अपने यार का लौड़ा!
मेरा तो मुँह ही भर गया। मगर मेरे तो पसंद की चीज़ है तो मैंने बड़े मन से उसका लंड चूसा। अपनी जीभ से उसका टोपा चाट गया, जितना ज़्यादा से ज़्यादा हो सकता था, उसका लंड मैंने अपने मुंह में लेने की कोशिश की मगर मेरा मुंह छोटा पड़ गया।
ज्यों ज्यों मैं चूस रहा था, उसका लंड तो बढ़ता ही जा रहा था।
करीब 2 मिनट चूसने के बाद उसका लंड पूरा खड़ा हो गया। जब मैंने देखा, मेरी तो देख कर ही गांड फट गई- यह तो बहुत बड़ा है! मैंने घिघियाते हुये कहा। ‘इसी में तो मजा है मेरी जान!’ कह कर उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया।
मैं उल्टा हो कर लेट तो गया पर मेरा दिल धक धक कर रहा था क्योंकि हमारे पास कोई लुब्रिकेंट तो था नहीं जो लंड और गांड को चिकना कर देता और थूक तो 1 मिनट में सूख जाता है।
फिर भी उसने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे लगाया और अपने लंड पर भी, फिर अपने लंड का टोपा मेरी गांड पे रखा और ज़ोर लगा कर अंदर ठेला, हल्के से दर्द का एहसास होते ही मैंने अपनी गांड भींच ली, मगर वो तो वहशी था, एक छोटे सेब के आकार का उसका लंड का टोपा, किसी ढीठ की तरह से मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
‘आए मेरी माँ!’ मेरे मुंह से दर्द से निकला। वो हंसा और बोला- कर याद, अपनी माँ नानी उसकी नानी सब को यार कर, आज तो तेरे पूरे खानदान को चोद डालूँगा, हा हा हा’ करके वो बड़ी बेशर्मी से हंसने लगा।
मेरे दोनों हाथों में मैंने रेत की मुट्ठियाँ भर रखी थी और अब बात मेरे बस से बाहर थी।
उसने फिर थूका मेरी गांड पे और अपना काला मूसल लोहे की तरह सख्त लंड मेरी गांड में धकेला। ‘हाय, मर गया उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मेरे मुंह से निकला।
‘रो मत बहनचोद, मजा ले आज तक तेरी गांड को शहर के नपुंसक ही चोदते आए हैं, आज तुझे असली मर्द का पता चलेगा।’ उसने फिर और ज़ोर से धकेला।
सच में मुझे पता चल गया था कि मेरी गांड फट चुकी है और उसमें से खून भी निकाल आया होगा, मैंने उस से कहा- भैया रहने दो, मुझे लग रहा है, शायद खून निकल आया है।
उसने मेरी गांड की तरफ देखा और बोला- हाँ, खून तो दिख रहा है। मैंने कहा- तो रहने देते हैं, फिर कभी कर लेंगे। मगर वो बड़ी बेशर्मी से बोला- चुप कर… आज ही करेंगे और पूरा करेंगे, जो गांड को फटना था वो तो फट गई, अब तो बस चुपचाप लेटा रह!
कह कर उसने फिर ज़ोर लगाया और अपना लंड मेरी गांड में और अंदर तक घुसेड़ा, मुझे लगा जैसे उसका लंड मेरे पेट तक पहुँच गया है। मैं अपनी चीख को रोक न सका- आई, मर गया यार, मत कर, अंदर तक दर्द हो रहा है।
मगर उसने तो जैसे सुना ही नहीं, बल्कि मुझे अपनी गिरफ्त में और ज़ोर से जकड़ लिया, मैं तो हिलने जुलने लायक भी नहीं रहा। मेरी बर्दाश्त की हद भी खत्म हो गई, मैं तो रो ही पड़ा- प्लीज़ भैया, रहने दो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है।
मगर वो नहीं हटा, थोड़ा सा पीछे को करता और फिर आगे को घुसेड़ देता। ‘जानते हो, मेरी शादी को 20 साल हो गए हैं, 3 बच्चे हैं मेरे, मगर आज भी मेरी बीवी जब मेरा लंड लेती है तो तड़प उठती है। आज भी बिना चीखे उसकी चुदाई नहीं होती, तू तो है ही लौंडा, आज भी अपनी बीवी की माँ बहन एक कर देता हूँ, तू तो यह सोच कि अगले हफ्ते तक सीधा नहीं चल पाएगा, मादरचोद! बहुत दिनों बाद इतनी टाईट गांड मारने को मिली है, मजा आ गया, साले बहनचोद।
और वो अपने पूरे जोश से मुझे चोदने लगा। हालांकि उसका पूरा लंड मेरी गांड में नहीं घुसा था, मगर जितना भी घुसा था, मेरे लिए तो सिर्फ दर्द ही दर्द था। अपनी मजबूत बाहों से उसने मुझे पकड़ा हुआ था, मेरी आँखों से आँसू निकल कर नीचे रेत पर गिर रहे थे। मैंने फिर विनती की- भैया, बस करो यार, ऐसा करो मेरे मुंह में कर लो, मैं आपका लंड चूस चूस कर आपका सारा माल पी लूँगा, मगर पीछे से निकाल लो।
मगर वो बोला- अरे वो तो मैं करूंगा ही, तेरे मुंह में ही अपना माल गिराऊँगा, बस तू मुझे पहले गांड चुदाई का मजा लेने दे। और फिर ‘आह, आह’ करके मेरी गांड मरने लगा, अपना पूरा लंड वो बाहर निकालता और फिर धाड़ से लाकर मेरी गांड पे अपनी कमर से वार करता और उसका मोटा, निर्दयी लंड मेरी बेचारी गांड को हर बार जैसे फाड़ कर अंदर घुस जाता।
वो बार बार थूक थूक कर मेरी गांड को चिकना कर रहा था, मगर थूक से उतनी चिकनाई नहीं होती। सच में आज मैं बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया था, मैं मन ही मन उस वक़्त को कोस रहा था, जब मैंने उससे नज़रें मिलाई थी।
जितना मैंने मजा लेने की सोची थी, उतनी ही तकलीफ अब मुझे सहनी पड़ रही थी। अब तो यह था कि जल्दी से ये झड़े और मैं आज़ाद होऊं, मगर मुझे नहीं लगता था कि वो जल्दी झड़ने वाला है। मैंने उससे पूछा- बहुत टाइम लगा रहे हो, कुछ खाया पिया है क्या? वो बोला- हाँ, सुबह अफीम की गोली खाई थी, उसी का असर है, अभी आधा घंटा और नहीं झड़ने वाला!
मैंने उस से कहा- भैया, मुझे तो मार ही दोगे क्या, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा, आप निकाल लो, प्लीज़! मगर वो बोला- यार, बीवी की ढीली चूत मार मार के न मन भर गया है, आज इतना टाईट छेद मिला है, आज तो खूब मजा करूंगा, और तू चुप कर, मजा खराब मत कर, साला बहनचोद!
उसकी डांट ने मुझे चुप करवा दिया। मैं नीचे पड़ा तड़पता रहा और वो किसी जंगली जानवर की तरह मुझे नोचता रहा, उसका बदन पसीने से तरबतर हो गया था, मगर उसके जोश और ताकत में कोई कमी नहीं आ रही थी। इतनी बुरी तो मेरे साथ आज तक नहीं हुई थी।
धीरे धीरे उसने अपना पूरा लंड मेरे अंदर घुसेड़ दिया था, इसमें कोई शक नहीं था, के उसका लंड मेरी गांड से होकर मेरे पेट तक पहुँच चुका था। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो बोला- सुन साले, माल पिएगा मेरा? मैंने बड़ी खुशी से कहा- हाँ भैया, ज़रूर, जल्दी पिलाओ! मुझे तो यह था कि साला जैसे भी हो, मेरी गांड से ये अपना गधे जैसा लंड निकाले।
फिर उसने एकदम झटके से अपना लंड मेरी गांड से निकाला, सच में ऐसे लगा, जैसे मेरी आंतड़ियाँ भी अपने लंड के साथ बाहर खींच लाया हो। एकदम से उसका लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा, मगर वो तो अब मेरे मुंह को चोदने लगा। उसकी इच्छा थी कि अपना पूरा लंड वो मेरे गले में उतार दे।
मगर इस बार मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ के रखा और खूब चूसा। मगर इतना चूसने के बाद भी वो झड़ नहीं रहा था बल्कि मेरा तो मुंह भी दुखने लगा था।
फिर उसने मेरा सर पकड़ लिया और मेरे मुंह को मेरी गांड से भी ज़्यादा ज़ोर से चोदने लगा, मुझे लगा शायद उल्टी ही आ जाएगी मुझे, मगर तब वो तड़पा और फिर उसके लंड से वीर्य की पिचकारियाँ छूटी, साले ने इतना माल छोड़ा कि मेरा तो मुंह ही भर दिया।
दो तीन बार घूंट भर भर के पिया, फिर भी उसके लंड से वीर्य की धारें निकलती रही, मेरा सारा मुंह उसने अपने वीर्य से भर दिया। मेरे सर के बालों में, मेरी छाती, पर उसका वीर्य बिखरा पड़ा था।
झड़ने के बाद वो मेरे पास ही लेट गया और मैं अपने घुटने अपने सीने से लगा कर लेट गया, जैसे कोई लड़की पहली चुदाई के बाद, गांठ बन कर लेट जाती है। इतना दर्द तो मेरी गांड में पहली चुदाई के बाद भी नहीं हुआ था।
थोड़ी देर बाद वो उठ कर कपड़े पहन कर चला गया, मैं वहीं लेटा रहा। कितनी देर मैं सोचता रहा, कहाँ पंगा ले लिया।
करीब घंटा भर वहीं पे नंगा लेटा मैं दर्द सहता रहा। फिर जब कुछ संभला तो उठ कर कपड़े पहन कर घर को वापिस गया। घर जा कर सबसे पहले नहाया और फिर कपड़े बदल कर अपने कमरे में जा कर लेट गया, बुआ का बेटा वहीं पे मुझे खाना दे गया। अगले तीन दिन मैं जानता हूँ, कैसे मैंने काटे।
बाद में भी उसने मुझे कई बार बुलाया, मगर मैंने तो अपने कानों को हाथ लगा लिए कि किसी और से चुद जाऊंगा, मगर इससे नहीं चुदूंगा। जैसे तैसे शादी निपटा कर मैं वापिस अपने घर आया।
आज इस बात को 3 साल हो चुके हैं, अब गाँव से खबर आई कि बुआ की छोटी बेटी की शादी पक्की हो गई है। सोच रहा हूँ जाऊँ या न जाऊँ, आप बताओ? [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000