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गन्दी भाभी की सेक्स कहानी में पढ़ें कि ओरल सेक्स के बाद भाभी ने अपनी चूत मेरे होंठों पर रख दी और बोली कि अब मेरा अमृत रस पीयो.
नमस्कार मित्रो, मैं आरुष दुबे एक बार फिर से आपके सामने अपनी अधूरी सेक्स कहानी का दूसरा भाग लेकर हाजिर हूँ.
देरी के लिए माफी चाहता हूँ. दरअसल अपने काम के चलते मुझे समय ही नहीं मिल पाता है.
आपने मेरी पिछली गन्दी भाभी की सेक्स कहानी का पहला भाग प्यासी भाभी के साथ ओरल सेक्स का मजा पढ़ा होगा.
उसमें आपने पढ़ा था कि मैंने एक भाभी को ओरल सेक्स का मजा दे दिया था. वो अभी भी मेरे साथ अपनी कुछ फैंटेसी को लेकर काफी कुछ पाना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने मुझसे चुदने की जल्दी नहीं की. मैं भी देखना चाहता था कि भाभी किस तरह का मजा लेना चाहती हैं.
कोई पांच मिनट की चुत चुसाई में वो बुरी तरह से अकड़कर झड़ गयी थीं और उनकी चुत से नमकीन अमृत निकलने लगा.
मैं भाभी की चुत का पूरा अमृत पी गया. मैंने आज पहली बार किसी औरत को इतना अधिक झड़ते हुए देखा था. वो रुक रुक कर करीब 3-4 मिनट तक झड़ती रहीं. पता नहीं भाभी कितने दिनों से चुदाई की प्यासी थीं.< अब आगे गन्दी भाभी की सेक्स कहानी: झड़ने के बाद हम दोनों ने पांच मिनट आराम किया. फिर वो और मैं एक साथ में बाथरूम गए. भाभी- मेरी एक ख्वाहिश और है. मैं- बोलिए भाभी जी, मैं तो आया ही हूँ आपकी सेवा के लिए. भाभी- मैं चाहती हूँ कि तुम यहां नीचे लेट जाओ. मैं तुम्हारे मुँह में अपना अमृत रस निकलना चाहती हूँ. मैं- अभी तो आपका अमृत में पी गया ... अभी फिर से तो काफी समय लग जाएगा! भाभी- अरे बुद्धू वो तो चुत का रगड़ामृत था ... चूतामृत तो अब मैं अपना मूत्र विसर्जन करके निकालूंगी. मुझे भाभी की ये इच्छा सुनने में थोड़ी अजीब लगी, लेकिन प्रीति भाभी ने जैसा कहा था कि मेरी सहेली की हर इच्छा पूरी करना. इसी मजबूरी के चलते मैं वहीं नीचे फर्श पर लेट गया और भाभी ने मेरे मुँह के ऊपर आकर अपनी चुत रख दी. वो चुत को चाटने का कहने लगीं, उनके कहे अनुसार मैं उनकी चुत को चाटने लगा. भाभी की चुत चाटते हुए अभी मुझे दो मिनट ही हुए थे कि उन्होंने धीरे धीरे मूत की धार मेरे मुँह में छोड़ना शुरू कर दी. शुरू में थोड़ा अजीब लगा, लेकिन वो रुक रुक कर धीरे धीरे पेशाब पिला रही थीं, तो मुझे भी उनका चुतामृत अच्छा लगने लगा. कुछ मिनट तक ये धार टपकती रही और धीरे धीरे करके मैं भाभी की चुत का पूरा चुतामृत ग्रहण कर गया. कुछ बूंदें नीचे फर्श पर गिर गईं, तो भाभी के कहे अनुसार मैंने जीभ से उन बूंदों को भी चाट लिया. जैसे ही मैं खड़ा होने लगा. उन भाभी ने एकदम से मेरा चेहरा पकड़ कर मुझे लिपकिस करना शुरू कर दिया. हमारे बीच यह चुम्बन करीब पांच मिनट तक चला होगा. फिर भाभी एकदम से बाहर बेडरूम में चली गईं. खैर उनके जाते ही मैंने भी पेशाब किया, हाथ मुँह धोया और मैं भी बेडरूम में आ गया. अभी तक हम दोनों नंगे ही थे. सेक्स तो हमारे बीच में अभी हुआ नहीं था. लेकिन इस ओरल सेक्स ने ही हम दोनों को चरमानन्द तक पहुंचा दिया था. मैं आईने में खुद को देख रहा था कि किस तरह से भाभी के काटने से मेरे पूरे शरीर पर जंगली बिल्ली के पंजों के निशान बनकर लाल दिखने लगे थे. ऐसा लग रहा था, जैसे जगह जगह मधुमखी ने काटा हो. भाभी मुझे देखते हुए बोलीं- आरुष तुम फोररप्ले काफी अच्छा करते हो ... कहां से सीखा? मैं- भाभी ये भी कोई सीखने की चीज है! जब सामने आप जैसी परी हो, तो अपने आप हो जाता है. वैसे भी मीठा खाने से ज्यादा, उसे चूसने और चाटने में ज्यादा मजा आता है. वैसे आप भी कोई कम नहीं हो, देखो क्या हालत कर दी मेरे शरीर की! भाभी हंसते हुए बोलीं- आरुष मुझे तुम्हारा फोररप्ले करने का तरीका बहुत पसंद आया ... और वैसे भी मुझे वाइल्ड सेक्स और बीडीएसएम सेक्स ही पसंद है. अब आगे आगे देखो तुम्हारे साथ क्या क्या होता है. वैसे अभी क्या लोगे ... व्हिस्की वोडका या रम? मैं- जो आपको पसंद हो, मैं भी वही ले लूंगा. भाभी- ओके तो व्हिस्की चलेगी ना! मैं- भाभी चलेगी नहीं, दौड़ेगी. भाभी किचन में चली गईं और बोतल, दो गिलास और फ्राइड चिकन और कुछ स्नेक्स लेकर आ गईं. तब तक मैंने अपनी पैंट और बनियान पहन ली थी. भाभी- आरुष मैंने तुम्हें कपड़े पहनने को तो नहीं बोला था! मैं- वो तो वापस निकल जाएंगे भाभी. भाभी- तुम आज पूरा दिन और पूरी रात के लिए मेरे गुलाम हो, निकालो इन्हें जल्दी से. मैं- ठीक है भाभी. ये कहते हुए मैंने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए और वापस से नंगा हो गया. मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड जो अभी तक सोया हुआ था, वो भी अब अंगड़ाई लेने लगा. भाभी- आरुष अभी जो तुमने गलती की थी कपड़े पहनकर, उसकी सजा तुम्हें जरूर मिलेगी. तभी भाभी किचन में गईं और एक बॉक्स में बर्फ ले आईं. भाभी- आरुष, मैं जो भी बोलूं, बुरा मत मानना ... लेकिन आज मैं जो भी चाहती हूँ ... तुम मेरी वो सारी ख्वाहिश पूरी कर दो. मैं- ठीक है भाभी जी, आज मैं आपका हूँ. जो भी करना चाहती हों, आप कर सकती हो. मेरे मुँह से इतना सुनते ही भाभी ने मुझे किस कर दिया और मुझे नीचे घुटने का बल बैठने का बोलकर खुद ऊपर कुर्सी पर बैठ गईं. भाभी की गीली हो रही चुत को देखकर लंड महाराज भी अपनी अकड़ में आ गए थे. लंड जी एकदम राकेट की तरह खड़े हो गए थे. भाभी ने दोनों गिलास में व्हिस्की डाली. दोनों में बर्फ लेकिन पानी सिर्फ एक गिलास में. हम दोनों ने उस गिलास में आधा आधा पिया. उन्होंने स्नैक्स उठा कर अपने पास रख लिया और खुद स्नैक्स भी खाने लगीं. ये पैग इतना हार्ड था कि पूरे मुँह में दारू का टेस्ट हो गया. मैं समझ गया ये मुझे स्नैक्स ना देकर मुझसे अपनी चुत चटवाना चाहती हैं. खैर ... मुझे ये करने में कोई दिक्कत भी नहीं थी. मैं तुरंत भाभी की दोनों मखमली जांघों को अलग करके चुत चाटने लगा. भाभी- आह आह हहह आरुष शाबाश ... तुमने तो बिना बोले मेरे मन की इच्छा पूरी कर दी. लो एक पैग ओर पियो. अगला पैग पहले पैग से भी ज्यादा हार्ड था. खैर ... जैसे तैसे ये पैग भी पिया और करीब दस मिनट तक भाभी की चूत को खूब जबरदस्त तरीके से पूरे अन्दर तक जीभ डाल कर चूसा. पूरी चुत को मुँह में भर के उसके अंगूर जैसे दाने को खींच खींच कर चाटा और आखिर में भाभी हांफती हुई झड़ गईं. जब भाभी की चुत का पानी मुँह में गया, तो मेरे मुँह को भी कुछ अच्छा टेस्ट लगा. भाभी- वाह आरुष, तुम सच में असली मर्द हो, अभी तक 3 घंटे में तुमने बिना चोदे मुझे 2 बार झाड़ दिया. मजा आ गया. इसी लिए अब तुम्हारा तीसरा पैग बहुत स्पेशल बनेगा. तभी गिलास में आधा गिलास दारू, एक गोली ... और थोड़ी बर्फ डालने के बाद गिलास को भाभी ने दोनों जांघों के बीच लेकर चुतामृत से गिलास को भर दिया. मैं- भाभी, ये तो सच में बहुत स्पेशल पैग है. भाभी- इसे एक बार में पूरा पी जाओ ... लो जल्दी पियो, फिर दूसरा पैग भी बनाना है. मुझे जोर से पेशाब लग रही है ... जल्दी पियो. मैंने एक ही बार में पूरा पैग खत्म कर दिया. तभी फटाफट भाभी ने दूसरा पैग भी वैसे ही बनाया और जल्दी से दौड़ के बाथरूम गईं. बाकी पेशाब को गिलास में भरके पैग तैयार करके ले आईं. मैं- भाभी मुझे दवाई की जरूरत नहीं पड़ती ... ऐसे भी मेरा स्टैमिना बहुत है. भाभी- हां, मुझे पता है तुम्हारा स्टैमिना बहुत है ... लेकिन मुझे आज ऐसे चुदना है, जैसे आज मेरा आखिरी दिन हो. मैं- भाभी वो तो आप बिना दवाई के भी हमेशा याद रखोगी. भाभी- हम्म ... जल्दी पैग खाली करो. अब मुझे नशा बहुत होने लगा था. पहला नशा दारू का, दूसरी नशीली चीज ... भाभी की पेशाब के रूप में चुतामृत ... तीसरी, पैग में मिली हुई दवाई. जैसे ही ये पैग खाली हुआ, लंड महाराज अकड़ गए. अब तो मैं बिना भाभी को चोदे एक मिनट भी नहीं रह सकता था. लेकिन मैं उनके बिना बोले उन्हें चोद भी नहीं सकता था, ये प्रॉफेशन ही ऐसा है. जब तक आपकी क्लाइंट चोदने को ना बोले, आप उसे चोद नहीं सकते. भाभी ने मुझे खड़ा कर दिया और फिर से किसिंग शुरू हो गई. इस बार हम दोनों ही एक दूसरे को बहुत जंगली तरीके से किस कर रहे थे. यहां तक कि हम दोनों का चेहरा एक दूसरे की लार से सन गया था. फिर भाभी ने मुझे बेड पर धक्का देकर धकेला और खुद मेरे ऊपर आ गईं. इस बार भाभी ने फिर से मेरे दोनों हाथों को दोनों किनारों से रस्सियों से बांध दिए. फिर मेरे ऊपर आकर मुझे बेहताशा चूमने और काटने लगीं. मेरे सीने को भाभी ने बहुत चूमा और बुरी तरीके से काटा भी. नशे में होने के बाद भी मुझे दर्द हुआ. फिर भाभी ने मेरे सिक्स पैक्स पर खूब चूमा और वहां भी काट काट कर निशान बना दिए. मेरे गले पर तो इतना काटा कि खून आना भी शुरू हो गया. फिर भाभी ने नीचे जाकर मेरा लौड़ा जो कि वियाग्रा की 3 गोलियों के असर से पिछले काफी समय से खड़ा था, उसे भी चूस चूस कर लाल कर दिया. करीब 20 से 25 मिनट तक उस प्यासी भाभी के इतनी अधिक चूमाचाटी की वजह से ... और काफी समय से हो रहे जबरदस्त ओरल सेक्स की वजह से मैं झड़ गया. लंड का पूरा माल, जो कि आज बहुत ज्यादा निकला था, मैंने भाभी के मुँह में छोड़ दिया. वो भी उसे पूरी तरह से पी गईं और जो होंठों पर और लंड पर माल लगा रह गया था, उसे भी पूरी तरह से जीभ से चाट लिया. लेकिन दवाई के असर से अभी भी लंड के तनाव में कोई कमी नहीं आई थी. मेरी हालत अभी भी प्यासी भाभी के सामने वैसे की वैसे थी. इस सेक्स कहानी में आगे बहुत रस है. मैं एक एक घटना को पूरे विस्तार से लिखूंगा, आप गन्दी भाभी की सेक्स कहानी का मजा लेते रहिए. दोस्तो, ये मेरे साथ हुई एक सच्ची और खूबसूरत घटना है. कृपया करके अपने सुझाव मुझे मेल जरूर करें और कोई गलती हुई तो क्षमा करें. [email protected] गन्दी भाभी की सेक्स कहानी का अगला भाग: प्यासी भाभी के साथ जोश भरे सेक्स का मजा- 2
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