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दोस्तो, मैं आपकी ‘इंसेस्ट क्वीन’ सोनाली आप सभी पाठकों का अन्तर्वासना पर स्वागत करती हूँ।
मेरी कहानी माँ द्वारा बेटों को चुदाई की शिक्षा-2 में अब तक आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने बड़े बेटे अरुण को पटाया और उसको चूत चुदाई सिखाई। अब आगे:
अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, अवि के स्कूल जाने के बाद अरुण मेरी चुदाई करता और फिर वह भी स्कूल चला जाता था। शाम तक मेरे दोनों बेटे वापस आ जाते थे और फिर दोनों खेलने चले जाते थे।
एक दिन जब अवि स्कूल गया था, उस समय मैं झुककर जमीन से कुछ सामान उठा रही थी। मैंने उस वक्त एक ढीला सा गाउन पहना हुआ था जिस कारण मेरी गांड बाहर को उभर आई थी।
तभी अरुण पीछे से आकर मेरी गांड से चिपक गया और अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ने लगा।
मैंने मुस्कुराकर अरुण से कहा- उठ गया मेरा राजा बेटा… तो अरुण बोला- हां मम्मी… मैं भी उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया है! उसने मेरे गाउन को पकड़कर मेरी जांघों से ऊपर उठाकर मेरी कमर तक ऊपर उठा दिया।
मैंने अंदर पेंटी नहीं पहनी थी जिस वजह से मेरी कमर से नीचे तक का हिस्सा बिल्कुल नंगा हो गया और मेरी गांड और चूत दोनों अरुण के सामने बिल्कुल नंगे हो गए।
फिर अरुण ने घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया, मेरे झुके होने के कारण मेरी गांड का छेद भी खुल गया था जिसे अरुण एकटक निहारे जा रहा था।
तभी मैं उठ कर सीधी खड़ी हो गई और दीवार से जाकर टिक गई। अरुण का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मेरी चूत भी पानी उगल रही थी। अरुण ने अपनी चड्डी उतारी और उठ कर रूम में गया और अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाकर वापस आ गया।
फिर उसने आकर अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा और तुरंत ही अपने लंड को मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया और जोरदार धक्कों के साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया।
इस जोरदार चुदाई के कारण मेरे मुंह से सिसकारी निकल रही थी, मैं आह… अरुण… और जोर से चोदो मुझे…’ करते हुए सिसकारने लगी।
ज्यादा देर तक खड़े रहने के कारण हम दोनों की टांगें दुख रही थी तो मैंने अरुण से कहा- चल बेटा, आगे की चुदाई हम बिस्तर पर लेट कर करेंगे। अरुण मेरे साथ उठकर बिस्तर पर चल दिया।
मैंने अरुण को चोदने की लगभग सारी पोजीशन सिखा दी थी। बेड पर लेटते ही मैं घोड़ी बन गई और अरुण पीछे से आकर अपने लंड को मेरी चूत के अंदर धकेलने लगा, अगले ही धक्के में अरुण का लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर घुस गया।
मैं दर्द से कराह उठी, मैंने अरुण से कहा- बेटा… जरा धीरे कर, मुझे दर्द होता है! तो अरुण ने कहा- सॉरी मम्मी! और अरुण अपने लंड को तेजी से मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गई और अरुण भी मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया, उसका गर्म वीर्य मेरी उबलती हुई चूत के अंदर बह रहा था।
उसके बाद मैं बिस्तर पर उल्टी ही लेट गई और अरुण मेरे ऊपर लेट गया। अरुण का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर था। मैं अरुण से बोली- चलो अब हम दोनों नहा लेते हैं, तुझे स्कूल भी जाना है! हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए, अरुण का लंड मेरी चूत से बाहर निकलते ही मेरी चूत से उसका वीर्य बह कर बाहर आने लगा। हम दोनों उठ कर बाथरूम की तरफ चल दिए।
बाथरूम में पहुंच कर मैंने अपना गाउन उतार दिया और बिल्कुल नंगी हो गई, मेरे मम्मे भी खुलकर एकदम आजाद हो गए और फिर अरुण भी कपड़े उतार कर नंगा हो गया।
बाथरूम में जब मैं अरुण को नहला रही थी तो उसका लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैं अपने हाथों में साबुन लेकर अरुण के लंड पर मलने लगी और अरुण से बोली- तेरा कभी मन नहीं भरता क्या? अरुण बोला- मम्मी, क्या करूं… आपको नंगी देख कर मुझसे रहा ही नहीं जाता! फिर अरुण ने कहा- मम्मी, क्या एक बार और मैं आपको चोद सकता हूँ? मैंने कहा- नहीं बेटा, अब बाद में करेंगे… वरना तू स्कूल के लिए लेट हो जाएगा।
तो अरुण बोला- मम्मी, मेरा लंड खड़ा है तो आप मेरी मुट्ठी मार दो ना? मैंने हंसते हुए अरुण के लंड को अपने हाथों में पकड़ा और उसे हिलाने लगी।
अरुण के लंड को सहलाते वक्त मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू तो मजा ले लेता है… पर बेचारा अवि… उसे यह सब कौन सिखाएगा… उसे तो अभी कुछ पता ही नहीं है। अरुण बोला- मम्मी, आप उसे भी यह सब सिखा दो ना? मैंने कहा- सिखा तो दूंगी पर कहीं वह मुझे गलत न समझने लगे?
अरुण बोला- मम्मी, मैं रोज रात को सोते वक्त अवि की मुठ मारता हूं और वह भी मेरी मुट्ठ मारता है। मैंने अरुण से कहा- तुम दोनों मेरे ही साथ सोते हो पर मुझे तो कभी पता ही नहीं चला और मैंने तुम दोनों से यह भी कह रखा है कि जब तुम दोनों का मुठ मारने का मन हुआ करे तो मुझे बता दिया करो.. पर अवि ने तो मुझे कभी नहीं बताया।
अरुण बोला- मम्मी, अवि आपसे यह सब बोलने में शर्माता है और मैंने आपको यह इसलिए बताया ताकि आज जब मैं और अवि एक दूसरे की मुट्ठ मारेंगे तब मैं आपको जगा दूंगा, फिर आप अभी को भी यह सब सिखा देना और उसे कुछ भी गलत नहीं लगेगा, मैंने एक बार आपके कहने पर उसे चुदाई के बारे में भी सब बता दिया था।
मैंने मुस्कुराते हुए अरुण से कहा- मेरा बेटा तो बड़ा ही समझदार हो गया है। तभी अरुण बोला- मम्मी… मैं झड़ने वाला हूँ! मैंने अरूण के लंड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी… थोड़ी ही देर बाद अरुण मेरे मुंह में झड़ गया, मैंने उसका सारा वीर्य निगल लिया।
फिर मैंने अरुण को नहला कर बाथरुम के बाहर भेज दिया और मैं भी नहा कर बाहर आ गई, फिर तैयार होकर अरुण स्कूल चला गया।
शाम तक मेरे दोनों बच्चे वापस आ गए। रात को खाना खाकर हम तीनों बिस्तर पर आकर सोने लगे, अरुण मेरी बगल में लेटा हुआ था, उसने धीरे से मेरे कान में कहा- मम्मी, आप तैयार हो जाओ!
इतना कहकर उसने अवि की तरफ करवट ले ली और कुछ देर बाद वे दोनों एक दूसरे के लंड सहलाने लगे। वे दोनों एक दूसरे के लंड को अपने हाथों में लेकर हिला रहे थे जिससे बिस्तर भी थोड़ा थोड़ा हिलने लगा।
तभी अरुण ने अवि से बोला- अवि मैंने तुझे चुदाई के बारे में सब बता दिया है तो क्या तेरा मन नहीं करता किसी को चोदने का? अवि ने कहा- हां भैया… मेरा चुदाई करने का बहुत मन करता है पर कर भी किसके साथ सकता हूं? तो अरुण बोला- मम्मी के साथ तो कर सकता है ना! अवि बोला- वो कैसे?
तो अरुण ने उसे कहा- देख तू मम्मी से बोलना कि मम्मी आप मुझे शादी के बाद जो करते हैं, वो सिखा दो। अवि बोला- नहीं, मुझे शर्म आती है! और अगर मम्मी ने मना कर दिया तो? तो अरुण ने कहा- हमारी मम्मी बहुत अच्छी है, वो सिखाने के लिए कभी मना नहीं करेंगी।
तभी अवि ने अरुण से पूछा- भैया, आपको चुदाई के बारे में इतना सब कैसे पता है, आपको यह सब किसने सिखाया? तो अरुण ने बेहिचक अवि से कहा- मुझे भी ये सब मम्मी ने ही सिखाया है।
अवि ने चौंकते हुए अरुण से पूछा- तो क्या आपने मम्मी के साथ चुदाई भी की है? अरुण ने कहा- हाँ… मम्मी ने ही मुझे चोदना सिखाया और वो तो तुझे भी सिखाना चाहती है पर तू तो उनसे शर्माता है।
तभी मैं बिस्तर से उठी, कमरे की लाइट चालू की, फिर मैं उन दोनों के नंगे लंड देख कर बोली- अच्छा… तो तुम दोनों इतनी रात को एक दूसरे की मुठ मार रहे हो? तो वे दोनों मेरी तरफ देखने लगे… अवि थोड़ा डर गया था पर अरुण फिर भी अवि के लंड को सहला रहा था।
मुझे देखकर अवि अरुण को खुद से दूर करने लगा और उसने अपना हाथ अरुण के लंड से हटा दिया पर अवि का लंड अभी भी अरुण के हाथ में ही था।
वो दोनों उठकर बैठ गए और मैं उनके बगल में जाकर बैठ गई, दोनों के लंड पूरी तरह से खड़े थे और लाल पड़ चुके थे। मैंने उन दोनों से कहा- क्या हुआ? रुक क्यों गये? अपना काम जारी रखो!
तो अवि ने मुझसे कहा- मम्मी, आप कब जागी? तो मैंने अवि से कहा- बस अभी ही मेरी नींद खुली।
अवि को लग रहा था कि मैंने उन दोनों की कोई बात नहीं सुनी तो वो थोड़ा सहज हो गया। पर अब उसे पता चल चुका था कि अरुण मेरी चुदाई कर चुका है।
वो दोनों एक दूसरे से अलग होकर बैठ गए और मैं उनके सामने बैठी हुई थी। मैंने अरुण की तरफ देखा तो उसने मुझे आँख मार कर आगे बढ़ने का इशारा किया।
उन दोनों की चड्डी जांघो तक नीचे उतरी हुई थी। अवि मेरे ज्यादा नजदीक बैठा हुआ था तो मैंने उसे कहा- अवि, तेरा मुठ मारने का इतना ही मन करता है तो मुझसे क्यों नहीं बोलता? तू अपने भाई से मुठ मरवा सकता है पर मुझसे भी तो बोल सकता है।
अवि बोला- मम्मी, मुझे आपसे बोलने में शर्म आती है! तो मैंने अवि के खड़े लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी। अवि चुप हो गया और उत्तेजित होकर अपनी मुठ मरवाने लगा।
तभी अरुण भी उठकर मेरे पास आकर बैठ गया और मेरे एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।
मैं समझ गई कि अरुण क्या चाहता है, मैं एक हाथ से अरुण के लंड को भी सहलाने लगी, मेरे दोनों बेटों के लंड मेरे दोनों हाथों में थे।
तभी अरुण ने मुझसे कहा- मम्मी, आज अवि बोल रहा था कि उसे इसके आगे भी सीखना है.. तो मैंने इसे बता दिया कि मम्मी ने मुझे तो सिखा दिया है अगर तुझे भी सीखना हो तो मम्मी को बोल देना। मैंने अवि की तरफ देखकर पूछा- अवि तुझे भी चुदाई सीखनी है क्या? तो वो मुस्कुरा कर बोला- हां मम्मी… मेरा भी चुदाई सीखने का मन करता है।
मैंने अवि से कहा- अगर तू पहले ही मुझसे बोल देता तो मैं तुझे पहले ही ये सब सिखा देती… पर कोई बात नहीं, अब मैं तुझे सब सिखा दूंगी… और मुझसे शर्माना छोड़ दे, बचपन से मेरी गोदी में नंगा खेला है तू!
मैंने अपने दोनों लड़कों से कपड़े उतारने के लिए कहा, वे दोनों पूरे नंगे हो गए, मैं भी अपना गाउन उतार कर ब्रा पेंटी में उनके सामने बैठ गई।
मैंने कहा- अरुण, तू मेरी ब्रा उतारेगा और अवि तू मेरी पेंटी उतारेगा! मैं उन दोनों के बीच आकार बैठ गई।
उन दोनों ने मेरी ब्रा और पेंटी उतार कर मुझे पूरी नंगी कर दिया। अब हम तीनों एक दूसरे के नंगे शरीरों को निहार रहे थे।
फिर मैंने अवि को अपनी टांगों के बीच बैठाया और उससे मेरी चूत चाटने के लिए कहा तो वो मेरी चूत के पास आकर अपना मुंह और नाक मेरी चूत पर रगड़ने लगा और मेरी चूत पर जीभ फिराने लगा।
अरुण मेरे बगल में बैठा हुआ यह सब देख रहा था तो मैंने अरुण से बोला- अरुण जा तेल या क्रीम की डिब्बी ले आ… वह उठकर क्रीम की डिब्बी ले आया।
मेरी फुद्दी से भी पानी रिसने लगा था तो मैंने अवि से कहा- अवि, अब आगे के लिए तैयार हो जाओ! मैंने अरुण से कहा- अरुण, तू अवि के लंड पर जाकर क्रीम लगा दे और उसे आगे का सब बताते रहना!
अरुण ने उठकर मेरे होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया और अवि के पास चला गया। अवि भी यह देखकर हँसने लगा। फिर अरुण ने अवि का लंड अपने हाथ में लिया और उस पर क्रीम लगाने लगा, अरुण ने अवि के सुपाड़े पर बहुत सी क्रीम लगा दी थी क्योंकि उसे पता था कि पहली बार में दर्द होता है।
मैंने अवि से कहा- अवि… अब मेरे ऊपर आकर लेट जाओ और अपने लंड को मेरी चूत के अंदर धीरे धीरे डालो! अवि मेरे ऊपर आकर लेट गया, हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे के बदन का स्पर्श कर रहे थे। अवि का चेहरा मेरे मम्मों पर आ रहा था तो अवि मेरे मम्मों के बीच अपना चेहरा रगड़ने लगा और फिर मेरे मम्मों को दबाने और चाटने लगा।
फिर अरुण ने अवि के लंड को पकड़कर मेरी चूत के छेद पर लगाया और अवि ने अपने लंड को चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया। अवि के लंड का सुपारा चूत के अंदर घुसते ही वो हल्की सी आवाज में कराह उठा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैंने उससे पूछा- क्या हुआ अवि? तो अवि ने कहा- मुझे हल्का सा दर्द हो रहा है मम्मी! यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा… पहली बार में सबको ऐसा होता है! और उससे लंड को अंदर घुसेड़ने के लिए कहा। अवि ने अपने दोनों हाथों को मेरे मम्मों के बगल से खड़े करके उनके बल ऊपर उठकर दम लगाने लगा जिससे हमारे शरीरों के बीच थोड़ी दूरी हो गई थी।
फिर धीरे धीरे अवि ने अपना पूरा लंड मेरी चूत की खाई में उतार दिया और आगे पीछे होकर झटके देने लगा। अब अवि अपने लंड से मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी उत्तेजित होकर सिसकारियाँ ले रही थी और अपनी कमर उठा उठा कर अवि से चुद रही थी।
अरुण वहीं खड़ा होकर हमारी चुदाई देख रहा था तो मैंने इशारा करके उसको अपने पास बुलाया और उसके मुंह को पकड़ कर अपने मम्मो पर रख दिया। अरुण मेरे मम्मों को अपने मुंह में लेकर उनका दूध पीने लगा और उन्हें मसलने लगा।
अवि का जोश बढ़ाने के लिए मैं सिसकारती हुई बोली- आहहह अवि… मेरे प्यारे बेटे… और जोर से चोदो मुझे.. आआहहह… अवि चोदो मुझे… हां ऐसे ही… और जोर से चोदो अपनी मम्मी को!
अपनी गति को बढ़ाते हुए और मुझे चोदते चोदते अवि मेरी ही चूत में झड़ने लगा और काँपते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
मां बेटे की चूत चुदाई की कहानी जारी रहेगी। आपको कहानी कैसी लग रही है। आप नीचे कमेंट्स मेल कर सकते हैं, अपने विचार मुझे मेल के द्वारा भेज सकते हैं। [email protected]
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