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आपके लिए पेश है हिन्दी सेक्स स्टोरी का अगला और सातवा एपिसोड. तो पढ़िए और इसका मजा लीजिये.
मैंने मुड़ कर देखा डीपू उसी तरफ आ रहा था. खतरे को देखते हुए मैंने उसकी तरफ चलना शुरू कर दिया. मुझे अपनी ओर आते देख डीपू वही रुक गया.
मैंने उसके समीप जाकर कहा “यही रुको, यहाँ तुम मेरे साथ सेल्फी ले सकते हो”.
वो बहुत खुश हो गया. मुझे किसी तरह कुछ मिनट बिताने थे ताकि तब तक पायल और अशोक चूमना बंद कर दे.
डीपू अब मेरे साथ अलग अलग एंगल से सेल्फी लेने लगा, फोटो लेते वक़्त वो जानबूझकर कभी कंधे पर तो कभी मेरी पतली नंगी कमर को पकड़ लेता.
थोड़े फोटो हो जाने के बाद हम फिर आगे बढे. मैं आशा कर रही थी कि अब तक वो लोग अपना काम ख़त्म कर चुके होंगे.
हम उसी जगह पहुंचे पर अब वहा कोई नहीं था. मुझे थोड़ी राहत मिली.
डीपू ने बोला “लगता हैं वो लोग थोड़ा आगे निकल गए हैं”.
मैंने उसकी हां में हां मिलाया. उसने आगे कहना जारी रखा.
डीपू: “यहाँ आस पास कोई नहीं हैं, क्या मैं तुम्हे एक बार गले लगा सकता हूँ”.
मैं: “तुम्हे जो भी करना था वो तो तुम कल रात को ही कर चुके हो. अब उससे ज्यादा क्या हो सकता हैं”.
डीपू: “लगता हैं तुमने मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया, वो मेरी एक मासूम सी गलती थी. चलो अब भूल भी जाओ. मैं तुम्हारी सहायता करूँगा अगर कुछ भी गड़बड़ होती हैं तो”.
मैं: “हमारे बीच कुछ ओर नहीं हो सकता हैं. जो भी हुआ भावनाओ में बह के मैं थोड़ा भटक गयी थी”.
डीपू: “क्या मैं इतना बुरा हूँ कि तुम मुझे दूसरा मौका नहीं दे सकती”.
मैं:”बात मौका देने की नहीं हैं. मैं तुम्हे सौ मौके दे सकती हूँ. पर इस मामले में नहीं. हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकते हैं. पर मुझसे कल रात वाली उम्मीद मत रखना”.
डीपू: “प्लीज, मुझे अब ओर मत तड़पाओ. मैं पूरी रात ढंग से सो नहीं पाया तुम्हारे बारे में सोच कर. ऊपर से तुम सुबह से मेरे साथ बात भी नहीं कर रही थी”.
मैं: “पर अब तो मैं बात कर रह रही हूँ ना, फिर गले लगने की बात कहा से आ गयी”.
डीपू: “मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा. मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ. इनफैक्ट जब तुम्हे पहली बार देखा था तब से ही चाहता हूँ. पर कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई. कल रात हमारे बीच की शर्म की दीवार ढह गयी, इसलिए मैं ये सब कहने की हिम्मत कर रहा हूँ”.
ये कह कर उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचकर अपने सीने से चिपका दिया.
मेरे मम्मे दब गए और उसने अपने होठ मेरे होठों पर लगाने की कोशिश की.
मैंने अपना हाथ बीच में लाकर उसको रोका और उसकी पकड़ से अपने आप को छुड़ाया.
मैंने कहा :”अगर तुम मुझसे इस तरह की हरकत करोगे तो मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी हैं. मैं जा रही हूँ”.
मेरी बातों से उसको झटका लगा और वो वही रुक गया. मैं उसको वही छोड़ आगे बढ़ गयी.
आगे चलते चलते मैं एक छोटी चढ़ाई पर पहुंची जिसके आगे एक छोटा गढ्ढा सा था. वहा से कुछ फुसफुसाने की आवाजे आ रही थी. मैंने सोचा कही ये पायल और अशोक तो नहीं.
मैं नीचे बैठ गयी और उस घाटी के किनारे तक खिसक कर आयी. मैं अब उस खड्डे में देखने लगी तो मेरे होश उड़ गए.
पायल का टॉप उसके ब्रा सहित उसके मम्मो से ऊपर उठा हुआ था और मेरे पति बार बार उसकी चूँचियों को अपने मुँह में दबा अपनी तरफ खिंच कर छोड़ रहे थे. पायल रह रह कर सिसकिया निकाल रही थी.
पहली बार मैं पायल के छोटे खरबूज की साइज के गोल गोल मम्मे देख रही थी.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा डीपू कही नजर नहीं आया. मैंने फिर खड्डे में नजरे डाली. पायल अशोक की तरफ पीठ कर खड़ी थी और अशोक अपना शार्ट अंडरवियर सहित नीचे खिसका कर नंगा खड़ा था.
अशोक ने अब पायल की स्कर्ट ऊपर उठा दी और उसकी पैंटी नीचे उतार दी.
पायल कमर से थोड़ा झुककर खड़ी हो गयी.
अशोक अब उसके उसके पीछे से प्रवेश करने को तैयार था. उन्होंने अब आगे पीछे हो झटके मारने शुरू कर दिए और पायल की सिसकियों की आवाज आने लगी.
अपनी भाभी के अलावा पहली बार अशोक को किसी दूसरी स्त्री के साथ चुदवाते देख मेरा दिमाग ख़राब हो गया. मैं ये दृश्य ओर नहीं देख पायी.
अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि कल रात को भी इन दोनों बीच कुछ हुआ ही होगा. मैं वहा से निकली और दौड़ते हुए पीछे की तरफ जाने लगी. कुछ दूर जाकर डीपू खड़ा हुआ दिखाई दिया.
मैं पति के हाथों दिल पर चोट खाये हुई थी. हालांकि मैंने खुद ने भी उनके साथ कल रात को बेवफाई की थी.
मुझे अपनी तरफ दौड़ते हुए आता देख डीपू खुश हो गया. मेरा मकसद फिर वही था. उसको आगे बढ़ने से रोकना ताकि वो दृश्य ना देख पाए.
सदियों से चला आ रहा हैं कि बीविया अपने पति को बचाने के लिए अपना सब कुछ त्याग देती हैं. मुझे आज शायद अपनी इज्जत त्यागनी थी अपने पति के गुनाह को छुपाने के लिए.
मेरे पास वापिस आने का कोई बहाना नहीं था. पर उसे तो ग़लतफ़हमी थी. मेरे नजदीक आते ही उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया और अपने होंठ मेरे होठों पर रख मेरा मुंह ही बंद कर दिया.
शायद इसी बहाने थोड़ा समय कट जाये ये सोच कर मैंने भी मना नहीं किया. उसके नरम गीले होंठ मेरे होठों पर पर रस छोड़ रहे थे. मुझे उसकी चुम्मी में एक सच्चा प्यार दिखा और मैं भी उसके होठों को चूस रस लेने लगी.
मेरी इस हरकत से उसको ओर मजा आने लगा और वो मुझे सीने से लगाए ही खींचते हुए एक बड़े पेड़ के नीचे ले आया.
वह अब नीचे बैठ गया और मेरी नाभी और पेट पर चूमने लगा. उसकी इस छुअन की वैसे भी दीवानी हो चुकी थी.
मैं आसमान में सर उठाये मुँह खोल कर सिसकिया निकालने लगी. उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख दिए.
कुदरत के बीच इंसानो के शरीर के मिलन की कुदरती क्रिया के बारे में सोचते ही मैं रोमांचित हो गयी.
उसकी वो छुअन थी या पति की बेवफाई के ताजा जख्म मैं आत्मसमर्पण को तैयार थी. उसने अब मेरे डेनिम शॉर्ट्स का बटन खोल दिया.
बटन खुलते ही मेरी कमर पर से शार्ट का कसाव ढीला हो गया. उसने अब शॉर्ट्स की चैन खोल दी, और शॉर्ट्स को धीरे धीरे नीचे खिसकाने लगा.
मेरी पैंटी भी टाइट शॉर्ट्स के साथ ही नीचे खिसक रही थी. जल्द ही मेरे नीचे के कपड़े घुटनो तक आ गए.
उसने अब अपने दोनों हाथ मेरी नंगी गांड के दोनों उभारो पर रख दिये और अपने होंठ मेरी चूत के ऊपर रख चूमते हुए ऊपर नीचे रगड़ने लगा. मेरी सिसकिया फिर शुरू हो गयी.
उसने अपना सर ऊपर उठाया और मेरे शर्ट की गाँठ खोल दी. मेरा शर्ट आगे से खुल चूका था और मेरी ब्रा और उसमे से झांकते मम्मे दिखने लगे.
डीपू ने मेरे शॉर्ट्स को पैंटी सहित मेरे पावो से निकाल दिया.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर एक बड़ी चट्टान के पीछे ले गया जो थोड़ी सी उचाई पर थी. मैं नीचे से नंगी ही ऊपर चढ़ कर उसके साथ उस चट्टान की ओट में आ गयी.
हम दोनों चट्टान के पीछे छुपकर बैठ गए. वह कोहनी के बल आधा लेट गया. मैंने देखा उसके शॉर्ट्स में उसका लंड खड़ा हो चुका था.
खुले में मैंने आज तक कभी भी नहीं चूदवाया था. आज मुझको वो अवसर मिल रहा था. मेरे सामने दो समस्याए थी.
एक ये कि उसके पास यहाँ कंडोम नहीं था और दुसरा कही पायल या अशोक यहाँ ना आ जाए और हमको इस हालत में देख ले.
हालांकि वो दोनों भी वहा आपस में लगे हुए थे, पर मन में कही ना कही डर था कि मैं अपने पति की नजरो के सामने गिर ना जाऊ.
मैं अपने पति की नजरो में हमेशा सती सावित्री की छवि बनाये रखना चाहती थी. जहा तक कंडोम की बात थी, कल तो वैसे भी वो मुझे बिना प्रोटेक्शन के चोद चूका था साथ ही उसने मुझको बोला था कि वो मेरे लिए इमरजेंसी पिल ले आएगा. तो मैं तैयार हो गयी अपने पहले आउटडोर चुदाई के लिए..
जब किसी देसी लड़की की चुदाई करने का मोका मिलता है, तो वो रात भुलाना बहुत मुश्किल होता है. पढ़िए ऐसी ही एक सची हिन्दी सेक्स स्टोरी.
उसने मुझको इशारा किया की मैं भी उसका शार्ट खोलू. थोड़ा शर्माते हुए मैंने उसके शॉर्ट्स का बटन और चैन खोलते हुए नीचे खींचा.
उसके अंडरवियर में उसके विशाल कड़क लंड की मोटाई और गोलाई दिख रही थी. उसका लंड कपड़ो के अंदर से ही बहुत आक्रामक लग रहा था.
मैंने अब उसका अंडरवियर भी निकाल दिया और उसका शैतान बाहर आ गया. जंगल का प्रभाव था या कुछ ओर मगर उसका लंड कल रात से भी लंबा लग रहा था.
उसके लंड के नीचे लटकती थैलिया धड़कते हुए फूल रही थी. उनमे काफी पानी भरा था, ये सोच कर डर भी लगा कि वो ये सारा पानी मेरी चूत के अंदर भर देगा.
उसने अपना लंड मुझे मुँह में लेने को कहा. पर मैं इसके लिए अभी तैयार नहीं थी.
मैंने कहा कि मैं सिर्फ हाथ लगा सकती पर मुंह में नहीं लुंगी.
वो मान गया कि कुछ् तो मिलेगा.
मैंने अब उसका लंड अपने एक हाथ में भर लिया. मेरे हाथों में ही उसका लंड कम्पन करता हुआ धक् धक् कर रहा था.
मेरे उसके लंड को पकड़ते ही उसकी सिसकी निकलनी शुरू हो गयी. उसको तड़पाने के लिए मैंने उसके लंड को ऊपर नीचे रगड़ना शुरू कर दिया और वो पागलो की तरह जोर जोर से आवाज निकालते हुए आअह, आअह करने लगा. उसने मुझे उस पर बैठ कर चोदने को कहा.
मैंने अपने पति द्वारा पायल को चोदते हुए दृश्य को याद किया और डीपू के ऊपर चढ़ कर बैठ गयी. मेरे पास ज्यादा समय नहीं था, ये डर था कि उन दोनों का हो चूका होगा तो कही फिर पीछे ना लौट आये हमें ढूंढते हुए.
मैंने उसका लंबा लंड अपने हाथों में पकड़ा और जल्दी से अपनी चूत में गुसा दिया.
डीपू के मुँह से आउच निकला और मैंने ऊपर नीचे हो चोदना शुरू कर दिया. उसका लंबा लंड मेरी चूत में काफी गहराई तक चला गया था.
हम दोनों की ही मजे के मारे सिसकिया निकलने लगी थी.
थोड़ी देर बाद उसने मुझको कहा कि हम जंगल में हैं तो जंगली तरीके से चोदते हैं.
मैं उसका मतलब नहीं समझी, तो उसने मुझे नीचे उतरने को बोला. मैंने उसका लंड चूत से निकाला और उसके ऊपर से हट गयी.
उसने मुझे कहा “हम जंगल में हैं तो जंगली जनवरी की तरह चोदते हैं, बहुत मजा आएगा”.
मैंने कहा “तुम्हारी जैसी इच्छा हैं कर लो, मैं तैयार हूँ”.
वो मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था. मेरा ऊपर का थोड़ा शरीर चट्टान से ऊपर था और उस ऊंचाई से मैं नीचे देख पा रही थी. मेरे धड़ से नीचे का शरीर चट्टान के पीछे छुपा हुआ था.
उसने मुझे चट्टान की तरफ मुँह रख कर झुका कर खडी कर दिया. मैं झुक कर उसके लंड का इंतज़ार करने लगी.
तभी उसने पीछे से मेरे ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मना करने के बावजूद मेरी ब्रा और शर्ट पूरी निकाल कर नीचे रख दी.
उसने अपना टी शर्ट भी निकाल कर पूरा नंगा हो गया और बोला “जंगलियो की तरह चोदना हैं तो कपड़ो का क्या काम.”
अब उसने अपना लंड पीछे से मेरी चूत में गुसा दिया. लंड अंदर जाते ही मेरे मुँह से एक लंबी आहह्ह्ह निकली क्यों कि एक जंगली जानवर की तरह उसका लंड भी घोड़े की तरह लंबा था.
उसको अहसास नहीं था कि उसका लंबा लंड मेरे अंदर कितना गहरा जा रहा था. वो तो बिना चिंता के मुझे जोर जोर से चोदे जा रहा था.
दर्द के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी. होटल रूम में उसने कल रात को चोदा तो इतना दर्द नहीं दिया था.
काफी देर तक वो ऐसे ही बिना थके और रुके चोदे जा रहा था. नीचे झुके होने से मुझे अब चट्टान के पार दिखाई नहीं दे रहा था.
मैंने अब खड़े हो कर चुदवाने का सोचा, ताकि मैं निगरानी भी रख पाउ. शायद खड़े होने से मेरा थोड़ा दर्द भी थोड़ा कम हो.
मैं अब चट्टान के ऊपर मुँह निकाले खड़ी थी और वो पीछे से मुझे लगातार झटके पे झटके मार चोद रहा था.
खड़े होने से मेरा दर्द कम हो गया था और मैं चुदाई का मजा ले पा रही थी. हम दोनों की ही आह्ह्ह्ह ऊ आह्ह्ह्ह ऊ चालू थी.
मेरा पानी छूटने से फचाक फचाक, फच्च फच्च की आवाज़ आस पास पक्षियों के कलरव के साथ मिल सुनाई दे रही थी.
थोड़ी ही देर में मैं झड़ने के करीब आयी. तभी मैंने देखा दूर से अशोक और पायल आते हुए दिखाई दिए. मैं थोड़ा झुक गयी ताकि सिर्फ मेरा मुँह दिखाई दे वरना उनको पता चल जाता कि मैं टॉपलेस हूँ.
मैंने डीपू को आगाह किया कि वो लोग आ रहे हैं. पर उस पर तो भूत सवार था मुझे पूरा चोदने का.
मुझे जल्दी से कपडे पहनने थे पर वो मुझे चोदने के चक्कर में छोड़ने को ही तैयार नहीं था. तभी उन दोनों की नजर चट्टान से झांकते मेरे चेहरे पर पड़ी.
उन्होंने अपना हाथ हिला मुझे इशारा किया. मैंने भी अपना आधा हाथ ऊपर कर उनको वही रुकने का इशारा किया और कहा कि हम नीचे ही आ रहे हैं.
मेरी आवाज सुन जैसे डीपू की नींद खुली और उसने जल्दी जल्दी झटके मारने शुरू कर दिए. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख पर कण्ट्रोल किया. उसके झटके इतने जबरदस्त थे कि मैं वही झड़ गयी और साथ ही साथ वो भी.
इधर जब मैं झड़ रही थी तो उसी दौरान पायल मुझे पूछ रही थी कि वहा ऊपर से क्या अच्छा देखने का हैं तो वो भी आते हैं.
झड़ते वक़्त मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन ऐसे तनाव के थे कि पायल घबरा गयी कि मुझे क्या हो गया हैं जो मैं ऐसा चेहरा बना रही हूँ.
पर झड़ते ही मैंने अपने आप को संभाला और पायल और अशोक को कहा कि यहाँ ऊपर से कुछ ख़ास नहीं दिख रहा, तुम लोग वही ठहरो हम नीचे आ रहे हैं.
वो लोग वही रुक गए. मैं नीचे झुकी और अपने कपडे जल्दी जल्दी पहनने लगी.
डीपू के पास बैकपैक था तो उसने उसमे से निकाल कर नैपकिन दिए जिससे हम दोनों ने अपने अंगो पर लगे पानी को साफ़ किया. डीपू ने भी अपने कपडे पहन लिए.
हम लोग नीचे आये तो पायल ने पूछा तुम आ रहे हैं बोलकर भी पांच मिनट के बाद आये हो, ऐसा क्या कर रहे थे वहा?
मैं उसको क्या बोलती, तुम लोग जो काम खड्डे में उतर कर रहे थे वही हम चट्टान के पीछे कर रहे थे.
डीपू बहाने के साथ तैयार था और बोला “बेग में से लिप बाम ढूंढ रहे थे तो पूरा बेग खाली कर दिया था तो वापिस सामान भरने में टाइम लग गया.”
उन्होंने बताया कि वो लोग हमें पिछले कुछ मिनटों से ढूंढ रहे थे. हमने कहा कि हम भी उनको ढूंढने के लिए चट्टान के ऊपर चढ़े थे.
वैसे भी वहा मोबाइल नेटवर्क ठीक नहीं था, तो हम लोग वापिस कही जंगल में खो न जाये इसके लिए फिर साथ साथ ही घुमते रहे.
आपको मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है? कृपया मुझे बताते रहिये!
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