एक कुंवारी बुर की चुदाई, दूसरी बुर मुफ़्त में आई

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हेल्लो कॉलेज गर्ल्स, सेक्सी भाभी, असंतुष्ट आंटी और सभी पाठकगण, मैं पिछले 5-6 साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ लेकिन कभी लिखने का मौका नहीं मिला।

यह मेरी पहली कहानी है जो मैं यहाँ पर लिख रहा हूँ।

मेरा नाम अर्चित, 26 वर्ष, मेरठ का रहने वाला हूँ और अच्छे खासे शरीर का मालिक हूँ। फिट बॉडी, 5’7″ हाइट, जबरदस्त स्टेमिना और सख्त लंड करीब 6″ का है। जो भी है सब रियल है कुछ भी बनावटी नहीं क्योंकि आज तक इसी से करीब 10-12 लड़कियाँ और आंटी, भाभी को चोदने और उन्हें संतुष्ट करने का मौका मिला है। कुछ को तो 5-6 बार से भी ज्यादा चोदा है।

हाँ इतना कह सकते हैं कि जो एक बार चुदी, दोबारा जरूर मेरे पास आई है। उनमें से कुछ की तो अब तक शादी भी हो चुकी है, दिल्ली, गाज़ियाबाद, नॉएडा ये सब जगह मेरे आसपास में हैं और जगह भी मिल जाती है कहीं न कहीं चोदने के लिए! वैसे लड़कियाँ और भाभी लोगों ने हमेशा अपने आप ही जगह का जुगाड़ कर लिया, मुझे कभी जरुरत ही नहीं पड़ी। एक दो बार को क्या गिनवाने की जरूरत है।

अब ज्यादा ना घुमाते हुए मैं अपनी पहली कहानी पर आता हूँ। आप भी अपनी बुर या लंड को संभाल लो और थोड़ा थोड़ा मसलना भी शुरू कर दो, ताकि आनन्द बढ़ जाये। लड़के अपने छाती के निप्पल को जरूर सहलाएं और लड़कियाँ अपनी नाभि और बुर के ऊपर हल्के से उंगली जरूर फेरें!

तब की बात है जब मैं केवल 19 साल का था और बी.टेक सेकंड इयर में पढ़ता था। एक बार नाना जी के यहाँ जाना हुआ, घर के सामने ही एक घर में एक सुन्दर, सुशील और दूर से ही तन मन में आग सी लगा देने वाली लड़की को देखा और देखता ही रह गया। बहाने से उसके घर गया क्योंकि वो भी मुझे जानने वाले थे और पहले से आना जाना रहता था। पता चला कि वो लड़की भी अपने मामा के यहाँ आई है।

हल्का सा परिचय हुआ और आँखों ही आँखों में बात!

मानसी नाम था उसका, चूचे कोई बड़े नहीं, छोटे से, गोरा रंग एकदम… अच्छा खासा कद करीब 5’6″ एकदम सेक्सी फील देते हुए नयन नक्श, देखने से ही लग रहा था अनछुआ माल है। मुझे याद है उसने लाल रंग का खुले गले का सूट पहना हुआ था, जैसे ही नीचे झुकी चूचियों की गहराई के दर्शन हुए और मेरे नागराज ने भी एक फुंफ़कार भरी।

अपने आप पर काबू रख कर मैं वापिस आ गया।

एक छोटी सी मुलाकात कब दोस्ती में बदल गई, एक दूसरे का मोबाइल नंबर भी ले लिया, बातें शुरू हुई और 7-8 महीने तक मिलना तो नहीं हुआ लेकिन हमारा प्यार परवान चढ़ गया। उसने डिप्लोमा में एडमिशन ले लिया और फिर हुआ हमारा मिलने का कार्यक्रम शुरू!

तब तक मैं भी बी.टेक के तीसरे साल में आ गया था, मिलने के लिए उसके शहर गया और रात को उसके साथ ही रुकने का प्लान हुआ। उसकी रूमी के सो जाने के बाद हम कमरे से बाहर आ गए क्योंकि कमरा ऊपर छत पर था और दूर दूर तक कोई और देखने वाला भी नहीं था।

बाहर आने के बाद हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आकर सहलाने लगे और थोड़ी देर में वो और मैं भी गर्म हो गए। मैंने ऊपर गले में से ही हाथ डालकर उसकी चूचियों को सहलाना शुरू किया, हल्के हल्के दबाने से उसकी आहें निकलनी शुरू हो गई। मेरे होंठ उसके होंठों का रसपान करने लगे और हम दोनों एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे।

उसके और मेरे होंठ एक दूसरे की ऐसे चूस रहे थे आइसक्रीम खा रहें हो। मेरा इस तरह किस का यह पहला अनुभव था।

मेरा लंड तन कर टाइट हो गया था और अब मानसी भी उसे महसूस कर रही थी। मैंने उसका हाथ ले जाकर अपने लंड पर रख दिया। पहले तो शर्म से उसने उठा लिया, फिर 2-3 बार के बाद लंड को पकड़कर सहलाने लगी और आगे पीछे करने लगी। मुझे जो असीम सुख आज मिल रहा था, इससे पहले कभी नहीं मिला।

यह मेरा पहली बार किसी लड़की के साथ आत्मिक सुख था जिसे शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी मैं कोशिश कर रहा हूँ कि आपको हर पल का आनन्द दे सकूँ। कहानियों से और ब्लू फ़िल्म देखने से इतना तो जानने लग ही गया था कि क्या क्या और कैसे कैसे होता है।

मेरे होंठ उसके होंठों को चूस रहे थे और मेरे हाथ उसके अंदर में कभी चूचियों, नाभि, पेट और गर्दन के आस पास घूम रहे थे। एकदम से उसने मेरे लंड को कसकर दबा दिया और एकदम से मेरी आह निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ आ आह्ह!

अच्छा लग रहा था।

मैंने अपने पजामे को उतार दिया और अब मैं उसके सामने केवल अंडरवियर में ही था। मेरा लंड एक पाइप की तरह प्रतीत हो रहा था। उसको बालों से पकड़ कर मैंने उसके मुँह को लंड के पास लेकर गया, अब तक मानसी मेरा इरादा समझ चुकी थी। मुझे यकीन नहीं था कि पहली बार में वो मेरा लंड अपने मुँह में ले लेगी लेकिन मानसी मुझे किसी भी तरीके से नाराज नहीं करना चाहती थी, दाँतों को चुभाते हुए उसने हल्का सा लंड मुँह में लिया, मुझे ज्यादा अच्छा तो नहीं महसूस हुआ लेकिन जितना भी था आंतरिक सुख था।

मेरा पहली बार था तो आनन्द लिया बस! धीरे धीरे मैंने उसके बाल पकड़ कर मुँह से आगे पीछे करने की स्पीड बढ़ा दी और करीब 6-7 मिनट बाद उसके मुँह में ही झड़ गया। लंड को इतना बड़ा और फूलते हुए मैं भी पहली बार ही देख रहा था। इतना माल आज तक मुठ मारने से भी नहीं निकला जितना उस दिन निकला।

इतना करने के बाद हम दोनों अंदर बाथरूम में चले गए जो रूम से साथ लगते हुए ही था।

हम दोनों एक दूसरे को चूमना शुरू किया और साथ ही मैंने भी शावर चला दिया, ठन्डे पानी ने आग में घी का काम किया और अंदर लगी आग को बुझाने की बजाय और भड़का दिया। मेरा लौड़ा भी फिर से सिर उठाने लगा और उसकी बुर पर दस्तक देने लगा।

मुझे एक्यू प्रेशर बहुत अच्छे से आता है और नब्ज़ को कहाँ से दबाने से आराम मिलता है और कहाँ से दबाने पर बुर की आग भड़कती है, यह भी पता है।

इसी के साथ तेल की मसाज भी बहुत अनोखी करता हूँ। वहाँ रखे हुए तेल को मैंने उठाया और उसकी कानों के पीछे वाले हिस्से पर हलके से लगाना शुरू किया, वहाँ से लगाते हुए नीचे अंडरआर्म, चूचियों की गोलाइयों से होते हुए नाभि और बुर के दोनों तरफ हल्की मालिश ने उसे इतना उत्साहित कर दिया था कि वो खुद अधमरी सी हो गई मानो अगर अभी उसकी बुर को लंड नाम की चीज नहीं मिली तो वो मर जायेगी।

उसने खड़े खड़े ही मेरे लंड को अपनी बुर पर रखने की नाकामयाब कोशिश करनी शुरू कर दी लेकिन मैं अभी उसे और तड़पाना चाहता था। बुर चूसना मेरे लिए नई चीज़ थी लेकिन फिर भी मैं इसे करना चाहता था। मैंने उसे दीवार के सहारे लेटा कर उसकी टाँगें खोल दी और अपनी जीभ को उसकी पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर के पानी का स्वाद चखवाया। नमकीन पानी था…

मानसी की लाल सुर्ख, कमल के फूल सी फांकों वाली चूत, जिसे किसी ने आज तक नहीं छुआ था मेरे सामने थी पूरी नंगी बुर जिसके दीदार का सुनहरा मौका सबसे पहले मुझे ही मिला।

अभी यहाँ पर एक बात बताना मैं भूल गया, जिसका पता मुझे बहुत बाद में लगा। रूमी जिसका नाम मल्लिका था और जिसे हमने अंदर सोते हुए छोड़ा था, शावर की आवाज सुनकर वो उठ चुकी थी और वाशरूम के दरवाजे के बीच में बहुत हल्की सी जगह में से देखने की कोशिश कर रही थी। अब तक उसकी भी बुर गीली होकर पानी छोड़ चुकी थी।

मल्लिका गदराये हुए बदन की एकदम ग़ोरी दूध सी सफ़ेद और लाली लिए हुए छोटे कद की बहुत सेक्सी लड़की थी। उसके साथ अभी कुछ दिन पहले भी मैंने सेक्स किया।

मैं मानसी की बुर का रस पी रहा था कि उसने मेरे कमर में नाख़ून लगाने शुरू कर दिए, दर्द के साथ उत्साह भी बढ़ रहा था। उसने अपनी टांगों को मेरे चारों तरफ लपेट लिया और कस लिया।

अब मुझे भी सही मौका लग रहा था, उंगली से बुर को खोलते हुए और धीरे धीरे अंदर डालते हुए मैंने अपने लंड को सही पोजीशन दी और हल्के से बुर के ऊपर दबाव बढ़ाया। टाइट होने की वजह से लंड फिसल गया, या यूं कहिये नौसिखिया था उस टाइम… फिर से कोशिश की लेकिन अंदर नहीं गया।

मैंने उसे बिल्कुल सीधा करके अपने लंड पर भी तेल लगाया और फिर से कोशिश की, इस बार मेरा लंड मानसी को सम्पूर्ण औरत बनाने के लिए तैयार था, हल्के दबाव से लंड के आगे का टोपा उसकी बुर में उलझ गया, मानसी के दर्द की सीमा यह थी कि अगर मैं उसके मुँह पर अपना मुँह नहीं रखता तो उसकी चीख मेरी भी गांड फड़वाने वाली थी।

उसकी चीख दब जरूर गई थी लेकिन उसकी रूमी मतलब मल्लिका ने जरूर सुनी थी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मेरा लंड भी आगे से छल्ले टूटने की वजह से बहुत दर्द कर रहा था लेकिन साहब, यह बुर भगवन ने ऐसी चीज बनाई कि इंसान हर कीमत पर इसे पाने की कोशिश करता है और औरत हर कीमत पर इसे चुदवाने के लिए बेकरार रहती है।

इतना होने के बाद मैं एक बार तो डर गया था लेकिन नीचे क्या हो रहा है ना ये उसे पता था न मुझे! ऐसे ही बिना हिलाये 3-4 मिनट तक इसी तरह उसके ऊपर लेटा रहा, जब दोनों नार्मल हुए तो फिर धीरे से फिर धक्का लगाया और लंड को आगे का रास्ता दिखाया।

मानसी की आँख में आंसू थे लेकिन दाँतों को दबाये वो मुझे मायूस नहीं होने दे रही थी। उस दिन पहली बार पता चला कि इस ज्वालामुखी की आग क्या नहीं करवा सकती है।

मेरा लंड शायद पहली बार इतना सख्त हुआ होगा, लोहे के पाइप की तरह! अब मैंने हल्के हल्के आगे पीछे करना शुरू किया, बुर के रस के कारण अब चिकनाई बढ़ गई और हम थोड़े सामान्य होकर एक दूसरे का साथ देने लगे।

मानसी ने अब अपनी आँखें खोली, लेकिन दर्द अब भी था। मेरा लंड आगे बढ़ता जा रहा था और उसे जन्नत तक ले जाना चाहता था। करीब 15-20 हल्के हल्के धक्के लगाने के बाद मेरे हाथों में थकान सी होने लगी, मैं चाहता था कि पोजीशन चेंज की जाये लेकिन वाशिंग मशीन की वजह से वाशरूम में इतनी जगह नहीं थी।

फिर भी मैंने उसे उठाया और उसके हाथों को मशीन पर रख कर आगे से झुकने को बोला। आज अगर मैं बात करूँ तो यह डॉगी स्टाइल में चोदना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है।

उसे कुतिया की तरह झुकाने से उसकी गांड पीछे से उभर कर आ गई। मेरे चिकने लंड ने बुर को सलामी दी और मैंने भी इसे आगे बढ़ाया। डॉगी स्टाइल मुझे आज भी सबसे ज्यादा पसंद है। दोनों को जो मजा इस स्टाइल में आ सकता है वो किसी और में नहीं! क्या खचाखच लंड पूरे अंदर तक जाता है और बुर की गहराई तक को नाप लेता है।

इसके अलावा एक और पोजीशन है जिसमें लड़की को उसके बच्चेदानी तक लंड का पता चलता है। दूसरी कहानी में जरूर बताऊंगा।

लंड को सेट करके मैंने उसके कंधे को पकड़ कर दबाव बनाया, फक से अन्दर जाते ही गर्म गर्म बुर के एहसास ने मुझे असीम सुख का आनन्द दिया। यहाँ से मैंने अब बिना समय बिताये लंड को एक गति प्रदान की और हल्के हल्के से शुरू कर तेज तेज झटके लगाने शुरू कर दिए। ‘आह ह्ह ओह्ह उम्म्ह हहह आअह आअह्ह उम्म्म’ की आवाज के साथ मेरा जोश भी चरम पर था।

मानसी ने एक लंबी सांस के साथ अपना पानी छोड़ दिया। मुझे अभी टाइम था इसीलिए वहाँ रखे एक कपड़े से लंड की चिकनाई को साफ़ किया ताकि मजा फिर से आये।

इसी पोजीशन में रखते हुए मैंने फिर से अपने लंड को सेट किया और जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। इस बार मेरा बायां कन्धा दरवाजे की तरफ था और बाहर खड़ी मल्लिका सब कुछ साफ़ साफ़ देख रही थी। लंड बाहर आता और झटके के साथ अन्दर जाता, उसे इतना ही दिखाई दे रहा था।

लेकिन ये सब मेरे लिए इतना सुखदायी होने वाला है मुझे नहीं पता था। वो दोनों रूमी होने के साथ साथ एक दूसरे की रिश्तेदार भी थी।

धक्के मारने की स्पीड बढ़ाते हुए मुझे लगने लगा कि अब मैं जल्दी आ जाऊंगा, मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसे सीधा कर नीचे बैठा कर उसके मुँह के सामने ले आया और हाथ से मुठ मारने लगा, दूसरी बार झड़ने में और भी अधिक टाइम लगता है, आह के साथ सारा माल उसके मुँह पर झड़ने लगा।

यह मेरा पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स का अनुभव था लेकिन इसे मैंने एक अनुभवी बन्दे की तरह करने की कोशिश भी की और कामयाबी भी मिली।

मानसी और मैं वहीं बैठ गए और अपनी साँसों को काबू करने लगे। यह अगर जन्नत का दरवाजा है तो आज मैंने इस दरवाजे को अपने लंड से खोलने का मुकाम हासिल किया।

अब मानसी की कमर और बुर दर्द कर रही थी। सभी बोलते थे कि बहुत खून आता है, ये… वो… लेकिन हल्का सा खून जिसका पता बाद में लंड पर लाल लाल लगने से पता चला और थोड़ा सा एक या दो बूँद मुश्किल से नीचे गिरा।

हम दोनों बहुत देर तक वहीं बैठे रहे और फिर कपड़े पहन कर कमरे में आ गए।

मल्लिका जो इस पूरे प्रोग्राम का लाइव आनन्द ले रही थी, हमारे बाहर आने से पहले ही सोने का नाटक शुरू कर चुकी थी। उस रात मल्लिका ने नींद का नाटक करते हुए अपनी टांग मेरे लंड पर भी रखी लेकिन मैंने इसे नादानी समझते हुए इग्नोर किया।

उसकी चूचियाँ विकसित थी और पीछे से गांड भी एकदम गदराई हुई थी, बहुत ही कोमल और नाजुक कली थी वो जिसे मैं नादान समझ रहा था वो अंदर से बड़ी हो चुकी थी। मानसी की एक बात अच्छी थी कि वो मल्लिका को मेरे साथ सोने से मना नहीं करती थी फिर चाहे वो मुझसे चिपक कर सोये, ऐसा क्यों? पता नहीं!

ना ही उसने कभी इस बात पर कोई जलन या विरोध प्रकट किया। खैर मेरे लिए यह अच्छा ही हुआ।

पहली बार जब मल्लिका और मैं साथ सोये तो उसकी गांड मेरी तरफ थी और हम एक ही फोल्डिंग पर एक चादर ओढ़ कर सोये हुए थे। थकान तो बस पहली चुदाई की थी और कुछ नहीं!

मल्लिका ने नींद में ही बार बार करवटें बदली और आखिर में मुझसे चिपक कर ऐसे सोने का नाटक किया कि अब उसकी बुर मेरी तरफ थी और मेरा लंड टाइट होकर उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था।

मानसी दूसरे फोल्डिंग पर सो चुकी थी।

साहब यह सोचिये कि एक ही रात में भगवान दो-दो कुवांरी लड़कियों की बुर का लालच दिखा दे तो नींद कहाँ आएगी। बहुत सी कहानियों में एक ही रात में 5-5 बार सेक्स करने का जिक्र मैंने पढ़ा है और उसके नीचे कमेंट भी देखें हैं कि यह झूठ है, एक ही रात में इतनी बार सेक्स नहीं कर सकते। लेकिन मेरा मानना है कि 5 बार सेक्स एक रात में किया जा सकता है।

मैंने जब पहली ही बार के अनुभव में 3 बार सेक्स किया था और अब तो इसमें पी.एच.डी. हो गई मेरी।

तो उसकी और मेरी साँसें गर्म होने लगी, मैं इस चीज को समझ रहा था कि आज ही मेरी किस्मत में एक और अनछुई सील पैक बुर भी लिखी है।

[email protected] आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।

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