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दोस्तो, मेरा नाम राज (बदला हुआ) है और मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज में B.Com Final का छात्र हूँ। मेरी लम्बाई साढ़े पांच फुट है और रंग सांवला है। मैं वेस्ट दिल्ली की एक कॉलोनी में रहता हूँ। आज मैं अपने लाइफ की सबसे सच्ची कहानी आप सबको सुनाने जा रहा हूँ।
यह कहानी मेरे कॉलेज की किसी लड़की की नहीं.. बल्कि मेरी पड़ोसन आँचल भाभी (बदला हुआ नाम) की है। उसकी उम्र यही कोई 22-23 साल की होगी। उसका रंग एकदम दूध जैसा साफ़ और शरीर चिकना है। भाभी के फिगर पर मैंने कभी इतना ध्यान नहीं दिया.. पर तब भी शायद 36-30-34 का रहा होगा।
आँचल भाभी अपने पति के साथ रहती है.. और उसके दो बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की। उसका पति दवाई कंपनी में दवाइयाँ सप्लाई करने का काम करता है।
जब वो मेरी कॉलोनी में आई थी.. तो वहां के सारे लड़के उस पर फ़िदा थे। मैं ज्यादातर कॉलेज में ही रहता था, तो अपनी इस नई पड़ोसन को नहीं देखा था।
पर जब एक संडे को सारे दोस्त एक साथ बैठे, तब ही मुझे पता चला कि मेरे पड़ोस में एक पटाखा आइटम रहने आया है। अब मैंने उस पर नजर रखना शुरू की और उससे बात करने की कोशिश की पर मेरी उससे कोई बात नहीं हो पाती थी।
मेरे पड़ोस में होने के नाते मैंने देखा था कि जब भी वो फ्री होती थी.. तब वो घर के बाहर पड़ोस की औरतों से बातें कर लिया करती थी।
मेरे एग्जाम होने के बाद कॉलेज की छुट्टियां शुरू हो गईं और अब मैं हमेशा ही आँचल भाभी को देखने का मौका ढूंढने लगा। जब भी भाभी कपड़े सुखाने छत पर आती.. तब मैं चुपके से उसे देख लेता। ऐसे छुप-छुप कर देखते हुए काफी टाइम हो गया।
मैं उससे बात करने के बहाने ढूंढने लगा। जब भी वो छत पर आती.. तब मैं किसी ना किसी बहाने से छत पर जा कर उससे बात करने का प्रयास करता।
इस तरह धीरे-धीरे हम दोनों में काफी बातें होने लगीं और हम दोनों एक-दूसरे से अपनी बातें शेयर करने लगे। अब तो मैं उसके घर जा कर भी उससे बातें करके अपना टाइम पास करने लगा।
फिर एक दिन जब मैं उसके घर गया तो भाभी अपनी छोटी बेबी को जो शायद 2 साल की है, उसको दूध पिला रही थी।
भाभी के गोरे गोरे मम्मों को देख कर मजा आ गया और मेरा दिमाग ही खराब हो गया। मेरा मन कर रहा था कि उसके मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से दबा लूँ और मम्मों का सारा दूध चूस लूँ।
जब भाभी ने मुझे देखा तो अपनी साड़ी के पल्लू से अपने मम्मों को ढक लिया, भाभी ने मुझे बैठने के लिए कहा। मैं वहीं पास में सोफे पर बैठ गया और दिन भर की बातें करने लगा, पर मेरा मन तो भाभी के मम्मों में लगा हुआ था, मैं बार बार उसके मम्मों की तरफ ही देखे जा रहा था, वो अपने बेबी को साड़ी के पल्लू से ढक कर दूध पिलाती रही।
कुछ पांच मिनट के बाद वो अपने बेबी को दूध पिलाने के बाद उठी और चाय बना कर लाई, हम दोनों ने चाय पी। मैंने उससे ज्यादा बातें नहीं की और जल्दी ही अपने घर आ गया। फिर घर आकर जल्दी से टॉयलेट में जा कर उसके मम्मों के नाम की मुठ मार कर अपने लंड को शांत किया।
अब मेरे मन में आँचल भाभी को चोदने का ख्याल आने लगा और मैं उसको चोदने का मौका ढूंढने लगा।
फिर जब एक दिन मैं ऐसे ही उसके घर गया तो वो रसोई में बर्तन धो रही थी, मैंने ‘भाभी..’ कह कर आवाज़ लगाई, जब उसने सुना तो जवाब में कहा- अभी आती हूँ.. वहीं सोफे पर बैठ जाओ। बस दो मिनट में अभी बर्तन धो कर आती हूँ।
मैं वहीं सोफे पर बैठ गया तो देखा कि टेबल के नीचे अलग-अलग ब्रांड्स के कंडोम के काफी सारे पैकेट रखे हैं। यह देख कर तो मैं हैरान हो गया कि मेरा पड़ोसी इतना बड़ा ठरकी है कि कंडोम भी होलसेल में खरीद कर लाता है।
आँचल जब सारा काम ख़त्म करके आई.. तो मैंने ऐसे ही मजाक में पूछ ही लिया- ये इतने सारे कंडोम के पैकेट यहाँ क्यों रखे हैं? उसने कहा- अरे ये पैकेट तो मेडिकल स्टोर्स पर सप्लाई करने के हैं। आज जल्दी बाजी में ये सारे पैकेट्स यहीं भूल गए। फिर मैं मजाक में बोला- ओह्ह.. मुझे लगा कि.. आँचल- क्या लगा? मैं- नहीं.. कुछ नहीं! आँचल- अरे बताओ ना! मैंने शर्माते हुए कहा- मुझे लगा कि भईया ये अपने पर्सनल यूज़ के लिए लाए हैं। आँचल- अरे नहीं.. वो तो कंडोम यूज़ ही नहीं करते हैं!
यह सुन कर तो मैं हैरान हो गया, आँचल ने पहली बार मुझ से ऐसी बात की थी। मैंने भी मौका ना गंवाते हुए कहा- तभी इतनी जल्दी दो बच्चे हो गए।
अब आँचल मुझसे थोड़ा खुल कर बात करने लगी, हालांकि उसने शर्माते हुए स्माइल की और मुझसे कहा- तुम ऐसी गलती मत करना! मैंने कहा- साफ़-साफ़ बोलो.. भाभी आप क्या बोलना चाहती हो?
तो भाभी ने कहा- शादी के बाद 4-5 साल तक बच्चे मत करना वरना.. मैं- वरना क्या? आँचल- अरे पागल.. अगर इतनी जल्दी पापा बन जाओगे तो फिर वो सब करने में अच्छा नहीं लगेगा ना..!
अब मेरा लंड खड़ा होने लगा था, मैंने जानबूझ कर पूछा- क्या करने में अच्छा नहीं लगेगा? आँचल- अब इतना अनजान मत बन.. रेगुलर कॉलेज में पढ़ता है और अनजान बनता है.. जैसे कि तुझे कुछ पता ही ना हो?
मैंने कहा- अब आप ही सब साफ़ साफ़ बोलोगी.. तो मुझे भी साफ़ बोलने में शर्म नहीं आएगी? आँचल- अच्छा लो मैं अब साफ़ साफ़ ये बोल रही हूँ कि इतनी जल्दी पापा बन जाओगे तो सेक्स लाइफ में मजा नहीं आएगा और फिर तुम्हारा मन भी नहीं करेगा।
मैंने कहा- इसका मतलब भईया अब तुम्हारे साथ पहले से कम सेक्स करते हैं? अभी तक तो हम सारी बातें मजाक में कर रहे थे.. पर अब आँचल भाभी के चेहरे पर मुस्कान नहीं थी, भाभी ने कहा- अब तो बस हफ्ते में 1-2 बार ही होता है।
मैं और आगे भी सुनने के मूड में था.. पर आँचल ने बात बदलते हुए कहा- तुम तो रेगुलर कॉलेज में हो.. तो गर्लफ्रेंड भी जरूर होगी? मैंने सर हिला कर मना कर दिया।
इस पर आँचल ने नाराज़ होते हुए कहा- ज्यादा झूठ मत बोलो.. सच-सच बताओ ना? मैंने कहा- भाभी सच बोल रहा हूँ.. मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। फिर आँचल ने कहा- फिर तो तुमने भी कंडोम यूज़ नहीं किया होगा? मैंने सर मना में हिलाते हुए कहा- भईया को मौका मिलता है.. तब भी तो वे कंडोम यूज़ नहीं करते हैं.. और एक मैं हूँ.. जिसे आज तक कंडोम यूज़ करने का मौका ही नहीं मिला है।
अचानक पता नहीं आँचल भाभी के दिमाग में क्या आया और उसने एकदम से कहा- तुम्हें कंडोम यूज़ करना है? मैंने भी झट से ‘हाँ’ बोल दिया। बस अब मुझे मौका मिल गया था।
आँचल ने वहीं टेबल के नीचे से एक कंडोम का पैकेट निकाला.. उसमें 3 कंडोम थे। मैंने कहा- इतनी जल्दी क्या है.. आराम से यूज़ करेंगे, उससे पहले और कुछ भी कर लेते हैं ना। आँचल हैरानी से बोली- और कुछ? मैंने ‘हाँ’ बोला और ये बोलते ही मैंने उसके मम्मों पर अपना दांया हाथ रख दिया।
जैसे ही मैंने भाभी के मम्मों पर हाथ रखा.. मानो उसे 440 वोल्ट का झटका लग गया हो। उसके मुँह में एकदम से ‘आआह्ह्ह्ह..’ की आवाज़ निकली और वो मेरे साथ चिपक गई।
अब मैंने मौका देखते हुए भाभी के ब्लाउज के हुक्स खोल दिए। अन्दर वो काली ब्रा में थी। भाभी थोड़ा सा शर्मा रही थी।
मैंने उससे कहा- असली मजा लेना है तो शर्म मत करो। इसके बाद भाभी ने हँस कर खुद ही अपनी ब्रा खोल दी, मैंने उसके मम्मों से दूध पीना शुरू कर दिया और बीच-बीच में निप्पल को दांत से काट रहा था।
भाभी के मुँह से ‘आअह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअह्ह..’ की आवाजें आ रही थीं, वो अब मेरे बालों को नोंचने लगी.. तो मैं समझ गया कि ये अब झड़ने वाली है।
मैंने भाभी की साड़ी के अन्दर हाथ डाल दिया, उसकी जांघें बिल्कुल रेशम जैसी मुलायम थीं। जैसे ही मैंने भाभी की पेंटी पर हाथ रखा तो पता चला कि वो झड़ चुकी है।
अब मैंने धीरे-धीरे उसकी साड़ी उतार दी और पेटीकोट तो भाभी ने अपने आप ही खोल दिया। भाभी ने अन्दर काले रंग की पेंटी पहन रखी थी, जो झड़ने के बाद गीली हो गई थी।
मैंने भाभी को बेडरूम में चलने को कहा.. पर बेडरूम में उसकी बेटी सो रही थी।
जब उसने ये कहा तो मैंने सोफे पर ही भाभी को लिटा दिया और उसकी पेंटी उतार दी। अब भाभी की चूत मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। भाभी ने मुझसे कपड़े उतारने को कहा.. तो मैंने फटाफट से कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों चुदास से भर उठे थे और मैंने सीधे ही भाभी की नंगी चूत पर वार किया और पागलों की तरह भाभी की चूत में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।
चूत में उंगली चलने से भाभी पागल होने लगी थी, उसके मुँह से मादक सीत्कारें निकलने लगी थीं ‘ऊऊओह्ह.. आह.. ओह्ह्ह्ह..’ यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने एक हाथ से उसका मुँह बंद किया और फिर उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी। उसने मेरे बालों को पकड़ कर चूत से चिपका दिया। भाभी की टाँगें कांपने लगीं.. जल्द ही वो दूसरी बार झड़ने लगी। मैंने जल्दी से अपना मुँह हटाया और सारा पानी सोफे पर निकल जाने दिया।
अब कुछ देर यूं ही प्यार करने के बाद मैं खड़ा हो गया और भाभी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।
मेरा लंड तो पहले ही खड़ा हो गया था.. इसलिए जल्दी ही झड़ गया। मैंने अपने लंड का सारा पानी भाभी के मम्मों पर झाड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही गिर गया और 2 मिनट तक लेटा रहा।
कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने आँचल भाभी से कंडोम लगाने को कहा.. तो उसने फटाफट किसी एक्सपर्ट की तरह रैपर को फाड़ा और मेरे लंड को टाइट करके उस पर कंडोम चढ़ा दिया।
मैं अब चुदाई के लिए तैयार था, अब आँचल भाभी की चूत भी दो बार झड़ने के बाद चिकनी हो गई थी।
मैंने सोफे पर ही भाभी की टाँगें फैलाईं और लंड को भाभी चूत के छेद पर रखा और हल्का सा शॉट मारा। पहले ही शॉट में मेरा पूरा लंड अन्दर तक चला गया।
तो उसने हँस कर कहा- देखा यही होता है 2 बच्चे होने के बाद.. एकदम फोरलेन सड़क हो गई। मैंने भी हँसते हुए अपना काम जारी रखा और पूरा मजा लेकर भाभी की धकापेल चुदाई करता रहा। अब आँचल भाभी को भी मजा आने लगा था और वो भी अब गांड हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थी, ‘आअह्ह्ह.. आआह्ह्ह.. ऊऊह्ह..’ उसकी कामुक आवाजें आ रही थीं।
मैंने शॉट्स तेज़ कर दिए तो अब उसे थोड़ा दर्द होने लगा। वो जरा कराहने लगी और ‘उउह्ह्ह्ह.. उहूऊऊ..’ करने लगी।
मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसकी गांड के होल पर फिट कर दिया और जोर से शॉट मारा, तो मानो उसकी जान निकल गई हो।
उसकी आँखों में आंसू आ गए लेकिन मैं नहीं माना और दोबारा से एक और जोरदार शॉट मार दिया।
मेरे लंड में भी दर्द होने लगा था। वो ‘आअह्ह.. आह्ह.. ऊऊह्ह्ह..’ किए जा रही थी। मैं 10 मिनट तक गांड की चुदाई करता रहा और फिर मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। पर अब डर किस बात का था.. मैंने तो कंडोम पहन रखा था।
मैंने आखिरी 10-12 शॉट्स मारे और लंड बाहर निकाल लिया।
आँचल भाभी ने झट से कंडोम उतार दिया और हाथ से मेरे लंड की मुठ मारने लगी और कुछ ही पलों में मैंने उसके होंठों पर.. उसकी आँखों और मम्मों पर पानी झाड़ दिया।
इसके बाद मेरी और उसकी चुदाई कई बार हुई। अब उसका पति प्रमोशन के बाद मैनेजर बन गया है और अब वो सभी पश्चिम विहार के अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए हैं.. पर मैं जब भी वहाँ जाता हूँ तो आँचल भाभी को जरूर चोदता हूँ।
यह मेरी सच्ची और पहली कहानी है। अगर आपको कोई कुछ कमी लगी हो.. तो मुझे माफ़ कर देना और प्रतिउत्तर जरूर देना। मुझे आपके मेल का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। [email protected] आप मुझे फेसबुक पर भी एड कर सकते हैं। http://www.facebook.com/ayushsinghania321
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