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मेरा नाम राजेश है, सभी लोग मुझे प्यार से राजा बुलाते हैं, मेरा कद 5’9″ है। मैं बहुत दिनों से नियमित रूप से अन्तर्वासना पर प्रकाशित सेक्स कहानियों को पढ़ता रहा हूँ। बहुत दिनों से मैं भी सोच रहा था कि अपनी कहानी भी आप सभी के लिए भेजूँ और आज वो मौका मिल ही गया।
यह कहानी मेरे कॉलेज के समय की है, जब मैं इंजीनियरिंग के लिए बैंगलोर गया। मेरी ब्रांच में कोई लड़की नहीं थी जबकि मुझे लड़कियों को देखने में और उनके बारे में सोचने से ही मेरे लंड में गर्मी आ जाती थी। मुझे बड़ा अफ़सोस हुआ कि मेरी ब्रांच में कोई लड़की नहीं है।
हम लोगों की क्लास शुरू हो गईं। फिर 3 दिन के बाद नोटिस आया कि सभी प्रथम वर्ष वाले छात्रों का एक साथ में ही क्लास चलेगी। मुझे यह जान कर बहुत ख़ुशी हुई क्योंकि दूसरी ब्रांच में कुछ लड़कियां भी थीं।
अगले दिन से सभी की क्लास साथ में चलने लगी। दूसरी ब्रांच से कुल 13 लड़कियां थीं, अब मस्ती से मेरी क्लास चलने लगी।
कुछ दिनों के बाद सभी ने घूमने जाने का प्लान बनाया और हम लोगों ने एक पिकनिक स्पॉट भी चुन लिया, शनिवार को सभी के जाने का प्लान तय हुआ, उसमें 6 लड़कियां भी साथ जाने को तैयार हुई।
उनमें एक लड़की थी सुनीता.. जो सिर्फ अपने आप में ही व्यस्त रहती थी, न किसी से ज्यादा बातें करना और न ही उसे लड़कों से दोस्ती करना पसंद था। मुझे वो लड़की कुछ ज्यादा ही पसन्द थी।
एकाएक मेरे दिमाग में आया कि क्यूँ न उससे भी पूछ लूं कि पिकनिक में आएगी या नहीं, मैंने जाकर उससे पूछा- क्या तुम भी हमारे साथ पिकनिक के लिए चलोगी? फिर किसी तरह वो तैयार हो गई।
शनिवार का दिन आ गया.. सब लोग पिकनिक के लिए तैयार होकर एक जगह मिले। हम लोग 9 लड़के और 7 लड़कियां थीं। सभी लोगों ने बाइक से जाने का प्लान किया था। लेकिन अब यह परेशानी आ गई थी कि कौन किसके साथ बैठेगी।
थोड़ी माथापच्ची के बाद सब लोग पिकनिक के लिए निकल पड़े, सुनीता मेरे साथ ही बैठी। रास्ते में उससे थोड़ी बातचीत शुरू हुई।
रास्ते में रुक कर खाने पीने का सामान पैक करा लिया और अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े।
शाम में 4 बजे हम लोग पिकनिक स्पॉट पर पहुँच गए, थोड़ी देर घूमना-फिरना मजाक आदि चलता रहा, शाम 6 बजे तक धीरे धीरे जगह खाली होने लगी।
तब तक हम लोग घूमने और चुहलबाजी में इतना ज्यादा व्यस्त हो चुके थे कि समय का पता ही नहीं चला। शाम 7 बजे हम सभी ने वापस जाने का सोचा, हम लोगों को वापस आने में भी 2-3 घंटे का समय लगना था।
तभी सुनीता धीरे से मेरे कान में बोली- टेंशन क्यूँ लेते हो.. आज मैंने पूरी रात के लिए मैंने घर से परमिशन ले लिया था। मैंने बोल दिया था कि मैं अपने दोस्त के यहाँ रुकूँगी। लेकिन दूसरी लड़कियां जल्दी जाने के लिए हल्ला करने लगीं। आखिर सब लोग वापसी के लिए चल पड़े।
सुनीता मुझसे बोली- तुम आराम से चलना.. बाकी लोगों को आगे जाने दो। मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि आखिर इसके दिमाग में क्या चल रहा है। मुझे अन्दर से यह भी ख़ुशी हो रही थी कि चलो कोई तो मिली.. जिसे मेरा साथ अच्छा लग रहा है।
कुछ दूर चलने के बाद उसने बाइक रोकने को बोला, मैंने पूछा- क्या हुआ? वो बोली- आओ यार.. कुछ मौसम का मजा लेते हैं।
मैं सोचकर टेंशन और ख़ुशी दोनों महसूस कर रहा था कि आखिर क्या होने वाला है। फिर हम दोनों वहीं सड़क से थोड़ा हटकर बैठ गए। पहाड़ी रास्ता होने के कारण ज्यादा व्यस्त रास्ता नहीं था। फिर उसने अपने बैग से बियर का कैन निकाले.. एक मुझे दे दिया और दूसरे को खोलकर एक झटके में ही आधी खाली कर दी।
मैं तो उसे देखता ही रह गया कि इतनी भोली सीधी दिखने वाली के ये तेवर..! उसके बैग में बियर के चार कैन थे, हम दोनों ने 2-2 बियर मारी.. फिर आगे चल दिए।
एक तो बियर का हल्का नशा और दूसरा ठंडी हवा का असर था। इसलिए नशा कुछ तेज होने लगा। कुछ देर चलने के बाद मैं बोला- यार थोड़ी देर रुक जाते हैं.. कुछ ज्यादा ही नशा लग रहा है। मैंने बाइक रोक दी।
वो बोली- यार मेरी तो गर्मी से हालत ख़राब हो गई है। यह कहते हुए उसने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल लिए।
अभी तक मैंने उसे इतने गौर से नहीं देखा था, पहली बार उसे इतनी गौर से देखा। क्या लग रही थी यार.. मेरा मन तो कर रहा था कि साली को अभी पटक कर चोद डालूं। बियर के नशा का असर भी अब सर चढ़ कर बोल रहा था।
मैं आगे बढ़ा और उसे पकड़ कर उसके होंठों को चूमने लगा। इस अचानक हमले से वो हड़बड़ा गई.. लेकिन तब तक तो होंठ से होंठ लड़ चुके थे, मेरे हाथ भी उसके मम्मों पर आ गए थे।
उफ्फ्फ.. क्या मस्त चूचियां थीं..
उस समय मुझे साइज़ का उतना पता नहीं था.. लेकिन अब लगता है कि उसकी टोटल फिगर साइज़ 32-28-32 का रहा होगा।
मेरी इस हरकत से पहले तो वो कुछ कुनमुनाई.. फिर वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर मैं उसे एक पत्थर के पीछे ले गया और फिर शुरू हुई हमारी रासलीला।
सबसे पहले मैंने उसकी शर्ट के बटन खोले, उसके कड़क मम्मों को देखकर तो मैं पागल ही हो गया था यार! उसकी काली ब्रा में छुपे प्यारे से कबूतर बहुत ही हाहाकारी लग रहे थे। मुझे यह डर भी था कि कोई आ न जाए।
फिर मैंने उसके मम्मों को ब्रा से निकाला और एक निप्पल को चूसने लगा। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने होंठों को दबाने लगी। तब तक मैंने अपना हाथ उसकी जीन्स का बटन खोलने में लगा दिया।
जैसे ही जीन्स की जिप खोली, हय.. क्या बोलूँ मेरे तो मुँह से ‘आह्ह्ह..’ निकल गई।
मैंने अपने होंठों से उसके दोनों गुलाबी निप्पलों को बारी-बारी से चूसते और रगड़ते हुए अपना हाथ उसकी जीन्स के अन्दर डाल दिया। मैंने उसकी बुर को सहलाया.. मुझे कुछ भीगेपन का अहसास हुआ।
तब तक उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और लंड दबाने लगी। मेरे लंड में तो पहले से आग लगी थी, उसके हाथ लगाने से लंड अपने साइज़ में आ गया। तभी मैं नीचे बैठा और अपनी जीभ को उसकी बुर को चूसने के मकसद से उसके पास लाया।
लेकिन वो बोली- राजा आज जल्दी कर लो.. प्लीज़ मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है और देर भी हो रही है। रूम पर चलकर आराम से करेंगे.. अभी जल्दी से कर लो।
मैंने भी सोचा सही है यार.. रूम में कोई टेंशन नहीं है.. अकेले ही तो हूँ और ये भी रात को रुकने को तैयार है।
मैंने उसकी जीन्स को नीचे सरका दिया और लंड की पोजीशन बनाने लगा।
लेकिन ये मेरा पहला टाइम था.. इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था इसलिए मुझे बहुत दिक्कत आ रही थी। वो हंसने लगी- बस चुदाई के लिए सोचते हो.. और जानते कुछ नहीं.. रुको मैं टारगेट सैट कर देती हूँ। लेकिन आराम से डालना.. मैं भी पहली बार लंड ले रही हूँ। अभी तक उंगली या पेंसिल से ही काम चलाया था।
बड़ी बिंदास चीज थी.. वो कुत्ती खुल कर लंड बुर बोल रही थी।
फिर उसने नीचे से मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर पर निशाना लगाया, मैंने धीरे से धक्का लगाया, मेरा लंड बड़ी ही कसी हुई बुर में फंसता सा घुस गया। मुझे लगा जैसे मेरा लंड किसी में अटकी हुई चीज में फंस गया है।
उधर उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे, वो दर्द से कराह रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ? वो कराहते हुए बोली- बेवकूफ.. जल्दी करो न.. मैंने बोला था न आराम से करना.. तुमने एक ही झटके में आधा घुसा दिया। अब इतने को ही धीरे-धीरे आगे-पीछे करो.. और जब तक मैं नहीं बोलती हूँ.. आगे मत पेलना। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं उतने लंड को ही आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर में उसने अपनी कमर को जोर का झटका दिया और पूरा लंड अपने अन्दर ले लिया। अब सिर्फ वहां एक-दूसरे की सिसकारी और आहें.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ही सुनाई दे रही थीं।
पहली बार होने के कारण ज्यादा समय रुक नहीं सका और कुछ मिनट में ही माल निकलने को हो गया। मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और उससे कहा- मेरे अन्दर से कुछ निकलने वाला है.. कहाँ निकालूं? वो बोली- मेरे अन्दर ही निकाल दो।
मैंने थोड़ा और स्पीड बढ़ा दी और वो भी जोर से कमर हिलाने लगी। फिर एक जोर के झटके के साथ कुछ लिसलिसा सा निकला.. जो उसकी बुर में भर गया। थोड़ा आराम करके फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और रूम की तरफ चल दिए।
बाकी फिर रूम पर पहुँच कर सारी रात चुदाई और सिर्फ चुदाई हुई जिसका वर्णन मैं आप लोगों के मेल आने के बाद करूँगा। [email protected]
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