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कॉलेज गर्ल की चूत की गर्मी क्या होती है, बतायी एक लड़के ने अपने दोस्त जो उसी की बहन की चुदाई करके आया था. अपनी बहन चुदाई की कहानी सुन वो जलभुन गया.
दोस्तो, मैं राजवीर आपके लिए अपनी नयी सेक्स स्टोरी का दूसरा भाग लेकर आया हूं। कहानी के पहले भाग भाई के सामने मंगेतर से चुदने चली गयी में आपने जाना था कि सेंट जोसफ कॉलेज में पढ़ने वाले ऋतु व रेशम और काव्य व कृति आपसे में रिश्तेदार भी थे क्योंकि काव्य रेशम का होने वाला जीजा था।
काव्य के जन्मदिन पर वह ऋतु के साथ रोमांस करना चाह रहा था जिसका रेशम को बुरा लग गया। दोनों में लड़ाई हो गयी और काव्य रेशम की बहन और अपनी मंगेतर ऋतु को लेकर रूम में चला गया।
उधर रेशम और कृति में भी प्रेसि़डेंट चुनाव को लेकर बहस हो गयी। कृति रेशम से नाराज होकर अपने घर चली गयी।
अब आगे कॉलेज गर्ल की चूत की गर्मी की कहानी :
तभी रूम के अंदर से ऋतु की आह्ह … आह्ह … की आवाजें आने लगीं। अंदर पट-पट … फट-फट की आवाज भी आ रही थी। वो आवाजें ऐसी थीं जैसे चुदाई के दौरान मर्द की जांघों के महिला की गांड से टकराने पर आती हैं।
यह सुनकर गुस्से में रेशम ने दरवाजे पर अपना हाथ जोर से मारना शुरू कर दिया और बोला- और जोर से चोद … मादरचोद … और जोर से चोद। फिर वो शराब की बोतल लेकर घर से बाहर निकल गया।
वास्तविकता में वह काव्य और ऋतु के इस तरह के बर्ताव से दुखी हो गया था। वो नहीं चाहता था कि शादी से पहले उसकी बहन की चुदाई उसके जीजा से हो।
अगले दिन सुबह कॉलेज कैंटीन में:
काव्य और उसके 5 साथी एक टेबल पर बैठ कर नाश्ता कर रहे थे तभी रेशम बगल वाली टेबल पर आकर बैठ गया। उसके साथ उसके भी कुछ दोस्त थे।
रेशम को सुनाकर काव्य ने अपने दोस्तों से कहा- यार यह रेशम कैसा नाम है? मुझे तो लगता है कि यह किसी लड़की का नाम है।
काव्य का दोस्त जोर से रेशम को सुना कर बोला- मुझे तो लगता है इसका नाम बचपन में कुछ और ही होगा लेकिन इसके मां-बाप ने देखा होगा कि इसकी तो लड़कियों की तरह मरवाने की आदत है तथा इसका नाम बदलकर रेशम रख दिया होगा।
काव्य- चलो एक चुटकुला सुनो … एक लड़की अंडर गारमेंट्स की दुकान पर अंडरवियर लेने गई और पता है क्या बोली ‘भैया रेशम की अंडर वियर देना। रेशम हमेशा नीचे ही रहना चाहिए।’ इतना कहकर चारों-पांचों दोस्त हंसने लगे।
तभी रेशम काव्य के पास जाकर बोल- बोल ले बेटा … बोल ले! पता है कुछ लोग बोल कर मजा लेते हैं और कुछ लोग करके। मैं करके मज़ा लूंगा। प्रेसिडेंट बनने के बाद अगर तेरी बहन नहीं चोदी तो मेरा नाम रेशम से रेशमा रख देना।
रेशम के तेवर देखकर काव्य और उसके दोस्त हक्के बक्के रह गये और चुप हो गये। रेशम अपनी बात कहकर चला गया।
शत्रुता परवान पर थी।
दोनों के समर्थकों में कॉलेज में रोजाना किसी न किसी बात पर विवाद हो जाता था। मगर आज उस विवाद पर विराम लगने वाला था क्योंकि आज प्रेसिडेंट का चुनाव था।
चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए और अब परिणाम की बारी थी। जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो पता चला कि ज्यादातर लड़कों ने वोट रेशम को ही दिये हैं। इस तरह रेशम आगे चल रहा था किंतु जब लड़कियों की वोटों की गिनती शुरू हुई तो रेशम धीरे-धीरे करके पिछड़ता चला गया।
अधिकाधिक लड़कियों के वोट काव्य की तरफ आने से काव्य प्रेसिडेंट का चुनाव जीत गया।
इसका कारण रेशम को समझते देर नहीं लगी कि कृति की गैंग की वोट तो काव्य को गई ही हैं किंतु ऋतु की गैंग के वोट भी काव्य को ही गये हैं।
रेशम को अपनी बहन से धोखा मिला और वह काफी निराश हो गया। किंतु रेशम एकदम से हंसने लगा जैसे कि इस हार से उसे कोई प्रेरणा मिली हो।
परिणाम की शाम को रेशम और ऋतु के घर में:
रेशम- बधाई हो ऋतु, तुम्हारा होने वाला पति आज प्रेसिडेंट बन गया और तुम्हारा भाई हार गया। ऋतु- मुझे तुम्हारे लिए बुरा लगा रेशम! मैंने तुम्हारे लिए काफी कोशिश की थी। अपनी सभी सहेलियों को कहा था कि वोट तुम्हें ही दें।
रेशम- तुमने क्या घंटा कोशिश की थी? मुझसे झूठ मत बोलो। तुम्हारे गैंग के सारे वोट काव्य को ही गये हैं। उसके लिए वोट मांगने के लिए उसकी बहन थी। तुम्हें भी अपने भाई के साथ होना था। कम से कम जिस तरह कृति अपने भाई के साथ थी उसी तरह तुम भी तो अपने भाई के साथ रहतीं? कॉलेज के सारे लड़कों के वोट तो मुझे ही गए हैं. थोड़ी बहुत लड़कियों के वोट अगर मुझे मिल जाते तो शायद आज मैं प्रेसिडेंट होता और कल मैं तुम्हें वाइस प्रेसिडेंट घोषित कर देता। कॉलेज में हम दोनों राज करते।
ऋतु- तुम्हें पता है रेशम … मुझे लड़कियों की वाइस प्रेसिडेंट बनने में कोई रुचि नहीं है। वैसे भी मेरे जीवन में मेरा भाई तथा अब मेरा मंगेतर प्रेसिडेंट है तो मुझे किस बात की कमी है, मैं वाइस प्रेसिडेंट नहीं बनना चाहती। हार जीत कॉलेज के छात्र छात्राओं के हाथ में थी। तुम्हें हार मिली है, तुम्हें इसे स्वीकार करना चाहिए और चुपचाप सो जाना चाहिए। मेरी संवेदना तुम्हारे साथ है, गुड नाइट।
ऋतु यह कहकर अपने कमरे में चली गई।
रेशम बस सोच रहा था कि ये सब नहीं होना चाहिए था। उसे नींद नहीं आ रही थी। रात के 11 बज चुके थे, वह अब सोने की तैयारी कर रहा था।
तभी उसके फोन की घंटी बजी और फोन पर काव्य था। रेशम ने उसका कॉल उठाया और हैलो किया।
काव्य- रेशम क्या तुम मुझसे मिल सकते हो? रेशम- अभी इतनी रात को मुझसे क्या काम है? काव्य- यार प्रसिडेंट बनने की पार्टी पूरे कॉलेज को दे चुका हूं, केवल तुम्हें ही दारू नहीं पिलाई। आओ ना कॉलेज की छत पर मिल कर आखिरी बोतल खत्म करते हैं।
रेशम- तुम्हारी पार्टी तुम्हें ही मुबारक हो। मुझे तुम्हारी दारु नहीं पीनी है, गुड नाइट।
काव्य- अरे छोड़ो ना यार यह लड़ाई झगड़ा! अब तो मैं जीत चुका हूं और अब हमें अपने विवाद को भी खत्म कर देना चाहिए आओ। सारे गिले-शिकवे दूर करता हूं तुम्हारे। मेरे लिए ना सही कम से कम अपनी बहन और अपने होने वाले जीजा के नाते तो एक बार मिल लो। तुम्हारे घर पर जब पता चलेगा तुम्हारे माता-पिता को कि तुम मुझसे सीधे मुंह बात नहीं करते तो उन्हें कितना बुरा लगेगा। अब आ भी जाओ।
रेशम- ओके, आता हूं।
कुछ देर के बाद कॉलेज की छत पर …
रेशम और काव्य दोनों ही कॉलेज की छत पर बैठकर दारू पी रहे थे जो कि आपराधिक था।
काव्य ने पैग बनाया और रेशम की तरफ सरकाते हुए कहा- चल छोड़ ना यार ये लड़ाई झगड़ा! हम दोस्त बन जाते हैं दोनों। रेशम- हां, हम तो हैं ही दोस्त और आज तुम प्रेसिडेंट हो। बधाई हो तुमने प्रेसिडेंट का चुनाव जीता है। मेरी बहन को फुसलाकर उसके सारे वोट जो कि मुझे मिलने थे अपनी तरफ खींच लिये और बन गये प्रसिडेंट।
काव्य- क्या? मैंने तुम्हारी बहन को फुसलाया है? इतनी सीधी नहीं है तुम्हारी बहन। रेशम- वो केवल तुम्हारे प्यार में है तभी तो उसने अपने भाई के सारे वोट तुम्हें दिलवाये। उसे तो वॉइस प्रेजिडेंट बनने में भी कोई रुचि नहीं है. उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता कि कौन वॉइस प्रेजिडेंट बने।
काव्य- सुन बे, जैसा तू समझता है वैसा कुछ नहीं है … और सुन तेरी बहन ऋतु भी दूध की धुली नहीं है। बहुत तेज है वो और सच बताऊं तो बहुत बड़ी चुदक्कड़ भी है। तुझे क्या पता कैसे कैसे चुदवाती है मुझसे!
रेशम- बस कर बहन के लौड़े, वरना तेरी मां चोद दूंगा। काव्य- अबे, बात सुनने की औकात रख ना … मैं कसम खाता हूं अपने घर वालों की, एक भी बात झूठ नहीं बोलूंगा। तो अगर तू सुनने की हिम्मत रखता है तो सुन और बाद में जो भी कहा है अपनी बहन से कन्फर्म कर लेना।
काव्य सुनाने लगा:
सच तो यह है कि उस दिन जब मेरा जन्मदिन था तब मैंने ऋतु की चुदाई की थी लेकिन यह पहली बार नहीं था। हम तब से लगातार चुदाई कर रहे हैं जब से हमारी सगाई हुई है।
तेरी बहन इतनी बड़ी चुदक्कड़ है कि उचक उछल कर मेरा लन्ड बड़े मज़े से लेती है।
उस दिन मेरे जन्मदिन पर जब मैंने गालों से केक खिलाने के लिए बोला था तो वह मुझे अपने कमरे में ले गई थी और तुम कमरे के बाहर थे।
अंदर ले जाकर उसने केक का एक टुकड़ा उठाकर अपने गालों पर लगाने की बजाय अपने टॉप को उतारकर अपनी ब्रा को खोल कर अपने गोरे स्तनों पर लगाया और कहा कि अब खाओ केक!
मैंने उसके गोरे स्तनों से केक को चाटकर साफ़ किया तो उसने अपने मुंह में केक रखकर अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा दिया। फिर चूमने के जरिए इस केक को मेरे मुंह में सरका दिया।
उसने अपने एक हाथ में केक भर लिया और अपने पूरे शरीर यानि गले, उरोजों, कमर व पतले से पेट पर लगाकर सब जगह अपने आपको केक से भर लिया और मुंह से मुझे साफ करने को कहा।
मैंने उसके शरीर के आगे के भाग को तो अपने मुंह से चाट कर साफ़ किया। फिर मैंने उसकी पीठ व कंधे पर भी केक को लगाकर उसे मुंह से साफ किया।
ऋतु की चूत की गर्मी इतनी ज्यादा थी कि उसने अपने नीचे के कपड़े उतारकर फेंक दिये और फिर अपनी पैंटी उतारकर अपनी चूत पर पिघली हुई चॉकलेट लगा दी। मैंने उसके मन की भावना समझकर उसकी चूत पर लगी चॉकलेट को चाट कर साफ़ किया।
अब चॉकलेट से ज्यादा स्वाद उसकी चूत के रस का लगने लगा था मुझे। अतः चॉकलेट खत्म होने के बाद भी मैंने उसकी चूत को चाटना जारी रखा।
उसने मेरा सिर अपनी चूत के अंदर दबोच लिया और तब तक मैं उसकी चूत को चाटता रहा जब तक कि उसकी सांसें अपने काबू से बाहर नहीं हो गई थी।
फिर उसने मेरे कपड़ों को खींचना शुरू किया। मैंने उसकी सहायता अपने कपड़ों को उतार कर की। उसने मुझे बेसब्रों की तरह नंगा कर दिया और मेरे खड़े लिंग को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी।
फिर लंड पर बची हुई चॉकलेट लगाकर बेसब्री से चॉकलेट आइस्क्रीम की तरह मेरे लन्ड को चूसने लगी और चूस चूसकर मेरे लन्ड को उसने लाल कर दिया।
मैंने भी उसका सिर पकड़ कर मेरा लन्ड उसके गले की गहराई तक उतार दिया और जोर जोर से उसके मुंह को चोदने लगा। किंतु ऋतु के उत्साह में बिल्कुल कमी नहीं आयी। उसने मुझे चूस चूसकर झाड़ दिया।
फिर हम दोनो नंगे बदन एक दूसरे को आलिंगन में लिये बेड पर लेट गए। क्या बताऊं रेशम … जिस बहन को तुम बहुत सीधी समझते हो वह चुदाई के समय कैसे बातें करती है सुनो।
ऋतु- चल ना बहनचोद … अपने लंड को खड़ा कर … असली आग तो नीचे लगी थी … तूने मेरे मुंह में ही सारा पानी डाल दिया। काव्य- बहन की लौड़ी रंडी, लंड को ऐसे चूस रही है जैसे चूस चूसकर ख़त्म ही कर देगी या पूरा खा जाएगी। मगर तू चिंता मत कर … तूने इस तरह मेरी मर्दानगी को ललकारा है ना … कि मेरा लन्ड फिर से उबाल मारने लगा है।
बहन की लौड़ी … तेरी चूत की खुजली ऐसे नहीं मिटेगी। तुझे आज एसे चोदूंगा कि कमरे के बाहर तेरे भाई को भी तेरी चुदाई के बारे में पता लग जायेगा। वो भी आज जान लेगा कि उसकी बहन कितनी बड़ी रंडी है और उसका जीजा उसकी बहन की चूत को कैसे पेलता है।
उसके बाद मैं अपना बड़ा लंड उसकी चूत में आसानी से उसके ऊपर आकर डाल सकता था मगर मैंने ऐसा किया नहीं। मैंने उसको पहले डॉगी स्टाइल में आने को कहा।
जब वह डॉगी स्टाइल में आयी तब उसे पीछे से पकड़ कर पीछे से आकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल दिया। फिर जोरदार चुदाई चालू हुई। उसके कूल्हों से मेरी जांघें जोर-जोर से टकराने लगीं जिसकी आवाज तो तुमने कमरे के बाहर भी सुनी होगी।
ऋतु- ओह बहनचोद … और जोर से आह्ह … बहनचोद …आहा आह आह आह आह। ऐसा लग रहा था जैसे कोई पोर्न फिल्म चल रही हो।
मैं उसको इतने जोरदार झटके दे रहा था तब भी उसको सब्र नहीं था। वह भी अपनी गांड मेरे लंड की दिशा में दबाकर जोरदार झटके दे रही थी। लंड की तरफ पीछे जोरदार झटकों से दबा रही थी। लगातार खुद को ठेल रही थी और खुद भी जोरदार झटके दे रही थी। फिर तेरी बहन झड़ गई।
मगर वो इतनी चुदक्कड़ है कि तू सोच भी नहीं सकता। उसकी चूत का झरना बहने के बाद भी उसका हौसला बुलंद था। उसने मुझे पीठ के बल लिटा लिया।
मुझे लिटाकर उसने मेरे खड़े लंड को अपनी चूत में ले लिया और इतनी जोरदार तरीके से चुदी कि दो बार झड़ गयी। फिर मैंने उसके ऊपर आकर उसको जबरदस्त तरीके से पेला; उसकी चूत को रौंद डाला मैंने! चूत की गर्मी सारी निकाल दी मैंने तेरी बहन की!
मेरे लंड को इतनी देर से अंदर खींच रही ऋतु अब मेरे झटकों को हाथों से रोकने लगी। मगर उसके बाद भी मैं उसको पेलता रहा। उसकी चूत को मैंने चोद चोदकर सुजा दिया। उसकी चूत पूरी लाल कर दी। फिर मेरे बिना कॉन्डम लगे लंड का लावा मैंने उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
अब तू खुद ही सोच ले कि तेरी बहन मुझ पर कितना मरती है और तू कह रहा है कि मैंने उसको फुसलाया है? मैं ऐसा क्यों करूंगा. वो खुद ही मेरे ऊपर इतना मरती है मुझे उसको फुसलाने की जरूरत ही नहीं है। रेशम बस उसकी बातें मूक बनकर सुनता चला जा रहा था।
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कॉलेज गर्ल की चूत की गर्मी कहानी का अगला भाग: शत्रुता का पहला दौर- 3
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