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फंक्शन के दिन देर सुबह मेरे पति हमारे बच्चे सहित मेरे पीहर पहुंच गए थे। सारा कार्यक्रम घर के पास पांच मिनट की दुरी पर एक कम्युनिटी हॉल में रखा गया था।
संजू भी शाम को फंक्शन में आने वाला था। मुझे डर था कि हमारे बीच उसके घर जो भी हुआ उसके बाद कही वो पति के सामने कोई ऐसी वैसी हरकत ना कर दे कि पति को शक हो जाए।
पापा और भैया नाश्ता करने के बाद ही कार्यक्रम स्थल पर व्यवस्था सँभालने के लिए चले गए।
बाकी हम सब लोग भी नाश्ते के बाद घर का काम निपटा कर नहा धो कर तैयार हो गए थे। पति चूँकि सफर से आये ही थे तो वो नहा कर नाश्ते के लिए आ गए।
मम्मी ने कहाँ कि हॉल में शाम की तैयारी में सहायता के लिए जाना हैं, तो एक जन दामादजी को नाश्ता कराने रुक जाओ बाकि सब चलते हैं।
मैंने कहा मैं रुक जाती हूँ। भाभी ने सुझाव दिया कि उन्हें वैसे भी बर्तन धोने बाकी हैं तो उनको रुकना ही पड़ेगा, तो वो मेरे पति को नाश्ता करवा देंगे और बाद में हॉल में ले आएंगे।
तो फिर मैं अपनी मम्मी और अपने और भैय्या के बच्चो के साथ हॉल की तरफ निकल पड़े।
पांच मिनट में हम वह पहुंच गए।
हॉल में पहुंचने पर याद आया मेरा मोबाइल तो घर पर ही छूट गया। मैं माँ को बोलकर फिर घर के लिए निकली। जाते वक़्त शायद हमने बाहर का दरवाज़ा लॉक नहीं किया था तो थोड़ा खुला ही था। मैं सीधा अंदर चली गयी।
डाइनिंग टेबल पर देखा तो पति नहीं थे। मैंने टेबल पर रखा मोबाइल उठाया। फिर उत्सुकतावश किचन की तरफ देखा, वहां भी भाभी नजर नहीं आये।
एक स्त्री होने के नाते दिमाग में कुछ खटका। मैंने देखा भैय्या के कमरे का दरवाज़ा बंद था, पर भैय्या तो कम्युनिटी हॉल में थे।
मैं अब धीरे धीरे भैया के कमरे की तरफ बढ़ी और दरवाज़े के बाहर खड़े होकर कान लगा सुनने की कोशिश करने लगी।
अंदर से रह रह के भाभी के खिलखिलाने की आवाज़ आ रही थी।
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मुझे शक हुआ कही मेरे पति भाभी के साथ अंदर तो नहीं। मैं थोड़ी देर के लिए अतीत में चली गयी।
मेरे पति मेरी भाभी को हमारी शादी के पहले से जानते थे, क्यों कि मेरे पति के बड़े चचेरे भाई की साली बाद में मेरी भाभी बनी थी।
हमारी शादी के पहले ही इन दोनों की अच्छी खासी बातें होती थी। पर पहले कभी मुझे शक नहीं हुआ था, क्योकि शादी के बाद से ही हम दूसरे शहर में रहते थे।
कमरे के अंदर से आती आवाज़ों से मैं बेचैन होने लगी। एक इच्छा हुई कि दरवाज़ा तोड़ के अंदर चली जाऊ और उनको रंगे हाथों पकड़ लु। फिर सोचा अगर अंदर गयी और कुछ नहीं निकला तो मेरी ही फजीहत हो जाएगी।
फिर मैंने फैसला किया कि मकान के साइड में इस कमरे की खिड़की हैं, वहां से झांक कर देखती हु, शायद कुछ दिख जाए।
मैं बाहर निकली और खिड़की के करीब पहुची।
अंदर झाँका तो कांच की खिड़की बंद थी, अंदर पर्दा लगा हुआ था और कुछ दिख नहीं रहा था। मैं थोड़ी निराश हुई कि अब क्या किया जाए।
मैं फिर घर के अंदर पहुंची। फिर मैंने देखा कि कमरे के दरवाज़े के ऊपर का रोशनदान खुला हैं।
मैंने अपने बैग से सेल्फी स्टिक निकाली और अपना मोबाइल उस पर लगा के वीडियो मोड चालू कर दिया। मैंने अपनी सेल्फी स्टिक पूरी लम्बी की और रोशनदान के वहां लगा दिया और अंदर का दृश्य देखने लगी।
मोबाइल से अंदर का नजारा देख कर मेरे होश उड़ गए।
मेरे पति मेरी भाभी के साथ बिस्तर पर थे और दोनों अर्धनग्न हालत में थे। भाभी नीचे लेटी थी और पति उनकी चूचियों को चुस रहे थे। मेरी हालत काटो तो खून नहीं वाली हो गयी।
थोड़ी देर तो कुछ सुझा ही नहीं। मेरा माथा ठनक गया, और लड़ाई के मोड में आ गयी। मगर फिर अपने किये हुए काण्ड याद आ गए। पति की पीठ पीछे मैंने भी तो ऐसा ही कुछ किया हैं। यहाँ तक कि एक काण्ड का तो गवाह भी हैं।
अगर किसी दिन पति को पता चल गया तो। फिर सोचा कभी पकड़ी गयी तो ये वीडियो मेरे काम आएगा पति को चुप कराने के लिए।
मैंने मन ही मन फैसला ले लिया था कि मुझे अभी कोई एक्शन नहीं लेना हैं। बस ये सबूत साथ रखना हैं समय आने पर काम आएगा।
इस बीच मेरी भाभी अब एक्शन मोड में थी और मेरे पति का लंड अपने मुँह में ले अपना हाथ उस पर घुमाते हुए मजे लेते हुए चूस रही थी। मुझसे देखा नहीं गया और बहुत जलन हुई।
मैंने अब वो सेल्फी स्टिक नीचे की और वीडियो बंद किया। फिर बाहर का दरवाज़ा धीरे से बंद कर वापिस हॉल की तरफ बढ़ी।
पुरे रास्ते कमरे के अंदर का दृश्य ही मेरी आँखों के सामने घूम रहा था। मेरे साथ मेरे भैया का घर भी बर्बाद हो रहा था। इसी चिंता के साथ मैं हॉल में दूसरे कामों को करने लगी।
आधे घंटे के बाद मेरे पति, भाभी के साथ हॉल में पहुंचे। दोनों के चेहरे की लाली देखते ही बनती थी। मुझे तो खैर पता था इस लाली का राज क्या हैं।
मैंने कई बार नोटिस किया कि काम के बीच बार बार नजरे बचा के वो दोनों एक दूसरे को शरारत भरी नजरो से देख रहे थे और हंस रहे थे।
कई बार मैं इधर उधर काम में व्यस्त होती और वो थोड़ी थोड़ी देर के लिए कही गायब भी हो जाते।
मैंने एक बार उनको फॉलो करने की सोची। पहले भाभी वहां से निकले और उसके कुछ सेकंड बाद पति उनके पीछे पीछे निकले। मैं चुपके से फॉलो करती हुई बाहर गयी।
हम निचली मंजिल पर थे, पर वो लोग दूसरी मंजिल के वाशरूम की तरफ गए थे। मैं भी छुपते हुए वहां पहुंची। वो दोनों एक ही वाशरूम में घुसे थे।
मैं बिना आवाज़ किये दरवाज़े के पास पहुंची। अंदर से फुसफुसाने की आवाज़ आ रही थी। भाभी की चूडियो के खनकने की आवाज़ तो कभी कपडे सरकने की आवाज़।
थोड़ी देर में चप चप की आवाज आने लगी, शायद ये चूचिया चूस रहे थे या भाभी उनका लंड। मैं मन मसौस कर रह गयी। गुस्सा कण्ट्रोल करना पड़ रहा था।
शायद अब तक जो मैंने पति को धोखे दिए हैं उनकी सजा इस तरह मिल रही थी। मैं यही सोचती रह गयी और अंदर से उनकी सिसकियों की आवाज़ शुरू हो गयी।
थोड़ी देर में मेरे गुस्से की जगह उनकी आवाज सुन कर मेरे को भी कुछ कुछ होने लगा। मैं अपने हाथों से अपने ही अंग दबाने लगी। काश अंदर भाभी की जगह मैं होती।
अंदर से अब जोर जोर की आवाजे आने लगी। भाभी कह रही थी अशोक धीरे धीरे करो मेरी जान निकल रही हैं, मेरी चीखें निकल रही हैं कोई सुन कर आ जायेगा।
पति हाँफते हुए बोले बाकी लोगो का काम नीचे हो रहा हैं, ऊपर सिर्फ हमारा काम हो रहा हैं, कोई नहीं आएगा।
भाभी की बीच बीच में हलकी चीखें निकल रही थी और पति तो सिसकिया भर रहे थे।
भाभी बोली तुम्हारे से करवाने का सबसे बड़ा फायदा हैं कि प्रोटेक्शन बीच में नहीं आता। तुमको कुदरत का वरदान हैं कितना भी करो लड़की माँ नहीं बन सकती।
ये बात सुनकर मैं सन्न रह गयी। मैंने और पति ने वादा किया था कि हम दोनों के अलावा ये राज किसी ओर को पता नहीं चलनी चाहिए। इसका मतलब भाभी को पता हैं कि मेरे बच्चे का बाप मेरा पति नहीं हैं।
ऐसी चीटिंग तो मैंने भी कभी नहीं की थी कि घर के राज बाहर बता दू।
थोड़ी ही देर में दोनों जोर की आवाजे निकालते हुए झड़ गए।
मैं तुरंत वहां से निकल फिर नीचे वाली मंजिल पर आ गयी और अपने कामो में लग गयी। थोड़ी देर में वो दोनों भी थोड़े थोड़े अंतराल पर वहां आ गए और इस तरह काम करने लगे जैसे कुछ हुआ ही न हो।
दिन भर मैं उनकी हरकतें इसी तरह झेलती रही। शाम को हम तैयार होने के लिए घर पर आ गये।
पति तो भाभी की ही खूबसूरती के पुल बांधे जा रहे थे, जैसे मैं तो वहां थी ही नहीं। देर शाम हम लोग तैयार हो कर हॉल में पहुंच गए इसके पहले की मेहमान आना शुरू ही जाये।
अब धीरे धीरे मेहमान आना शुरू हो गए थे और चहल पहल काफी बढ़ गयी थी। संजू भी आया था और बार बार मुझसे बात करने की कोशिश कर रहा था, पर दिन भर हुए काण्ड के बाद चिंता में डूबी मैंने उसको ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
बीच बीच में समय मिलते ही ये जरूर देख लेती कि पति और भाभी कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं। अधिकतर समय वो एक दूसरे के आस पास ही थे।
पार्टी परवान पर थी और माँ ने मुझसे कहा कि घर पर एक काम का बेग रह गया हैं तो उसको ले आ।
मैं चाबी लेकर हॉल से बाहर निकली। संजू भी मेरे पीछे पीछे आ गया। मुझसे बोलने लगा कि वो आज प्रोटेक्शन लेकर आया हैं।
मैंने उसको डांट दिया कि तो मैं क्या करू। उस दिन तुम्हारे घर पर जो भी हुआ जज्बात में हो गया, अब मुझसे फिर वही उम्मीद मत रखना। वो थोड़ा रुआंसा सा हो गया। पर सुबह से मेरी चिंता कुछ ओर थी।
संजू मेरे पीछे पीछे एक आस लिए घर तक आ गया। मैंने बाहर के दरवाजे का इनर लॉक खोला और घर में प्रवेश किया। भाभी के कमरे के आधे बंद दरवाजे से रोशनी आ रही थी।
मुझे झटका लगा कही मेरे पति और भाभी फिर से यहाँ आकर तो नहीं लग गए। मैंने संजू को इशारे से आवाज नहीं करने के लिए कहा।
हम दोनों दबे पाँव कमरे के दरवाजे के करीब पहुंचे और मैं आधे खुले दरवाजे से झाँकने लगी, संजू मेरे पीछे खड़ा हो देखने लगा।
जल्दबाजी में उन्होंने दरवाजा भी पूरा बंद नहीं किए था। दोनों शायद थोड़ी देर पहले ही पहुंचे थे, क्यों की मेरे पति मेरी भाभी की साड़ी पकड़ खींचते हुए उतार रहे थे।
संजू मेरा हाथ पकड़ कर बाहर आने का इशारा करने लगा। मैं उसके साथ बाहर आ गयी। उसको भी झटका लगा था। मेरे भैय्या का दोस्त था और मेरी भाभी को भी भाभी ही बुलाता था।
वो भाभी अभी मेरे पति के साथ इस हालत में थी। उसने कहाँ तुम्हारा रिएक्शन देख कर लगा तुम्हे पहले से अपने पति और भाभी के बारे में पता था।
मैंने कहा आज सुबह ही पता चला। उसने मेरा कंधा दबाते हुए मुझे सांत्वना दी। हम एक बार फिर दबे पाँव अंदर गए देखने लगे।
अब पति और भाभी के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। भाभी मेरे पति के ऊपर सवार होने की तैयारी में थी। उस पर बैठ कर उन्होंने पति का लंड अपनी चुत में घुसा दिया। वो ऊपर नीचे हरकत करते हुए मेरे पति को चोद रही थी।
संजू मेरे पीछे खड़ा था और थोड़ी ही देर में मुझसे चिपक गया। मैं अंदर का नजारा देखने में मग्न थी तो संजू पर ध्यान ही नहीं गया।
थोड़ी देर में वो मेरे पिछवाड़े पर रगड़ खाने लगा तो मेरा ध्यान गया। मुझे भी अंदर का नजारा देखने के बाद वो रगड़ अच्छी लग रही थी।
मेरे कुछ ना बोलने से उसके हौसले भी बढे और मेरी साडी नीचे से ऊपर उठा दी और मेरी पैंटी नीचे उतार कर मेरे नितंबो पर हाथ फेरने लगा।
मैंने उसको रोका और अपने कपडे सही किये और उसका हाथ पकड़ कर घर से बाहर ले आयी। आते वक़्त वो बैग भी साथ ले लिया जो माँ ने लाने को बोला था।
बाहर आकर मैंने उससे कहा, संजू मेरा एक काम करोगे।
उसने कहा बोलो क्या करना हैं।
मैंने उसको समझाया कि तुम्हे अंदर जाकर उन दोनों को रोकना हैं और उनको समझाना हैं कि वो जो कुछ भी कर रहे हैं वो गलत हैं। उनके दिमाग में ये बात अच्छे से बैठानी हैं कि आइन्दा वो लोग इस तरह का काम से तौबा कर ले।
मैंने उसको बताया कि ये काम मैं नहीं कर सकती, क्योंकि ये हम तीनो के लिए बहुत शर्मनाक होगा और एक दूसरे से शायद फिर कभी नजरे ना मिला पाए, इसलिए ये काम तो तुम्हे ही करना पड़ेगा।
संजू बोला ठीक हैं समझा दूंगा पर फिर तुम मुझे अपने साथ करने दोगी, मैं प्रोटेक्शन भी लाया हु।
मैंने उसको डांट दिया, मैं इतनी तनाव में हु और तुमको ये सब सूझ रहा हैं। हम अपना बाद में देखेंगे पहले तुम मेरा ये काम कर दो। मैं अभी वापस हॉल में जा रही हू, ये बैग देना हैं। तुम इन दोनों को हॉल में ले आना। और मेरे बारे में मत बताना कि मैं यहाँ आयी थी और इनको देख लिया था।
संजू ने आश्वस्त किया कि वो सब समझ गया हैं। संजू अब वापस घर के अंदर गया और मैं बैग लिए वापस हॉल की तरफ चली आयी।
पुरे रास्ते और हॉल में पहुंच कर भी मेरी चिंता घर पे क्या हो रहा होगा इस पर थी। मैं दो तीन मिनट से ज्यादा वहां ठहर नहीं पायी और एक बार फिर अपने घर की तरफ बढ़ गयी।
रास्ते में ध्यान रख रही थी कि कही वो लोग सामने से आते हुए ना मिल जाए, कोई बहाना भी सोचने लगी।
अब मैं घर पर पहुंच गयी। चाबी मेरे पास ही रह गयी थी तो डरते डरते धीरे से बाहर का दरवाजा खोला, अंदर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। पर अभी भी भाभी के कमरे के आधे खुले दरवाजे से रोशनी आ रही थी।
शायद वो लोग अभी भी अंदर ही थे। अंदर से कुछ आवाजे आ रही थी। मैं अंदर जाऊ या न जाऊ सोच में पड़ गयी कि कही पति और भाभी मुझे देख ना ले।
देसी कहानी पर आपके लिए बहुत सी हिन्दी पोर्न स्टोरी उपलभध है जिनका आप मजा ले सकते है!
फिर मैं हिम्मत करके कमरे के दरवाजे के पास पहुंची और अंदर झांकने लगी। अंदर का नजारा देख के मेरा सर चकरा गया। मेरी भाभी डॉगी बनी हुई थी और पीछे से संजू उनको चोद रहा था जब की उनके मुँह में मेरे पति अपना लंड घुसाए उनका मुँह चोद रहे थे।
मैंने संजू को किस काम के लिए भेजा और वो क्या कर रहा था। जिस संजू को रखवाली के लिए भेजा था वो ही तिजोरी में सेंध मार रहा था।
भाभी और पति ने मिलकर इस संजू को भी पटा लिया था या फिर संजू ने ही इन दोनों की मज़बूरी का फायदा उठाते हुए उनको ब्लैकमेल किया होगा।
संजू मेरे साथ करने के लिए जो कंडोम लाया था उसका अब वो इस्तेमाल कर रहा था। शायद मेरी ही गलती थी, मैंने ही उसको अपने साथ करने को ना बोला था, इसलिए उसको जैसे ही मौका मिला दूसरे के साथ हो लिया।
मेरी भाभी आगे पीछे दोनों छेदो में चुदवा रही थी और कही ना कही मैं भी इसकी जिम्मेदार थी, ना मैं संजू को भेजती ना भाभी फंसती।
संजू पीछे से भाभी को इतने जोर के झटके मार रहा था कि पति को कुछ करने की जरुरत ही नहीं थी, भाभी का मुँह उन झटको की वजह से अपने आप आगे पीछे होते हुए चुद रहा था।
अभी तो मैं अंदर जाकर उनको डांट कर रोक भी नहीं सकती थी, क्योंकि संजू बोल सकता था कि मैं उनको थोड़ी देर पहले ही देख कर जा चुकी हु, और मैंने ही संजू को अंदर भेजा था। मैं खुद फंस सकती थी। उससे भी बड़ी बात संजू मेरा वो भेद खोल सकता था जो हम दोनों के बीच उसके घर पर हुआ था।
मैंने चुप चाप रह कर देखते रहने का फैसला किया ताकि पता तो चले मेरे जाने के बाद इनके बीच क्या सौदा हुआ हैं।
थोड़ी देर के बाद उन्होंने पोजीशन चेंज की। पति नीचे लेट लेट गए और भाभी उनके ऊपर पेट के बल। पति ने अपना लंड भाभी की चुत में घुसा दिया। ऊपर से संजू भाभी के ऊपर लेट गया।
दो भूरी चमड़ियो वाले मर्दो के बीच भाभी का गौरा जिस्म ऐसा लग रहा था, जैसे ब्राउन ब्रेड के बीच चीस रख दिया हो। भाभी अब सैंडविच बंद चुकी थी।
संजू अब अपना लंड भी भाभी की चुत में घुसाने की कोशिश करने लगा जहां पहले से पति का लंड घुसा हुआ था।
थोड़ी देर वो संघर्ष करता रहा और अंत में उसने थोड़ा बहुत अंदर घुसा ही दिया। भाभी तो दर्द के मारे चीखने लगी। मुझे उन पर बहुत दया आयी। इस सब की जिम्मेदार शायद मैं ही थी।
एक मेरा पति और दूसरा मेरा पहला प्यार, दोनों ही आज मेरी भाभी के साथ लगे हुए थे। कही ना कही दोनों ही मुझे धोखा दे रहे थे। देखा जाए तो मेरा पहला प्यार, मेरे पति के पहले प्यार को चोद रहा था।
फिलहाल संजू का ज्यादा देर भाभी के अंदर टिका नहीं और उसने बाहर निकाल दिया। अब उसने भाभी के पीछे वाले छेद में अपना लंड घुसा दिया। भाभी एक बार फिर चीख पड़ी। अब उनके दोनों छेद लंड से भर गए थे।
भाभी अब जोर जोर की आवाजे निकलते हुए मस्त चुदवा रही थी। मुझे जो दर्द की चीखें लग रही थी वो दरअसल मजे की थी, क्यों कि भाभी उन दोनों को जोर से झटके मारने को बोल रही थी।
भाभी का ऐसा रूप होगा ऐसा तो कभी सोचा न था। काश उनकी जगह मैं होती, एक छेद में मेरा पति तो दूसरे में मेरा पहला प्यार, कितना मजा आता। उन लोगो को मजा लेते हुए देख मेरी भी इच्छा होने लगी, पर कुछ कर नहीं सकती थी।
कमरे में उन तीनो की आवाजे गूंजने लगी। भाभी ने दोनों को बोला एक साथ झटका मारो। दोनों ने ऐसा ही किया। हर झटके साथ तीनो की एक सुर में आह निकलने लगी।
इस तरह का ट्रिपल मजा मैंने कभी जिंदगी में नहीं देखा था। ये सब देख मेरी तो पैंटी गीली हो गयी। उस वक़्त वहां कोई ओर होता तो शायद मैं खड़े खड़े ही चुदवा लेती।
इतनी देर तक चोदते और चुदवाते तीनो ही हांफने लगे, पर उनको मजा ही इतना आ रहा था, कि वो छोड़ने को ही तैयार नहीं थे।
संजू ने पति को बोला अब में आगे से मारता हु और तुम पीछे से आओ, तुमने वैसे भी प्रोटेक्शन नहीं पहना हैं तो इसको कुछ हो जायेगा। पति अपना राज तो खोल नहीं सकते थे तो वो मान गए।
संजू पीछे हटा और भाभी को पति के ऊपर पीठ के बल लेटा दिया। पहले पति ने अपना लंड भाभी की गांड में घुसा दिया और फिर संजू भाभी की टाँगे चौड़ा कर बीच में बैठ गया।
उसने अब अपना लंड पकड़ कर भाभी की चुत में घुसा दिया। एक बार फिर झटको पे झटके लगने शुरू हो गए। भाभी चिल्लाये जा रही थी और दोनों मर्द बिना रहम किये ओर जोर से झटके मारने लगे।
मुझे डर लगा कही आज भाभी के दोनों छेद फट ही ना जाए।
संजू चोदते हुए बोल रहा था, बहुत दिंनो से तेरी चुत मारने का मन था आज जाके पकड़ में आयी हैं। आज तो फाड़ के रख दूंगा।
भाभी भी नशे में आ गयी थी और बेशर्मी से बोली फाड़ डालो मैं भी देखु कितना जोर हैं तुम में।
पति ने अब चोदना बंद कर दिया था, शायद इतनी आवाजों में पता ही नहीं चला कब वो झड़ गए।
थोड़ी देर में संजू और भाभी के बीच बात गन्दी बातें शुरू हो गयी।
भाभी बोली चोद दे मुझको संजू जोर से चोद।
संजू और तेजी से करते हुए बोलता ले ले अपनी चुत में मेरा सब माल।
थोड़ी देर में भाभी चिल्लाते हुए झड़ गयी और उसके बाद संजू भी कपकपाते हुए झड़ गया।
काम ख़त्म कर तीनो नंगे ही बिस्तर पे आस पास लेटे थे। भाभी के पाँव दरवाजे की तरफ थे और टाँगे खुली थी।
मैं उनके दोनों छेद देख पा रही थी जहां केले की मोटाई जितनी आकार की गुफा सी बन गयी थी। दोनों छेदो से पानी रिस रहा था।
मैं अब उनकी बातें सुनने लगी।
भाभी ने कहाँ कि कल रात को अशोक अपने शहर के लिए निकल जाएगा, उसके पहले दिन का कही प्रोग्राम बनाते हैं, वैसे भी मेरे पति तो कल काम पर जाने वाले हैं।
मेरे पति ने बोला मुश्किल हैं मेरी वाइफ का क्या करेंगे। तीनो अगले दिन का प्लान बना रहे थे, और मैं बाहर खड़ी हो सुनती रही।
मेरी हिन्दी पोर्न स्टोरी के अगले भाग में पढ़िए उनका प्लान क्या था।
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