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मेरी पिछली देसी हिन्दी सेक्सी स्टोरी में आपने पढ़ा था कि कार में सेक्स करने के बाद मैं पकड़ी गयी थी। हालांकि वो बात इज्जत के डर से बाहर नहीं आ पायी, पर अब मेरा ससुराल वाले पुश्तैनी घर में जाना मुश्किल हो गया कि कही मौसी या प्रशांत से फिर सामना ना हो जाए।
खैर इस बात को अब कुछ समय बीत गया था। इस बीच अब ससुराल में बार बार जाने के बजाय मैंने पति को बोल कर सासुमां को ही हमारे साथ रहने के लिए बुला लिया था।
इससे दो फायदे हुए, एक तो सास को मौसी से दूर कर दिया ताकि भांडा ना फूटे और मेरे वहां ना जाने से उनको उस काण्ड की याद भी नहीं आएगी। एक दिन मेरी माँ का फ़ोन आया कि घर में कुछ फंक्शन रखा हैं तो हो सके तो कुछ दिन पहले ही आ जाना, घर में इतने काम रहेंगे तो मदद हो जाएगी।
मैंने पति और सास से बात की और ये फैसला किया की बाकी लोग फंक्शन वाले दिन आ जायेंगे, पर मैं कुछ दिन पहले जाकर उनकी मदद कर दू। मैं अपने मायके पहुंच गयी। मेरे पापा, मम्मी भैया और भाभी ने काफी काम पहले ही बाँट रखे थे। सबसे पहला काम था लोगो को निमंत्रण देना।
हमने इलाको के हिसाब से मेहमानो की तीन लिस्ट बना ली, एक लिस्ट पापा को, दूसरी भैया भाभी को तो तीसरी मेरे और मम्मी के हिस्से आयी जहाँ हमें निमंत्रण देने जाना था।
हमारी लिस्ट में वो एरिया था जो नया नया बसा था, जहां हमारे कुछ रिश्तेदार कुछ समय पहले ही शिफ्ट हुए थे। मुझे और मम्मी को उस एरिया के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
परंतु उस एरिया के पास मुख्य सड़क पर मेरी मम्मी की सहेली सुधा आंटी रहती थी, जिनके घर मम्मी पहले जा चुकी थी। चूँकि वो उसी एरिया के पास रहती हैं तो उनको वहां की पूरी जानकारी हैं, कौन कहाँ रहता हैं।
निमंत्रण तो उनको भी देना ही था, तो ये तय किया की पहले उनके घर जाएंगे और फिर उनकी मदद से बाकी लोगो को भी निमंत्रण दे देंगे।
पहले सुधा आंटी हमारे घर के पास में ही रहते थे, इसी वजह से मेरी मम्मी और उनकी दोस्ती हुई थी। दोनों पक्की सहेलिया थी तो एक दूसरे के घर काफी आना जाना था तो हम बच्चे लोग भी अच्छे से जानते थे। कुछ सालो पहले ही वो अपने इस नए घर में रहने को आये थे।
अगले दिन दोपहर से पहले मैं और मम्मी भाभी की स्कूटी लेकर सुधा आंटी के वहां पहुंच गए। मैं उस एरिया में काफी सालों बाद आयी थी, तो सब कुछ बदला बदला सा लगा।
मम्मी भी काफी समय से नहीं आयी थी, तो वो भी थोड़ा कंफ्यूज थी नयी नयी गलियों की वजह से। पर सुधा आंटी का घर मुख्य सड़क पर था तो ज्यादा मुश्किल नहीं हुई।
उन्होंने हमारा स्वागत किया और बहुत अच्छे से आवभगत की। मुझसे वो काफी समय बाद मिल रही थी तो मेरी खैर खबर ली। उन्होंने मम्मी को अपनी अपडेट भी दी कि वो जल्द ही दादी बनाने वाली हैं, उनकी बहु बच्चे की डिलीवरी के लिए 2 महीनो से पीहर गयी हुई हैं।
हमने उनको फंक्शन में आने का निमंत्रण दिया और फिर अपनी समस्या बताई की उनकी मदद चाहिए। उनको लिस्ट दिखाई तो उन्होंने कहाँ ये सब लोग यहाँ आस पास ही रहते हैं मैं आपको ले चलती हूँ वहां।
तभी उन्होंने कहाँ कि मैं पहले संजू को फ़ोन कर देती हूँ, वो दूकान से लंच के लिए इसी समय आता हैं। उसको थोड़ा थोड़ा लेट आने को बोल देती हूँ। वो फ़ोन कर ही रहे थे कि डोरबेल बजी। उन्होंने दरवाज़ा खोला तो संजू ही था।
संजू सुधा आंटी का लड़का था जिसकी बीवी डिलीवरी के लिए उसके मायके गयी हुई थी। संजू मेरे भैया का दोस्त भी था। क्यों कि पहले पडोसी थे और दोनों की मम्मिया पक्की सहेली थी तो उनके बच्चे भी आपस में दोस्त बन गए।
जब मैं छोटी थी और स्कूल में पढ़ती थी तो संजू के साथ खेला करती थी। पर जैसे जैसे उम्र बढ़ी लड़का लड़की में फ़र्क़ पता चला तो खेलना छूट गया और शर्म आने लगी। हालांकि संजू मेरे भैया का दोस्त था तो हमारे घर कभी कभार आता रहता था।
संजू ने अंदर आकर मेरी माँ के पाँव छुए और मुझसे हाय हेलो हुआ। आंटी ने संजू को पूरी बताई कि वो उसी को फ़ोन कर रहे थे। अब तुम आ ही गए हो तो पहले तुम्हारे लिए खाना बना देती हूँ, सब्जी तैयार हैं सिर्फ गरम करनी हैं और आटा गुंथा हुआ हैं सिर्फ रोटी डालनी हैं।
अब मेरी मम्मी ने बीच में अड़ंगा लगा दिया, वो बोली अरे संजू के लिए खाना तो मेरी बेटी बना लेगी, तब तक हम दोनों जाकर वो निमंत्रण का काम कर आते हैं।
मैंने अपनी अपनी मम्मी को घूरते हुए गुस्से से देखा कि वो कहाँ फंसा रही हैं। मम्मी ने तुरंत मेरा चेहरा पढ़ लिया और बोली बना ले वरना तो हम लेट हो जायेंगे, घर पर ओर भी काम पड़े हैं।
आंटी खुश हुए कि चलो आज खाना बनाने से छुट्टी और मम्मी खुश की समय बच जाएगा। मम्मी बोली हम आधे घंटे के अंदर आ जाएंगे निमंत्रण देके, जैसे उनको उस एरिया की पूरी जानकारी हो।
आंटी बोले चलो मैं तुमको किचन में सब सामान कहाँ पड़ा हैं बता देती हूँ। अब बीच में कूदने की बारी संजू की थी। वो बोला आप चिंता मत करो मम्मी मैं बता दूंगा सामान कहाँ पड़ा हैं मुझे पता हैं।
मम्मी और आंटी अब बाहर निकल पड़े। मैं उनको देखती ही रह गयी जब तक कि दरवाज़ा बंद नहीं हो गया।
संजू बोला आओ मैं तुम्हे बता देता हूँ सामान कहाँ हैं। किचन में ले जाकर बोला ये किचन हैं। मैंने सोचा बोल दूं कि मुझे भी दिख रहा हैं ये किचन हैं। उसने अब चकला, बेलन, लाइटर वगैरह सब सामान बताये।
उसने अब एप्रन लाकर दिया ताकि मेरी साड़ी खराब ना हो जाये। वो वही पीछे खड़ा रहा और मैंने रोटी बनाना शुरू किया।
मैंने पूछा कितनी रोटी बनाऊ? तो उसने लापरवाही से कहाँ जितनी प्यार से खिला सको उतनी बना दो।
बचपन में उसके साथ खेलते वक्त वो हमेशा मुझसे जीतता था और फिर बहुत चिढ़ाता था, तो उसपर गुस्सा भी आता था। और अब उसकी इस बात पर गुस्सा आया।
उसने आगे कहाँ कि तुम्हारी साइज के हिसाब से बताता हूँ। मैंने सोचा क्या मतलब था उसका, मैं तो ठहरी एक दुबली पतली लड़की तो फिर किस साइज की बात कर रहा था। मेरे सिर्फ स्तन और कूल्हे ही थोड़े बड़े थे।
पर उसने बात संभालते हुए बताया कि वो रोटी की साइज की बात कर रहा हैं। पहली बेली रोटी के आधार पर उसने चार रोटियों की फरमाइश की।
अगर अपने मेरी पिछली देसी हिन्दी सेक्सी स्टोरी “बेगानी शादी में सुहागरात मेरी” नहीं पढ़ी तो उसे जरुर पढ़िए।
उसने आगे बात करना जारी रखते हुए पूछा, तुम्हे पता हैं मेरी मम्मी मेरे लिए तुम्हारा हाथ मांगने आयी थी और तुम्हारी मम्मी ने ये कहते हुए मना कर दिया था, कि इतने पास में शादी नहीं करनी वरना झगडे ज्यादा होते हैं।
मुझे याद हैं जब मैं हाई स्कूल में थी तब एक बार मेरी मम्मी मेरे पापा से ये बात कर रही थी। मैं तो इतनी बड़ी थी नहीं कि उन बातों में कोई दिलचस्पी दिखाती। वैसे भी मेरे घर वालो ने मना कर दिया था।
मैंने संजू को जवाब दिया, हां याद हैं, मेरी मम्मी पापा से बात कर रही थी और यही कारण दिया था। मैंने पूछा तुम्हे पता था?
वो बोला मैंने ही तो भेजा था उनको। मैं चुप हो गयी।
संजू ने पूछा अगर तुम्हारी मम्मी तुमसे राय मांगती तो तुम क्या कहती?
मैंने कहा पता नहीं, मैं तो छोटी थी, पढाई करनी थी तो शायद ना ही बोलती।
संजू ने पूछा अच्छा अगर ये सवाल तुम्हारे कॉलेज ख़त्म होने के बाद पूछा होता तो तुम क्या बोलती?
अब मैं असमंजस में पड़ गयी। अगर ना बोलती, तो कारण क्या बताती, अगर हां बोलू तो पता नहीं मेरे बारे में क्या सोचेगा।
सच्चाई तो ये थी की जब मैंने मेरे मम्मी पापा को उस ऑफर के बारे में बात करते सुना था तो मैं शर्मा गयी थी। उसके बाद जब भी वो हमारे घर आता था तो उसको देख कर मैं सामने जाने से कतराती थी पर छुप कर जरूर देखती थी।
शायद मन ही मन उसको अपना मंगेतर मान लिया था, जब तक कि कुछ सालों बाद मेरी सच मैं मेरे पति के साथ सगाई नहीं हो गयी थी।
फिलहाल मैंने सोचा उसका दिल क्या दुखाना सच तो खैर यही हैं, इसलिए मैंने जवाब दिया कि हां कह देती, ऐसा कुछ ना कहने के लिए था ही नहीं।
संजू बोला मैं तुम्हारे भैया से मिलने तुम्हारे घर आता था, असल में मैं इसलिए आता था कि इस बहाने से तुम्हे देखने का मौका मिल जाता था। कभी कभार तुमसे बात हो जाती तो आवाज सुनने को भी मिल जाती थी।
वो एक के बाद एक ऐसे राज बता रहा था और मुझे भी कुरेद कर मेरे दिल को टटोल रहा था।
उसने कहा कि स्कूल कॉलेज के समय से लेकर अब तक तुम काफी बदल गयी हो।
उसने पूछा एक बात बताउ, बुरा तो नहीं मानोगी?
मैंने कहा मैं अब पांच सात साल उम्र में ज्यादा हो गयी होंगी ओर क्या।
वो बोला नहीं, तुम पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गयी हो। पहले सलवार कुर्ता पहनती थी और अब साड़ी, जिससे तुम्हारी पतली सेक्सी कमर अब अच्छे से दिखती हैं।
अपनी तारीफ़ सुन मैंने अपनी हंसी अंदर ही दबा ली और शर्मा गयी। उसने तारीफ़ जारी रखी, पहले तुम्हारे सीने का हल्का उभार था अब इतना ज्यादा कि अच्छी अच्छी हीरोइने भी देख कर शर्मा जाए।
तुम्हारे ब्लाउज के पीछे के जालीदार हिस्से से झांकती तुम्हारी पीठ की स्किन पहले नहीं दिखती थी अब दिखती है। और तुम्हारे…
मैंने उसको बीच में ही टोंकते हुए कहा बस बहुत हुई तारीफ़।
खाना तैयार था तो मैंने उसको थाली में लगा दिया उसको खाने के लिए बोल दिया। एप्रन निकाल कर रख दिया और बाहर जाने लगी।
उसने मुझे रोकना चाहा और कहा कि वो मेरे प्यार में पागल था। मैंने वहां से जाना ही ठीक समझा और बिना रुके उसके सामने से होते हुए निकलने लगी।
पर उसने पीछे से मेरे साड़ी का पल्लू पकड़ लिया था। जैसे ही मैं तेजी से आगे बढ़ी तो पल्लू खिंच गया और कंधे पर साड़ी और ब्लाउज पर लगी पिन की वजह से मेरा ब्लाउज कंधे से नीचे खिसक गया। फिर झटके से पिन भी निकल गयी और शरीर के ऊपरी भाग से साड़ी नीचे गिर गयी।
मेरी ब्रा का एक स्ट्रेप दिखने लगा और एक कंधा भी नंगा हो गया था। मेरे पेट से लेकर ऊपर के हिस्से में सिर्फ एक ब्लाउज ही बचा था। मैंने तुरंत पल्लू पकड़ा और अपनी तरफ खिंचा।
संजू अब पल्लू को अपनी कलाई पर लपेटता हुआ मेरे नजदीक आ गया। पास आते ही उसने मेरा नीचे खिसका हुआ ब्लाउज फिर से कंधे पर चढ़ा दिया। फिर उसने मेरा पल्लू भी छोड़ दिया।
मैंने फिर से पल्लू अपने ऊपर डाला और किचन के बाहर आ गयी।
वो भी मेरे पीछे पीछे बाहर आया और कहने लगा मैं अब भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूँ।
उसने मुझसे पूछा क्या तुम्हे भी मुझसे कभी प्यार रहा हैं।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
वह ऊपर सीढ़ियों पर चढ़ने लगा और कहा, मैं ऊपर अपने कमरे में जा रहा हूँ, अगर तुम्हे मुझसे कभी भी थोड़ा सा भी प्यार रहा हो तो ऊपर आ जाना। मैं अब नीचे आके तुम्हे ओर परेशान नहीं करूँगा।
संजू सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर जा चूका था। मैं वही दो मिनट खड़ी रही और सोचने लगी।
दिमाग कह रहा था अब कोई मतलब नहीं, इससे किसी का भी भला नहीं होने वाला। पर दिल कह रहा था कि थोड़े समय के लिए ही सही मुझे उससे प्यार और आकर्षण तो रहा था।
मैं इसी दुविधा में थी कि क्या करना चाहिए और मेरे कदम खुद-ब-खुद सीढ़ियां चढ़ रहे थे।
थोड़ी ही देर में मैं ऊपर पहुंच उसके कमरे के दरवाज़े के बाहर खड़ी थी। अंदर झाँका तो वो मेरी तरफ पीठ कर खिड़की से बाहर देख रहा था।
मैंने कमरे में प्रवेश किया और हाथ हिलने से मेरी चूड़ियाँ बज उठी। आवाज़ सुनते ही वो ख़ुशी से पलटा। मेरी करीब आया और कहने लगा मुझे पता था तुम जरूर आओगी।
उसने आगे बढ़ कर मुझे अपने सीने से लगा लिया।
मैं उसकी बाहों में जैसे पिघल रही थी। उसका हाथों की उंगलिया मेरे ब्लाउज की जालीनुमा डिज़ाइन से मेरे पीठ को छू रही था। मेरे वक्ष उसके सीने से थोड़ा दब से गए थे। अब मैंने भी अपने हाथ उसकी भुजाओ के अंदर डालते हुए पीछे से उसके कंधे पकड़ लिए।
कुछ मिनटों तक हम यही अहसास करते रहे कि पहले पहले पुराने प्यार की बाहों में कैसा सकून मिलता हैं। जब ये अहसास हुआ की ये सपना नहीं सच हैं तो हमने एक दूंसरे से गले लगना छोड़ा और अनायास ही हमारे होंठ एक दूंसरे के होठों की तरफ बढे और छू गए।
एक दूंजे के मुलायम होठों को छूते ही दोनों को एक झटका सा लगा और हम थोड़ा पीछे हट गए। फिर एक अल्पविराम के बाद दोनों के होंठ एक बार फिर मिले और इस बार एक दूंसरे का रस चूसने का मजा लिए बिना नहीं हटे।
कुछ सेकंड तक तो हमें होशो हवास ही नहीं रहा। जैसे तीन दिन के भूखे खाने पे टूट पड़ते हैं, वैसे ही हम एक दूंसरे के होंठों को दबा दबा के चूस रहे थे। जब हम दोनों का पेट भर गया तो एक दूंसरे को छोड़ा।
यह देसी हिन्दी सेक्सी स्टोरी आगे जारी रहेगी, तब तक आपको अब तक की कहानी कैसी लगी? ये निचे कमेंट्स में लिखना मत भूलियेगा।
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