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मेरा नाम तमन्ना है, मेरी बड़ी सगी बहन का नाम वीणा है। मैं और मेरी बहन दोनों पक्की सहेलियों की तरह रहती हैं। किन्तु जब बड़ी हुई तो दोनों के अपने बाय फ्रेंड्स भी बन गए। मेरा बॉयफ़्रेंड मेरी ही जाति का था और उसका दूसरी जाति से था। हम दोनों बहनें एक दूसरी की सहायता करती और दोनों जवानी का मजा लेने लगी।
एक दिन मेरी बहन ने कहा- आज मम्मी और डैडी नहीं रहेंगे। तू कॉलेज चली जाना.. और मैं घर में रहूँगी।
मुझे पता था कि उसका बॉयफ़्रेंड जरूर उससे मिलने आएगा। मैं उस दिन समय से पहले घर आ गई और मैंने उनको दोनों को प्यार करते देख लिया। वो गुस्से से तिलमिलाने लगी और मुझसे किसी को ये बात नहीं बताने को बोलने लगी.. मैं मान गई।
मगर कुछ दिनों बाद मैं अपने घर में मेरे बॉयफ़्रेंड के घर वालों को अपने घर में देख सकपका गई। माँ ने कहा- देख.. लड़के वाले आए हैं तेरी बहन को देखने!
मैंने देखा कि जिस लड़के को मैं चाहती हूँ.. उसका रिश्ता मेरी बड़ी बहन से हो रहा था। मैं रो पड़ी और अपने कमरे में चली गई।
मैं अपनी बहन से नाराज़ थी कि उसको सब कुछ मालूम होने के बाद भी उसने इस रिश्ते के लिए ‘हाँ’ कैसे कर दी। मैंने इस बारे में अपने बॉयफ़्रेंड से बात की तो उसने भी कह दिया कि वो अपने घर वालों की बात नहीं काट सकता है। इस बात को लेकर मैंने उससे बात करना बंद कर दी।
कुछ समय बाद उन दोनों की शादी हो गई और वो दोनों मेरे घर में ही मेरे सामने प्यार करने लगे। मैं उनको देख कर टूट गई और चुपचाप रहने लगी। मेरे वो अब मेरे जीजा जी हो चुके थे।
एक साल बाद दीदी को बच्चा होने वाला था, माँ ने मुझे उनकी देखभाल के लिए उनके यहाँ रहने भेज दिया। मैं सब कुछ भूल कर उनको सहयोग करने लगी.. क्योंकि वो मेरे परिवार के लोग थे। हालांकि अब भी मैं कुछ नहीं भूल पाई थी। जब-जब वो प्यार करते.. तो मैं उनको देख कर रो पड़ती।
एक दिन जीजा जी बाहर गए थे तो मैंने देखा कि मेरे दीदी का बॉयफ़्रेंड वहीं से गुजर रहा था। मैं दौड़कर उसके पास गई और अपने दीदी के घर ले आई।
मैं उसे बैठा कर दूसरे कमरे से अपनी दीदी को भेज दिया और मैंने देखा वो उसको देखते ही उसे अपने गले से लगा लिया और रोने लगी- मुझे माफ कर दो.. मैंने तुम्हें धोखा दिया है। यह कह कर दीदी ने उसको अपने गले से लगा कर चूम लिया।
मैं उसे देख रही थी, वो उसे किस करने लगीं और वो भी दीदी को किस करने लगा। साथ ही वो दीदी के चूचों पर भी हाथ फेर रहा था।
मैं यह कहते हुए बाहर आ गई कि तुम दोनों बैठो.. मैं बाज़ार से सामान लेकर आती हूँ। मैं जानबूझ कर निकल पड़ी।
मैं कुछ देर बाद पीछे के दरवाजे से अन्दर आ गई और उनके प्यार को देखने लगी। मैंने उन दोनों की हरकतों का वीडियो अपने मोबाइल से बना लिया।
कुछ देर दीदी से सेक्स करने बाद वो घर से चला गया। फिर दीदी ने देखा और मुझे अपने गले लगा लिया। ‘थैंक्स छोटी.. आज बहुत मजा आया।’ मैं मुस्करा दी और उन दोनों की क्लिप दिखा दी।
दीदी के पैरों तले जमीन खसक चुकी थी, वो हाथ जोड़ कर विनती करने लगीं- अपने मोबाइल से मूवी को मिटा दो। मैंने कहा- ठीक है.. बाद में कर दूँगी। यह कह कर मैं अपने कमरे में चली गई।
रात को दीदी और जीजा जी सोने लगे, मैं पास के कमरे में लेटी हुई उनकी बातें सुनने लगी। दीदी ने कहा- यार आज मूड नहीं है.. आज मैं तुम्हें नहीं दे सकती। वो मायूस हो चुके थे।
फिर जीजा जी ने कहा- मुझे आज ही चुदाई करना है। वो बोली- मैं थक चुकी हूँ.. समझे मैं नहीं करूँगी.. और तुम कहीं भी मुँह मारो.. मुझे कोई एतराज़ नहीं.. समझे!
जीजा ने गुस्से में दीदी को छोड़कर बाहर कमरे से निकाल कर बरामदे में सोफ़े में बैठ गए। दीदी सो गईं।
एक घंटे बाद मैं बाहर आई तो वो बाहर ही बैठे थे। बाहर ठंड लग रही थी। वो एक चादर को ओढ़ कर बैठे थे। मैं उनके पास गई तो वो बोले- सोई नहीं? ‘नहीं.. नींद नहीं आ रही है और आप?’ ‘मैं ऐसे ही बाहर आ गया।’ ‘मैं आपके पास बैठ जाऊँ?’ ‘क्यों नहीं..’
उन्होंने मुझे अपने पास बैठने दिया और मैं ठंड से लगने का बहाना करने लगी। वो बोले- चादर के अन्दर आ जाओ। उन्होंने मुझे अपनी चादर में ले लिया, मैं अपने सर को उनके पैरों में रख कर सोने लगी। वो मेरे बालों से खेल रहे थे, मैं अपने हाथों को उनके लंड के ऊपर रख कर सोने लगी।
धीरे-धीरे वो अब अपने हाथों को मेरे गालों में फेरने लगे। मैं शांत होकर उनके प्यार का मज़ा लेने लगी। जैसे ही हाथ उनके मेरे स्तनों में लगे.. मेरे पैर फैलने लगे। उनका एक हाथ मेरे चूचों पर आ गया और वे मुझे सहलाने लगे और साथ ही उनका दूसरा हाथ मेरे पेट से होकर चूत पर चला गया। वो चड्डी के ऊपर से चूत को उंगली से सहलाने लगे।
मैंने भी अब अपने मुँह को उनके लंड के ऊपर रख दिया। लंड कड़ा और लंबा होने लगा और धीरे-धीरे मेरे हाथ पेंट की चैन को खोलकर लंड बाहर निकालने लगे। हम दोनों ही बोल कुछ नहीं रहे थे, बस एक-दूसरे की जरूरत को पूरा करने में लगे हुए थे।
मैंने लंड बाहर कर लिया और धीरे-धीरे जीभ उस पर फेरने लगी। उन्होंने मस्त हो कर लंड मेरे मुँह में दे दिया और मैं प्यार से लंड चूसने लगी। वो अपने हाथों को मेरी चड्डी के अन्दर करके मेरी चूत में उंगली पेल कर ‘फिंगर फक’ की चुदाई का आनन्द लेने लगे। लंड और चूत दोनों गीले होने लगे।
जैसे-जैसे वो मेरी चूत में उंगली को तेजी से अन्दर-बाहर करते.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं और जोरों से लंड पीने लगती।
हम दोनों गर्म हो चुके थे, दोनों को एक दूसरे के जरूरतों को पूरा करना था, मैं उठी और उनकी पैंट को नीचे खिसका कर लंड को बाहर निकाल लिया।
अब मैंने पोजीशन बनाई और उनके लंड को चूत में अन्दर डाल कर उनकी गोद में बैठ गई। वो धीरे-धीरे शॉट लगाने लगे। मैं मस्त होकर उनके गले से लग कर लंड पर कूदने लगी और सेक्स का मज़ा लेने लगी। फिर उन्होंने मुझे खड़ा कर दिया और पीछे खड़े होकर मुझे झुकाने लगे। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने कहा- ऐसे नहीं.. दर्द होगा। वो बोल पड़े- मजा भी तो इसी में है.. देखना दर्द नहीं होगा।
उनके लंड का सुपारा कब मेरी चूत में अन्दर घुस गया.. पता ही नहीं चला। उन्होंने मुझे झुका कर मेरी चूत में पूरा लंड दे मारा.. और स्पीड से चुदाई करने लगे मैं पत्ते की तरह काँपने लगी और वो हिलने लगे।
तभी वो एकाएक अपना माल मेरे अन्दर छोड़ने लगे और मैं भी उनसे चिपक कर माल गिराने लगी। मज़ा बहुत आया।
हम दोनों ने उस रात 2 बार चुदाई की। दीदी के उठने के पहले तक चुदाई का काम खत्म हो चुका था।
आपको मेरी आपबीती कैसी लगी.. प्लीज़ बताना जरूर। [email protected]
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