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हैलो, मैं राज गुजरात के एक छोटे से शहर से हूँ। मेरी शादी को 8 साल हो चुके हैं और मैं दो बच्चों का बाप हूँ। वैसे तो मैं अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट हूँ.. पर हमारे दूसरे बच्चे के आने के बाद मेरी वाईफ मुझे महीने में 1 या 2 बार ही सेक्स करने देती है।
मैं करीबन 5-6 सालों से अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ रहा हूँ और इसकी कहानियों के जैसे चुदाई करने के ख्वाब देखता हूँ। जैसे कि नौकरानी के साथ चुदाई, पड़ोस की भाभी या आंटी के साथ संसर्ग या सफ़र में किसी अजनबी महिला के साथ मस्त चुदाई का मौका और ऐसी कई सारी कल्पनाओं में डूबा रहता हूँ।
वैसे मैंने कई बार औरतों से तालुक्कात बनाने की कोशिश भी की, उसके लिए कई डेटिंग साइट्स, फेसबुक, ट्विटर इत्यादि को ट्राई किया.. मगर हर बार नाकामयाबी मिली.. और ख्वाब अधूरे रह जाते रहे। चूंकि मुझे चैटिंग करनी नहीं आती और मैं सीधा काम की बात यानि सेक्स की तरफ बात शुरू कर देता हूँ इसलिए असफलता लाजिमी थी।
मुझे सेक्स में सिर्फ़ महिलाओं के साथ ही सेक्स करना पसंद है, फिर वो चाहे भाभी, आंटी या कोई कन्या ही क्यूँ ना हो। मेरी दिली ख्वाहिश रही है कि मैं कभी-कभी एक साथ दो, तीन, चार या उससे भी ज़्यादा महिलाओं के साथ एक साथ सेक्स करूँ। मुझे लेस्बियन लड़की के साथ सेक्स करने में बड़ा मज़ा आता है। वैसे लेस्बियन हम मर्दों को अपने साथ बुलाती नहीं हैं। हाँ एक बार किसी कपल के साथ थ्री-सम करने का भी मूड है।
मेरी बचपन से ख्वाहिश थी कि मैं जिगोलो बनूँ.. पर सब ख्वाब ही बन कर रह गए। क्योंकि मैं एक औसतन दिखने वाला आदमी हूँ और मेरा लंड भी औसतन आकार का है।
सामान्यतः मैं एक दिन में एक बार ही सेक्स कर पाता हूँ। बस अपनी सुहागरात के दिन और उसके बाद इतने सालों में चार या पाँच बार ही एक दिन में तीन से चार बार सेक्स कर पाया हूँ।
वैसे जिगोलो बनने के लिए कोई खास कारण नहीं है। बस जब छोटा था तो मुफ़्त में चोदने को मिले और जेब खर्च के लिए कुछ पैसे मिल जाएं.. और अब कुछ नया हो और कुछ कमाई हो ताकि इस महँगाई में घर चलाने में आसानी हो।
वैसे मैं बता दूँ कि मैं एक अच्छी कम्पनी में मैनेजर की पोस्ट पर हूँ। पर इसकी पगार से घर चलाने में मुश्किलें आती हैं। फिर बचत के बारे में और बच्चों के फ्यूचर के बारे में सोच कर पागल हो जाता हूँ।
खैर.. कहा है ना कि ऊपर वाले के यहाँ देर है.. पर अंधेर नहीं।
हमारे गुजरात में मोदी जी कई सालों से रण उत्सव मनाते हैं और वहीं भुज के पास एक माता का मंदिर है। मैं वहाँ हर साल दिसम्बर में एक बार दर्शन करने जाता हूँ। कई बार फैमिली के साथ और कई बार अकेले। हम हमेशा स्लीपर क्लास बस से जाते हैं।
जब भी मैं अकेला होता हूँ तो अन्तर्वासना की कहानियों की तरह ख्वाब देखता रहता हूँ कि कब मेरा नसीब खुलेगा। मगर हाय रे किस्मत.. कोई सपना पूरा नहीं हुआ।
बात आज से 3 साल पुरानी है। मैं फिर अकेला दर्शन करने गया था। माता के दर्शन करके सुबह 7 बजे की बस से वापिस भुज आ गया और अपने रहने के लिए होटल ढूँढ रहा था क्योंकि मेरी वापसी की बस की बुकिंग रात के 9 बजे की थी।
मेरी कमनसीबी ने यहाँ भी पीछा नहीं छोड़ा। क्रिसमस की वजह से सारे होटल पैक थे।
आख़िरकार एक होटल में सिंगल बेड कमरा मिला.. अटेच्ड टॉयलेट के साथ। मैंने भी देर ना करते हुए वो रूम ले लिया। मैंने कमरे में जाकर फ्रेश होकर कुछ खाना खाया और मोबाइल पर अन्तर्वासना की स्टोरीस पढ़ने लगा।
मेरी एक आदत है, मैं अपने रूम में जब भी अकेला होता हूँ.. तो मैं बिल्कुल नंगा ही रहता हूँ।
इसी तरह में नंगा हो कर मैं आराम कर रहा था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
पहले तो मैं सोच में पड़ गया कि कौन हो सकता है, यहाँ तो मैं किसी को जानता भी नहीं हूँ। फिर सोचा रूम बॉय होगा.. जो रूम सर्विस के लिए आया होगा।
मैंने अपना तौलिया लपेटा और दरवाजा खोल दिया।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो पाया वहाँ पर एक 41-42 साल की महिला जीन्स और कुर्ता पहने खड़ी थी। उनका फिगर 34-32-38 की थी.. हाइट सवा पांच फुट.. जो कि बाद में उनके बताने से पता चली।
उनको देखते ही मैं भूल गया कि मैं कहाँ हूँ और किस हाल में हूँ। कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद एक मीठी सुरीली आवाज से मैं जैसे होश में आया। मैंने देखा तो वो महिला मुझे हाथ पकड़ कर हिला कर कह रही थी।
‘क्या मैं आपके रूम का टॉयलेट यूज कर सकती हूँ?’
मैंने तुरन्त ही अपने आप को संहालते हुए दरवाजे से साइड में होकर उनके लिए अन्दर जाने का रास्ता किया और दरवाजा बंद करते हुए मैं भी अन्दर आ गया। तब तक वो टॉयलेट के अन्दर जा चुकी थीं।
पता नहीं कैसे मैं भी उनके पीछे-पीछे टॉयलेट के दरवाजे तक चला गया, पर दरवाजा बंद होने के कारण में वहीं खड़ा हो गया और अन्दर की आवाज सुनने का प्रयत्न करने लगा।
दो-तीन मिनट बाद मुझे लगा कि वो बाहर आने वाली हैं तो मैं जाकर बिस्तर पर बैठ गया। कुछ सेकंड बाद वो बाहर आईं और उन्होंने मेरे पास आकर मुझे थैंक्स कहा।
मैंने मुस्कान के साथ उन्हें ‘वेलकम’ कहा। एक मिनट के लिए दोनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा.. फिर उन्होंने खामोशी तोड़ते हुए पीने के पानी के बारे में पूछा.. तो मैंने हाथ बढ़ा कर पास में रखी हुई पानी की बोतल उठा कर उनकी तरफ बढ़ा दी।
उन्होंने बोतल को मुँह से लगा के पानी पिया और बोतल रख कर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं।
शायद हम दोनों को पता नहीं चल रहा था कि क्या बोलें। बस इधर-उधर देख रहे थे और कभी-कभी एक-दूसरे की तरफ़ देख कर बस मुस्कुरा देते थे।
फिर कुछ सेकंड बाद उन्होंने मुझसे पूछा- क्या मुझे एक सिगरेट मिल सकती है?
मैं आपको बताना भूल गया कि मैं भी स्मोकिंग करता हूँ और जब भी मैं अकेला होता हूँ तो मेरे पास ही सिगरेट का पैकेट पड़ा होता है। मैंने तुरंत सिगरेट का पैकेट उनकी तरफ़ बढ़ाया, उसमें से उन्होंने एक सिगरेट लेकर अपने होंठों से लगाई।
मैं मन ही मन सोचने लगा शायद इस सिगरेट की जगह में होता। मेरी खामोशी को तोड़ते हुए उन्होंने मुझसे माचिस माँगी तो मैंने तीली जलाकर उनकी सिगरेट को आग दी।
फिर वो मेरे साथ बिस्तर पर बैठ कर सिगरेट पीने लगीं और कभी-कभी हम मुस्कुरा देते थे। इसी दौरान उन्होंने मेरा मोबाइल ले लिया जो बिस्तर पर रखा हुआ था। मोबाइल को अनलॉक करके वो उसे देखने लगीं। लेकिन जैसे ही उन्होंने मोबाइल अनलॉक किया तो स्क्रीन पर कुछ नंगी तस्वीरें देख कर फ़ौरन वापिस रख दिया, पर मोबाइल अभी लॉक नहीं हुआ था तो वो तस्वीरें ऐसे ही दिख रही थीं।
इधर हम भी एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
कुछ देर के बाद मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरी जाँघों पर कुछ फिर रहा है। मैंने देखा तो वो अपने एक हाथ से मेरी जाँघों को सहला रही थीं।
मैंने आपको बताया था ना मैंने सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए ही दरवाजा खोला था और अभी तक मैं उसी हाल में था। वैसे भी मेरा लंड पहले से खड़ा था और उनकी इस हरकत से वो और भी खड़ा हो गया।
मेरा लंड औसत साइज का है। जब सोया हुआ होता है तो किसी छोटे बच्चे की नुन्नी जैसा होता है.. जो कई औरतों भाभियों.. आंटियों को पसंद आता है। इस तरह की औरतें किसी बच्चे की नुन्नी के साथ खेलना चाहती हैं। मेरा लंड जब जागता है तो एक सामान्य पुरुष के लंड की तरह लंबा और मोटा हो जाता है।
मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है और मैं क्या करूँ।
मैं तो बस किसी बुत की तरह बैठा रहा। कुछ देर तक मेरी जाँघों को सहलाने के बाद उन्होंने सिगरेट ऐश-ट्रे में डाल कर खुद बिस्तर से नीचे मेरे पैरों के बीच बैठ गईं।
उन्होंने मुझे एक हल्का सा धक्का दे कर बिस्तर पे गिरा दिया और मेरे तौलिये की गाँठ खोल दी.. जिससे मैं पूरा नंगा हो गया। अब वो नीचे बैठ कर मेरी जाँघों को सहलाते हुए मेरे लंड से खेलने लगीं।
कुछ देर बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और प्यार से उसे चूमने चाटने लग गईं।
मैं तो जैसे नशे के आलम में खो गया था। उनके ऐसे प्यार से लंड चूसने-चाटने के कुछ देर बाद.. जैसे मैं होश में आया तो उनके सर पर हाथ फेरने लगा और कभी-कभी उनके गालों पर, उनके कंधों पर, उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।
फिर जब मुझे लगा कि मेरा माल निकल जाएगा.. तो मैं उन्हें ऊपर उठाते हुए उन्हें किस करने लगा। कुछ ही सेकंड में ही हमारे होंठ एक-दूसरे से मिल गए।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए और अपने सुझाव या कमेंट जरूर दीजिए। [email protected]il.com
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