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अब तक आपने पढ़ा.. मेरी बेटी मेघा की सहेली जीनत को चोदने की तैयारी कर रहा था। अब आगे..
मैं बिस्तर पर लेट गया तो वो अपना टॉप ऊपर करने लगी।
‘अरे इतनी जल्दी क्या है बेटा..’ उसको रोकते हुए मेरे मुँह से ‘बेटा’ निकल गया। वो मुस्कुरा दी। ‘आराम से.. मुझे कोई जल्दी नहीं है.. क्या तुम्हें कोई जल्दी है?’ ‘नहीं मैं तो पूरी फ्री हूँ अंकल लेकिन किसी का मन है कि आपको खुश रखूँ।’ ‘क्या.. मैं समझा नहीं?’ ‘कुछ नहीं अंकल बस ऐसे ही.. दरअसल तीन बजे कॉलेज की छुट्टी होती है तब तक..’
मैंने उसे अपने पास लेटाया, वो मुझसे चिपक कर लेट गई। अक्सर मेरी बेटी भी मुझसे ऐसे ही चिपक कर लेट जाती है, मगर मुझे कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ। सारा सोच का फर्क है।
उसने अपना सर मेरे कंधे पर रखा हुआ था और मैं उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था।
मैंने उससे काफी देर बातें की, उससे उसकी क्लास की सब लड़कियों के बारे में पूछा। सच कहूँ तो मैं तो यह जानना चाहता था कि कहीं मेरी बेटी तो ऐसे किसी चक्कर में तो नहीं पड़ गई।
मगर उसने बताया कि मेघा एक बहुत ही शरीफ और पढ़ाकू किस्म की लड़की है, न उसका कोई बॉयफ्रेंड है और न ही कोई और लफड़ा।
मैं पूरी तरह से समझ रहा था कि एक सहेली किस तरह से दूसरी सहेली का बचाव कर रही है।
मुझे मालूम था कि मेघा को नए-नए लंडों से नए-नए लोगों से चुदवाना पसंद था। कानपुर की शादी में उसने दो सौ बारातियों से बिना डरे मैरिज लॉन की छत हिलाई थी.. फिर भला कॉलेज में कैसे वह अपनी मासूम चूत को रोके रखती।
खैर.. जीनत उसकी सहेली थी उसका फ़र्ज़ था कि वो अपनी सहेली की बात गुप्त रखती।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गाल पर चूम लिया, जब उसे बाँहों में भरा तो उसके दो नर्म-नर्म नाज़ुक से चीकू जैसे स्तन मेरे सीने से लग गए।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके ब्रा के ऊपर हाथ फेरा- यू आर वैरी सेक्सी जीनत.. मैंने कहा तो उसने भी ‘थैंक्यू’ कह कर जवाब दिया।
मैंने उसकी आँखों में देखा और फिर एक बार उसके होंठों को चूमा, उसने भी मेरे होंठों को चूमा। मैंने फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार उसको होंठों को अपने होंठों में ही भर लिया और उसके दोनों होंठों को बारी-बारी से चूसा।
सच में आदमी की उम्र जितनी बड़ी होती जाती है, उसको उतनी ही छोटी उम्र की लड़की मजेदार लगती है।
होंठ, गाल चूमते-चूसते मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरा। फिर उसके चूतड़ों पर.. और फिर अपना हाथ उसके टॉप के अन्दर ही डाल दिया और उसकी नंगी पीठ पे हाथ फेरता-फेरता उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
मैंने उसे खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया और अपने दोनों हाथ शॉर्ट्स में डाल कर उसको दोनों चूतड़ों को पकड़ लिया। ‘किस मी जीनत..’ मैंने कहा।
तो उस भोली सी सूरत वाली लड़की ने अपने दोनों होंठ मेरे होंठों में दे दिए और मैंने अपनी जीभ से उसकी जीभ को चुभलाना शुरू कर दिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मेरा लंड अकड़ा पड़ा था, मैंने उठ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया, उसका टॉप उतारा और ब्रा भी उतार दी, दो मासूम से स्तन मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने उसके स्तन अपने हाथों में उसे पकड़े, बहुत ही चिकने और मुलायम थे। निप्पल के घेरे बन गए थे मगर अभी तक चूचुक उभर कर बाहर नहीं आए थे।
मैंने अपने हाथों में पकड़ कर उसके दोनों स्तनों को चूसा तो उसने खुद ही मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया।
‘मुझे नंगा करो जीनत।’ मैंने कहा तो उसने मुझे उठाया और खुद भी खड़ी होकर मेरी शर्ट के बटन खोले, शर्ट उतारी, फिर बनियान उतारी, फिर बेल्ट और पेंट भी उतारी।
नीचे चड्डी में मेरा लंड पूरे फुंफकारें मार रहा था, मैंने कहा- नीचे बैठो जीनत, मेरी चड्डी उतारो। उसने वैसा ही किया, तो मैंने अपना लंड उसके होंठों से लगाया।
‘अह्हह.. जीनत.. मेरी मासूम बेटी की मासूम सहेली.. मज़ा आ गया!’
उसने एक प्रोफेशनल गश्ती की तरह से मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मगर सिर्फ लंड चुसवाने से मेरा दिल नहीं भरने वाला था, मैं बिस्तर पर लेट गया और जीनत से कहा- मेरे ऊपर लेट जाओ, मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूँ।
वो बोली- अंकल, मैंने धोई नहीं है.. पहले धो आऊँ? मैंने पूछा- क्या पेशाब करने के बाद नहीं धोई थी? वो बोली- जी.. मैंने कहा- कोई प्रॉब्लम नहीं, मैं वैसे भी चाट सकता हूँ।
मैंने उसे कमर से पकड़ा और अपनी ताकत से घुमा कर अपने ऊपर लेटा लिया। हम दोनों 69 की अवस्था में थे। वह मासूम बच्ची मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूस रही थी।
जब मैंने उसकी चूत में जीभ फेरी तो सबसे पहले उसके पेशाब का ही नमकीन सा स्वाद आया। चूत चाटनी मुझे बहुत पसंद है और यह तो एक कच्ची कली सी लड़की की चूत थी, अगर यह पेशाब कभी कर देती तो मैं तो इसका पेशाब भी पी जाता।
मैंने उसकी छोटी सी बाल रहित चूत सारी की सारी अपने मुख में ले ली और पूरे स्वाद ले-ले कर उसकी चूत चाटी।
उसकी चूत बिल्कुल सूखी थी, मगर जब मैंने चाटी तो वो भी पानी छोड़ने लगी। नन्ही सी मुलायम सी चूत के साथ मैं उसकी गांड भी चाट गया।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी गांड के सुराख पर फिराई और अपने थूक से उसकी गांड को गीला करके अपनी उंगली उसकी गांड में डालनी चाही.. तो उसने मना कर दिया।
‘आअउऊचहह.. नहीं अंकल, ये मत करो।’ वह कसमसाते हुए उछल पड़ी। उसने रोका तो मैं रुक गया। वो मेरा लंड चूसती रही और मैंने जी भर के उसकी गोरी नर्म चूत चाटी और उसकी चूत से निकलने वाले पानी को चाटा।
‘जीनत नीचे लेट जा अब मेरी बेबी!’ जब चूत चाट के दिल भर गया तो मैंने उसे नीचे लेटने को कहा। ‘अभी लो अंकल!’ वो बिस्तर के बीचों बीच लेट गई और उसने अपनी टांगें भी खोल दीं।
मैंने जीनत के थूक से सने हुए अपने मोटे लंड को सहलाया और लंड उसकी नन्ही सी मासूम चूत पर रखा- पहले कितनी बार सेक्स किया है? मैंने पूछा और अपना लंड उसकी छोटी सी चूत में घुसा दिया।
चूत गीली थी तो लंड का आगे का लाल टोपा उसकी चूत में घुस गया। ‘आह्हह्हह.. सीईई.. ज्यादा नहीं.. बस 4 बार..’ उसके चेहरे पर दर्द के भाव थे। ‘क्यों करती हो ऐसा?’ मैंने पूछा। ‘बस आजकल बाहर रहने वाली लड़कियों के शौक घर के पैसे से कहाँ पूरे हो पाते हैं.. इसलिए कभी कभी कोई हाई प्रोफाइल बन्दा मिल जाता है तो एक दो रात के लिए टाँगें खोल देती हूँ।’
मुझे उस पर बड़ा तरस आया कि इतनी प्यारी लड़की को ऐसा भी करना पड़ सकता है.. लेकिन मैं खुद अपनी बेटी मेघा का इस्तेमाल कर चुका था तो मेरे लिए ऐसा सोचना बेमानी था।
फिर मैंने अपने मन को समझाया कि सहमति से किया गया सेक्स गलत नहीं होता। सेक्स अलग चीज़ है और रिश्ता अलग बात है। मेरी बेटी की सहेली सब कुछ अपनी मर्ज़ी से करवा रही थी। मैं उसके पैर मोड़े हुए उसके ऊपर चढ़ा हुआ उसको रंडी की तरह चोद रहा था, वह ‘आह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह्ह..’ करती हुई दर्द से कसमसा रही थी।
मैंने उसे करीब दस मिनट वैसे ही खुद चोदा, मगर दस मिनट में मेरी सांस फूलने लगी थी, मैंने उससे कहा- जीनत क्या तुम ऊपर आओगी? वो बोली- ओके.. लगता है आप थक गए हैं। मैंने ‘हाँ’ कहा और मुस्कुरा कर नीचे लेट गया।
वो उठी और आकर मेरी कमर पर चढ़ गई और मेरा लंड पकड़ कर उसने खुद ही अपनी चूत पर सैट किया।
उसके बाद तो क्या स्पीड दिखाई उस लड़की ने.. आह… मैं तो उसे हल्की सी समझता था मगर वो तो बहुत तगड़ी चुदक्कड़ निकली। पूरे 7-8 मिनट वो मेरे ऊपर लगातार एक ही स्पीड से चुदाई करती रही।
मैं नीचे लेटा देख रहा था, मेरा लंड बार-बार उसकी चूत के अन्दर बाहर आ-जा रहा था। मैं उसके निप्पल चूस रहा था, मगर वो सबसे बेखबर बस जोर-जोर मुझे चोदने में लगी थी।
जब एक कोमल सी लड़की, जिसकी चूत पूरी कसी हो.. वो आपके ऊपर चढ़ कर खुद आपकी चुदाई करे.. तो आप खुद को कितनी देर रोक सकते हो।
मैंने भी बड़ी कोशिश की, मगर रोक न सका। वो ऊपर से चोद रही थी तो मैं भी नीचे से उसकी कमर को पूरी मजबूती से पकड़ कर नीचे से उसकी ठुकाई कर रहा था। एसी कमरा होने के बावजूद हम दोनों को पसीना आ रहा था।
‘अह्ह्ह्ह्ह.. जीनत बेबी मैं झड़ने वाला हूँ.. आह्ह..’ वो झड़ी या नहीं झड़ी, मुझे पता नहीं पर मैं झड़ गया।
जब मेरा वीर्य झड़ा तो मैं न जाने उसे क्या-क्या कह गया.. कितनी गालियाँ उस को दे डालीं.. मगर वो फिर भी मुझे चोदने में लगी रही जब तक मेरे वीर्य की आखरी बूँद चूत में न निचुड़ गई।
जब तक मैं निढाल होकर चित्त हो कर बिस्तर पे न गिर गया, वो मेरे ऊपर लेट गई, मैं उसकी पीठ और चूतड़ों पर हाथ फेरता रहा।
जब तूफ़ान थम गया तो वो उठी और बाथरूम में चली गई, फ्रेश हो कर बाहर आई और कपड़े पहन कर तैयार हो गई। मगर मैं नंगा ही पड़ा रहा।
‘जीनत बेटा बुरा मत मानना लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम कुछ पैसे रख लो।’ मैंने उसे पैसे देने चाहे लेकिन उसने नहीं लिए- अरे अंकल, आप मेरी बेस्ट फ्रेंड के डैडी हैं।
तभी दरवाज़े की बेल बजी, मैं थोड़ा असहज होकर गाउन डालने लगा, जीनत दरवाज़े को बढ़ गई। मैं खुद को ठीक कर रहा था, उसके साथ कोई अन्दर आ रहा था ‘हैप्पी बर्थ-डे पापा!’ मेघा कमरे में आकर मुझसे चिपट गई।
‘ओह.. थैंक्स मेरा बेबी.. तुम तो बोली थीं कि टाइम नहीं है.. फिर अचानक कैसे..और मेरा गिफ्ट?’ ‘मैंने बोला था न कि मैं आपको सरप्राइज गिफ्ट दूंगी.. कैसा लगा मेरा सरप्राइज गिफ्ट?’ मेघा ने जीनत का हाथ पकड़कर आगे करते हुए कहा। वे दोनों मुस्कुरा रहीं थीं।
‘ओह.. मतलब यह सब तुम दोनों की सोची समझी प्लानिंग थी।’ मैंने दौड़कर मेघा को पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। वो दोनों जोर-जोर से हँसने लगीं।
मेरा लंड उसकी स्कर्ट में छुपी छोटी सी गांड से रगड़ खाकर कुलबुला रहा था। दूसरा हाथ उसकी मासूम चूत को गुदगुदाने लगा। वह जोर-जोर से हँसते हुए मचल रही थी।
‘जीनत बेटा तुम भी पास आओ।’ मैंने उसे इशारे से पास बुलाया, जब वो मेरे बिल्कुल करीब आ गई तो मैंने उसे भी बाँहों में भर लिया और बारी-बारी एक ज़ोरदार चुम्बन उन दोनों के होंठों पर जड़ दिए।
‘मेरी अब से एक नहीं.. दो-दो बेटियाँ हैं।’ उन दोनों ने भी मेरी गोद में बैठते हुए चुम्बन का जवाब चुम्बन से ही दिया। ‘बहुत शरारती हो तुम दोनों।’ ‘असली शरारत तो अब शुरू होगी पापा.. चलो फटाफट केक काटते हैं।’
हम लोगों ने केक काटा और वोदका के पैग लगाए। हम तीनों मिलकर बेडरूम में डांस कर रहे थे।
मैंने सिर्फ गाउन डाला हुआ था, मेघा लाल मिनी स्कर्ट और काले टॉप में थी.. जिसमें वह बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। दोनों लड़कियों ने शरारत करते हुए मेरी ड्रिंक में कुछ डाल दिया था। उसके बाद मुझे कुछ हो गया और मैं जीनत को किस करने लगा। मेघा नया पैग बनाने में व्यस्त थी।
फिर मैंने जीनत को प्यार करते हुए उसके कान में धीरे से कहा- मैं तुझे और मेघा को एक साथ चोदना चाहता हूँ। जीनत ने मेरी तरफ देखा और फिर एकदम से मेघा के पास जाकर उसके कान में कुछ कहा।
उसके बाद मेघा बाहर चली गई और जीनत मेरे पास आकर मुझे चूमने लगी। मैंने उससे पूछा- तुमने मेघा से ऐसा क्या कहा है.. जो वह बाहर चली गई? जीनत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- थोड़ी देर सब्र भी कर लो अंकल।
उसके बाद मैं जीनत को नंगी करके उसकी चूचियों को अपने मुँह में लेकर पीने लगा और उसको गोद में लिटाकर उसकी चूत में उंगली करने लगा।
अचानक ही दरवाजा खुला और मेघा एक काले रंग के गाऊन में अन्दर आई और आकर मेरे पास बैठ गई। उसके बाद मैंने जीनत की तरफ देखा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- आज हम दोनों तुम्हारे हैं। अपनी दोनों बेटियों को दिल भरकर चोद लो।
इसके बाद तो मैं झपट कर मेघा को चूमने लगा और उसका गाऊन खोल दिया। फिर मैं मेघा की चूचियों को पीने लगा तो वह तड़पने लगी और मेरे सिर को अपने सीने में जोर से दबा दिया।
इधर नीचे जीनत मेरे लंड को बड़े मज़े से चूस कर मेघा की चूत के लिए तैयार कर रही थी। उधर मैं मेघा के पूरे शरीर को चूम लेने के बाद उसकी चूत को चाटने लगा तो वह सिसकारने लगी, जीनत ने भी उसे और उत्तेजित करने के लिए उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू कर दीं।
फिर मैंने अपने गर्मा-गर्म लंड पर मेघा को बैठा दिया और उसे अपने लंड पर कुदाने लगा और जीनत इधर मेरे मुँह पर बैठ कर अपनी चूत मुझसे चटवाने लगी।
इस तरह मैंने दोनों को बारी-बारी से चोदा और वह रात हमारे लिए यादगार बन गई। [email protected]
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