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दोस्तो, मेरा नाम नीतू पाटिल है.. मैं महाराष्ट्र से हूँ और कॉलेज की स्टूडेंट हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 4 इंच है और मैं अभी 21 साल की हूँ। मेरा फिगर 32-24-28 का है और रंग गोरा है।
जो घटना आज सुनाने जा रही हूँ.. तब मैं कॉलेज के दूसरे वर्ष में थी। कॉलेज के एग्जाम खत्म हो गए थे और एक महीने की छुट्टियाँ थीं, तो मैंने हॉस्टल से घर जाने की सोची।
इस वक्त ट्रेवलिंग सीजन चल रहा था इसलिए ट्रेन की कन्फर्म बुकिंग नहीं मिल रही थी। मेरी सारी सहेलियां घर जा चुकी थीं पर मेरे जाने के दिन भी मेरी टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी और मुझे RAC में बर्थ शेयर करना पड़ा।
ट्रेन का टाइम भी रात को 10 बजे का था। मैंने हॉस्टल से स्टेशन तक ऑटो की, उस दिन मैंने लॉग स्कर्ट और स्लीवलेस टी-शर्ट पहनी हुई थी।
ट्रेन आने के बाद मैं अपने बर्थ पर बैठ गई। आरएसी की बर्थ साइड लोअर होती हैं.. और इस बर्थ पर मेरे साथ जो महिला ट्रेवल करने वाली थी, वो अपने पति के साथ आई हुई थी।
ऐन मौके पर उसने अपनी बर्थ एक्सचेंज कर ली। अब वो अपने पति की बर्थ पर चली गई और मेरे बर्थ पर एक लड़के को भेज दिया।
जब मैंने उसको देखा तो बस देखती ही रह गई वो एक मिलिट्री अफसर था। उसकी उम्र लगभग 24-25 की होगी। वो युवक लम्बा और हैंडसम था।
उसने मुझे ‘हाय..’ कहा.. मैंने भी उसे ‘हाय..’ कहा। उसने अपना सब सामान एडजस्ट करके रखा और बैठ गया।
करीब 15-20 मिनट तक तो बस हम दोनों एक-दूसरे को चोरी-छुपे ही देखते रहे। फिर उसने बात करना चालू किया। पहले उसने मेरा नाम पूछा और अपना नाम नितिन बताया।
फिर उसने मुझसे मेरे होमटाउन के बारे में पूछा.. मेरे कॉलेज के बारे में पूछा। इस तरह बातचीत शुरू हो गई। टीसी भी टिकट चैक करके चला गया।
सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे, सिर्फ हम दोनों ही बातें कर रहे थे। वो अपने मिलिट्री के किस्से सुना रहा था और मैं अपने कॉलेज के किस्से बता रही थी। धीरे-धीरे हम एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो रहे थे।
फिर बातचीत थोड़ी पर्सनल होती चली गई। वो बीच-बीच में नॉनवेज जोक्स और किस्से सुनाने लगा। मैं बस उन्हें सुनकर हँस देती थी। रात होते ही ठण्ड बढ़ने लगी.. तो मैंने अपना ब्लैंकेट अपने पैरों पर ओढ़ लिया।
उसके पास कोई ब्लैंकेट नहीं था.. तो मैंने भी उसे रिक्वेस्ट की कि वो भी ब्लैंकेट से अपने पैर ढक ले। उसने मेरी बात मानते हुए अपने पैर भी मेरी ब्लैंकेट में डाल दिए।
अब बात करते टाइम कभी-कभी हमारे पैर एक-दूसरे को टकरा जाते थे.. पर मैं कुछ नहीं बोलती थी।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और उसने बात करते-करते ब्लैंकेट के नीचे मेरे पैरों पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे सहलाने लगा। इसी के साथ हम दोनों ने बातें करना भी जारी रखा।
मेरे तरफ से कुछ भी विरोध न पाते देख उसने हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर खिसका कर मेरे नंगे टाँगों को घुटनों तक सहलाना चालू कर दिया। मेरा तो मन कर रहा था कि जाऊँ और उसकी गोद में बैठ जाऊँ.. पर ट्रेन में हम उतना ही कर सकते थे।
फिर उसने अपना पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में मेरे स्कार्ट के अन्दर डाल कर सीधा मेरी चूत तक ले आया। मैंने डर कर इधर-उधर देखा कि कोई देख न ले। लेकिन सब लोग सो रहे थे।
फिर वो अपने अंगूठे से मेरी चुत को मेरी पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा, वो मुझे लगातार देखते हुए मेरी चुत सहला रहा था। मैंने उत्तेजना में अपनी आंखें बंद कर लीं और थोड़ी ही देर में मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया, मैंने हाँफते हुए उसके अंगूठे को पकड़ लिया और उसको रुकने को इशारा किया।
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।
फिर मैंने थोड़ा सोच कर उसका पैर मेरी स्कर्ट में से हटा दिया.. यह देख कर वो नाराज हो गया। मैं वहाँ से उठकर बाथरूम की तरफ चली गई और उसकी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई। मेरा इशारा समझते ही वो मेरे पीछे-पीछे बाथरूम में आ गया और दरवाजे का लॉक लगा दिया।
अब उसने मुझे गले लगा लिया। हम दोनों किस करने लगे। वो मेरी गांड को कपड़ों के ऊपर से सहला रहा था और दबा रहा था। थोड़ी देर किस करने के बाद उसने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और मुझे घुमा कर मेरी पीठ और नेक पर किस करने लगा। फिर वो अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और जोर-जोर से सांस ले रही थी। उसका लंड मुझे कपड़ों के ऊपर से ही मेरी गांड की दरार में महसूस हो रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा का हुक खोला ओर मेरी ब्रा भी उतार दी। फिर मुझे अपनी तरफ घुमा के मेरे निप्पलों को बारी-बारी चूसने लगा। मैं तो पागल होने लगी थी और अपने हाथों से उसके बाल पकड़ कर उसका सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी। वो एक निप्पल अपने होंठों में लेकर चूसता.. तो दूसरे को अपने हाथों से दबा देता। मेरी तो सिसकारियां उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकलने लगी थीं।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा स्कर्ट मेरी पैंटी के साथ ही निकाल दिया और मुझे पूरा नंगी कर दिया, उसने मुझे उठा कर मुझे वाशबेसिन पर बिठा दिया और खुद घुटनों पर बैठ गया। अब उसने मेरी टांगें चौड़ी करते हुए मेरी जांघों को किस करते हुए धीरे-धीरे मेरी चुत तक पहुँच गया, फिर उसने धीरे से मेरी क्लिट को अपने मुँह में भर लिया और चूसना चालू कर दिया।
मेरे मुँह से एक तेज ‘आहह..’ निकल गई।
उसने दोनों हाथ ऊपर करके मेरे मम्मों को दबाते हुए मेरी क्लिट को चबाना चालू रखा। मैं यह सहन नहीं कर पाई और जोर से उसके बाल खींचते हुए अपना पानी छोड़ दिया। उसने बिना रुके मेरा सारा पानी चाट लिया और अपनी जीभ की नोक से मेरी चुत को चोदने लगा।
मेरी हालात खराब होती जा रही थी, वो मेरे मम्मों को दबाता जा रहा था और मेरी चुत को जीभ से चोदे जा रहा था।
कुछ ही पलों में मेरी चुत उसकी जीभ के सामने फिर से हार गई और मैं तीसरी बार झड़ गई। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर मैंने उसको खड़ा किया और बेसिन से उतर गई, अब मैं उसको किस करने लगी, फिर उसके शर्ट के बटन खोलते हुए उसके सीने पर हाथ फेरने लगी।
उसने अपनी शर्ट को निकाल दिया, मैं उसके सीने पर किस करते हुए उसके निप्पल को दाँतों में लेकर काटने लगी और चूसने लगी। वो भी पागलों की तरह मेरे मम्मों और गांड को दबा रहा था।
फिर धीरे-धीरे मैं किस करते-करते नीचे जाने लगी और अपने घुटनों के बल बैठ गई। वो मेरा इशारा समझ गया और उसने अपनी पैंट खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लिया।
मैंने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और हाथों से मुठ मारने लग गई और मैं दूसरे हाथ से उसके बॉल्स से खेल रही थी। मैंने उसकी ओर देखा तो उसने मुझे लंड चूसने का इशारा किया, मैंने भी मुस्कुराते हुए उसके लंड के सुपारे को किस किया और जीभ से उसके लंड को पूरा चाट लिया।
फिर मैंने उसके लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी, मैं कभी लंड को चूसती.. कभी जीभ से चाटती.. कभी उसके लंड की गोटियों को चाटती और एक हाथ से अपनी चुत सहलाती जाती।
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उसने मेरे सिर को जोर से पकड़ लिया और जोर से अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। मैं समझ गई कि वो झड़ने के करीब है।
थोड़ी ही देर में उसने मेरे मुँह में ही अपना पानी निकाल दिया और जोर-जोर से हाँफने लगा। मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर लिया और पानी से अपना मुँह साफ़ कर लिया।
उसने मुझे अपना लंड चूस कर खड़ा करने को बोला ताकि वो मुझे चोद सके लेकिन मैंने उसको मना कर दिया।
हमको बाथरूम में आए हुए बहुत टाइम हो गया था, फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए। पहले वो बाहर चला गया.. थोड़ी देर बाद मैं भी अपने बर्थ पर वापस आ गई। अब हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
फिर हमने थोड़ी देर बातें की एक-दूसरे का मोबाइल नंबर लिया और सो गए। मेरा स्टेशन आने से दो घंटे पहले हम वापस बाथरूम में गए। मैंने फिर से उसके लंड को चूसा। उसने मेरी चुत को चूसा और हम दोनों झड़ गए। उस दिन के बाद हम हर रात फ़ोन पर बात करते हैं और जल्द ही मिलने के बारे में सोच रहे हैं।
आप लोगों को मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी.. मुझे मेल करें, [email protected]
आर्मी अफ़सर के साथ चूत लंड की मस्ती-2
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